विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है

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विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है, और यह कैसे काम करता है?

सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि विदेशी मुद्रा बाजार क्या है। विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा बाजार वह जगह है जहां एक मुद्रा का दूसरे के लिए कारोबार किया जाता है। यह दुनिया के सबसे सक्रिय रूप से कारोबार किए गए वित्तीय बाजारों में से एक है। वॉल्यूम इतने विशाल हैं कि वे दुनिया भर के शेयर बाजारों में सभी संयुक्त लेनदेन से अधिक हैं।

विदेशी मुद्रा बाजार की एक वैश्विक पहुंच है जहां दुनिया भर से खरीदार और विक्रेता व्यापार के लिए एक साथ आते हैं। ये व्यापारी एक दूसरे के बीच सहमत विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी मूल्य पर धन का आदान प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति, कॉर्पोरेट और देशों के केंद्रीय बैंक एक मुद्रा का दूसरे में आदान-प्रदान करते हैं। जब हम विदेश यात्रा करते हैं, तो हम सभी विदेशी देश की कुछ मुद्रा खरीदते हैं। यह अनिवार्य रूप से एक विदेशी मुद्रा लेनदेन है।

इसी तरह, कंपनियों को अन्य देशों में वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने की आवश्यकता होती है और इसके लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होगी। मान लें कि भारत में एक कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका से उत्पाद खरीद रही है। भारतीय कंपनी को उत्पादों के आपूर्तिकर्ता का भुगतान अमेरिकी डॉलर में करना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि कंपनी को खरीद करने के लिए जिस डॉलर की जरूरत है उसके बराबर रुपये का आदान-प्रदान करना होगा। विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है?

अब जब हमने विदेशी मुद्रा व्यापार की मूल बातें समझ ली हैं, तो हम देखेंगे कि यह इतने बड़े पैमाने पर क्यों किया जाता है। मुख्य कारण अटकलें हैं: मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन से लाभ कमाने के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार किया जाता है। विभिन्न आर्थिक और राजनीतिक कारकों के कारण मुद्रा मूल्य बदलते रहते हैं, जिनमें भुगतान संतुलन, मुद्रास्फीति और ब्याज दर में परिवर्तन शामिल हैं। ये मूल्य परिवर्तन उन व्यापारियों के लिए आकर्षक बनाते हैं, जो अपने हंच सही होने से लाभ की उम्मीद करते हैं। हालांकि, अधिक लाभ की संभावना के साथ, उच्च जोखिम आता है।

शेयरों की तरह, विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए कोई केंद्रीय बाजार नहीं है। दुनिया भर के व्यापारियों के बीच कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग करके लेन-देन होता है। मुद्राओं का कारोबार न्यू यॉर्क, टोक्यो, लंदन, हांगकांग, सिंगापुर, पेरिस, आदि जैसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों में किया जाता है। इसलिए जब एक बाजार बंद हो जाता है, तो दूसरा खुलता है। यही कारण है कि विदेशी मुद्रा बाजार दिन या रात के लगभग किसी भी समय सक्रिय रहते हैं।

मुद्रा व्यापार की मूल बातों के पहलुओं में से एक यह है कि यह जोड़े में होता है – एक मुद्रा की कीमत की तुलना दूसरे के साथ की जाती है। मूल्य उद्धरण में प्रकट होने वाले पहले को आधार मुद्रा के रूप में जाना जाता है, और दूसरे को उद्धरण मुद्रा कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यू एस डॉलर / भारतीय रुपया जोड़ी व्यापारी को यह जानकारी देती है कि एक अमेरिकी डॉलर (मूल मुद्रा) खरीदने के लिए कितने भारतीय रुपए की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, एक विशिष्ट तिथि पर जोड़ी यू एस डॉलर 1/ भारतीय रुपया 67.5 रुपये हो सकती है। आधार मुद्रा को हमेशा एक इकाई के रूप में व्यक्त किया जाता है।विदेशी मुद्रा व्यापार में कोई भी मुद्रा आधार मुद्रा हो सकती है।

विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे करें?

अब जब आप जानते हैं कि विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है, तो मुद्रा व्यापार करने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के विदेशी मुद्रा बाजारों को समझना आवश्यक है।

स्पॉट मार्केट:

यह एक मुद्रा जोड़ी के भौतिक आदान-प्रदान को विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी संदर्भित करता है। एक स्पॉट लेनदेन एक ही बिंदु पर होता है – व्यापार को ‘स्पॉट’ पर बसाया जाता है। ट्रेडिंग एक संक्षिप्त अवधि के दौरान होता है। मौजूदा बाजार में, मुद्राएं मौजूदा कीमत पर खरीदी और बेची जाती है। किसी भी अन्य वस्तु की तरह, मुद्रा की कीमत आपूर्ति और मांग पर आधारित होती है। मुद्रा दरें अन्य कारकों से भी प्रभावित होती हैं जैसे ब्याज दरों, अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक स्थिति, दूसरों के बीच अन्य। एक स्पॉट सौदे में, एक पार्टी किसी अन्य विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी पार्टी को एक विशेष मुद्रा की एक निश्चित राशि प्रदान करती है। बदले में, यह एक सहमत मुद्रा विनिमय दर पर दूसरी पार्टी से एक और मुद्रा की एक सहमत राशि प्राप्त करता है।

फिर फॉरवर्ड विदेशी मुद्रा बाजार और वायदा विदेशी मुद्रा बाजार हैं। इन दोनों बाजारों में, मुद्राएं तुरंत हाथ नहीं बदलती हैं। इसके बजाय, एक निश्चित अंतिम तिथि पर एक विशिष्ट मूल्य पर, मुद्रा की एक निश्चित मात्रा के लिए अनुबंध हैं।

फॉरवर्ड्स मार्केट:

फॉरवर्ड फॉरेक्स मार्केट में, दो पार्टियां किसी निश्चित तिथि पर किसी निश्चित मूल्य पर किसी मुद्रा की एक निश्चित मात्रा में खरीदने या बेचने के लिए अनुबंध में प्रवेश करती हैं।

मुद्रा वायदा भविष्य की तारीख में निश्चित मूल्य पर किसी विशेष मुद्रा को खरीदने या बेचने के लिए अनुबंध हैं। इस तरह के अनुबंधों का एक मानक आकार और अंतिम अवधि है और सार्वजनिक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है। भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। एक्सचेंजों द्वारा निकासी और निपटान का ध्यान रखा जाता है।

विदेशी मुद्रा व्यापार भारत में कैसे करें:

अब जब हमने मुद्रा व्यापार की मूल बातें देखी हैं, तो हम भारत में मुद्रा व्यापार करने के तरीके के बारे में और बात करेंगे।

भारत में, बीएसई और एनएसई मुद्रा वायदा और विकल्पों में व्यापार करने की पेशकश करते हैं। यू एस डॉलर /भारतीय रुपया सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा जोड़ी है। हालांकि, जब मुद्रा व्यापार की बात आती है तो अन्य अनुबंध भी लोकप्रिय हो रहे हैं। यदि आप एक व्यापारी जो मुद्रा विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी बदलावों पर एक स्थान लेना चाहता है, तो आप मुद्रा वायदा में व्यापार कर सकते हैं। मान लीजिए कि आप उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर जल्द ही भारतीय रुपए मुकाबले बढ़ जाएगा । आप तो अमरीकी डालर/ भारतीय रुपया वायदा खरीद सकते हैं। दूसरी ओर, यदि आप उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले INR मजबूत होगा, तो आप यू एस डॉलर /भारतीय रुपया वायदा बेच सकते हैं।

हालांकि, यह समझने की जरूरत है कि विदेशी मुद्रा व्यापार हर किसी के लिए नहीं है। यह उच्च स्तर के जोखिम के साथ आता है। विदेशी मुद्रा में व्यापार करने से पहले, अपने जोखिम की भूख को जानना आवश्यक है और इसमें आवश्यक स्तर का ज्ञान और अनुभव भी होना चाहिए। विदेशी मुद्रा में व्यापार करते समय, आपको पता होना चाहिए कि कम से कम शुरुआत में पैसे खोने का एक अच्छा डर बना रहता है।

Foreign Exchange Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर मिली अच्छी खबर, एक साल में सबसे तेज गति से बढ़ा

: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर अच्छी खबर मिली है। बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही अपना विदेशी मुद्रा भंडार 544 अरब डॉलर के पार चला गया।

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डॅालर की वृद्धि रही है। इसके साथ ही अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा वृद्धि रही है। बीते चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 529.99 अरब डॅालर था। 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।

इस साल की शुरूआत में अपना विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर था। लेकिन इसी साल रुपये के मूल्य में गिरावट भी देखने को मिली। इसी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इसका असर दिखा और बीते सितंबर के मध्य के बाद रुपया विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी पहली बार डॅालर के मुकाबले 80 के स्तर के करीब पहुंचा।

रिजर्व बैंक के अनुसार, आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि हुई है। अब यह 482.53 अरब डॅालर पर पहुंच गई हैं। विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होती है।

आरबीआई के मुताबिक बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी हुई। इस सप्ताह यह 2.64 अरब डॅालर बढ़कर 39.70 अरब डॅालर पर पहुंच गया। दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार पंहुचा 600 अरब डॉलर के पार

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। वहीं, अब RBI ने एक बार फिर नए आंकड़े जारी कर दिए हैं। जिनके अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार (IMF) में 600 अरब डॉलर से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई है। इतना ही नहीं इसके साथ ही देश के स्वर्ण भंडार की कीमत में भी बढ़त दर्ज की गई है। बता दें, इस बारे में जानकारी शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी।

RBI के ताजा आंकड़े :

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 21 मई 2021 को समाप्त हुए सप्ताह में 2.865 अरब डॉलर बढ़कर 592.894 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, पिछले समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.444 अरब डॉलर बढ़कर 589.465 अरब डॉलर रह गया था। इस प्रकार विदेशी मुद्रा भंडार संभवत: 600 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है। इस बार दर्ज की गई बढ़त विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।

RBI के गवर्नर का कहना :

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि, 'देश का विदेशी मुद्रा भंडार संभवत: 600 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया है। हाल में विदेशी पूंजी प्रवाह काफी तेजी से बढ़ा है जिससे विदेशी मुद्रा भंडार का आंकड़ा ऊपर जा रहा है। इसको लेकर आधिकारिक आंकड़े बाद में जारी होंगे।' ज्ञात हो, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है। बताते चलें, इससे पहले विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड ऊंचाई 29 जनवरी 2021 को समाप्त सप्ताह में 590.185 अरब डॉलर थी।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :

विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।

यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।

विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर पहुंचा

Stacks of one hundred dollar notes are piled up for counting at the headquarters of the Korea Exchange Bank in Seoul February 3, 2009. South Korea

मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया. इसका कारण स्वर्ण भंडार में आई भारी गिरावट है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

इससे पहले केंद्रीय बैंक ने कहा था कि 28 अक्टूबर, 2022 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.561 अरब डॉलर बढ़कर 531.081 अरब डॉलर हो गया था, जो वर्ष के दौरान किसी एक सप्ताह में आई सबसे अधिक तेजी थी.

एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है.

रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 4 नवंबर को समाप्त के दौरान मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गईं.

डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर डॉलर मुद्रा के मूल्य में आई कमी या बढ़त के प्रभावों को दर्शाया जाता है.

आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में देश का स्वर्ण भंडार 70.5 करोड़ डॉलर घटकर 37.057 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 23.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.39 अरब डॉलर रह गया है.

आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर रह गया.


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लगातार आठवें हफ्ता विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानिए घटते रिजर्व को लेकर रिजर्व बैंक ने कल क्या कहा

Foreign reserves: लगातार आठवें हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. चालू वित्त वर्ष में इसमें अब तक 70 बिलियन डॉलर की कमी आई है. गवर्नर दास ने भी कहा कि डॉलर रिजर्व में आई कमी में एक्सचेंज रेट का 67 फीसदी योगदान है.

लगातार आठवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई. 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 8.134 बिलियन डॉलर घटकर 537.विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी 518 बिलियन डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. विदेशी मुद्रा भंडार इससे पिछले सप्ताह 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक घटकर 545.54 बिलियन डॉलर रह गया था. वैश्विक घटनाक्रमों के कारण रुपए की विनियम दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की घोषणा के बाद कल गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी में विनिमय दर में हुए बदलाव का 67 फीसदी योगदान है.

चालू वित्त वर्ष में अब तक 70 बिलियन डॉलर रिजर्व घटा

गवर्नर दास ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला. गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में तेज गिरावट हुई है. विदेशी मुद्रा भंडार दो अप्रैल को 606.475 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया. यह लगातार आठवां सप्ताह था, जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई.

FCA में 7.68 बिलियन डॉलर की गिरावट

आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 7.688 बिलियन डॉलर घटकर 477.212 बिलियन डॉलर रह गया.

गोल्ड रिजर्व में 30 करोड़ डॉलर की गिरावट

डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है. आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 बिलियन डॉलर पर आ गया है.

डॉलर में 14.5 फीसदी का उछाल

चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 फीसदी की तेजी आई है. ऐसे में वैश्विक स्तर पर मुद्रा बाजारों में भारी उथल-पुथल मची हुई है. दूसरे देशों की तुलना में भारतीय रुपए की गति व्यवस्थित रही है. गवर्नर दास ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी समीक्षाधीन अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में 7.4 फीसदी की गिरावट आई, जो कई आरक्षित मुद्राओं के साथ ही अन्य मुद्राओं के मुकाबले काफी बेहतर है.

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