गौरतलब है कि इस साल मार्च के महीने में एनुअल स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2022 रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कहा प्रमुख संकेतक और सूचकांक गया था कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत फिलहाल काफी पीछे है। ऐसे कम से कम 17 प्रमुख सरकारी लक्ष्य हैं, जिनकी समय-सीमा 2022 है और धीमी गति के चलते अब इन्हें हासिल नहीं किया जा सकता है। एक मार्च को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों (एसीडीजी) को हासिल करने में भारत पिछले दो सालों में तीन पायदान नीचे खिसका है। यह रिपोर्ट डाउन टू अर्थ मैगजीन का सालाना प्रकाशन थी और इसे केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा पत्रकारों के लिए आयोजित नेशनल कॉन्क्लेव, अनिल अग्रवाल डायलॉग (एएडी), 2022 में जारी किया था।

वर्ष 2022 में जारी किए गए विभिन्न सूचकांक में भारत का स्थान

विश्व की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रतिवर्ष अनेक सूचकांक प्रकाशित किए जाते हैं। उनमें विश्व के विभिन्न देशों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाती है। इस आलेख में हम ऐसे ही कुछ सूचकांकों की चर्चा करेंगे और उन सूचकांकों में भारत की स्थिति का आकलन करेंगे।

  • स्विट्जरलैंड की एक प्रदूषण तकनीकी कंपनी ‘आई क्यू एअर’ (I Q Air) ने 22 मार्च 2022 को यह रिपोर्ट जारी की थी। इस कंपनी ने वर्ष 2021 में विश्व के विभिन्न देशों से वायु गुणवत्ता से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए थे। उन्हीं एकत्रित आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई है।
  • स्विट्जरलैंड की इस प्रदूषण तकनीकी कंपनी ने विश्व के 6,475 शहरों का सर्वेक्षण किया था और यह डाटा एकत्रित किया प्रमुख संकेतक और सूचकांक था।
  • इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि विश्व के 93 शहरों में पी एम 2.5 का स्तर निर्धारित किए गए स्तर से 10 गुना अधिक है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व का सबसे प्रदूषित बांग्लादेश देश है, जबकि विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी भारत की राजधानी ‘नई दिल्ली’ है। इस रिपोर्ट में ‘भिवाड़ी’ को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘भिवाड़ी’ भारत के राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित एक औद्योगिक शहर है।
  • ‘वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2021’ के अनुसार, विश्व के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित देश हैं- बांग्लादेश, चाड, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, भारत, ओमान, किर्गिस्तान, बहरीन, इराक और नेपाल। उल्लेखनीय है कि विश्व के प्रमुख संकेतक और सूचकांक शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित देशों में से 9 देश एशिया महाद्वीप के हैं, जबकि एक देश ‘चाड’ अफ्रीका महाद्वीप का है।

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2022

  • ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट’ संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था ‘संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ (UNSDSN) द्वारा जारी की जाती है। प्रमुख संकेतक और सूचकांक इस रिपोर्ट के अंतर्गत विश्व के विभिन्न देशों में सर्वेक्षण करके यह पता लगाया जाता है कि वहां की जनसंख्या की प्रसन्नता का स्तर क्या है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ द्वारा जारी की गई वर्ष 2022 की यह रिपोर्ट अब तक का इसका 10 वाँ संस्करण है। इस रिपोर्ट के 2022 के 10 वें संस्करण में कुल 146 देशों को शामिल किया गया है।
  • ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2022’ में यूरोपीय देश फिनलैंड को पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान को अंतिम स्थान दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि विश्व में फिनलैंड के लोग सबसे खुश हैं, जबकि जबकि अफगानिस्तान के लोग सबसे दुखी हैं। इस रिपोर्ट में भारत को 146 देशों में से 136 वें स्थान पर रखा गया है।

हेनले पासपोर्ट सूचकांक 2022

  • हेनले पासपोर्ट सूचकांक ‘हेनले एंड पार्टनर्स’ नामक संस्था द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक किस बात की पड़ताल करता है कि कौन से देश का पासपोर्ट कितने सुविधाजनक तरीके से किसी अन्य देश में स्वीकार किया जाता है।
  • इस सूचकांक में जापान और सिंगापुर को संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रखा गया है जबकि अफगानिस्तान को इस सूचकांक में अंतिम स्थान प्रदान किया गया है। वर्ष प्रमुख संकेतक और सूचकांक 2022 में जारी किए गए इस सूचकांक में भारत को 83 वें स्थान पर रखा गया है।
  • इस सूचकांक में विभिन्न देशों की रैंकिंग निर्धारित करते समय ‘इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (IATA) द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • जनवरी 2022 में भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 जारी किया गया था। यह सूचकांक जर्मनी के बर्लिन स्थित ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है। पहली बार यह सूचकांक वर्ष 1995 में जारी किया गया था।
  • इस सूचकांक के अंतर्गत विभिन्न देशों के सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद भ्रष्टाचार का आकलन किया जाता है। इस सूचकांक के नवीनतम जारी संस्करण में विश्व के कुल 180 देशों का आग्रह किया गया था।
  • वर्ष 2022 में जारी किए गए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक, 2021 में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड को संयुक्त रूप से पहला स्थान दिया गया है। इसका आशय है कि इन देशों में वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की मात्रा सबसे कम है।
  • इस सूचकांक में दक्षिण सूडान को अंतिम स्थान प्रदान किया गया है। इसका अर्थ है कि दक्षिण सूडान विश्व का सबसे ज्यादा भ्रष्ट देश है। इस सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 85 वाँ स्थान प्रदान किया गया है।

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022

  • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक एक द्विवार्षिक सूचकांक है। इसे वर्ष 2002 से ‘विश्व आर्थिक मंच’ (WEF) द्वारा ‘येल सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और ‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ के सहयोग से जारी किया जा रहा है।
  • इसके अंतर्गत कुल 3 संकेतक शामिल किए जाते हैं। ये संकेतक हैं- पर्यावरण स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र जीवन शक्ति।
  • सूचकांक के अंतर्गत विश्व के कुल 180 देशों का आकलन किया गया था। इनमें से प्रथम स्थान पर डेनमार्क रखा गया है, जबकि आश्चर्यजनक रूप से भारत को इस सूचकांक में अंतिम 180 वाँ स्थान प्रदान किया गया है।
  • भारत सरकार ने इस सूचकांक को तथा इसकी मापन प्रणाली को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार का मत है कि भारत द्वारा पर्यावरण की दिशा में अनेक सराहनीय कदम उठाए गए हैं, लेकिन इस सूचकांक में भारत के उन तमाम प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया है।

मानव विकास सूचकांक में और पीछे भारत; स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर बुरी तरह प्रभावित

human development

भारतीय अर्थव्यवस्था को सरकार भले ही 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के सपने लोगों को दिखा रही हो लेकिन संयुक्त राष्ट्र की मानें तो लोगों का औसत जीवन स्तर बेहतर नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने 191 देशों के सर्वेक्षण के आधार पर मानव विकास सूचकांक जारी किया है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 0.633 अंक दिए गए हैं जो भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है। वहीं 2019 में भारत को कुल 0.645 अंक दिए गए थे। यह गिरावट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि कोरोना महामारी ने देश में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है। यहां ग़ौर करने वाली बात ये है कि भारत इससे पहले साल 2021 में 131वें स्थान पर था लेकिन इस साल वह एक पायदान और नीचे फिसल कर 132 वें स्थान पर चला गया है।

आर्थिक संकेतक

आर्थिक संकेतक आमतौर पर व्यापक आर्थिक पैमाने पर आर्थिक डेटा के एक टुकड़े को संदर्भित करता है, और ज्यादातर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों द्वारा निवेश के लिए वर्तमान या भविष्य की संभावनाओं की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया जाता है। संकेतकों का दिया गया सेट समग्र का विश्लेषण करने में भी मदद करता हैअर्थव्यवस्था'स्वास्थ्य।

Economic Indicator

आर्थिक संकेतकों को कुछ भी माना जाता है जिसे निवेशक चुनने पर विचार करेंगे। हालाँकि, डेटा के कुछ विशेष सेट हैं जो सरकार के साथ-साथ गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा जारी किए जाते हैं जिनका दुनिया भर में पालन किया जाता है। इनमें से कुछ संकेतक हैं:

  • GDP –सकल घरेलू उत्पाद
  • जीएनपी-सकल राष्ट्रीय उत्पाद
  • सीपीआई-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
  • कच्चे तेल की कीमत
  • बेरोजगारी दर

आर्थिक संकेतकों में एक अंतर्दृष्टि

आर्थिक संकेतकों को कई समूहों या श्रेणियों में विभाजित करने के लिए जाना जाता है। अधिकांश सामान्य संकेतकों में रिलीज के लिए एक उचित कार्यक्रम होता है। यह निवेशकों को महीने और वर्ष के विशेष उदाहरणों पर विशिष्ट जानकारी देखने के साथ-साथ योजना तैयार करने की अनुमति देता है।

कुछ प्रमुख संकेतकों में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, यील्ड कर्व्स, शेयर की कीमतें और नेट बिजनेस फॉर्मेशन शामिल हैं, जिनका उपयोग अर्थव्यवस्था के भविष्य के आंदोलनों की भविष्यवाणी के लिए किया जाता है। संबंधित गाइडपोस्ट पर डेटा या संख्या अर्थव्यवस्था से पहले स्थानांतरित या उतार-चढ़ाव की उम्मीद है-यह श्रेणी के दिए गए नाम का कारण है।

संयोग संकेतकों में रोजगार दर, सकल घरेलू उत्पाद और खुदरा बिक्री जैसी वस्तुएं शामिल हैं, जिन्हें विशेष आर्थिक गतिविधियों की घटना के साथ देखा जाता है। मेट्रिक्स का दिया गया वर्ग किसी विशिष्ट क्षेत्र या क्षेत्र की गतिविधि को प्रकट करता है। अधिकांश अर्थशास्त्री और नीति निर्माता दिए गए रीयल-टाइम डेटा का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं।

आर्थिक संकेतकों की व्याख्या

एक आर्थिक संकेतक तभी उपयोगी साबित होता है जब वह सही ढंग से व्याख्या करने में सक्षम हो। इतिहास ने कॉर्पोरेट लाभ वृद्धि और के बीच मजबूत सहसंबंधों की उपस्थिति का खुलासा किया हैआर्थिक विकास (जैसा कि जीडीपी से पता चलता है)। हालाँकि, इस तथ्य का निर्धारण कि कोई विशेष कंपनी अपने समग्र रूप से वृद्धि कर सकती है या नहींआय परआधार एक सकल घरेलू उत्पाद संकेतक का लगभग असंभव हो सकता है।

अन्य सूचकांकों के साथ सकल घरेलू उत्पाद, ब्याज दरों और चल रही घरेलू बिक्री के समग्र महत्व में कोई इनकार नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप वास्तविक रूप से जो माप रहे हैं, वह है समग्र खर्च, पैसे की लागत, पूरी अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गतिविधि स्तर और निवेश।

एक मजबूत की उपस्थितिमंडी यह इंगित करने के लिए जाना जाता है कि संबंधित अनुमानित कमाई ऊपर की ओर है। यह सुझाव देता है कि पूरी आर्थिक गतिविधि भी ऊपर है।

मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर, वैश्विक स्तर पर 32 साल में पहली बार जोरदार गिरावट

जीवन प्रत्याशा में आई गिरावट

नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मानव विकास में वैश्विक गिरावट के बीच मानव विकास सूचकांक में भारत 191 देशों में 32वें स्थान पर पहुंच गया है. हालांकि 90 प्रतिशत देशों ने 2020 या 2021 में अपने मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) मूल्य में कमी दर्ज की है, जो सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति विपरीत है. मानव विकास (एक राष्ट्र के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय का एक उपाय) लगातार दो साल (2020 और 2021) में घट गया है, जो पिछले पांच साल की प्रगति को प्रभावित करता है. यह वैश्विक गिरावट के अनुरूप है, जो यह दर्शाता है कि दुनिया भर में मानव विकास 32 वर्षों में पहली जोरदार गिरावट दर्ज की गई.

जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट दर्ज

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट दर्ज की गई है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है. पिछले दो वर्षों में दुनिया भर में अरबों लोगों पर कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध का विनाशकारी प्रभाव पड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान व्यापक सामाजिक और आर्थिक बदलाव देखे गए. वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को एक खतरनाक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से गुरुवार को पेश की गई मानव विकास रिपोर्ट (अनसर्टेन टाइम्स-अनसेटल्ड लाइव्स : शेपिंग अवर फ्यूचर इन ए ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड) के अनुसार अनिश्चितता की परतें ढेर हो रही हैं और अभूतपूर्व तरीके से जीवन को अस्थिर करने वाला दौर जारी है. यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा कि दुनिया भर के लोग लगातार संकटों का सामना कर रहे हैं. हमारे जीवन जीने की लागत बढ़ गई है और ऊर्जा संकट लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, ऊर्जा संकट जीवाश्म ईंधन को सब्सिडी देने जैसे त्वरित सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आकर्षक है. तत्काल राहत रणनीति दीर्घकालिक प्रणालीगत परिवर्तनों में देरी कर रही है, जो हमें करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक रूप से असक्षम हो गए हैं. अनिश्चितता के इस दौर में आम चुनौतियों से निपटने के लिए हमें परस्पर संबंधों को मजबूत बनाते हुए वैश्विक एकजुटता की एक नई भावना पैदा करने की आवश्यकता है.

मानव विकास श्रेणी में भारत मध्यम स्तर पर

यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार, इन अन्तर्विभाजक संकटों ने भारत के विकास पथ को वैसे ही प्रभावित किया है, जैसे विश्व के अधिकांश हिस्सों में किया है. भारत का एचडीआई मान 0.633 देश को मध्यम मानव विकास श्रेणी में रखता है, जो 2020 की रिपोर्ट में इसके 0.645 के मूल्य से कम है. एचडीआई मानव विकास के 3 प्रमुख आयामों पर प्रगति को मापता है - एक लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और एक सभ्य जीवन स्तर. इसकी गणना 4 संकेतकों का उपयोग करके की जाती है, इसमें जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय शामिल हैं.

वैश्विक रुझानों की तरह भारत के मामले में भी मानव विकास सूचकांक में 2019 में 0.645 से 2021 में 0.633 तक की गिरावट दर्ज की गई. इसमें जीवन प्रत्याशा को 69.7 से घटकर 67.2 वर्ष तक हो जाने प्रमुख संकेतक और सूचकांक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष हैं और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 वर्ष हैं. सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति स्तर 6,590 डॉलर है.

भारत के पड़ोसी

मानव विकास सूचकांक में श्रीलंका को 73वां स्थान मिला है। इसके साथ चीन 79वें, भूटान 127वें, बांग्लादेश 129वें, नेपाल 143वें और पाकिस्तान 161वें स्थान पर है।

HDI किसी देश में यूएनडीपी द्वारा मापी गई बुनियादी मानव विकास उपलब्धियों का एक औसत माप है। यह मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों में लंबी अवधि की प्रगति का आकलन करने के लिए एक सारांश उपाय है: एक लंबा और स्वस्थ जीवन, ज्ञान तक पहुंच और एक सभ्य जीवन स्तर।

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