फीचर आर्टिकल: क्रिप्टोकरेंसी की भारत में स्थिति और निवेशकों का भविष्य

पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश सबसे हॉट इन्वेस्टमेंट के रूप में उभरा है। खासकर युवा निवेशकों के बीच यह तेजी से लोकप्रिय हुआ है। परंपरागत रूप से सुरक्षित तरीके से पैसा लगाने वाले निवेशक भी इसमें लगातार दिलचस्पी ले रहे हैं।

जहां एक और ब्लॉकचेन की मुख्य भूमिका वाले वेब 3.0 की बात हो रही है, वहीं देश में स्टार्टअप कल्चर भी तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों में शुमार भारत इस कल्चर को तेजी से अपना रहा है और ब्लॉकचेन आधारित तकनीकों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

क्रिप्टो टैक्स: क्रिप्टो निवेश अब मुख्यधारा में आ चुका है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हमेशा से इस बात को लेकर आशंकित रहे हैं कि देश में यह निवेश कानूनी रूप से वैध है या नहीं! इसी धारणा को स्पष्ट करने के लिए पहली बार देश में इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की बात की गई है।

इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर अब 30 प्रतिशत कर लगेगा। कराधान उद्देश्य के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को अब वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है।

इसके अलावा, लेन-देन के विवरण को विनियमित और कैप्चर करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज या किसी अन्य भुगतानकर्ता द्वारा क्रिप्टोकरंसी के विक्रेता से 1 प्रतिशत टीडीएस की कटौती का भी प्रावधान किया गया है, यदि कुल भुगतान 10,000 रुपए वार्षिक से ऊपर है। यह प्रावधान 1 जुलाई 2022 से लागू किए जा रहे हैं।

इस तरह से कहा जा सकता है कि अब भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पूरी तरह से कानूनी रूप से वैध हो चुका है। जहां तक अधिक कर की बात है तो यह एक लचीली व्यवस्था है। यह शुरुआती समय है और आने वाले समय में इस पर अधिक विचार किया जाएगा। इसके बाद निवेशकों को हित को देखते हुए इसमें आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं।

भारत बन रहा वेब 3.0 हब
वेब3 या वेब 3.0 एक नई शब्दावली है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। इसका अर्थ एक ऐसे इंटरनेट स्पेस से है, जो विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। सरल शब्दों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के पास इंटरनेट चरण के स्वामी होने की शक्ति होती है। इसके अनुसार इंटरनेट की दुनिया में आम इंटरनेट उपयोगकर्ता शेयरधारक होंगे।

वेब 3.0 मूल रूप से यह निर्धारित करता है कि किसी दिए गए इंटरनेट व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने वाले सभी विभिन्न हितधारक अपने डेटा पर नियंत्रण कैसे बनाए रखते हैं। अच्छी बात यह है कि भारत धीरे-धीरे वेब 3.0 अर्ली एडॉप्टर के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पूरे देश में कार्यक्रमों की योजना तेजी से बनाई जा रही है।

वेब 3.0 में इकोसिस्टम के लिए क्रिप्टो एसेट की जरूरत होती है और यही वजह है कि वेब 3.0 क्रिप्टो करेंसी के अभाव में सफल नहीं हो सकता। नए इकोसिस्टम में एक्सचेंज के मीडियम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का होना जरूरी है। यही कारण है कि वेब 3.0 का क्रेज क्रिप्टो व्यापार को और आगे ले जाएगा।

भारत में क्रिप्टो निवेश: लगातार विकास के पथ पर अग्रसर
भारत में क्रिप्टो निवेशक और HODLers उत्साहित हैं और आशावाद से भरे हुए हैं। HODLers शब्द का चलन क्रिप्टो करेंसी को खरीदकर उसे लंबे समय तक होल्ड करने वाले लोगों के लिए किया जाता है। भारत में क्रिप्टो को वैधानिक मान्यता मिलने, वेब 3.0 को जल्दी अपनाने की स्पर्धा और क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति निवेश के लिए आधुनिक विकल्प ने अग्रणी क्रिप्टो एक्सचेंजों रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई है।

कॉइनस्विच कुबेर प्लेटफॉर्म पर 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और कंपनी अपनी वर्कफोर्स को दिसंबर 2022 तक 1000 तक पहुंचाना चाहती है। कॉइनस्विच भारत का पहला ऐसा क्रिप्टो एक्सचेंज होगा, जो अपनी टीम में वेब 3.0 इंजीनियर्स की भर्ती करेगा। इसके अलावा​ क्रिप्टो के निवेशक इस वजह से भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर निवेश के दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

इसमे शामिल है: एनएफटी, मेटावर्स-संचालित निवेश और डिफाइ-आधारित निवेश।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो में काफी संभावनाएं हैं। निवेशकों की दिलचस्पी के साथ ही वेब 3.0 के विकास की वजह से क्रिप्टो समय की मांग बन चुके हैं। आधुनिक युग में नवीनतम तकनीकों के साथ यदि किसी निवेश को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है तो वह क्रिप्टो निवेश ही है।

भारत में 7 प्रतिशत लोगों का पिछले वर्ष था क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्टमेंट

लिस्‍ट में यूक्रेन पहले स्थान पर है. यूक्रेन की लगभग 12.7 प्रतिशत जनसंख्या के पास पिछले साल डिजिटल करेंसी थी. भारत इस लिस्ट में सातवें पायदान पर है.

भारत में 7 प्रतिशत लोगों का पिछले वर्ष था क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्टमेंट

मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन का प्राइस पिछले कुछ महीनों में काफी गिरा है।

खास बातें

  • UNCTAD ने पिछले वर्ष डिजिटल करेंसीज रखने वाले टॉप देशों का डेटा दिया
  • यूक्रेन पहले नंबर पर, भारत को सातवां स्‍थान
  • UNCTAD का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसीज एक अस्थिर फाइनेंशियल एसेट है

क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है. पिछले वर्ष भारत में सात प्रतिशत से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर डिजिटल करेंसी थी. संयुक्त राष्ट्र की ट्रेड से जुड़ी संस्था UNCTAD ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान विकासशील देशों सहित दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ा है. हालांकि, इस सेगमेंट में टैक्स की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी समस्याएं भी हैं.

UNCTAD ने पिछले वर्ष डिजिटल करेंसीज रखने वाले टॉप 20 देशों का डेटा जारी किया है. इसमें यूक्रेन पहले स्थान पर है. यूक्रेन की लगभग 12.7 प्रतिशत जनसंख्या के पास डिजिटल करेंसी थी. भारत इस लिस्ट में सातवें पायदान पर है. हालांकि, UNCTAD का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसीज एक अस्थिर फाइनेंशियल एसेट है और इससे सामाजिक जोखिमों के साथ ही वित्तीय नुकसान भी हो सकता है. UNCTAD ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हाल के झटकों से यह संकेत मिलता है कि क्रिप्टोकरेंसीज रखने से प्राइवेसी को जोखिम है लेकिन अगर सेंट्रल बैंक वित्तीय स्थिरता की सुरक्षा के लिए उपाय करता है तो यह एक सरकार की समस्या हो जाती है."

मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन का प्राइस पिछले कुछ महीनों में काफी गिरा है. इससे बिटकॉइन के होल्डर्स को बड़ा नुकसान हुआ है. इसके अलावा अन्य क्रिप्टोकरेंसीज में भी गिरावट आई है. UNCTAD ने कहा कि अगर क्रिप्टोकरेंसीज पेमेंट का एक बड़ा जरिया बन जाती हैं तो इससे कई देशों की वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है. क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़े स्कैम्स की संख्या बढ़ने के कारण अमेरिका में अथॉरिटीज इस सेगमेंट की कड़ी स्क्रूटनी कर रही हैं. एक अनुमान के अनुसार, इन स्कैम्स में पिछले वर्ष की शुरुआत से इस वर्ष मार्च तक अमेरिका में क्रिप्टो इनवेस्टर्स को एक अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है.

सीनेट की बैंकिंग कमेटी के प्रमुख Sherrod Brown की ओर से ग्लोबल टेक कंपनियों ऐपल और गूगल को पत्र भेजकर उनके ऐप स्टोर और प्लेस्टोर पर उपलब्ध क्रिप्टो से जुड़े ऐप्स के साथ ही जाली ऐप्स से निपटने के तरीकों के बारे में बताने को कहा गया है. फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि जाली क्रिप्टो ऐप्स से इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान हो रहा है. हाल ही में हॉलीवुड के एक प्रोड्यूसर Ryan Felton के क्रिप्टो स्कैम करने का मामला हुआ था.

Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.

भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया की किसी सरकार का इस पर कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ?
2018 क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.

क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.

किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.

क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम के लिए वैश्विक सहमति बनाने की कोशिश करेगा भारत, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नेता उठाएंगे मुद्दा

भारत बार बार क्रिप्टोकरेंसी कारोबार के खतरे के प्रति सचेत करता रहा है। अब भारत वैश्विक स्तर पर एक व्यवस्था बनाने को लेकर अब ज्यादा मुखर तरीके से अपील करेगा। सूत्र बताते है कि भारतीय नेता इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी कारोबार के खतरे को लेकर बार बार अपनी चिंता जताता रहा भारत वैश्विक स्तर पर एक व्यवस्था बनाने को लेकर अब ज्यादा मुखर तरीके से अपील करेगा। इस मुद्दे को भारत सरकार के शीर्ष नेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएंगे। पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुखिया क्रिस्टलीना जॉरगीवा के साथ मुलाकात में यह आग्रह किया था कि आइएमएफ को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वैश्विक व्यवस्था बनाने में केंद्रीय भूमिका निभानी चाहिए।

तमिलनाडु के इरोड में जंगली हाथी का तांडव (फाइल फोटो)

दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की होगी कोशिश

अब सूचना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री सीतारमण की तरफ से आगामी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में क्रिप्टोकरेंसी को यूं ही बेलगाम छोड़े जाने के खतरे पर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश होगी। कोशिश यह हो रही है कि अगले वर्ष जब भारत में जी-20 की बैठक का आयोजन हो तो इस पर एक सर्वसम्मति से व्यवस्था बनाने पर फैसला हो जाए।

झारखंड में लगभग 13 लाख डोज कोवैक्सीन हैं, जो लगाई जा रही है।

इस मुद्दे को दुनिया के सामने रखेगा भारत

सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ हफ्तों के भीतर इंडोनेशिया में जी-20 क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति के शीर्ष नेताओं की बैठक होनी है जिसमें भारतीय पीएम की तरफ से यह क्रिप्टोकरेंसी व दूसरी अत्याधुनिक तकनीक के खतरे को लेकर आगाह किया जाएगा। इसके अलावा इसी महीने संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक को विदेश मंत्री एस जयशंकर के संबोधन में भी भारत इस मुद्दे को दुनिया के सामने रखेगा।

ब्रिटेन के थिंकटैंक सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च ने वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल जारी की है।

वर्ष 2023 में होने वाली है बैठक

आइएमएफ के साथ वित्त मंत्री इस मुद्दे को उठा चुकी हैं और वो अमेरिका, जापान, ब्रिटेन के समकक्षों के साथ होने वाली आगामी बैठकों में भी भारत का रुख रखेंगी। कोशिश यह है कि अगले वर्ष जब जी-20 की बैठक भारत में हो तो क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ व्यवस्था बनाने पर गंभीर चर्चा हो। जी-20 बैठक के तहत आर्थिक दृष्टिकोण से दुनिया के सबसे मजबूत 20 देशों के वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री, इनके केंद्रीय बैंक के गर्वनरों और राष्ट्र प्रमुखों की बैठक भारत में वर्ष 2023 में होने वाली है।

चीन से कारोबार करने वाले विभिन्न देशों के खरीदार भारत के संपर्क में

कानून बनाने का प्रस्ताव तैयार

सूत्र बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर कोई व्यवस्था होने के बाद ही भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर घरेलू कानून बनाने पर आगे बढ़ेगी। सनद रहे कि वर्ष 2021 के मानसून सत्र से पहले वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि क्रिप्टोकरेंसी पर एक कानून बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। लेकिन इसे संसद में पेश नहीं किया जा सका। कारण यह बताया गया है कि आरबीआइ किसी भी सूरत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी जामा पहनाने के खिलाफ है।

कोविड के नए वेरिएंट BF.7 को लेकर भारत सहित पूरी दुनिया में चिंता है।

घरेलू कानून से नियमित नहीं किया जा सकता

आरबीआइ की तरफ से वित्त मंत्रालय को बताया गया है कि अभी जिस तरह की तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन हो रहा है इसे घरेलू कानून से नियमित नहीं किया जा सकता। इसके लिए वैश्विक स्तर पर व्यवस्था होगी तभी बात बनेगी। आरबीआइ की तरफ से देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की निगरानी भी हो रही है। पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से क्रिप्टो के कारोबार करने वाले देश के कई एक्सचेंजों पर छापेमारी भी की गई थी।

Cryptocurrency पर बिल पेश करने की तैयारी में मोदी सरकार, आज फिर अहम बैठक!

Cryptocurrency regulation in India: अब सरकार ने इस मुद्दे पर बड़ा फैसला लेने के लिए मूड बना लिया है. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक विधेयक पेश करने के लिए तैयार है, जिसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: PIB)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2021,
  • (अपडेटेड 15 नवंबर 2021, 12:05 AM IST)
  • क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक विधेयक पेश करने की तैयारी
  • RBI ने वर्चुअल करेंसी पर सरकार को किया आगाह

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर मोदी सरकार हरकत में है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस मुद्दे पर 13 नवंबर को बैठक हुई. यह बैठक रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की उस संयुक्त परामर्श प्रकिया के बाद हुई, जिसमें मंत्रालयों ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विभिन्न देशों और दुनियाभर के विशेषज्ञों से इस बारे में परामर्श किया था.

Cryptocurrency Regulation in India: अब सरकार ने इस मुद्दे पर बड़ा फैसला लेने के लिए मूड बना लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक व्यापक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है, क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति जिसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वित्त संबंधी स्थाई समिति (Standing Committee on Finance) आज अगली बैठक करने वाली है. जिसमें इसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा.

RBI ने सरकार को बताया अपना पक्ष

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले ही क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपना पक्ष सरकार के सामने क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति रख दिया है. केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को डिजिटल परिसंपत्तियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में गंभीर चिंताएं हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि वर्चुअल करेंसी को लेकर RBI की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हमें क्रिप्टोकरेंसी के बारे में प्रमुख चिंताएं हैं, जो हमने सरकार को बताई हैं. उन्होंने कहा कि निवेशकों को भी डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सतर्क रहने की जरूरत है.

लेकिन भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चीन जैसा रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं है. चीन ने डिजिटल संपत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है. भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक नियामक के पक्ष में है. इसका अर्थ यह हो सकता है कि भारत पूरी तरह से क्रिप्टोकरेंसी पर बैन न लगाए. इसपर पैनी नजर रखी जाएगी.

कई मुद्दों पर मंथन जारी

सरकार को जिस चिंता को दूर करने की जरूरत है, वह यह है कि क्या ऐसी डिजिटल संपत्ति को मुद्रा या निवेश संपत्ति के रूप में माना जाता है. सूत्रों का मानना ​​है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा का दर्जा मिलने की बहुत कम संभावना है. हालांकि इसे सही तरीके से रेगुलेट पर बेहतर टैक्स कलेक्शन उम्मीद की जा सकती है.

उड़ती-उड़ती खबर है कि बिल में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाया जा सकता है. संभावना है कि अगर क्रिप्टोकरेंसी से कमाई होती है तो उस कमाई पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) लगाया जा सकता है.

आरबीआई की मानें तो क्रिप्टोकरेंसी से देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. केंद्रीय बैंक ने इनके बाजार मूल्य पर भी संदेह जताया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले बुधवार को क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने के खिलाफ अपने विचारों को दोहराते हुए कहा था कि ये किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि वे केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं. क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की आंतरिक पैनल की रिपोर्ट क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति अगले महीने आने की उम्मीद है.

गौरतलब है कि 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति को लेकर झूठे वादे करने और गैर पारदर्शी विज्ञापनों के जरिए युवाओं को गुमराह करने की कोशिशें बंद होनी चाहिए. बैठक में यह तय किया गया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार विशेषज्ञों और स्टेक होल्डर्स के साथ लगातार चर्चा करती रहेगी. मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा की गई कि अस्थायी क्रिप्टो मार्केट को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का हथियार नहीं बनने दिया जाएगा.

सरकार विशेषज्ञों-स्टेक होल्डर से बातचीत रखेगी जारी

सरकार का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी तकनीक है जो कि लगातार विकसित हो रही है. इसलिए इस पर कड़ी नजर रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि सरकार इस मुद्दे पर जो भी कदम उठाएगी, वह प्रोगेसिव और भविष्य को ध्यान में रखकर लिए जाएंगे. इस मामले में सरकार विशेषज्ञों और अन्य स्टेक होल्डर से लगातार बातचीत जारी रखेगी. क्योंकि यह मामला देशों की सीमाओं से ऊपर है इसलिए वैश्विक साझेदारी और साझा रणनीति भी बनाई जाएगी.

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