NSE निवेश और ट्रेडिंग रणनीतियाँ
"स्टॉक एक ब्रेकआउट के लिए तैयार है", "स्टॉक में तेजी आई और एक शानदार ब्रेकआउट देखा" या "स्टॉक में ब्रेक-डाउन देखा जा रहा है", ये कुछ ऐसे वाक्यांश हैं जो नियमित रूप से बाजार विशेषज्ञों / विश्लेषकों द्वारा विश्लेषण करते समय उपयोग किए जाते हैं.
तो, ब्रेक-आउट या ब्रेक-डाउन वास्तव में क्या है?
एक स्टॉक को तब ब्रेक-आउट देखा जाता है जब उसकी कीमत परिभाषित समर्थन और प्रतिरोध स्तरों से आगे बढ़ने लगती है, और वॉल्यूम में उछाल के साथ होती है. ब्रेक-आउट रणनीति का उपयोग करने वाले व्यापारी, उस स्टॉक में लंबे समय तक चलने के लिए प्रतिरोध स्तरों के ऊपर इस ब्रेक-आउट का उपयोग करते हैं, और इसके विपरीत यदि स्टॉक का ब्रेक-डाउन उसके समर्थन स्तरों से नीचे होता है, तो व्यापारी अपनी स्थिति को छोटा कर देंगे.
यह ध्यान दिया जा सकता है कि एक बार जब स्टॉक इन बाधाओं (समर्थन और प्रतिरोध) से आगे निकल जाता है, NSE निवेश और ट्रेडिंग रणनीतियाँ तो स्टॉक की कीमत में अस्थिरता बढ़ जाती है और कीमतें ब्रेक-आउट की दिशा का पालन करती हैं.
ब्रेक-आउट ट्रेडिंग वास्तव में क्या है?
ब्रेकआउट ट्रेडिंग एक तरह का मोमेंटम ट्रेडिंग है, जहां ट्रेडर एक ही दिन में ट्रेड में तेजी से प्रवेश करता है और बाहर निकलता है. चूंकि प्रमुख समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के बाहर मूल्य आंदोलन इस रणनीति में महत्वपूर्ण है, व्यापारी हमेशा ब्रेक-आउट के ठीक समय में व्यापार में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं, ताकि वे अधिकतम संभव समय के लिए ज्वार की सवारी कर सकें. इसके लिए व्यापारियों को अपने दिमाग और कार्रवाई में बेहद तेज होने की आवश्यकता है, और कोई भी देरी संभावित लाभों को जल्दी से मिटा सकती है.
व्यापारी इस रणनीति का उपयोग कैसे करते हैं?
इस रणनीति का उपयोग करने वाले कई व्यापारी अक्सर प्रमुख समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान करने के लिए ट्रेंडलाइन जैसे तकनीकी विश्लेषण टूल का उपयोग करते हैं. वे मूल्य आंदोलनों में कुछ पैटर्न के लिए भी देखते हैं जो उन्हें उन स्तरों का पता लगाने में मदद करते हैं, जहां कीमतें कुछ मौकों पर ऊपर या नीचे उलटी होती हैं. वे उन स्तरों को तोड़ने और बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. एक बार जब स्तर सफलतापूर्वक टूट जाता है, तो ट्रेडर इस दृष्टि से अपनी स्थिति बनाएगा कि मूल्य ब्रेक-आउट की दिशा में आगे बढ़ता रहेगा.
इस रणनीति का उपयोग करते समय पालन करने के लिए बिंदु
स्टॉक की पहचान करें -
पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम उस स्टॉक की पहचान करना है, जो काफी समय से समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के बीच एक सीमा में घूम रहा है, बेड़ियों को तोड़ने में असमर्थ है. इस कदम पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और संभावित ब्रेक-आउट का थोड़ा सा संकेत व्यापार में प्रवेश को ट्रिगर करना चाहिए. यहां ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रेक-आउट चाल की ताकत इस बात पर निर्भर करेगी कि समर्थन और प्रतिरोध स्तर कितने मजबूत थे. समर्थन और प्रतिरोध जितना मजबूत होगा, कदम उतना ही मजबूत होगा.
अपनी अपेक्षाओं के बारे में स्पष्ट रहें –
स्टॉक ट्रेडिंग में लालच को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह ब्रेकआउट व्यापारियों पर भी लागू होता है. ट्रेडर को ट्रेड में प्रवेश करने से पहले अपने एग्जिट प्राइस और ट्रेड से मिलने वाले रिटर्न के बारे में स्पष्ट होना चाहिए. एक बार जब ब्रेक-आउट हो जाता है और एक ट्रेडर एक पोजीशन बनाने में सक्षम हो जाता है, तो जैसे ही उसका पूर्व-निर्धारित उद्देश्य पूरा हो जाता है, उसे उस ट्रेड से बाहर आ जाना चाहिए. चाहे आप चार्ट पैटर्न या अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर रहे हों, उद्देश्य निर्धारित होना चाहिए; अन्यथा सही कीमत पर बाहर निकलना संभव नहीं होगा.
स्तरों को फिर से परखें –
यह भी ब्रेकआउट ट्रेडिंग के सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है. यह ध्यान देने योग्य है कि एक बार जब स्टॉक अपने प्रतिरोध स्तर से आगे निकल जाता है, तो पुराना प्रतिरोध नया समर्थन स्तर बन जाता है, और इसके विपरीत जब कोई स्टॉक समर्थन स्तर को तोड़ता है, तो पुराना समर्थन नया प्रतिरोध स्तर बन जाएगा. साथ ही, यह भी देखा गया है कि ज्यादातर मामलों में स्टॉक उस स्तर पर वापस आ जाएगा, जिसे उन्होंने फिर से जांचने के लिए तोड़ा है. यह तब है जब व्यापारियों को अपने को संभालना चाहिए और अधीर नहीं होना चाहिए.
व्यापार की विफलता -
मजबूत होना और नुकसान उठाना महत्वपूर्ण है यदि स्टॉक पुनर्परीक्षण के समय पहले के समर्थन या प्रतिरोध स्तरों के माध्यम से वापस टूट जाता है. व्यापार से बाहर निकलें क्योंकि ब्रेक-आउट की मूल परिकल्पना विफल हो गई है. व्यापार में लगे रहने से नुकसान बढ़ सकता है.
ब्रेक-आउट ट्रेड में प्रवेश करने के लिए पैटर्न देखने के लिए चार्ट पैटर्न –
चार्ट पैटर्न ब्रेकआउट ट्रेडिंग में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले संकेतकों में से हैं. कप और हैंडल, चैनल, वेज, त्रिकोण, आयत और सिर और कंधे कुछ ऐसे पैटर्न हैं जो एक ब्रेक-आउट व्यापारी उपयोग करता है. ट्रेडर इन पैटर्नों का उपयोग ट्रेंड लाइन बनाने और स्टॉक के लिए समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान करने के लिए करता है. एक बार जब कीमत इस सीमा से बाहर चली जाती है, तो वे ब्रेकआउट की दिशा में व्यापार में प्रवेश करते हैं.
तकनीकी संकेतक -
तकनीकी संकेतक चार्ट पैटर्न के समान काम करते हैं. सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी संकेतकों में से एक, सापेक्ष शक्ति सूचकांक (आरएसआई), मूल्य चार्ट पर एक त्रिकोण बना सकता है. इस त्रिकोण का उपयोग यह पहचानने के लिए किया जा सकता है कि ब्रेकआउट कब होगा, और उसके अनुसार ट्रेडर पोजीशन ले सकता है.
व्यापार के मूल सिद्धांतों का उपयोग -
ब्रेक-आउट व्यापारी संभावित ब्रेकआउट स्टॉक की पहचान करने के लिए कंपनियों के व्यावसायिक बुनियादी सिद्धांतों का भी उपयोग करते हैं.
उदाहरण के लिए, एक कंपनी जो पिछली कुछ तिमाहियों के लिए समान परिणाम घोषित कर रही है, अचानक नए उत्पाद लॉन्च, रणनीतिक गठजोड़, पेटेंट आदि के पीछे अपनी आय में वृद्धि की घोषणा करके एक स्पंदन करती है. यह एक संभावित उम्मीदवार बन जाता है एक ब्रेक-आउट व्यापार के लिए क्योंकि यह अपने पुराने पैटर्न से बाहर हो गया है.
ब्रेक-आउट ट्रेडिंग में एक संभावित स्टॉक की पहचान करना शामिल है जो एक सीमा में फंस गया है, और जब भी यह उस सीमा से आगे बढ़ता है, तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि व्यापार में प्रवेश करने से पहले इसके साथ एक मजबूत वॉल्यूम बिल्ड-अप हो. जैसा कि स्टॉक ट्रेडिंग और अन्य सभी ट्रेडिंग रणनीतियों के मामले में है, यहां भी आत्म-अनुशासन को विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है. ब्रेक-आउट बार-बार विफल हो सकता है और किसी को कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
हालांकि, व्यापारियों को यह भी पता होना चाहिए कि जीतने वाले ट्रेडों को कैसे पकड़ना है और कितने समय तक, क्योंकि ये जीतने वाले ट्रेडों में विफल होने वाले ट्रेडों में किए गए नुकसान को कवर करने के लिए संभावित उद्धारक हो सकते हैं. साथ ही, इस रणनीति की एक सीमा यह है कि यह उन सभी शेयरों के व्यापार की संभावना को समाप्त कर देता है, जो पहले से ही किसी भी दिशा में चल रहे हैं और कम समय में स्वस्थ रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं.
ब्रोकिंग का डेली बिजनेस दोगुना: हर ट्रेड सिर्फ 20 रुपए में और OTT की तरह सब्सक्रिप्शन जैसे ऑफर से NSE निवेश और ट्रेडिंग रणनीतियाँ ट्रेडिंग हुई सिंपल
शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग का जरिया रही ब्रोकरेज इंडस्ट्री नए मोड में आ गई है। निवेशकों और ट्रेडर्स की बढ़ती संख्या और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच NSE निवेश और ट्रेडिंग रणनीतियाँ बढ़ाने के लिए उसने नया मॉडल अपना लिया है। ये मॉडल ना सिर्फ निवेशकों को सहूलियत देता है बल्कि उनके लिए निवेश का हिसाब-किताब रखना आसान भी बनाता है।
दरअसल, अब ब्रोकिंग हाउसेज किसी इन्वेस्टमेंट या ट्रेड पर तय पर्सेंटेज में ब्रोकिंग फीस लेने के बजाय फ्लैट ब्रोकरेज और सब्सिक्रिप्शन मॉडल पर जा रहे हैं। फ्लैट ब्रोकरेज का मतलब ये है कि आप जब किसी ब्रोकरेज हाउस या कंपनी निवेश या ट्रेडिंग के लिए पहले से तय ब्रोकिंग फीस लेती है। भले ही आप कितना बड़ा या छोटा, निवेश या ट्रेड करें। मसलन, कोटक आपके हर ऑर्डर पर 20 रुपए चार्ज कर रही है।
अब बात करते हैं सब्सिक्रिप्शन बेस्ड मॉडल की। इसमें हर महीने या साल के लिए आप सब्सक्रिप्शन लेकर तय नियमों के मुताबिक निवेश या ट्रेड कर सकते हैं। ये बिलकुल वैसा ही है जैसा आज कल OTT प्लेटफॉर्म एप्लीकेशंस का सब्सक्रिप्शन लेते हैं।
बढ़ रहा है मार्केट शेयर
डिस्काउंट, फ्लैट ब्रोकरेज और सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल जैसे नए तरीकों से ब्रोकरेजेज को पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। पिछले एक साल में मार्केट शेयर में तेज उछाल इस बात को साफ भी करती है। पिछले एक साल में टॉप 2 ब्रोकरेज हाउसों का मार्केट शेयर 17% से बढ़कर 30% हो गया है। इसमें जिरोधा और अपस्टॉक्स हैं। दोनों की बात करें तो ये फ्लैट ब्रोकरेज प्लान देते हैं।
2 गुना बढ़ा टर्नओवर
इंडस्ट्री के ओवरऑल मार्केट की बात करें तो रोजाना का टर्नओवर 2 गुना बढ़ा है। यह दिसंबर 2020 तक 14.4 लाख करोड़ रुपए से बढ़ कर 31.1 लाख करोड़ रुपए हो गया था। इसी तरह से ग्राहकों को जोड़ने की संख्या में सालाना आधार पर 67% की बढ़त हुई है। यह 1.63 करोड़ हो गया है। इसमें नए ग्राहकों में ज्यादातर ग्राहक दूसरे लेवल और उसके नीचे के शहरों के हैं।
कम ब्याज, म्यूचुअल फंड के खराब प्रदर्शन से इक्विटी में आ रहे हैं नए निवेशक
इसके बढ़ने के पीछे जो कारण हैं उसमें नए निवेशकों, म्यूचुअल फंड की स्कीम्स का खराब प्रदर्शन और फिक्स्ड इनकम असेट्स पर कम ब्याज है। डिस्काउंट देने वाले ब्रोकरेज लगातार अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। जबकि परंपरागत पुराने ब्रोकरेज हाउस अपनी हिस्सेदारी गंवा रहे हैं। हालांकि वे भी अब फिक्स्ड ब्रोकरेज प्लान शुरू कर चुके हैं। इसमें कोटक सिक्योरिटीज, एक्सिस सिक्योरिटीज ने कम ब्रोकरेज प्लान को पेश किया है। जबकि गैर बैंकिंग ब्रोकरेज हाउस जैसे एंजल ब्रोकिंग और शेयर खान ने भी ऐसा ही ऑफर किया है।
फीस आधारित मॉडल की ओर इंडस्ट्री
भारतीय ब्रोकिंग इंडस्ट्री अब फीस आधारित मॉडल की ओर जा रही है। एडवाइजरी सेवाओं के अलावा अब फंड आधारित गतिविधियां जैसे मार्जिन फंडिंग और शेयरों के एवज में लोन दिए जाने का काम चल रहा है। ब्रोकिंग इंडस्ट्री फिक्स्ड चार्ज की बजाय सेवाएं देने के एवज NSE निवेश और ट्रेडिंग रणनीतियाँ में पैसे लेने की ओर जा रही है। चूंकि फाइनेंशियल सेविंग बढ़ रही है और ब्याज दरें कम हैं, इसलिए इक्विटी एक असेट क्लास के रूप में लगातार निवेशकों की पसंदीदा बना हुआ है। ऐसे में डिस्काउंट देने वाले ब्रोकर लगातार अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते रहेंगे।
4 लिस्टेड ब्रोकरेज हाउस हैं
शेयर बाजार में लिस्टेड ब्रोकिंग हाउसों में मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल सिक्योरिटीज, जियोजीत और 5 पैसा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने इसमें से जियोजीत को छोड़कर सभी के शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। इसमें मोतीलाल ओसवाल का शुद्ध फायदा 1,099 करोड़ रुपए रहा है तो आईआईएफल का 195 करोड़ रुपए रहा है। जियोजीत का फायदा 118 करोड़ और 5 पैसा का फायदा 15 करोड़ रुपए रहा है।
1.63 करोड़ हैं एक्टिव ग्राहक
जनवरी 2021 तक एक्टिव ग्राहकों की संख्या 1.63 करोड़ रही है। मार्च 2020 में यह 1.01 करोड़ थी। सितंबर 2020 में यह 1.34 करोड़ थी। सबसे ज्यादा ग्राहक सितंबर की ही तिमाही में आए हैं। उस तिमाही में कुल 21.9 लाख ग्राहक जुड़े थे। दिसंबर 2020 में कुल 19.3 लाख ग्राहक ब्रोकिंग हाउस से जुड़े थे। इसका सबसे ज्यादा लाभ डिस्काउंट वाले ब्रोकिंग हाउस को मिला है। इसमें जिरोधा, अपस्टॉक्स, 5 पैसा और एंजल ब्रोकिंग रहे हैं।
जिरोधा की हिस्सेदारी बढ़ कर 19% हुई
जिरोधा की बाजार हिस्सेदारी 1 साल में जनवरी 2021 तक 13 से बढ़ कर 19% हो गई है। आरकेएसवी (अपस्टॉक्स) की हिस्सेदारी 5 से बढ़कर 11.3% हो गई है। इसका कारण यह है कि इनके ऐप काफी यूजर फ्रेंडली हैं और ये डिजिटलाइजेशन पर फोकस करते हैं। इसलिए नए ग्राहक इनके पास आ रहे हैं।
एक्टिव क्लाइंट में जिरोधा एक नंबर पर
एक्टिव क्लाइंट के आधार पर देखें तो जिरोधा के पास 31.4 लाख ग्राहक हैं। आरकेएसवी के पास 18.5 लाख ग्राहक हैं। एंजल ब्रोकिंग के पास 13.2 लाख ग्राहक, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पास 9.2 लाख, 5 पैसा कैपिटल के पास 8.2 लाख, कोटक सिक्योरिटीज के पास 7 लाख, शेयर खान के पास 6.6 लाख, मोतीलाल ओसवाल के पास 5 लाख ग्राहक हैं। अन्य के पास 64.6 लाख ग्राहक हैं।
एंजल ब्रोकिंग ने जब से डिस्काउंट शुरू किया है, पिछली 3-4 तिमाहियों में उसके ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। दिसंबर 2019 में इसके ग्राहकों की संख्या 4.9 लाख थी जो जनवरी 2021 में 8.1 लाख हो गई।
डेली टर्नओवर भी बढ़ा
इंडस्ट्री के एवरेज डेली टर्नओवर की बात करें तो यह मार्च 2020 में केवल 11.8 लाख करोड़ रुपए था। फरवरी 2021 में यह बढ़ कर 45.9 लाख करोड़ रुपए हो गया है। भारत के शेयर बाजार के पेंनेट्रेशन (जागरुकता) की बात करें तो यह देश की कुल आबादी का केवल 1-2% ही है। जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 20% है। इसका मतलब भारतीय शेयर बाजार में ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं।
टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग
नए ब्रोकरों के आने और टेक्नोलॉजी के उपयोग से ग्राहक भी आ रहे हैं। मोबाइल फोन के ट्रेडिंग ऐप ने इसे और आसान बना दिया है। BSE और NSE के आंकड़े बताते हैं कि दूसरे लेवल और उसके आगे के शहरों में शेयर बाजार का कारोबार जोर पकड़ रहा है। वित्त वर्ष 2018 में इन शहरों का टर्नओवर BSE में 30% हुआ करता था। 2020 में यह 40% हो गया है। NSE में यह इसी समय में 14 से बढ़ कर 17% हो गया है। नए ग्राहकों में 25 से 35 साल की उम्र जिनकी है, वो ज्यादा आ रहे हैं।
ज्यादातर ग्राहक छोटे शहरों से आ रहे हैं
आंकड़े बताते हैं कि अपस्टॉक्स के ग्राहकों में 80% ग्राहक, 5 पैसा के ग्राहकों में 88% और एंजल ब्रोकिंग के ग्राहकों में 50% ग्राहक छोटे शहरों से आते हैं। यही कारण है कि परंपरागत ब्रोकरेज हाउस इसी डिस्काउंट में आ रहे हैं। कोटक ने नवंबर में इंट्रा डे के कारोबार के लिए जीरो पैसा और अन्य एफएंडओ ट्रेड्स के लिए 20 रुपए प्रति ऑर्डर की प्लान लांच किया था।
शेयरखान ने तो ग्राहकों को ट्रेड में अगर कोई नुकसान होता है तो इसे फ्री कर दिया है। कोई चार्ज नहीं लेगा। बाकी के लिए इसने 20 रुपए प्रति ऑर्डर का ऑफर किया है। एंजल भी 20 रुपए प्रति ऑर्डर का ऑफर किया है।
NSE ने SGX के साथ किया करार, पढ़िए इससे जुड़ी डिटेल्स
NSE और SGX के बीच नई व्यवस्था निवेशकों को भारतीय शेयरों और इंडेक्स के आधार पर ट्रेडिंग करने की अनुमति देगी.
- Money9 Hindi
- Publish Date - October 24, 2021 / 11:31 AM IST
फिलहाल सिंगापुर एक्सचेंज पर केवल निफ्टी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का कारोबार होता है, जिनमें से SGX निफ्टी सबसे पसंदीदा है.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज (SGX) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. जो निवेशकों को गुजरात की गिफ्ट सिटी में NSE के प्रोडक्ट्स के आधार पर सभी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का व्यापार करने में सक्षम बनाता है. यह सौदा प्रमुख भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने की धमकी के 3 साल बाद आता है, इस डर से कि इस तरह के व्यापार से ग्लोबल इनवेस्टर्स भारतीय बाजारों से विदेशी बाजारों में कूद जाएंगे.
अन्य डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट से जल्द कारोबार होगा
NSE और SGX के बीच नई व्यवस्था दुनिया भर के निवेशकों को भारतीय शेयरों और इंडेक्स के आधार पर भारत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्लेटफॉर्म पर निवेशकों को व्यापार करने की अनुमति देगी. यह जापान में निवेशकों के लिए सुबह से और अमेरिका में निवेशकों के लिए देर रात तक काम करेगा.
NSE की विज्ञप्ति के अनुसार, SGX India Connect IFSC ने भी GIFT शहर में अपना ऑफिस खोला और ऐलान किया कि वह दिन में GIFT डेटा कनेक्ट लॉन्च करेगा. इस कनेक्टिविटी के जरिए, ग्लोबल निवेशकों को निफ्टी के ट्रेडिंग डेटा तक रीयल-टाइम पहुंच प्राप्त होगी.
फिलहाल सिंगापुर एक्सचेंज पर केवल निफ्टी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का कारोबार होता है, जिनमें से SGX निफ्टी सबसे पसंदीदा है. बाद में, एक बार जब SGX और NSE के बीच का लिंक स्टेबल हो जाता है, तो SGX निफ्टी जैसे पसंदीदा डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्स और NSE के दूसरे सूचकांकों पर आधारित प्रोडक्ट को नए प्लेटफॉर्म पर कारोबार किया जा सकता है, जो ज्वाइंट वेंचर कंपनी SGX इंडिया कनेक्ट IFSC द्वारा चलाया जाएगा.
साथ ही NSE के बैंक निफ्टी इंडेक्स पर आधारित कॉन्ट्रैक्ट का भी SGX पर कारोबार किया जाना है.
पब्लिकेशन के मुताबिक, नए ऑफिस के खुलने और डेटा कनेक्शन से ग्लोबल निवेशक अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए लाइव एनएसई डेटा का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
एल्गो ट्रेडिंग सर्विस देने वाले ब्रोकर्स पर चला SEBI का चाबुक, नहीं दे सकेंगे अब पिछले और भविष्य के रिटर्न का हवाला
algo trading: सेबी ने ऐसे शेयर ब्रोकरों के लिये कुछ जिम्मेदारी तय की है. एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों Brokers) को पूर्व के या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है.
Algorithm Trading: पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने बीते शुक्रवार को निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से संबंधित सेवाएं (algo trading services) देने वाले ब्रोकरों Brokers) के लिए दिशानिर्देश जारी किए. इस पहल का मकसद हाई रिटर्न का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पाया कि कुछ शेयर ब्रोकर नियमन के दायरे से बाहर मंचों के जरिये एल्गोरिदम (एल्गो) आधारित कारोबार की सुविधा निवेशकों को दे रहे हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को कारोबार के स्वचालित निष्पादन के लिये एल्गोरिदम ट्रेडिंग (algo trading) सेवाएं या रणनीति उपलब्ध करा रहे हैं. नया नियम तत्काल प्रभाव से अमल में आ गया है(
शेयर ब्रोकरों के लिये जिम्मेदारी तय
खबर के मुताबिक, ऐसी सेवाओं और रणनीतियों को निवेश पर उच्च रिटर्न के ‘दावों’ के साथ मर्केटिंग किया जा रहा है. इसको देखते हुए सेबी ने ऐसे शेयर ब्रोकरों के लिये कुछ जिम्मेदारी तय की है. एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों Brokers) को पूर्व के या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है. साथ ही ऐसे किसी भी मंच से संबद्ध होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम (algo trading) के पहले के या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है.
इसमें कहा गया है कि जो शेयर ब्रोकर (stock broker) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे और इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे.
तब सेबी ने लगाई थी ब्रोकर्स पर पेनाल्टी
ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने पिछले महीने शॉर्ट एलोकेशन पेनाल्टी के नियमों में रियायत की मांग की थी. ब्रोकर्स (Brokers) ने इसे लेकर कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI), BSE, NSE और दोनों एक्सचेंजेज के क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को चिट्ठी लिखी थी. इसमें मांग की गई कि शॉर्ट एलोकेशन के मामलों में पेनाल्टी से रियायत दी जाए. जो पेनाल्टी लगाई गई है उसे ब्रोकर्स को रीफंड किया जाए. साथ ही फाइनल फाइल एलोकेशन का समय रात 8 बजे से बढ़ाकर अगले दिन 12 बजे तक किया जाए.
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