सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है?

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Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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प्रॉपर्टी ब्रोकर और ब्रोकरेज फर्म के बीच मुख्य अंतर

एक विशाल संपत्ति बाजार में, कभी-कभी संपत्ति ब्रोकर, रियल एस्टेट एजेंट या रियल्टी सलाहकार के बिना एक संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए संभव नहीं हो सकता है, जो आपको उसी के साथ मदद करता है। इस मामले में, क्या आपको अपने लिए काम करने के लिए एक व्यक्तिगत एजेंट या ब्रोकरेज फर्म को चुनना चाहिए? हम कुछ उत्तरों को खोजने की कोशिश करते हैं, जो प्रत्येक ऑफ़र के लाभों को देखते हैं।

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Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? में सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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ट्रेडिंग शुरू करने से पहले स्टॉकब्रोकर कैसे चुनें?

आर्थिक मंदी के बावजूद, खोले जा रहे नए डीमैट खातों की संख्या जो मार्च २०१९ तक 35.9 मिलियन थी वो मार्च 2020 में बढ़कर 40.8 मिलियन हो गई है। इसके अलावा, इक्विटी कैपिटल मार्केट्स ने अगस्त 2020 को समाप्त.

ट्रेडिंग शुरू करने से पहले स्टॉकब्रोकर कैसे चुनें?

आर्थिक मंदी के बावजूद , खोले जा रहे नए डीमैट खातों की संख्या जो मार्च २०१९ तक 35.9 मिलियन थी वो मार्च 2020 में बढ़कर 40.8 मिलियन हो गई है । इसके अलावा , इक्विटी कैपिटल मार्केट्स ने अगस्त 2020 को समाप्त होने वाली 5 महीने की में अवधि 24% की साल दर साल की वृद्धि दिखाई है। नए डीमैट खातों की संख्या में सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? उल्लेखनीय वृद्धि और शेयर बाजार गतिविधियों में बढ़ोतरी भारतीय शेयर बाजार में रीटेल निवेशकों की बढ़ते हुए भागीदारी को दर्शाता है।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले नए निवेशकों के पास फुल -सर्विस ब्रोकरेज फर्म और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म यह दो विकल्प होते है।

डिस्काउंट ब्रोकरेज बनाम फुल -सर्विस ब्रोकरेज

भारतीय ब्रोकरेज उद्योग पिछले कुछ वर्षों में इन दो प्रमुख सेवाओं को प्रदान कर रही है -

डिस्काउंट ब्रोकर : एक डिस्काउंट ब्रोकर वह है जो डीमैट और ट्रेडिंग खातों की बुनियादी सेवाएं किफायती मूल्य में प्रदान करता है। यहाँ आप न केवल सब्सक्रिप्शन प्लान्स का चयन कर सकते हैं बल्कि कम ब्रोकरेज दरों का लाभ भी उठा सकते है।

फुल -सर्विस ब्रोकर : ये वित्तीय संस्थान हैं जो स्टॉक ट्रेडिंग सेवाओं के साथ-साथ अनुसंधान और सलाह प्रदान करते हैं। हालांकि, वे तुलनात्मक रूप से अधिक ब्रोकरेज लेते हैं जो आपके ट्रेडिंग वॉल्यूम के आनुपातिक होते हैं।

आजकल अधिकतर नए निवेशकों का डिस्काउंट ब्रोकरेज की ओर अधिक झुकाव है क्योंकि यह उनको कम मूल्य पर अधिक ट्रेड करने का मौका देता है।

ब्रोकर चुनते समय इन तथ्यों का विचार करे : ब्रोकर का चयन आपके ट्रेडिंग करने के अनुभव और ट्रेडिंग के दौरान जो ब्रोकरेज के खर्च आते हैं उसपे उल्लेखनीय प्रभाव डालेगा। नीचे कुछ महत्वपूर्ण मापदंड दिए गए हैं जिनका मूल्यांकन आप एक सही ब्रोकर को चुनने के दौरान कर सकते है।

ब्रोकरेज शुल्क : ब्रोकरेज शुल्क का महत्व बहुत है चाहे आप कभी कभी या बढ़ी मात्रा में निरंतर निवेश करने में रूचि रखते हो। आपको हर खरीद-बिक्री के लिए ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करना होता है और इसलिए कम सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? ब्रोकरेज शुल्क आपके कुल आय पे बहुत अधिक प्रभाव डालेगा। बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड (बीएफएसएल) अपने विशिष्ट शुल्क मॉडल की सहायता से सबसे बेहतर ब्रोकरेज प्रदान करता है। बीएफएसएल के किफायती सब्सक्रिप्शन पैक्स की सहायता से आप सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? इक्विटी (इंट्राडे और डिलीवरी) में हर आर्डर पे रु. ०.९९ का फ्लॅट रेट हासिल कर सकते है।

BFSL डीमैट खाते के माध्यम से रु. 999 (+GST) के सालाना सब्सक्रिप्शन चार्ज वाले पैक के साथ आप इक्विटी एफएंडओ ट्रेडिंग में हर आर्डर पे रु. ५ का फ्लॅट दर भी पा सकते हैं। इस प्रकार के कम ब्रोकरेज दरें एफएंडओ ट्रेडिंग में 75% तक बचत करने में सहायता कर सकते हैं।

इक्विटी एफएंडओ ट्रेडिंग पे 75 % तक के बचत का हिसाब बीएफएसएल के फ्लॅट रु. ५ ब्रोकरेज प्रति आर्डर और अन्य ब्रोकरेज जो रु. २० प्रति आर्डर इन दो ब्रोकरेज की तुलना करके होता है।

विश्वास : विश्वास एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि आप अपनी मेहनत से बचत करके निवेश कर रहे हैं। ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनमें निवेशकों के शेयर्स को उनके ज्ञान के बिना स्टॉक ब्रोकर द्वारा गिरवी रखा गया है। ऐसी घटनाएं निवेशकों के भरोसे को कमजोर करती हैं। हमेशा ऐसे ब्रोकर की तलाश करें जिसने बाजार में अपना विश्वास और विश्वसनीयता साबित किया है।

डिस्काउंट ब्रोकिंग भारत में नया है और इसी वजह से बाजार में अभी बहुत कम नाम है जो पूर्णतः स्थापित हो चुके हैं। मूल ब्रांड बजाज फाइनेंस लिमिटेड की विरासत और एक मजबूत लिक्विडिटी के साथ बीएफएसएल एक विश्वसनीय नाम है। इस कंपनी को क्रिसिल एएए/स्थिर का उच्च रेटिंग प्राप्त हुआ है। इसका मतलब है कि आपके निवेश बीएफएसएल के साथ सुरक्षित हैं।

सुरक्षा : आपके शेयर्स को किसी भी बाहरी पार्टी के दखलअंदाजी और खतरों से सुरक्षित रखना अनिवार्य है। इसलिए ऐसे ब्रोकर का चयन करना महत्वपूर्ण है जो अत्याधुनिक सुरक्षा मापदंड को अपनाते है। उदाहरण के तौर पे बीएसएफ़एल स्टॉक्स के बेचने पर टी-पिन पे आधारित प्रमाणीकरण को लागू किया है जो सीडीएसएल के नियम के अनुसार है। आप वन-टाइम प्रमाणीकरण पिन का उपयोग बिक्री को पूर्ण करने के लिए कर सकते है। यह आपके बिक्री पे एक अधिक सुरक्षा परत की तरह काम करता है।

सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला : ट्रेडिंग गतिविधियाँ केवल स्टॉक ट्रेडिंग तक सीमित नहीं हैं। ट्रेडिंग में सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? बढ़ते अनुभव के साथ आपको आईपीओ ( IPO ) , म्युचुअल फंड और अन्य में निवेश करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है। एक सही ब्रोकर आपको मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग (एमटीएफ) और लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज (एलएएस) जैसी सुविधाएँ प्रदान करेगा।

बीएफएसएल सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? के साथ , आप इन सभी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। BFSL की मूल कंपनी BFL के माध्यम से, ग्राहक LAS सुविधा तक आसानी से पहुँच सकते हैं। BFL देश के सबसे बड़े NBFC में से एक है।

प्लेटफ़ॉर्म और खाता खोलना : बीएफएसएल के डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म आपको सुरक्षित मोबाइल और वेब पर ट्रेडिंग करने की सुविधा देते हैं। बिना कागज़ी काम किये खाता खोलने और सहज बैक-ऑफिस एकीकरण के साथ बीएफएसएल ट्रेडिंग को आसान बना देता है।

ग्राहक सेवा : आप एक ऐसा ब्रोकर चुनें जिसके पास एक स्थापित शिकायत निवारण प्रकिया और सहयोग उपलब्ध हो। अपनी मजबूत ग्राहक सेवा पद्धति के साथ बीएसएफ़एल एक अच्छे विकल्प के तौर सही ब्रोकर कैसे चुनें और गलत नहीं है? पे उभरा है।

चाहे आप एक नए निवेशक हों, कभी कभी ट्रेडिंग करते हों, या एक पेशेवर निवेशक हो , बीएफएसएल रिटेल और एचएनआई ग्राहकों के लिए समान रूप से सेवाएं प्रदान करता है। सभी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए बीएफएसएल के साथ डीमैट खाता खोलें और आज ही सहज ट्रेडिंग का अनुभव लें।

Disclaimer: ये कंटेंट Bajaj Finserv द्वारा वितरित किया गया है , कोई भी HT ग्रुप पत्रकार इस कंटेंट निर्माण में सामिल नहीं है |

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