रखरखाव शुल्क और अन्य संबंधित शुल्कों के लिए ग्राहकों के खाते से कटौती एक आवधिक आधार पर किया जाएगा। उन ग्राहकों के लिए जिन्होंनें सरकार के सह-योगदान का लाभ उठाया है के लिए, खाते की राशि शून्य माना जाएगा जब ग्राहक कोष एवं सरकार के सह-योगदान खाते से घटाने पर राशि रखरखाव शुल्क, फीस और अतिदेय ब्याज के बराबर हो जाये और इसलिए शुद्ध कोष शून्य हो जाता है । इस मामले में सरकार का सह अंशदान सरकार को वापस दिया जाएगा।
बजट के प्रकार | types of budget
types of budget-भारत में बजट प्रणाली की शुरुआत का श्रेय वायसराय कैनिंग को जाता है 1860 में सर्वप्रथम जेम्स विल्सन ने बजट प्रस्तुत किया था संविधान के अनुच्छेद 112 के अंतर्गत वार्षिक वित्तीय विवरण का उल्लेख है जिसे बजट कहा जाता है लेकिन बजट शब्द वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र का उल्लेख कहीं पर भी नहीं है ।
types of budget-बजट हमारे आम जिंदगी से जुड़ा हुआ एक अहम हिस्सा है हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में कोई ना कोई बजट बनाता है चाहे छोटा हो या बड़ा यही बजट कहलाता है इसी प्रकार से सरकार भी देश का बजट बनाती है। बजट वह आय है जिसमें सरकार के आय और व्यय को शामिल किया जाता है।
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Types of budget-बजट के निम्नलिखित प्रकार हैं-
types of budget
भारत के प्रारंभिक काल के बजट को ही प्रारंभिक बजट कहते हैं इस प्रकार के बजट में मुख्य विधायिका का कार्यपालिका पर वित्तीय नियंत्रण स्थापित करना रहा है इसके अनुसार बजट में मुख्यत: वेतन, मजदूरी, यात्रा, मशीनें तथा उपकरण आदि के रूप में किए जाने वाले व्यय तथा विभिन्न मदों में होने वाली आय को प्रस्तुत किया जाता रहा है इसमें किसी क्षेत्र में कितना धन व्यय करना है उसी का उल्लेख होता था किंतु इस व्यय के खर्च से क्या क्या परिणाम प्राप्त करने हैं उनका ब्यौरा नहीं दिया जाता था।
निष्पादन बजट
कार्यों के परिणामों को आधार मानकर निर्मित होने वाले बजट को निष्पादन बजट या कार्यपूर्ति बजट कहा जाता है यह सरकारी प्रचलन के कार्य कार्यक्रमों क्रियाओं तथा परियोजनाओं को पेश करने की एक कार्य विधि है जो मूलतः लक्ष्योन्मुख तथा उद्देश्य प्रणाली पर आधारित है जिसमें केवल संगठनात्मक आय-व्यय का हिसाब ही नहीं बल्कि प्राप्त हुए निष्कर्षों या कार्य निष्पादन को मूल्यांकन का आधार बनाया जाता है।
इस प्रकार का बजट सरकार क्या कर रही है, कितना कर रही है तथा कितनी कीमत पर कर रही है, इन सभी को प्रतिबिंबित करती है भारत में निष्पादन बजट को वर्ष 1968 से इस्तेमाल किया जाता है।
BFSI Summit: सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड होगा निजी क्षेत्र के लिए बेंचमार्क
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि ईएसजी से जुड़े रुपया बॉन्ड के जरिये रकम जुटाने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए केंद्र सरकार के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड की प्राइसिंग बेंचमार्क (कीमत तय करने के पैमाने) के तौर पर काम कर सकती है। डिप्टी गवर्नर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र समिट में ये बातें कहीं। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने बाजार उधारी कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी।
राव ने कहा, ‘ग्रीन बॉन्ड के जरिये सरकार जो रकम जुटाएगी उसका इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में होगा, जिससे अर्थव्यवस्था में कार्बन का हिस्सा घटाने में मदद मिलेगी। इसे किसी भी मायने में छोटा कदम नहीं माना जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड भारत में निजी क्षेत्र की इकाइयों की रुपये वाली उधारी (ईएसजी से जुड़े ऋण) के लिए कीमत संदर्भ भी मुहैया कराएगा।’ राव के अनुसार इस तरह के बॉन्ड जारी होने से ऐसी व्यवस्था बनेगी, जिसमें ज्यादातर पूंजी हरित परियोजना में लगाए जाने को प्रोत्साहन मिलेगा।
पिछले महीने सीतारमण ने भारत के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के खाके को मंजूरी दी
राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस क्षेत्र में ठोस प्रयासों की आवश्यकता समझता है। इसलिए भारत के संदर्भ में जलवायु जोखिम और स्थायी वित्त के क्षेत्र में नियामक पहल का नेतृत्व करने के उद्देश्य से मई 2021 में उसने अपने विनियमन विभाग के अंतर्गत स्थायी वित्त समूह की स्थापना की है। पिछले महीने सीतारमण ने भारत के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के खाके को मंजूरी दी थी। इससे पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों के प्रति भारत का संकल्प और मजबूत होगा। इसके साथ ही यह पात्र हरित परियोजनाओं में वैश्विक और घरेलू निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।
वाणिज्यिक बैंक और वित्तीय संस्थानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ बताते हुए राव ने कहा कि यह ‘ध्यान देने योग्य’ है कि भारत के प्रमुख बैंकों ने भी हाल के वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘निवेश की इस रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत ऋण आवंटन के दृष्टिकोण में कई संरचनात्मक बदलाव करने की जरूरत हो सकती है, जिनमें परियोजनाओं के हरित प्रत्यय पत्रों का मूल्यांकन और प्रमाणन शामिल है। ग्रीन फाइनैंस को बढ़ावा देने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मानव संसाधन तथा क्षमता निर्माण के प्रयासों में निवेश करना होगा और पर्यावरण व सामाजिक जोखिमों को अपने कॉरपोरेट क्रेडिट मूल्यांकन तंत्र में शामिल करना होगा।’
वित्तीय क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका
ग्रीन फाइनैंस को बढ़ावा देने की राह में आने वाली चुनौतियों में से एक है तीसरे पक्ष के सत्यापन/आश्वासन और प्रभाव मूल्यांकन तथा कारोबार एवं परियोजनाओं की हरित साख के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता। राव ने कहा, ‘यह संभावित ग्रीनवाशिंग की चिंता को भी दूर करेगा और इकाइयों के लिए पूंजी का निर्बाध प्रवाह एवं धन सुनिश्चित करेगा।’ उन्होंने कहा कि डेटा और खुलासे की उपलब्धता की चुनौती जल्द दूर करने की जरूरत है। राव ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1000 सूचीबद्ध इकाइयों के लिए खुलासा मानदंड निर्धारित करना स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह क्षेत्र व्यवसाय को वित्त प्रदान करता है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि व्यावसायिक रणनीति और संचालन में जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के संभावित प्रभाव को समझने और आकलन करने के लिए व्यापक ढांचा विकसित करने तथा उसे लागू करने के लिए नियामक संस्थाओं की आवश्यकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे चरण में वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र है, जहां तेजी से बढ़ने की आवश्यकता है लेकिन जलवायु जोखिम और ईएसजी से संबंधित विचारों को वाणिज्यिक उधारी एवं निवेश निर्णयों में शामिल करने के तरीके विकसित करने और उधारी विस्तार, आर्थिक वृद्धि तथा सामाजिक विकास की जरूरतों को संतुलित करने की है। राव ने कहा, ‘सामूहिक जुड़ाव हमारी शुरुआती प्रगति में मदद करेगा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में लंबा सफर तय करेगा।’
निष्पादन बजट
कार्यों के परिणामों को आधार मानकर निर्मित होने वाले बजट को निष्पादन बजट या कार्यपूर्ति बजट कहा जाता है यह सरकारी प्रचलन के कार्य कार्यक्रमों क्रियाओं तथा परियोजनाओं को पेश करने की एक कार्य विधि है जो मूलतः लक्ष्योन्मुख तथा उद्देश्य प्रणाली पर आधारित है जिसमें केवल संगठनात्मक वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र आय-व्यय का हिसाब ही नहीं बल्कि प्राप्त हुए निष्कर्षों या कार्य निष्पादन को मूल्यांकन का आधार बनाया जाता है।
इस प्रकार का बजट सरकार क्या कर रही है, कितना कर रही है तथा कितनी कीमत पर कर रही है, इन सभी को प्रतिबिंबित करती है भारत में निष्पादन बजट को वर्ष 1968 से इस्तेमाल किया जाता है।
आउटकम बजट
जब किसी एक वित्तीय वर्ष के लिए किसी मंत्रालय अथवा विभाग को आवंटित किए गए बजट में अनुश्रवण तथा मूल्यांकन किए जा सकने वाले भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण इस उद्देश्य से किया जाता है बजट के क्रियान्वयन की गुणवत्ता को परखा जाना संभव हो सके ऐसे बजट को आउटकम बजट कहते हैं भारत में इस प्रकार के बजट की घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा 25 अगस्त 2005 को की गई थी।
शून्य आधारित बजट की अवधारणा पीटर नायक ने दी थी वस्तुतः बजट की वह प्रक्रिया जिसमें किसी भी विभाग अथवा संगठन द्वारा प्रस्तावित व्यय के प्रत्येक मद पर पुनर्विचार कर के प्रत्येक मद को बिल्कुल नूतन मद (शून्य) मानते हुए उसका नए सिरे से मूल्यांकन करना ही शून्य प्रणाली बजट कहलाता है बजट किया प्रणाली में किए जाने वाले प्रत्येक मद के औचित्य पर बल देती है और किसी भी क्रिया के लिए कोई आधार या न्यूनतम व्यय स्वीकार नहीं करती अर्थात इसमें बजट के बिना किसी आधार के नए सिरे से निर्मित किया जाता है भारत में इस प्रकार के बजट की शुरुआत 1986-87 में तत्कालीन वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने की थी।
विनियोग बजट-
विनियोग बजट या व्यय बजट से आशय उस बजट से है जिसका प्रयोग सरकार द्वारा सरकारी विभागों एवं सेवाओं के लिए किया जाता है ऐसे मदों पर व्यय जिसमें व्यय पश्चात पुनः पूंजीगत प्राप्तियां नहीं होती है अर्थात इस मद पर व्यय की गई पूंजी से पूंजी निर्माण नहीं होता है।
पूंजी बजट में पूंजीगत प्राप्ति एवं पूंजीगत भुगतानों को सम्मिलित किया जाता है पूंजीगत खाता प्राप्ति में बाजार ऋण, भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त उधार, विदेशी सरकारों एवं संस्थाओं से प्राप्त ऋण, राज्य सरकारों को दिए गए ऋण की वापसी आदि को सम्मिलित किया जाता है।
अटल पेंशन योजना
भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:
वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र
- आउटसोर्स नौकरियां
- प्राइवेट नौकरियां
- सरकारी नौकरियां
- रोजगार मेला नौकरियां
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