Exclusive Interview: टेस्ट क्रिकेट में भी टी20 जैसा जलवा दिखाने की तमन्ना रखते हैं सूर्यकुमार यादव

भारतीय क्रिकेट की सनसनी सूर्यकुमार यादव को टी20 में दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी बनना अब भी सपने जैसा लगता है। लेकिन वह सीमित ओवरों के प्रारूप तक ही सीमित नहीं रहना चाहते हैं मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं और उनकी टेस्ट क्रिकेट में भी जलवा दिखाने दिली तमन्ना है। सूर्यकुमार ने इंटरव्यू में टी20 रैंकिंग में शीर्ष पर काबिज होने, अगले साल होने वाले विश्वकप और टेस्ट क्रिकेट खेलने की अपनी तमन्ना को लेकर बात की।

सवाल: अगर आज से एक साल पहले कहा जाता कि साल के आखिर में आप टी20 क्रिकेट में नंबर एक बल्लेबाज बने रहेंगे, तो क्या आप इस पर विश्वास करते?

जवाब: यह अब भी सपने जैसा लगता है। अगर साल भर पहले किसी ने मुझे टी20 क्रिकेट का नंबर एक बल्लेबाज कहा होता तो मुझे नहीं पता कि मैं कैसे प्रतिक्रिया करता। जब मैंने इस प्रारूप में खेलना शुरू किया तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था और इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की थी।

सवाल: अब प्राथमिकता 2023 में होने वाला वनडे विश्व कप होगा, तो क्या आप 50 ओवरों के प्रारूप के लिए अपने खेल में बदलाव करेंगे?

जवाब: जब मैं किसी प्रारूप में खेल रहा होता हूं तो उसके बारे में बहुत नहीं सोचता, क्योंकि मैं जब भी बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो उसका भरपूर आनंद लेता हूं। मैं यही सोचता हूं कि जब भी मैं क्रीज पर जाऊं तो मैच में पासा पलटने वाला प्रदर्शन करूं। मुझे बल्लेबाजी करना पसंद है फिर चाहे वह टी20, वनडे या रणजी ट्रॉफी कुछ भी हो।

सवाल: क्या आपको ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने की उम्मीद है?

जवाब: मैंने लाल गेंद से आयु वर्ग के राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया, इसलिए इसका जवाब इसी में है। पांच दिवसीय मैचों में आपके सामने पेचीदा लेकिन रोमांचक परिस्थितियां होती हैं और आप चुनौती का सामना करना चाहते हैं। हां, यदि मुझे मौका मिलता है तो मैं तैयार हूं।

सवाल: कौशल सीखा जा सकता है लेकिन किसी खिलाड़ी को उच्च स्तर पर खेलने के लिए मानसिक रूप से कैसे तैयार करना चाहिए?

जवाब: मैं यही कहूंगा कि यह कभी असंभव नहीं होता है लेकिन निश्चित तौर पर मुश्किल होता है। इसके लिए आपका रवैया अच्छा होना चाहिए। मैं अधिक अभ्यास करने के बजाय बेहतर अभ्यास करने पर ध्यान देता हूं। मैंने और मेरे परिवार ने काफी बलिदान दिए हैं। भारत की तरफ से पदार्पण करने से पहले मैं 10 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलता रहा हूं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आपको काफी चीजें सीखने को मिलती हैं और इसलिए जब आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं और भिन्न तरह के गेंदबाजों का सामना करते हैं तो फिर आपको केवल खुद को अभिव्यक्त करने की जरूरत होती है।

सवाल: पिछले कुछ वर्षों से घरेलू स्तर पर और आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद राष्ट्रीय टीम में चयन नहीं होने पर क्या आपको निराशा होती थी या गुस्सा आता था?

जवाब: मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं खीझ जाता था लेकिन हमेशा मैं यह सोचता था कि अगले स्तर पर जाने के लिए अलग से क्या करना होगा। इसलिए मैंने कड़ी मेहनत करना जारी रखा और आपको इसके साथ ही अपने खेल का भी आनंद लेना होता है। आप इसीलिए क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं। मैं जानता था कि अगर मैं परिणाम पर ध्यान न दूं और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करूं तो मैं किसी दिन राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में सफल रहूंगा।

सवाल: क्या आप हमें अपनी 360 डिग्री तकनीक के बारे में कुछ बता सकते हैं?

जवाब: यह दिलचस्प कहानी है। मेरे स्कूल और कॉलेज के दिनों में मैंने रबड़ की गेंद से काफी क्रिकेट खेली। सीमेंट की कड़ी पिचों पर और बारिश के दिनों में 15 गज की दूरी से की गई गेंद तेजी से आती थी तथा यदि लेग साइड की बाउंड्री 95 गज होती थी तो ऑफ साइड की 25 से 30 गज ही होती थी। इसलिए ऑफ साइड की मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं बाउंड्री बचाने के लिए अधिकतर गेंदबाज मेरे शरीर को निशाना बनाकर गेंदबाजी करते थे। ऐसे में मैंने कलाइयों का इस्तेमाल करना, पुल करना और अपर कट लगाना सीखा। मैंने नेट पर कभी इसका अभ्यास नहीं किया।

सवाल: विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ आपके संबंध कैसे हैं?

जवाब: मैं वास्तव में बेहद भाग्यशाली हूं जो विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ खेल रहा हूं। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दिग्गज सितारे हैं। उन्होंने जो कुछ हासिल किया है मैं नहीं जानता कि कभी मैं मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं उसे हासिल कर पाऊंगा या नहीं। हाल में मैंने विराट भाई के साथ कुछ अच्छी साझेदारियां निभाई और मैंने उनके साथ बल्लेबाजी करने का आनंद लिया।

सवाल: क्या आप अपने करियर में मुंबई इंडियंस और मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं आपकी पत्नी देवीशा के योगदान के बारे में बताएंगे?

जवाब: मेरी जिंदगी और क्रिकेट यात्रा में दो स्तंभ हैं – मुंबई इंडियंस और मेरी पत्नी देवीशा। पहले मैं मुंबई इंडियंस के योगदान पर बात करूंगा। जब मैं 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स को छोड़कर यहां आया था तो मैं शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी के मौके पर ध्यान दे रहा था और मेरे कहे बिना ही टीम प्रबंधन ने मुझ पर भरोसा दिखा कर मुझे यह जिम्मेदारी सौंप दी थी।

मैंने 2016 में देवीशा से शादी की और जब मैं मुंबई इंडियन से जुड़ा तो हम दोनों ने अगले स्तर पर जाने के लिए क्या करना चाहिए इसके बारे में सोचना शुरू किया। मुझे जब भी उनकी जरूरत पड़ी तो वह मेरे साथ खड़ी रही। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं जिस तरह का संतुलन चाहता था देवीशा मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं ने मुझे वह मुहैया कराया।

IPL Auction 2023: इन तीन खिलाड़ियों पर बड़ा दांव लगा सकती हैं IPL की टीम, दे सकती हैं कप्तानी, जानें कैसा है इनका रिकॉर्ड

IPL Auction 2023: इस समय पंजाब किंग्स (Punjab Kings) और सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) की टीम IPL के अगले सीजन के लिए कप्तान की तलाश कर रही हैं। इस दौरान कई खिलाड़ियों के लिए ऐसा मौका भी है, जब वे IPL की किसी टीम की कमान संभाल सकते हैं

IPL Auction 2023: क्रिकेट (Cricket) के दिवानों के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) किसी उत्सव से कम नहीं है, लेकिन इस लीग के लिए खिलाड़ियों की बोली लगाने की प्रक्रिया (Auction) का भी फैंस को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है। IPL 2023 के लिए खिलाड़ियों की निलामी में अब केवल दो ही दिन बचे हैं। इस बार की IPL ऑक्शन (IPL Auction) 23 दिसंबर कोच्चि (Kochi) में होने जा रही है। नीलामी शुक्रवार को दोपहर 2:30 बजे फैंस को अपने पसंदीदा खिलाड़ियों पर लगने वाली बोली और कौनसी टीम उन्हें खरीदेगी, ये देखना काफी रोमांचक होने वाला है।

इस समय पंजाब किंग्स (Punjab Kings) और सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) की टीम IPL के अगले सीजन के लिए कप्तान की तलाश कर रही हैं। इस दौरान कई खिलाड़ियों के लिए ऐसा मौका भी है, जब वे IPL की किसी टीम की कमान संभाल सकते हैं। फिलहाल इस लिस्ट में तीन ऐसे खिलाड़ी हैं, तो आइए डालते हैं, उनपर एक नजर.

रोम्या रोलां के नाम मैक्सिम गोर्की का पत्र

नोबेल से सम्मानित फ्रांसीसी नाटककार, इतिहासकार और भारतविद् रोग्यां रोलां और रूसी उपन्यासकार मैक्सिम गोर्की के बीच बौद्धिक और हार्दिक स्तर पर सदैव धनिष्ठता रही। 1935 में वे गोर्की के आमंत्रण पर रूस भी गए थे। रोम्यां रोलां को लिखे गोकी के इस पत्र में इन दो रचनाकारों के बीच की मैत्री के स्वर सुने जा सकते हैं।

मेरी सारी सोच मनुष्य पर केंद्रित है

गुंटर स्टाल
6 नवम्बर, 1923

मेरे प्यारे दोस्त,
में आपका आभारी हूं कि आपने मेरी पुस्तक की प्रशंसा की है। मुझे लगता है कि दोस्ती की खातिर इसकी आलोचना मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं में आपने काफी रियायत की है।

व्यक्तिगत तौर पर मैं इसे अपना सफल प्रयास नहीं मानता। इसमें तारतम्यता की कमी है। इसे पढ़कर पाठक सहज ही अनुमान लगा सकता है कि लेखक कहानी बयान करते हुए बहुत जल्दबाजी में था। कई बातें बहुत असावधानी से कही गई है, जो अधूरी महसूस होती है। शब्दों की पूरी महत्ता जानते हुए उनके गूढ़ अर्थों को दृष्टिविगत किया गया है। फ्रेंच संस्करण में तो कुछ काट-छांट करने के बाद इसकी शक्ल ही बिगड़ गई है। इस बात का मुझे दुख भी हैं।

मैं अपनी कमजोरियों को अच्छी तरह जानता हूं। मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है – मेरी जल्दबाजी! जो भी घटना मैं देखता हूं या जिस घटना का भी मुझ पर प्रभाव पड़ता है, उस पर मैं शीघ्र लिखने की कोशिश करता हूं। ठीक ही कहा गया है कि अत्यधिक जानकारी हमेशा लाभप्रद नहीं होती।

मेरा हृदय भावनाओं से ओत-प्रोत है। आवश्यकता से अधिक मेरे पास जानकारी है। मैं उन चीज़ों और घटनाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील हूं, जो देखने में असाधारण लगती हैं – यही तथ्य मुझे कहानीकार बनाता है – मानवीय आत्मा के रहस्यों का अन्वेषक नहीं।

मेरी सारी सोच मनुष्य पर मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं केंद्रित है। प्रकृति का वर्णन करते समय में उसका मानवीय चित्रण करता हूं। मैं अभी तक यह नहीं जान पाया कि मैं अपने वास्तविक निज को कैसे व्यक्त करूं । मेरा स्वत्व मेरे निजी एहसासों तले दबा हुआ है। यदि मुझे गोर्की के विषय में आलोचनात्मक लेख लिखना हो तो उसमें उसकी बहुत सरल आलोचना होगी। विश्वास करना, यह कोई दिखाया नहीं है। मैं गोर्की की सबसे कम प्रशंसा करने वालों में हूं। यदि मुझे पूछा जाए कि ऐसा कौन-सा लेखक है, जिसे अपना आदर्श बनाया जा सकता है, तो मैं कहूंगा – फ्लॉबर्ट । देखा।

स्टीफन ज्विग का बहुत ही खूबसूरत मुझे मिला है। उन्होंने अपनी दोस्ती का वास्ता देकर मुझे जर्मनी छोड़ देने की सलाह दी है। उनकी बात मान कर में चेकोस्लेयकिया, कार्सबाल्ड चला जाऊंगा। लगता है स्टीफन ज्विग बहुत भले व्यक्ति है। कल मैने उनकी कहानी ‘मूल लिट स्ट्रीट’ पढ़ी थी। इस कहानी का विषय मेरी कहानी ‘अधूरा प्यार’ के बहुत निकट है।

यहां जिंदगी बहुत मुश्किल और असुखद बनती जा रही है। बुद्धिजीवी लोग भूखे मर रहे हैं। बहुत सारे बावेरिया की तरफ जा रहे हैं। जहां तक मैंने देखा है, यहां के बुद्धिजीवियों में राजनीतिक रूढ़िवादिता और अत्यधिक देशभक्ति एक मानसिक बीमारी का रूप धारण कर चुकी है। फ्रेबर्ग मैं दिन के कारोबार में कैसे सफल हो सकता हूं में कुछ दिन पहले एक विख्यात दार्शनिक एडमंड हसरल ने कहा था कि 1848 में जर्मनी में एक आदर्श राज्य व्यवस्था थी। लगभग 150 प्रोफेसरों को पार्लियामेंट में कुर्सियां मिली हुई थी। समग्र रूप में लोग यहां चुपचाप बैठे किसी सशक्त सरकार की ख्वाहिश कर रहे हैं। कुल मिलाकर हालात संजीदा है।

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