भारत समेत दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है.

Bharat Bond ETF: पहले जान लीजिए इसके फायदे-नुकसान, फिर लें निवेश का फैसला

भारत बॉन्ड ईटीएफ सुरक्षा के लिहाज से बहुत अच्छा है। इसके रिटर्न के बारे में आपको पहले से अंदाजा रहता है। यह स्कीम सिर्फ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करती है

Bharat Bond ETF 2 दिसंबर को निवेश के लिए खुल गया है। यह फंड तेजी से बढ़ रहे टारगेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF) का हिस्सा है। भारत बॉन्ड ईटीएफ एक टीएमएफ है, जो इससे थोड़ा अलग है। सबसे पहले आपको इसे ठीक तरह से समझ लेना जरूरी है। किसी भी इनवेस्टमेंट ऑप्शन में निवेश से पहले उसे ठीक तरह से समझ लेना इनवेस्टर्स के हित में होता है। इससे उसे यह तय करने में मदद मिलती आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? है कि उसे इसमें निवेश करना चाहिए या नहीं। उसे यह समझने में आसानी होती है कि यह ऑप्शन उसके लिए फायदेमंद रहेगा या नहीं। हालांकि, यह Bharat Bond ETF की चौथी किश्त है, लेकिन बहुत कम निवेशकों को इस प्रोडक्ट के बारे में पर्याप्त जानकारी है। भारत बॉन्ड ईटीएफ की पहली किश्त 2019 के आखिर में आई थी।

क्या है भारत बॉन्ड ईटीएफ?

Bharat Bond ETF एक डेट फंड है। यह एक पैसिव फंड है, जो आपके पैसे को फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करता है। यह सिर्फ ऐसी सरकारी कंपनियों के आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? बॉन्ड (डेट सिक्योरिटीज) में इनवेस्ट करता है, जिसे AAA रेटिंग हासिल होती है। यह स्कीम तय अवधि के बाद मैच्योर हो जाती है। फिर आपको अपना पैसा वापस मिल जाता है।

क्या मुझे ETF में निवेश करना चाहिए?

ETF शेयर बाजार का अनुभव पाने के लिए सबसे कम लागत का ज़रिया है। वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्टेड( सूचीबद्ध) हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs कम जोखिम वाले विकल्प हैं क्योंकि वे आपके कुछ पसंदीदा शेयरों में निवेश करने के बजाय स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं और उनमें डाइवर्सिफिकेशन होता है।

ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। कमोडिटीज़ और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश जैसे कई विकल्प ईटीएफ में भी उपलब्ध हैं। आप अपनी पोज़ि‍शनकी हेजिंग(बचाने ) के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर नहीं मिलता है।

हालाँकि, ETFs हर निवेशक के लिए सही नहीं होते हैं। नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर विकल्प हैं जो कम रिस्क वाले ऑप्शन को चुनकर लंबी-अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने का फायदा उठाना चाहते हैं। ETFs उन लोगों के लिए भी आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? सही हैं जिनके पास एकमुश्त(लमसम) नगद पैसा है लेकिन अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि नकदी का निवेश कैसे किया जाए। वे कुछ समय के लिए ETF में निवेश कर सकते हैं और तब तक कुछ रिटर्न कमा सकते हैं जब तक कि नकदी सही जगह पर इस्तेमाल ना हो जाए। सही ETF का चुनने के लिए ज़्यादातर रिटेल निवेशकों के मुकाबले, वित्तीय बाज़ार की अच्छी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी होता है। इसलिए, आपके ETF निवेश को संभालने के लिए निवेश में थोड़ी व्यावहारिक कुशलता की भी ज़रूरत होती है।

ईटीएफ के एनएफओ में क्‍यों आपको निवेश करने से बचना चाहिए?

इस तरह के फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वजन होता है, स्कीम में उसी अनुपात में उनके आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? शेयर खरीदे जाते हैं.

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उदाहरण के लिए एक्सिस बैंकिंग ईटीएफ को लेते हैं. इसका एनएफओ 29 अक्‍टूबर को बंद हो रहा है. इसके संभावित प्रदर्शन का आकलन बेचमार्क निफ्टी बैंक इंडेक्‍स से लगाया जा सकता है. इसी तरह स्‍कीम के संभावित पोर्टफोलियो के बारे में भी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. इसमें निफ्टी बैंक इंडेक्‍स की कंपनियां शामिल होंगी.

दरअसल, इस तरह के फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वजन होता है, स्कीम में उसी अनुपात में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है, जिसको वे ट्रैक करते हैं. इस तरह इंडेक्स फंडों का पोर्टफोलियो उस इंडेक्स से मिलता-जुलता होता है जिसे वे ट्रैक करते हैं.

हालांकि, नए इंडेक्‍स फंड या ईटीएफ के पास ट्रैकिंग एरर का कोई हिस्‍टोरिकल रिकॉर्ड नहीं है. इंडेक्‍स फंडों की तुलना में यह अहम होता है. ट्रैकिंग एरर इंडेक्‍स फंड या ईटीएफ की नेट एसेट वैल्‍यू (एनएवी) और उसके संबंधित बेंचमार्क के बीच डीविएशन (अंतर) को दिखाता है. ट्रैकिंग एरर या एक्टिव रिस्क निवेश के पोर्टफोलियो में जोखिम का आकलन है. यह दिखाता है कि पोर्टफोलियो कितने करीब से इंडेक्स का पालन करता है.

अपनी एनएवी के ऊपर बंद होने वाले ईटीएफ
जब लिक्विडिट कम होती है तो एनएवी से मार्केट प्राइस का काफी ज्‍यादा अंतर हो सकता है.

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ईटीएफ में निवेश से पहले ट्रेडेड वॉल्‍यूम एक और अहम फैक्‍टर है जिसके बारे सोच लेना चाहिए. एनएफओ में यह नहीं दिखता है. लिस्टिंग के बाद अगर ईटीएफ फंड में लिक्विडिटी नहीं रह जाती है तो एनएफओ में हिस्‍सा लेने वाले निवेशक फंस सकते हैं. ऐसे ही अगर ईटीएफ को सक्रिय रूप से ट्रेड नहीं किया जाता है तो उसका मार्केट प्राइस उसकी एनएवी से काफी दूर जा सकता है.

उदाहरण के लिए एडलवाइज निफ्टी 100 क्‍वालिटी 30 ईटीएफ 20 अक्‍टूबर को 351 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इसकी तुलना में इसकी एनएवी 300.65 रुपये थी. चूंकि शेयर बाजारों पर कई खराब लिक्विडिटी वाले ईटीएफ लिस्‍ट हैं. इसलिए फिलहाल सभी ईटीएफ एनएफओ से दूर रहने में भलाई है. इनमें बाद में निवेश किया जा सकता है. वह भी तब जब सुनिश्चित कर लिया जाए कि इनमें पर्याप्‍त लिक्विडिटी है.

अपनी एनएवी से नीचे बंद हुए ईटीएफ

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इंट्राडे आधार पर मार्केट को टाइम कर लेने की आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? क्षमता ईटीएफ में निवेश का एक और फायदा है. ट्रेडिंग डे के बीच में आप इसे खरीद सकते हैं. एनएफओ के साथ यह फायदा नहीं मिलता है. एनएफओ के निवेशकों को दिन के अंत की एनएवी नहीं मिलती है. वहीं, ओपन-एंडेड इंडेक्‍स फंड के निवेशकों के लिए यह उपलब्‍ध है. निवेश की तारीख कुछ भी हो शुरुआती एनएवी एलॉटमेंट की तारीख पर आधारित होगी.

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निवेश की बात: भविष्य की संभावनाओं से चांदी काटने का मौका दे रहे सिल्वर ETF, इसमें शुरू करें निवेश

चांदी ने बीते 4 सालों में करीब 63% रिटर्न दिया है। ज्यादातर अन्य एसेट के मुकाबले स्थिर रिटर्न को देखते हुए वैश्विक पैमाने पर चांदी में निवेश तेजी आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? से बढ़ा है। लेकिन भारत में यह ट्रेंड कम रफ्तार से जोर पकड़ रहा है। यह स्वाभाविक है क्योंकि भारतीय निवेशक बाकी दुनिया के मुकाबले बदलाव स्वीकार करने में ज्यादा वक्त लेते ही हैं।

देश में लंबे समय से सोने और चांदी की फिजिकल होल्डिंग की परंपरा रही है। लेकिन बीते 5 सालों के दौरान इस मामले में काफी बदलाव आया है। शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में अब ज्यादा लोग निवेश करने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि ETF का दायरा बढ़ रहा है, इसी की ताजा कड़ी सिल्वर ETF है। भारत में बीते साल के अंत में बाजार नियामक सेबी ने सिल्वर ETF को मंजूरी दी थी।

इस साल आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? अब तक दो सिल्वर ETF बाजार में आ चुके हैं। आगामी महीनों में न केवल इनकी संख्या बढ़ेगी, बल्कि इनमें निवेश भी बढ़ने की संभावना है। आपको भी इनमें निवेश करना चाहिए। केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया आपको इसके बारे में बता रहे हैं।

ETF क्या है?
ETF सिक्युरिटीज और शेयर जैसे एसेट का एक बास्केट है, जिसकी खरीद-बिक्री एक्सचेंज पर होती है। इसीलिए इनके फीचर्स और फायदे शेयरों में निवेश की तरह हैं, लेकिन ये म्यूचुअल फंड्स और बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स के भी लाभ देते हैं। किसी एक कंपनी के शेयर की तरह ETF की ट्रेडिंग भी दिनभर होती है और इनके दाम एक्सचेंज पर सप्लाई और डिमांड के हिसाब से घटते-बढ़ते रहते हैं।

सिल्वर ETF में निवेश क्यों करना चाहिए?
चांदी प्रभावशाली बुलियन बनती जा रही है। मॉर्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट कहती है, "औद्योगिक इस्तेमाल बढ़ने से अर्थव्यवस्था में बदलावों के प्रति सोने की तुलना में चांदी ज्यादा संवेदनशील हो गई है। जब कभी अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होंगी, चांदी की मांग बढ़ने लगेगी।'' इसका एक मतलब यह भी है कि बढ़ती महंगाई वाले दौर में सोने के मुकाबले चांदी की कीमत ज्यादा बढ़ेगी। ऐसे में महंगाई से बचाव के साधन (हेजिंग टूल) के तौर पर चांदी बेहतर साबित होगी।

कैसे करें सिल्वर ETF में निवेश?
किसी भी ETF में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है। आप सिल्वर ईटीएफ के न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) में पैसा लगा सकते हैं। यदि ऐसा नहीं कर पाए तो स्टॉक एक्सचेंज से खरीदना होगा। आईसीआईसीआई प्रू और आदित्य बिड़ला सन लाइफ के सिल्वर ईटीएफ के एनएफओ आ गए हैं। आईप्रू का एनएफओ 19 जनवरी को बंद हो गया, जबकि आदित्य बिड़ला सन का एनएफओ 27 जनवरी को बंद होगा।

अब इनमें तेजी से बढ़ रहा चांदी का इस्तेमाल

सोलर एनर्जी
बिजली पैदा करने वाले सोलर सेल्स की मैन्युफैक्चरिंग में बड़े पैमाने पर चांदी इस्तेमाल की जाती है। अब चूंकि पूरी दुनिया में ग्रीन एनर्जी को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, लिहाजा सोलर एनर्जी की डिमांड भी बढ़ रही है। ऐसे में यह इंडस्ट्री भी चांदी की मांग बढ़ाएगी।

मेडिकल में इस्तेमाल
ब्रीदिंग ट्यूब्स और कैथेटर्स में काफी चांदी इस्तेमाल की जाती है। कोविड जैसे संक्रमण से पीड़ित रोगियों की मदद के लिए ये उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा हडि्डयां टेढ़ी हो जाने पर उन्हें ठीक करने में भी चांदी से तैयार उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
वाहनों, खास तौर पर कारों में जिस पैमाने पर अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी (जैसे ऑटोनोमस और इलेक्ट्रिक कारें) इस्तेमाल होती है, उसी पैमाने पर चांदी का इस्तेमाल भी बढ़ता जाता है। 2025 तक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में करीब 2,800 टन चांदी का इस्तेमाल हो जाएगा।

5जी टेलीकॉम सर्विसेस
5जी टेक्नोलॉजी के कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चांदी का काफी इस्तेमाल होता है। अनुमान लगाया गया है कि 5जी में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स में साल 2025 तक करीब 500 टन और 2030 तक करीब 700 टन चांदी का इस्तेमाल होगा।

कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान

जिस तरह किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? जरूर आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? कर लेना चाहिए.

कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान

भारत समेत दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है.

मौजूदा दौर में निवेशकों के सामने निवेश के कई विकल्प हैं. इनमें से एक विकल्प एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) का है जो निवेशकों की पूंजी को कई आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. इसमें पारंपरिक स्टॉक्स और बांड्स से लेकर करेंसीज और कमोडिटीज जैसी मॉडर्न सिक्योरिटीज भी शामिल हैं. कोई भी निवेशक ब्रोकर के जरिए ईटीएफ के अपने शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकता है. इसका कारोबार शेयर बाजार में किया जाता है.

कम एक्पेंस रेशियो (0.06 फीसदी तक कम), एक्टिव फंड्स की तुलना में बेहतर टैक्स एफिशिएंसी, डाइवर्सिफिकेशन बेनेफिट्स और इंडेक्स लिंक्ड रिटर्न के चलते ईटीएफ तेजी से पॉपुलर हो रहा है. हालांकि रिलायंस सिक्योरिटीज के सीईओ लव चतुर्वेदी के मुताबिक जैसे किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.

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निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को

  • ईटीएफ में सिर्फ इक्विटीज की बजाय सभी एसेट क्लासेज शामिल होने चाहिए.
  • ईटीएफ को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए- लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
  • ईटीएफ की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी. लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ईटीएफ की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए.
  • आमतौर पर ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह ओवरऑल रिटर्न को प्रभावित करता है.
  • इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है. लिक्विडिटी अधिक होने पर इंपैक्ट कॉस्ट कम होता है और इस प्रकार निवेशकों को इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा.
  • किसी भी ईटीएफ को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0-2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
  • किसी ईटीएफ का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.

भारत में तेजी से बढ़ा है ETF के प्रति निवेशकों का रूझान

दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दस वर्षों में दुनिया भर में ईटीएफ एयूएम 19 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है. 2020 में यह 7.7 लाख करोड़ डॉलर (562 लाख करोड़ रुपये) का लेवल पार कर दिया है. भारत की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में ईटीएफ एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2016 में कुल एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में ईटीएफ की हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 10 फीसदी हो गई. दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ईटीएफ में 90 फीसदी निवेश इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (मुख्य रूप से ईपीएफओ) का है.

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