इमरान खान और उनका नया पाकिस्तान
The translations of EPW Editorials have been made possible by a generous grant from the H T Parekh Foundation, Mumbai. The translations of English-language Editorials into other languages spoken in India is an attempt to engage with a wider, more diverse audience. In case of any discrepancy in the translation, the English-language original will prevail.
पाकिस्तान के नए चुने गए प्रधान मंत्री इमरान खान और रॉड्रिगो दुतेर्दे व रेचप तैय्यब अर्दोआन जैसे कई दक्षिणपंथी लोकप्रियवादी निर्वाचित नेताओं के फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ बीच बहुत ही सरलीकृत और घिसी-पिटी समानताएं निकाली जा रही हैं. ज्यादातर दक्षिणपंथी निर्वाचित नेताओं के पास करीब-करीब एक जैसे ही दबाव होते हैं और एक में जो विशेषताएं हैं वो दूसरों में भी पहचानी जा सकती हैं. लेकिन निश्चित संदर्भ, स्थितियां और इतिहास इन समानताओं और तुलनाओं को कमजोर और निरर्थक बना देते हैं. इसलिए कई लोगों की तरह ये दावा करना न सिर्फ गलत है कि इमरान खान "मोदी जैसे" या "ट्रंप जैसे" हैं बल्कि ये उन अनेकों विशिष्टताओं को कम करके आंकना होता है जो एक राजनीतिक नेता को श्रेणीबद्ध करती हैं. इसके अलावा इमरान क्या हैं और क्या होंगे ये महत्वपूर्ण तौर पर इस बात पर निर्भर करेगा कि वो संस्थान उन्हें क्या बनने की इजाजत देते हैं. मसलन पाकिस्तान की सेना जिसके इमरान एहसानमंद हैं.
सबसे पहले तो यहीं से शुरू करते हैं कि पाकिस्तान के 11वें आम चुनाव न तो स्वतंत्र थे और न ही निष्पक्ष थे. विस्तृत द्स्तावेज़, सबूत, किस्से और आरोप सुझाते हैं कि चुनावों से कई महीने पहले ही हेराफेरी हुई थी. इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक संकेत हैं कि मतदान के दिन 25 जुलाई को जब नतीजे सुनाए जा रहे थे तब भी पारदर्शिता नहीं थी. चूंकि ये चुनाव बहुत ही करीबी मामला थे. जीतने और हारने वाले के बीच अंतर अकसर कुछ दर्जन निर्वाचन क्षेत्रों में काफी कम ही था. जीतने और हारने वाले उम्मीदवार के बीच मतों का जितना अंतर था उससे कहीं ज्यादा मतों को चुनाव आयोग के रिटर्निंग अफसरों ने रद् कर दिया. इनमें से कई निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की दोबारा गिनती का अनुरोध नामंजूर कर दिया गया.
चुनाव पूर्व हेराफेरी के हथकंडों का इस्तेमाल किया ही गया था. जैसे पूर्व प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार कर दिया गया और बाद में उनको जेल में डाल दिया गया. सेना ने मीडिया पर नियंत्रण बनाकर रखा. न्यायपालिका ने खुल्लम-खुल्ला पक्षपाती रवैया दिखाया. लेकिन इन सबके अलावा ये भी किया गया कि सत्ता प्रतिष्ठानों द्वारा नए राजनीतिक दल बनाए गए और उन्हें खड़ा किया गया ताकि शरीफ के दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के समर्थकों के वोट कमजोर किए जा सकें. इसमें एक प्रमुख उदाहरण एक इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का दिया जा सकता है जिसे पाकिस्तानी सेना ने समर्थन दिया था. इस पार्टी ने पीएमएल-एन के वोट काटे जिसका नतीजा ये हुआ कि शरीफ की पार्टी को 13 संभावित सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. अन्य मिसालें भी हैं, जैसे विधानसभाओं में जो पीएमएल-एन के पूर्व सदस्य थे, उन्हें मनाया गया कि वे अपना पाला बदल लें, या तो इमरान खान के साथ जुड़ जाएं या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार की तरह चुनाव लड़ें. इन लोगों की श्रेणी के लिए अब अपमानजनक ढंग से "द इलैक्टेबल्स" जुमले का इस्तेमाल किया जाता है.फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ
अगर हम ये मान लें कि ये चुनाव न तो स्वतंत्र थे और न ही निष्पक्ष थे, और इनका एकमात्र उद्देश्य ये सुनिश्चित करना था कि नवाज शरीफ की पार्टी किसी भी कीमत पर दोबारा न जीते, तो फिर समाज विज्ञानियों ने ‘मतों से क्या उद्घाटित होता है’ इसे लेकर जो विश्लेषण किया है वो अधूरा है और संभवतः गलत है. मतदान से पहले के सर्वेक्षणों ने संकेत दिया था कि पीएमएल-एन जीतेगी और पंजाब व केंद्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, बस इस स्थिति में कि अगर ये चुनाव निष्पक्ष होते. अगर ये होता तो इन चुनावी नतीजों के बारे में विश्लेषण बहुत अलग होता. इमरान खान के पक्ष में चुनावी धांधली के साथ, विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि ये चुनाव "भ्रष्टाचार के बारे में" थे और इमरान की जीत असल में पाकिस्तान के नए मध्यम वर्ग की जीत है. मगर क्या वाकई में ऐसा था ये कहना मुश्किल है और जो कोई भी इन नतीजों को समाज विज्ञान के पैमानों का इस्तेमाल करते हुए सही ठहराने की कोशिश कर रहा है उसे अपने द्वारा किए जा रहे दावों को लेकर विशेषतौर पर सावधान होना पड़ेगा. अलग तरह के दावे करने के लिए बहुत सारे सबूत और बहुत सारे विरोधी-दावे मौजूद हैं.
ख़ैर, इमरान खान अगले हफ्ते पाकिस्तान के 19वें प्रधान मंत्री होंगे और पाकिस्तान के साथ उसके पड़ोसियों और पूरी दुनिया को इस सच्चाई के साथ जीना होगा. इमरान को किसी भी स्तर पर शासन करने का अनुभव नहीं है और वे टीम भी ऐसी ला रहे हैं जिसका अनुभव बहुत ही कम है और जो पहली बार मंत्री बन रहे हैं. इस बीच इमरान के समर्थकों को उम्मीद है कि नए पाकिस्तान के हिस्से के तौर पर इससे राजनीति और जनप्रतिनिधित्व में एक ताज़ा और बेदाग़ दृष्टिकोण आएगा. बावजूद इसके इमरान को संसद में बेहद कड़े विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. आखिरी बार ऐसा 1988 में हुआ था जब बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान की राजनीति में एकदम नया चेहरा थीं. इस बार सरकार का विरोध करने वाले जो लोग हैं वो सरकार बनाने वाले के मुकाबले पाकिस्तानी राजनीति के खेल में बहुत अधिक तजुर्बा रखते हैं. यहां तक कि पंजाब में भी इमरान खान का उम्मीदवार बहुत आक्रामक विपक्ष का सामना करेगा.
इमरान को सत्तावादी, कट्टर, घमंडी, और अधीर आदमी माना जाता है, ऐसे में वो अपने निजी गुणों पर कैसे काबू पाते हैं ये उनके और उनकी सरकार की तरक्की में बेहद विशेष महत्व की बात होगी. उन्होंने पाकिस्तान और दुनिया को जीत के बाद जो भाषण दिया था उसमें हालांकि ऐसी कोई चारित्रिक विशेषता नहीं ज़ाहिर हुई और अगर कुछ जाहिर हुआ तो वो शंका का भाव था. अपने शांत और बुद्धिमत्तापूर्ण भाषण में इन भावी प्रधान मंत्री ने सामाजिक न्याय, समावेश, क्षमा, दोस्ती, साफ व सादगीभरी सरकार, पाकिस्तान के सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों की बात की. साथ ही साथ उन्होंने इस्लाम के सिद्धांतों में अपने नए-नए प्राप्त हुए विश्वास की बात की जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण था 8वीं सदी में पैगंबर मोहम्मद द्वारा मदीना शहर की नींव रखने का संदर्भ जिसे उन्होंने "प्रेरक" कहा.
कई विरोधाभास हैं जिन्होंने इमरान खान की निजी और राजनीतिक जिंदगियों को घेरा हुआ है. चाहे उनकी नीयत और संकल्प सच्चा और नेक हो लेकिन उन्हें साधारण बहुमत पाने के लिए कई ऐसे राजनेताओं से हाथ मिलाकर पहले ही समझौता करना पड़ा जिन लोगों की उन्होंने पहले निंदा की थी. इसके अलावा पाकिस्तान की राजनीतिक अर्थव्यवस्था भी खासतौर पर चुनौतियां पेश करेगी. इमरान के सामने एक रौबदार और हावी होने वाली सेना है जो ये नियंत्रित करती है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसियों के साथ कैसे बात करता है. वो उनको चुनाव में जिताने की एवज में अपने हिस्से की एक बड़ी कीमत मांगेगी. पाकिस्तान आर्थिक रूप से दूसरों पर बहुत निर्भर है. एक शत्रुवत और अनुभवी विपक्ष भी सामने है. इन सब वस्तुस्थितियों के बीच नया पाकिस्तान अधिकतर तो उसी पुराने मुल्क को वापस ला रहा है जिसे पीछे छोड़ने की उम्मीद इमरान खान ने की थी.
NCERT Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 2 आखेट खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
प्रश्न 2. खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे ?
उत्तर – बीज बोने से लेकर फसल के पकने तक लंबा समय लग जाता था | इस दौरान पौधों की सिंचाई करना, खरपतवार हटाना, जानवरों और चिड़ियों से उनकी सुरक्षा करने जैसे बहुत-से काम करने होते थे।इसलिए जब लोग खेती करने लगे, तो उन्हें अपनी खेती की देखभाल करने के लिए एक ही स्थान पर लंबे समय तक के लिए रहना पड़ा।
प्रश्न 3. पुरातत्वविद ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे और बाद में उनके लिए पशुपालन ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया ?
उत्तर – मेहरगढ़ पर खुदाई के सबसे पहले स्तरों में हिरण तथा सूअर जैसे जंगली जानवरों की हड्डियां मिली हैं, लेकिन खुदाई के बाद के स्तरों में भेड़-बकरियों तथा अन्य घरेलू मवेशियों की हड्डियां ज्यादा मिली हैं | जोकि यह दर्शाता है की मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे और बाद में उनके लिए पशुपालन ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया |
प्रश्न 4. आखेटक-खाद्य संग्राहक एक स्थान से दूसरे स्थान पर क्यों घूमते रहते थे ? उनकी यात्रा और आज की हमारी यात्रा के कारणों में क्या समानताएं या क्या भिन्नताएं हैं ?
उत्तर – आखेटक-खाद्य संग्राहक के एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने के निम्नलिखित मुख्य कारण थे
(1) अधिक भोजन की तलाश में उन्हें दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था।
(2) जानवर अपने भोजन के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते थे। अतः इन जानवरों का शिकार करने के लिए भी वे लोग इनके पीछे जाया करते थे।
(3) अलग अलग मौसम के अनुसार उगने वाले पेड़-पौधों और फलों की तलाश में वे लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे।
(4) पानी की तलाश में वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे।
दोनों तरह की यात्राओं के कारणों में समानताएं-
आज भी चरवाहे लोग अपने जानवरों के लिए चारे और पानी की तलाश में एक-स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
दोनों तरह की यात्राओं के कारणों में असमानताएं-
(1) वर्तमान में भोजन के लिए स्थान-स्थान पर घूमना नहीं पड़ता।
(2) वर्तमान में लोग अलग-अलग स्थानों पर रहने वाले अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों से मिलने के लिए यात्रा करते हैं।
(3) वर्तमान में व्यापार के लिए स्थान-स्थान पर घूमना पड़ता हैं।
प्रश्न 5. आखेटक-खाद्य संग्राहक आग का उपयोग किन-किन चीज़ों के लिए करते थे ? क्या तुम आज आग का उपयोग इनमें से किसी चीज़ के लिए करोगे ?
उत्तर – आखेटक-खाद्य संग्राहक मुख्यतः निम्नलिखित चीज़ों के लिए आग का उपयोग करते थे
(2) खाना पकाने के लिए, .
(3) खतरनाक जंगली जानवरों को दूर भगाने के लिए।
(4 ) स्वयं को गरम रखने के लिए |
वर्तमान समय में मनुष्य प्रकाश के लिए तथा खाना पकाने, और स्वयं को गरम रखने के लिएआग का प्रयोग करता है।
प्रश्न -6. कृषकों-पशुपालकों का जीवन शिकारी-खाद्य संग्राहकों के जीवन से कितना भिन्न था, तीन अंतर बताओ।
उत्तर :- कृषक और पशुपालक एक स्थान पर रहते थे जबकि शिकारी खाद्य संग्राहक अलग अलग स्थान पर भटकते रहते थे। कृषक और पशुपालक अन्न का उत्पादन करते थे जबकि शिकारी खाद्य संग्राहक शिकार करके जानवरो को मारकर खाना खाते थे।
प्रश्न 7. वर्तमान में पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किए जाने वाले दो कार्यों की सूची बनाएं। अन्य दो की सूची बनाएं जो केवल महिलाओं द्वारा किए जाते हैं, और दो जो केवल पुरुषों द्वारा किए जाते हैं। अपनी सूची की तुलना अपने किन्हीं दो सहपाठियों से करें। क्या आप अपनी सूचियों में कोई समानता/अंतर देखते हैं?
उत्तर 7 पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किए गए दो कार्य हैं
(ए) स्कूलों, कॉलेजों या संस्थानों में शिक्षण।
केवल पुरुषों द्वारा किए जाने वाले दो कार्य हैं:
(ए) बढ़ई के रूप में काम करना
केवल महिलाओं द्वारा किए जाने वाले दो कार्य हैं:
(ए) बच्चों की देखभाल
प्रश्न 8. उन अनाजों की सूची बनाइए जो आप खाते हैं। क्या आप अपने द्वारा खाए जाने वाले अनाज को उगाते हैं। यदि हाँ, तो उनके बढ़ने की अवस्थाओं को दर्शाने के लिए एक चार्ट बनाइए। यदि नहीं, तो यह दर्शाने के लिए एक चार्ट बनाइए कि ये अनाज आप तक उन किसानों तक कैसे पहुँचते हैं जो इन्हें उगाते हैं।
उत्तर 8 हमारे द्वारा खाए जाने वाले कुछ अनाज हैं गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, जौ, दाल और अनाज।
हम एक बड़े शहर में रहते हैं। हम अनाज नहीं उगाते। हमें किसानों से परोक्ष रूप से अनाज मिलता है।
फोक्सवैगन Taigun के प्रोडक्शन मॉडल को मुंबई में किया गया स्पॉट, हुंडई क्रेटा को देगी कड़ी टक्कर
ये अपकमिंग मिड-साइज एसयूवी भी स्कोडा फोक्सवैगन के इंडिया 2.0 प्लान के तहत तैयार किया गया दूसरा प्रोडक्ट है जहां इन दोनों कारों में कुछ समानताएं होंगी तो कुछ मामलों में ये दोनों कारें एकदूसरे से काफी अलग हैं।
स्कोडा कुशाक के बाद भारत में हुंडई क्रेटा और किआ सेल्टोस को कड़ी टक्कर देने के लिए एक और नई कार फोक्सवैगन टाइगन जल्द ही लॉन्च की जाएगी। हाल ही में इस मिड-साइज एसयूवी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ के प्रोडक्शन रेडी वर्जन को टेस्टिंग के दौरान मुंबई में स्पॉट किया गया है। इस कार की प्राइसिंग से लॉन्च के समय ही पर्दा उठाया जाएगा। बता दें कि ये कार भी स्कोडा फोक्सवैगन के इंडिया 2.0 प्लान के तहत तैयार किया गया दूसरा प्रोडक्ट है जहां इन दोनों कारों में कुछ समानताएं होंगी तो फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ कुछ मामलों में ये दोनों कारें एकदूसरे से काफी अलग हैं।
स्कोडा कुशाक से अलग होंगे इसके लुक्स
जैसा कि हमनें आपको पहले भी बताया अपकमिंग स्कोडा कुशाक और फोक्सवैगन टाइगन दोनों ही एक मिड-साइज एसयूवी है और एक ही प्रोजेक्ट का हिस्सा भी हैं। दोनों कारों को फोक्सवैगन ग्रूप के MQB-A0-IN प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है। इन दोनों कारों के डोर्स,रूफ और रियर प्रोफाइल तो एक जैसे हैं मगर बाकी इनके लुक्स एकदूसरे से काफी अलग हैं। फोक्सवैगन टाइगन का फ्रंट और रियर प्रोफाइल काफी यूनीक है। इसके फ्रंट में सिंगल पीस हेडलाइट्स,2 स्लैट क्रोम ग्रिल और बंपर के लोअर पार्ट पर क्रोम इंसर्ट दिए गए हैं। इन एलिमेंट्स के रहते टाइगन एसयूवी फोक्सवैगन की इंटरनेशनल मार्केट में उपलब्ध कुछ दूसरी एसयूवी कारों की तरह दिखाई देती है। इसके पिछले हिस्से में टेलगेट की चौड़ाई तक फैला टेललैंप क्लस्टर दिया गया है वहीं यहां रियर बंपर पर क्रोम एसेंट दिया गया है जिससे ये कार स्कोडा कुशाक से काफी अलग नजर आती है।
इंटीरियर को भी दिया गया है अलग टच
फोक्सवैगन के डैशबोर्ड को देखकर आपको एकबारगी जरूर ऐसा लगेगा कि ये शायद कुशाक एसयूवी से लिया गया है। मगर इस एसयूवी के इंटीरियर को देखने के बाद आपको काफी कुछ एलिमेंट्स अलग से नजर आएंगे। फीचर्स की बात करें तो इसमें एपल कारप्ले,एंड्रॉयड ऑटो एवं My Volkswagen connect app कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी से लैस 10 इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसे फीचर्स भी मिलेंगे। वहीं इसके केबिन में वर्चुअल कॉकपिट जैसा डिजिटल इंस्टरुमेंट क्लस्टर भी दिया जाएगा जो कि कुशाक फ्यूचर्स और ऑप्शंस में समानताएँ में नहीं दिया गया है। इसके अलावा टाइगन में ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल,यूएसबी सी टाइप पोर्ट्स,वायरलैस चार्जिंग पैड और ऐसे कई ढेर सारे फीचर्स भी मिलेंगे। सेफ्टी के लिए इस मिड-साइज एसयूवी में 6 एयरबैग,इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल,टायर प्रेशर डिफ्लेशन वॉर्निंग और आईएसओफिक्स चाइल्ड सीट माउंट्स जैसे फीचर्स दिए जाएंगे।
इंजन और पावरट्रेन ऑप्शंस
कुशाक की ही तरह टाइगन एसयूवी को भी दो तरह के टर्बो पेट्रोल इंजन के साथ पेश किया जाएगा। ऐसे में इसमें पहला ऑप्शन 1.0 लीटर 3 सिलेंडर टीएसआई इंजन होगा जो कि 115 बीएचपी की पावर और 175 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम होगा वहीं दूसरा ऑप्शन 1.5 लीटर 4 सिलेंडर इंजन होगा जो 150 बीएचपी की पावर और 250 एनएम का टॉर्क आउटपुट देगा। दोनों इंजन के साथ कंपनी 6 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स का ऑप्शन स्टैंडर्ड देगी। वहीं 1.0 टीएसआई इंजन के साथ 6 स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक जबकि 1.5 लीटर टीएसआई इंजन के साथ 7-स्पीड डीसीटी ऑटोमैटिक की भी चॉइस रखी जाएगी।
काफी आक्रामक कीमतों पर की जा सकती है लॉन्च
फोक्सवैगन टाइगन के लिए मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट में पहले से ही मौजूद दूसरी कारों से मुकाबला करना आसान नहीं रहेगा। ऐसे में कंपनी इसे काफी आक्रामक कीमतों पर लॉन्च कर सकती है। यदि इसे 10 से 17 लाख रुपये के प्राइस ब्रेकेट पर लॉन्च कर दिया गया तो ये कार यहां किआ सेल्टोस,हुंडई क्रेटा,निसान किक्स,रेनो डस्टर और एमजी हेक्टर जैसी कारों को कड़ी टक्कर दे सकती है।
5 Upcoming SUV by Diwali 2022: Tata Safari Petrol से Mahindra XUV400 EV तक, दिवाली से पहले लॉन्च होंगी ये 5 धांसू SUV
5 Upcoming SUV by Diwali 2022 in India Mahindra XUV400 EV Tata Safari Petrol Toyota Hyryder Grand Vitara Hyundai Venue N-Line: अगर आप नई SUV खरीदना चाहते हैं, तो आपको कुछ महीनों का इंतजार करना चाहिए। यहां हम 5 ऐसी SUVs के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें दिवाली से पहले लॉन्च किया जा सकता है।
- Swati Jha
- @Swaatiijha
- Published on: August 26, 2022 12:51 PM IST
Tata Safari Petrol
Tata Motors जल्द ही एक नई SUV लॉन्च कर सकती है। माना जा रहा है कि यह Safari का पेट्रोल मॉडल होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे 27 अगस्त को लॉन्च किया जा सकता है। हाल में, सफारी के टेस्टिंग मॉडल को देखा गया था। इसे 1.5 लीटर टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन के साथ लॉन्च किया जा सकता है।
Hyundai Venue N-Line
Hyundai Venue N-Line को भारत में 6 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा। Venue N लाइन में सिर्फ 1.0-लीटर टर्बो-पेट्रोल इंजन और 7-स्पीड DCT यूनिट गियरबॉक्स दिया जाएगा। इसे दो वेरिएंट N6 और N8 में पेश किया जाएगा। इसके अलावा नई वेन्यू में कुछ कॉस्मेटिक बदलाव भी किए जाएंगे।
Participate & Win Rs.5000 Freecharge Voucher!
BGR.in (Broad Guidance & Ratings) is a leading online destination for all things technology including news related to smartphones, smart TVs, smartwatches, TWS earbuds, latest games and apps, and the general consumer electronics markets. It is among India’s top sources of breaking mobile news, and a technology category leader among early adopters, savvy technophiles, and casual readers alike.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 838