Streetgains: NSE/BSE/SENSEX
Streetgains भारत की सबसे भरोसेमंद SEBI पंजीकृत सलाहकार और अनुसंधान विश्लेषण फर्म है, जिसके 2 मिलियन से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और 10 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव है। यह तकनीकी और मौलिक अनुसंधान में पेशेवर टीम विशेषज्ञता रखने वाला भारत का सबसे भरोसेमंद इक्विटी सलाहकार है।
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बुलियन
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स्ट्रीटगेन्स रिसर्च सर्विसेज
व्यवसाय का नाम: स्ट्रीटगेन्स
सेबी आरए नंबर: आईएनएच200003208
मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के बीच अंतर क्या है?
Visita Técnica IberoPistacho - Finca Hermanos Jiménez -IberoPistacho (दिसंबर 2022)
ये शब्द शेयरों के भविष्य के विकास के रुझानों के शोध और पूर्वानुमान के लिए उपयोग किए गए दो अलग-अलग स्टॉक-पैकिंग पद्धतियों का संदर्भ देते हैं। किसी भी निवेश की रणनीति या दर्शन की तरह, दोनों के पास उनके समर्थकों और प्रतिद्वंद्वियों हैं स्टॉक विश्लेषण के इन तरीकों में से प्रत्येक के परिभाषित सिद्धांत यहां दिए गए हैं:
- मौलिक विश्लेषण एक स्टॉक के आंतरिक मूल्य को मापने का प्रयास करके प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करने का एक तरीका है। मौलिक विश्लेषक समग्र अर्थव्यवस्था और उद्योग की स्थितियों से वित्तीय स्थिति और कंपनियों के प्रबंधन तक सब कुछ का अध्ययन करते हैं।
- तकनीकी विश्लेषण बाजार की तकनीकी और मौलिक अनुसंधान गतिविधियों से उत्पन्न आंकड़ों के अध्ययन के माध्यम से प्रतिभूतियों का मूल्यांकन है, जैसे पिछले कीमतों और मात्रा तकनीकी विश्लेषक किसी सुरक्षा के आंतरिक मूल्य को मापने का प्रयास नहीं करते बल्कि बदले में पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान करने के लिए स्टॉक चार्ट का उपयोग करते हैं जो भविष्य में किसी शेयर के बारे में बताएंगे।
[यदि आप सीखने में दिलचस्पी रखते हैं कि अपनी खुद की क्रियाशील व्यापार योजना बनाने के लिए तह्कनिक विश्लेषण का उपयोग कैसे करना है, तो निवेशक तकनीकी और मौलिक अनुसंधान अकादमी के तकनीकी विश्लेषण पाठ्यक्रम आपको इन उपकरणों को सीखने के लिए मांग पर वीडियो प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें चार्ट विश्लेषण शामिल हैं और तकनीकी संकेतक।]
स्टॉक विश्लेषण की दुनिया में, मौलिक और तकनीकी विश्लेषण स्पेक्ट्रम के पूरी तरह से विपरीत दिशा में हैं। कमाई, व्यय, परिसंपत्तियां और देनदारियां मौलिक विश्लेषकों के लिए सभी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, जबकि तकनीकी विश्लेषक इन संख्याओं के बारे में कम परवाह नहीं कर सके। कौन सा रणनीति सबसे अच्छा काम करती है हमेशा बहस होती है, और इन दोनों तरीकों पर पाठ्य पुस्तकों के कई खंड लिखे गए हैं। तो, कुछ पढ़ने और खुद का फैसला करें जो आपके निवेश के दर्शन के साथ सबसे अच्छा काम करता है
(अतिरिक्त पढ़ने के लिए, देखें मूल विश्लेषण का परिचय और तकनीकी और मौलिक अनुसंधान तकनीकी विश्लेषण का परिचय ।)
तकनीकी विश्लेषण में तेज और धीमी स्टेचैस्टिक्स के बीच अंतर क्या है?
तेज और धीमी स्टेचैस्टिक्स के बीच मुख्य अंतर एक शब्द में अभिव्यक्त है: संवेदनशीलता फास्ट स्टोचस्टिक अंतर्निहित सुरक्षा की कीमत में बदलाव के लिए धीमी स्टोचस्टिक की तुलना में अधिक संवेदनशील होता है और संभावित रूप से कई लेनदेन संकेतों में परिणाम होगा।
क्या शेयर बाजार में लंबी अवधि के निवेश निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए मौलिक विश्लेषण, तकनीकी विश्लेषण या मात्रात्मक विश्लेषण का उपयोग करना बेहतर है? | इन्वेस्टोपैडिया
मूलभूत, तकनीकी और मात्रात्मक विश्लेषण के बीच के अंतर को समझते हैं, और प्रत्येक माप कैसे निवेशकों को दीर्घकालिक निवेश का मूल्यांकन करने में सहायता करता है।
मैं अपने स्टॉक पोर्टफोलियो में रिटर्न उत्पन्न करने के लिए मात्रात्मक विश्लेषण के साथ तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण कैसे मर्ज कर सकता हूं? | इन्वेस्टोपैडिया
जानें कि कैसे मौलिक विश्लेषण अनुपात मात्रात्मक स्टॉक स्क्रीनिंग विधियों के साथ जोड़ा जा सकता है और एल्गोरिदम में तकनीकी संकेतक कैसे उपयोग किए जा सकते हैं।
मातृ भाषा में तकनीकी, चिकित्सा और कानूनी शिक्षा देने की पहल करें राज्य : शाह
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘किसी छात्र के ‘मौलिक चिंतन’ को उसकी मातृ भाषा में आसानी से विकसित किया जा सकता है और मौलिक चिंतन तथा अनुसंधान के बीच मजबूत संबंध है।’’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राज्यों को चिकित्सा, तकनीक और कानून के क्षेत्र में हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल करनी चाहिए, ताकि देश गैर-अंग्रेजी भाषी छात्रों की प्रतिभा का इस्तेमाल कर सके।
हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा की महत्ता पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शाह ने कहा कि अगर छात्रों को उनकी मातृ भाषा में पढ़ाया जाए तो उनमें आसानी से मौलिक चिंतन की प्रक्रिया विकसित हो सकती है और इससे अनुसंधान तथा नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा।
शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘तकनीक, चिकित्सा और कानून-सभी विषयों को हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाना चाहिए। सभी राज्य सरकारों को शिक्षा के इन तीन क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों का क्षेत्रीय भाषाओं में उचित अनुवाद कराने की पहल करनी चाहिए।’’
मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण करने की प्रक्रिया को आसान और तेज बताते हुए शाह ने कहा, ‘‘इससे उच्च शिक्षा में देश की प्रतिभा को बढ़ावा मिलेगा। आज हम देश की केवल पांच प्रतिशत प्रतिभा का इस्तेमाल कर पाते हैं, लेकिन इस पहल के साथ हम देश की 100 फीसद प्रतिभा का इस्तेमाल कर पाएंगे।’’
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘किसी छात्र के ‘मौलिक चिंतन’ को उसकी मातृ भाषा में आसानी से विकसित किया जा सकता है और मौलिक चिंतन तथा अनुसंधान के बीच मजबूत संबंध है।’’
इतिहास की शिक्षा पर शाह ने कहा कि वह छात्रों से ‘‘300 जननायकों का अध्ययन करने का अनुरोध करते हैं, जिन्हें इतिहासकारों ने उचित श्रेय नहीं दिया और साथ ही 30 ऐसे साम्राज्यों के बारे में जानने का अनुरोध करते हैं, जिन्होंने भारत पर राज किया और शासन का बहुत अच्छा मॉडल स्थापित किया।’’
उन्होंने कहा कि तकनीकी और मौलिक अनुसंधान अब वक्त आ गया है कि लोग और छात्र देश के ‘असली इतिहास’ के बारे में जानें।
AKTU के सराहनीय पहल, तकनीकी के संग अब सामाजिक विषय पर भी शोध की तैयारी
AKTU एकेटीयू के विद्यार्थी अब तकनीकी के साथ सामाजिक विषय पर भी शोध करेंगे। विश्वविद्यालय ने अभी इस शैक्षणिक सत्र में जिन विषयों में पीएचडी करने का मौका दिया है उसमें तकनीकी और मैनेजमेंट के विषय शामिल हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। एकेटीयू (डा. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय) मौलिक शोध को बढ़ावा देने पर तकनीकी और मौलिक अनुसंधान जोर दे रहा है। इसमें तकनीकी विषय के साथ मैनेजमेंट के विषय में शोध का मौका दिया गया है। शोधार्थियों को एक की जगह कई विषय में भी शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आने वाले समय में विश्वविद्यालय सामाजिक विषय को तकनीकी विषय से जोड़ते हुए भी शोध का मौका देगा। जिससे शोधार्थियों के सामने शोध के लिए विकल्प बढ़ जाएंगे।
विश्वविद्यालय ने अभी इस शैक्षणिक सत्र में जिन विषयों में पीएचडी करने का मौका दिया है। उसमें तकनीकी और मैनेजमेंट के विषय शामिल हैं। इन विषयों में आर्किटेक्चर, बायोटेक्नोलाजी, केमिकल इंजीनियरिंग, केमिकल टेक्नोलाजी, केमिस्ट्री, सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट मैथमेटिक्स, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, फार्मेसी, फिजिक्स, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग जैसे विषय शामिल हैं। विश्वविद्यालय की ओर से इन विषयों में मौलिक शोध करने के लिए शोधार्थियों को प्रेरित भी कर रहा है।
इसमें शोधार्थियों से अपेक्षा की जा रही है कि वह अपने शोध के माध्यम से ऐसी चीजों को सामने लाएं, जिसका उपयोग दैनिक जीवन में करने में सहायता मिल सके। सामाजिक, आर्थिक, हेल्थ और कृषि क्षेत्र में तकनीकी शोध से बढ़ावा मिल सके। कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र का कहना है कि तकनीकी विषय में भी शोध करने का मकसद यह नहीं होना चाहिए कि कि इसमें केवल शोध ग्रंथ लिखकर पीएचडी की डिग्री हासिल किया जाए। बल्कि उस शोध से कुछ नया निकले इसका प्रयास किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय में ऐसे शोधार्थियों के शोध के लिए वित्तीय मदद भी की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी विषय को सामाजिक विषय के साथ जोड़कर भी शोध को सामाजिक सरोकार के लिए बनाया जा सकता है।
माइनर सब्जेक्ट बीटेक में हो रहे हैं शुरूः इस सत्र से बीटेक में मेजर के साथ माइनर सब्जेक्ट भी शुरू किए जा रहे हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, बिग डेटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे कई महत्वपूर्ण विषय रखे गए हैं। विश्वविद्यालय के अनुसार शोध में तकनीकी और मौलिक अनुसंधान इन विषयों को भी जोड़ा जाएगा। आने वाले समय में कई नए विषय में भी शोध की शुरुआत की जाएगी।
AKTU के सराहनीय पहल, तकनीकी के संग अब सामाजिक विषय पर भी शोध की तैयारी
AKTU एकेटीयू के विद्यार्थी अब तकनीकी के साथ सामाजिक विषय पर भी शोध करेंगे। विश्वविद्यालय ने अभी इस शैक्षणिक सत्र में जिन विषयों में पीएचडी करने का मौका दिया है उसमें तकनीकी और मैनेजमेंट के विषय शामिल हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। एकेटीयू (डा. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय) मौलिक शोध को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। इसमें तकनीकी विषय के साथ मैनेजमेंट के विषय में शोध का मौका दिया गया है। शोधार्थियों को एक की जगह कई विषय में भी शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आने वाले समय में विश्वविद्यालय सामाजिक विषय को तकनीकी विषय से जोड़ते हुए भी शोध का मौका देगा। जिससे शोधार्थियों के सामने शोध के लिए विकल्प बढ़ जाएंगे।
विश्वविद्यालय ने अभी इस शैक्षणिक सत्र में जिन विषयों में पीएचडी करने का मौका दिया है। उसमें तकनीकी और मैनेजमेंट के विषय शामिल हैं। इन विषयों में आर्किटेक्चर, बायोटेक्नोलाजी, केमिकल इंजीनियरिंग, केमिकल टेक्नोलाजी, केमिस्ट्री, सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट मैथमेटिक्स, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, फार्मेसी, फिजिक्स, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग जैसे विषय शामिल हैं। विश्वविद्यालय की ओर से इन विषयों में मौलिक शोध करने के लिए शोधार्थियों को प्रेरित भी कर रहा है।
इसमें शोधार्थियों से अपेक्षा की जा रही है कि वह अपने शोध के माध्यम से ऐसी चीजों को सामने लाएं, जिसका उपयोग दैनिक जीवन में करने में सहायता मिल सके। सामाजिक, आर्थिक, हेल्थ और कृषि क्षेत्र में तकनीकी शोध से बढ़ावा मिल सके। कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र का कहना है कि तकनीकी विषय में भी शोध करने का मकसद यह नहीं होना चाहिए कि कि इसमें केवल शोध ग्रंथ लिखकर पीएचडी की डिग्री हासिल किया जाए। बल्कि उस शोध से कुछ नया निकले इसका प्रयास किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय में ऐसे शोधार्थियों के शोध के लिए वित्तीय मदद भी की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी विषय को सामाजिक विषय के साथ जोड़कर भी शोध को सामाजिक सरोकार के लिए बनाया जा सकता है।
माइनर सब्जेक्ट बीटेक में हो रहे हैं शुरूः इस सत्र से बीटेक में मेजर के साथ माइनर सब्जेक्ट भी शुरू किए जा रहे हैं। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, बिग डेटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे कई महत्वपूर्ण विषय रखे गए हैं। विश्वविद्यालय के अनुसार शोध में इन विषयों को भी जोड़ा जाएगा। आने वाले समय में कई नए विषय में भी शोध की शुरुआत की जाएगी।
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