हेचएमए संकेतक
हेचएमए सूचक एक प्रभावी कीमत फिल्टर के रूप में विकसित किया गया था। यह सबसे बढ़ औसत के मानक कार्य भी शामिल है; यह के रूप में समर्थन / विरोध और घटता झुकाव का कोण के आधार पर बाजार में प्रवेश के निर्णय लेने के मूल्य को प्रभावित करती है। लेकिन यह भी, हल मूविंग एवरेज एक व्यापारी सूचक में निर्मित रंग मॉडल की मदद से प्रवृत्ति का निर्धारण करने के लिए अनुमति देता है।
मामले में एक वृद्धि की प्रवृत्ति की तस है, हेचएमए लाल से नीले रंग के लिए अपने रंग बदलता है, इस प्रकार एक खरीद अवसर का संकेत है, क्योंकि कीमत है कि बाद आगे बढ़ सकती है। चल औसत के रंग का परिवर्तन भी एक बाजार में प्रवेश का संकेत होगा।
हेचएमए न केवल कीमत परिवर्तन कोमल बनाता है, लेकिन यह भी संकेत है 'देरी को समाप्त। इस आशय की गणना में कुछ पेक्यूलिरिटीस के आधार पर पहुँच गया था। इस प्रकार, एक व्यापारी कोई आशंका है कि हेचएमए एक परिसंपत्ति खरीदने के लिए या बाजार में प्रवेश करने में देरी संकेतों प्रदान करेगा के साथ ट्रेडों में सूचक का उपयोग कर सकते हैं।
व्यापार में हेचएमए के स्वतंत्र उपयोग के अलावा, मेटाट्रेडर सूचक ट्रेडों अन्य संकेतकों या विश्लेषण के विभिन्न तरीकों के आधार पर खोला जा रहा है के साथ बाजार में प्रवेश के फिल्टर के रूप में लागू किया जा सकता है। इस मामले में, चल औसत ट्रेडों बंद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जब सूचक विपरीत एक करने के लिए अपने रंग बदलता है, एक व्यापारी बंद हो जाना चाहिए एक व्यापार मूल्य रुझान के साथ लाइन में खोला गया है और एक नए बाजार में प्रवेश के संकेत के लिए इंतजार: तंत्र निम्नलिखित है।
प्रोजेक्ट के प्रकार, विशेषताएं, सोपान और प्रोजेक्ट निर्माण के अंतर्गत प्रमुख बिन्दु
1. व्यक्तिगत प्रोजेक्ट- व्यक्तिगत प्रोजेक्ट ऐसे प्रोजेक्ट होते है विभिन्न प्रकार के तकनीकी संकेतक क्या हैं जिन्हें प्रत्येक विद्यार्थी स्वतंत्रतापूर्वक अपने ढंग से पूर्ण करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अलग-अलग योजनायें दे दी जाती है और वे उन्हें पूर्ण करते है।
2. सामूहिक प्रोजेक्ट- सामूहिक प्रोजेक्ट में एक ही प्रोजेक्ट पर कई विद्यार्थी कार्य करते हैं और सहयोगिक प्रयत्नों से उन्हें पूर्ण करते हैं। इस प्रकार उनमें सामाजिकता तथा नागरिकता जैसे - सहयोग, आपसी समझ, अनुशासन, धैर्य आदि गुणों का विकास होता है।
विशेषताओं के आधार पर प्रोजेक्ट चार प्रकार के होते है।
1. रचनात्मक प्रोजेक्ट- ऐसे प्रोजेक्ट जिनके विचार अथवा योजना को वाह्यरूप से स्पष्ट किया जाये रचनात्मक प्रोजेक्ट कहलाते हैं। जैसे- नाव चलाना, ड्रामा प्रस्तुत करना, पत्र लिखना आदि।
2. रसास्वादन प्रोजेक्ट- ऐसे प्रोजेक्ट जिनका प्रयोजन सौन्दर्यानुभूति हो रसास्वादन प्रोजेक्ट कहलाते हैं जैसे- कहानी सुनना, चित्र देखना, गाना सुनना आदि।
3. समस्यात्मक प्रोजेक्ट- ऐसे प्रोजेक्ट जिनमें किसी बौद्धिक कठिनाई अथवा समस्या का हल ढूॅंढना हो समस्यात्मक प्रोजेक्ट कहलाते है। जैसे- ताप पाकर द्रव क्यों फैलते हैं आदि।
4. विशेष ज्ञान अथवा कौशल प्रोजेक्ट- इन योजनाओं का उद्देश्य किसी कार्य में दक्षता अथवा उसका ज्ञान प्राप्त करना होता है। जैसे- किसी चक्र को चलाना अथवा उसको चलाने का ज्ञान प्राप्त करना।
1. छात्रों को मौलिक चिन्तन, विभिन्न प्रकार के तकनीकी संकेतक क्या हैं क्रियाओं तथा अनुभवों द्वारा सीखने का अवसर मिलता है।
2. छात्रों को नवीन ज्ञान जीवन से संबंधित करके दिया जाता है। इसलिए अधिक उपयोगी होता है एवं छात्र रूचि लेता है।
3. छात्रों में सूझ की क्षमताओं का विकास होता है।
4. मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक अधिनियमों पर आधारित है।
5. विद्यालय के सभी विषयों को समन्वित रूप में पढ़ाया जाता है। इससे बोधगम्यता अधिक होती है।
6. छात्र में ज्ञान के साथ सामाजिक गुणों का विकास होता है।
- छात्रों के जीवन से संबंधित समस्या का चयन करना।
- समस्या चयन तथा उसके स्वरूप को समझना।
- समस्या समाधान के लिए योजना तैयार करना।
- योजना को क्रियान्वित करना।
- योजना का मूल्यांकन करना।
- योजना का आलेख तैयार करना।
1. ऐसे प्रोजेक्ट ही चुने जायें जिनका कुछ शैक्षिक मूल्य हो।
2. प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि उसको क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक सभी वस्तुयें उपलब्ध है अथवा नहीं।
3. ऐसे प्रोजेक्ट नही चुनने चाहिए जिनको पूर्ण करने के लिये मॅंहगी सामग्री की आवश्यकता हो।
4. ऐसा प्रोजेक्ट चुने जिसमें आवश्यकता से अधिक समय न लगे। उसे उतने समय में ही पूरा हो जाना चाहिए जितना समय पाठ्यक्रम के उस भाग को पूरा करने में लगता है।
1. प्रोजेक्ट का शीर्षक
2. प्रोजेक्ट कर्ता का नाम- .
3. कक्षा- .
4. स्थान- . (विद्यालय का नाम)
5. प्रोजेक्ट निर्देशक- .
6. प्रस्तावना-
7. विषय वस्तु के बारे में
(क) पूर्व ज्ञान से संबंधित जानकारियॉं
(ख) विषय वस्तु से संबंधित जानकारियॉं
(ग) विषय वस्तु से संबंधित नियम
(घ) विषय वस्तु से संबंधित ऑंकड़े
(ड.) अन्य जानकारियॉं
8. प्रोजेक्ट मॉंडल का निर्माण
(क) आवश्यक सामग्रियॉं
(ख) निर्माण विधि
9. निष्कर्ष
10. स्त्रोत
11. प्रोजेक्ट प्रस्तुतीकरण- कक्षा में प्रस्तुतीकरण के दौरान
(क) समालोचना
(ख) मूल्यांकन
शिक्षा तकनीकी (Shiksha Takniki)
प्रस्तुत पुस्तक सुसंगठित विषयवस्तु के साथ रोचक शैली में लिखी गयी है | इसकी भाषा अत्यंत सरल, बोधगम्य तथा परिमार्जित है | इसमें शिक्षा तकनीकी से संबंधित सभी आधारभूत प्रकरणों पर उचित प्रकाश डाला गया है | विषयवस्तु को सारगर्भित तथा रोचक बनाने के लिए इसमें यथासंभव तालिकाओं, चित्रों तथा उदाहरणों का समावेश किया गया है | यह पुस्तक डी. एड., बी. एड., एम. एड., एम. ए. (शिक्षा शास्त्र) तथा एम. फिल. (शिक्षाशास्त्र) के लिए अत्यंत उपयोगी है | इसके अलावा, यह अध्यापकों, अनुसंधानकर्ताओं तथा विद्यालयों एवं कालेजों के प्रशासकों के लिए भी लाभकारी होगी साथ ही शिक्षण संस्थानों द्वारा सेवारत अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर आयोजित कार्यशालाओं के लिए भी यह उपयोगी साबित होगी |
शिक्षा तकनीकी के क्षेत्र में सभी प्रकार के आधुनिकतम विचारों तथा नवीनतम प्रयोगों, जैसे - विद्यार्थी नियंत्रित अनुदेशन, व्यक्तिगत अनुदेशन प्रणाली, विनिमयात्मक विश्लेषण सहित कक्षा-कक्ष अंत:क्रिया विश्लेषण की विभिन्न तकनीकें, साइबरनेटिक्स, प्रशिक्षण मनोविज्ञान, टोली शिक्षण, सहकारी अधिगम, आडियो ट्यूटोरियल प्रणाली, भाषा प्रयोगशाला, टेलिकानफ्रेंसिंग, ई-लर्निंग, कंप्यूटर सहाय तथा प्रबन्धित अनुदेशन, सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी, अवास्तविक कक्षा-कक्ष तथा दूरवर्ती शिक्षा आदि का इसमें यथोचित वर्णन किया गया है |
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विभिन्न प्रकार के तकनीकी संकेतक क्या हैं
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पात्रता
- उ0प्र0 में स्थायी रूप से निवास कर रहे 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके अद्यतन पंजीकृत श्रमिक।
- पंजीयन की न्यूनतम अवधि 10 वर्ष हो।
- लाभार्थी को केन्द्र/ राज्य सरकार के किसी भी विभाग द्वारा संचालित किसी भी पेन्शन योजना (राज्य कर्मचारी बीमा निगम तथा म्च्थ्व् को छोड़कर) का लाभ प्राप्त न हो रहा हो।
पेंशन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा स्वीकृत की जायेगी तथा सीधे बोर्ड द्वारा भुगतान होगा।
अधिकतम अंक: 5
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