बैंक में भी कर सकते हैं जमा
मकान की बिक्री से हुए लाभ को निवेश करने के लिए भले ही आपको दो-तीन साल का समय मिलता हो, लेकिन बिक्री के बाद भरे जाने वाले आयकर रिटर्न (आईटीआर) में इसकी जानकारी देनी होगी। अगर आप तब तक निवेश नहीं कर पाते हैं तो लाभ की राशि को बैंकों के कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम में डाल सकते हैं। निर्धारित समय तक इस पर टैक्स नहीं लगेगा।

Budget 2023-बजट में हो सकता है कैपिटल गेन्स टैक्स पर बड़ा फैसला

Capital gains tax latest news update- सरकार इन्वेस्टर्स पर कई तरह के टैक्स लगाती है ताकि इनकम हासिल की जा सके. इन्हीं में से एक है कैपिटल गेन (Capital Gain Tax) टैक्स. जब कोई घर, कार, बैंक एफडी आदि बेचता है तो इसके बिक्री से हासिल होने वाले मुनाफे पर टैक्स लिया जाता है जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं.

घर, कार, बैंक एफडी, शेयर आदि बेचने कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. लेकिन इसके नियम है. सरकर इन सभी से बेचने वाली रकम को आपकी आमदनी मानती है. साल 2018 में इसे स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया था. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी पूंजी या संपत्ति को बेचकर हुए मुनाफे में लगने वाला टैक्स ही कैपिटल गेन टैक्स है.

ITR Filing 2022: इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर टैक्स नियमों को लेकर रहें सावधान

नियमों के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचते या रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/इनकम पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/निगेटिव रिटर्न लौंग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लौंग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। ध्यान रहे कि सालाना एक लाख रुपए से कम के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स का प्रावधान नहीं है।

कई लोग यह समझते हैं कि अगर लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से सालाना लौंग-टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपए से कम है और टैक्सेबल इनकम भी 5 लाख रुपए से कम है तो आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर मान लीजिये किसी व्यक्ति का टैक्सेबल इनकम छूट और कटौती यानी एग्जेंप्शन और डिडक्शन के बाद 4.5 लाख रुपए है जबकि वित्त वर्ष के दौरान उसे लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से 80 हजार रुपए का लौंग-टर्म कैपिटल गेन हुआ। इस मामले में कई लोगों को यह लग सकता है कि सालाना कैपिटल गेन भी एक लाख रुपए से कम है जबकि टैक्सेबल इनकम भी 5 लाख रुपए से कम है तो टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।

Tax On Gifts: गिफ्ट में मिला है सोना? आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस

गिफ्ट पर भी लग जाता है टैक्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 08 सितंबर 2022, 8:12 AM IST)

भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां सोने की खपत काफी ज्यादा है. परंपरागत तौर पर सोने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन से बने गहने भारतीयों की पसंद रहे हैं. हाल के दिनों में यह निवेश का माध्यम भी बनकर उभरा है. पिछले साल कोरोना महामारी के असर के बाद भी भारतीयों ने सोने की रिकॉर्ड खरीदारी की और गोल्ड इम्पोर्ट (Gold Import) का 10 साल से अधिक समय का हाई बन गया. शादी-विवाह और जन्मदिन जैसे मौकों पर करीबी लोगों को गिफ्ट देने के लिए भी लोग सोने के गहनों को सबसे ज्यादा तरजीह देते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गिफ्ट में दिए गए ऐसे गहने टैक्सफ्री (Taxfree) नहीं होते. एक लिमिट के बाद इनके ऊपर भी टैक्स की देनदारी (Tax On Gift) बनती है और नहीं देने पर कर चोरी करने का मामला बन जाता है.

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इस तरह से तय होता है टैक्स

गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामलों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. कैपिटल गेन टैक्स की गणना करने के लिए होल्डिंग पीरियड को आधार बनाया जाता है. होल्डिंग पीरियड को उस दिन से नहीं गिना जाता है, जिस दिन आपको गिफ्ट मिला था. आपको गिफ्ट देने वाले परिजन ने जिस दिन सोना खरीदा था, इसे उसी दिन से गिना जाता है. उदाहरण के लिए आपकी शादी पर आपकी मां ने सोने के गहने गिफ्ट किए. उन्हें ये गहने उनकी शादी पर उनके पिता यानी आपके नाना से मिले थे. अगर आपके नाना ने अपने जमाने में इन गहनों को एक लाख रुपये में खरीदा था, तो कैपिटल गेन तय करने के लिए इन गहनों की शुरुआती कीमत एक लाख रुपये मानी जाएगी. इसके बाद गहनों के अभी के मूल्य में एक लाख रुपये घटाकर कैपिटल गेन निकाला जाएगा, जिसके ऊपर टैक्स की देनदारी बनेगी.

वैल्यू के हिसाब से तय होता है टैक्स

Tax Harvesting: इक्विटी पर टैक्स देनदारी कम करने का बेहतर तरीका, मुनाफे के साथ नुकसान भी करें एडजस्ट

Tax Harvesting: इक्विटी पर टैक्स देनदारी कम करने का बेहतर तरीका, मुनाफे के साथ नुकसान भी करें एडजस्ट

मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. (Image- Pixabay)

Tax Harvesting: करीब डेढ़ महीने वैश्विक स्तर पर भारी तनाव के बावजूद इस वित्त वर्ष 2021-22 में 21 मार्च तक घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 15.7 फीसदी और निफ्टी 16.5 फीसदी मजबूत हुआ है. इस दौरान बीएसई मिडकैप भी 17.3 फीसदी और बीएसई स्मालकैप भी 34.7 फीसदी मजबूत हुआ है. इस तेजी के चलते इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों का मुनाफा बढ़ा. अब यह वित्त वर्ष खत्म होने में महज शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन एक हफ्ते का ही समय बचा है तो इक्विटी निवेशकों को टैक्स हारवेस्टिंग पर ध्यान देना चाहिए और लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देनदारी को कम करने पर फोकस करना चाहिए.
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी में निवेश पर टैक्स देनदारी को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है. हालांकि उनका कहना है कि मुनाफे को तुरंत फिर निवेश कर दिया जाना चाहिए ताकि कंपाउंडिंग बेनेफिट ले सकें.

टैक्स हारवेस्टिंग क्या है?

टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी इंवेस्टिंग में टैक्स लायबिलिटी कम करने को सबसे प्रभावी तरीका है. इसमें कुछ स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड की कुछ होल्डिंग को बेचकर मुनाफा कमाया जाता है और इस मुनाफे को फिर निवेश कर कंपाउंडिंग बेनेफिट लिया जाता है. 1 अप्रैल 2018 के बाद से यह नियम बन गया है कि किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर निवेशकों को बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. ऐसे में Nangia Andersen LLP की निदेशक नेहा मल्होत्रा के मुताबिक शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देनदारी कम करने और टैक्स-फ्री रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है कि किसी वित्त वर्ष में इक्विटी से एलटीसीजी किसी वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से कम रखें.शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन

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ये हैं टैक्स से जुड़े नियम

1 अप्रैल 2018 के बाद स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की अगर 12 महीने से कम की होल्डिंग को बेचते हैं तो इस पर हुए मुनाफे पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा लेकिन अगर यह होल्डिंग पीरियड 12 महीने से अधिक का है तो 1 लाख से अधिक के मुनाफे पर बिना इंडेक्सेशन के बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. इस साल के केंद्रीय बजट में 2 करोड़ से अधिक आय वाले हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स को एलटीसीजी पर सरचार्ज की दरों में राहत दी गई है और इसे 25 फीसदी या 37 फीसदी की बजाय अधिकतम 15 फीसदी पर कर दिया गया है.

मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. लांग टर्म कैपिटल लॉस को अन्य लांग टर्म कैपिटल गेन्स से सेट ऑफ किया जा सकता है. आयकर अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म या लांग टर्म कैपिटल गेन से सेट ऑफ किया जा सकता है. अगर सेट ऑफ नहीं कर पा रहे हैं तो इसे अगले आठ एसेसमेंट इयर तक कैरी फारवर्ड कर सकते हैं. हालांकि कैरी फारवर्ड के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.

विस्तार

कोरोना काल के बाद बड़े मकानों की मांग बढ़ी है। लोग पुराना मकान या अन्य संपत्ति बेचकर अपने लिए बड़ा घर खरीद रहे हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि मकान या संपत्ति बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।

दरअसल, मकान बेचकर हुए मुनाफे पर दो तरह से टैक्स की गणना होती है। तीन साल अपने पास रखने के बाद अगर आपने मकान बेचा है तो इससे हुए मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) माना जाएगा। इस अवधि से पहले मकान बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) माना जाएगा।

एसटीसीजी को अतिरिक्त कमाई माना जाता है इसलिए इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ता शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन है। वहीं, एलटीसीजी पर महंगाई के सापेक्ष इंडेक्सेशन का लाभ लेने के बाद शेष बची राशि पर 20 फीसदी दर से टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा, तीन फीसदी उपकर भी लगेगा। मुनाफे की गणना संपत्ति खरीदने में खर्च राशि और उसके मरम्मत खर्च को घटाकर की जाती है।

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