Types of Heart Attack: तीन तरह का होता है हार्ट अटैक, नशा करने वाले लोगों के दिल में दिखता है ये बदलाव
Heart Attack: किसी हार्ट पेशेंट को ट्रीटमेंट देते समय डॉक्टर्स को कई बारीकियों पर ध्यान देना होता है. इन्हीं में शामिल है, इस बात पर ध्यान देना कि हार्ट अटैक किस प्रकार का है.
By: ABP Live | Updated at : 07 Dec 2022 08:45 AM (IST)
हार्ट अटैक के प्रकार
Cause Of Heart Attack: हार्ट अटैक के बारे में यह बात ज्यादातर लोग जानते हैं कि ब्लड फ्लो में किसी भी तरह की बाधा आने के कारण यदि दिल को ब्लड की सप्लाई ना हो पाए तो हार्ट अटैक आ जाता है. यह हार्ट अटैक को डिफाइन करने का सबसे आसान तरीका है, जिसे आम इंसान भी समझ सकता है. लेकिन डॉक्टर्स के लिए यह सब इतना आसान नहीं होता है. किसी हार्ट पेशेंट को ट्रीटमेंट देते समय डॉक्टर्स को कई बारीकियों पर ध्यान देना होता है. इन्हीं में शामिल है, इस बात पर ध्यान देना कि हार्ट अटैक किस प्रकार का है (Types of Heart Attack). आपका चौंकना जायज है, लेकिन यहां जानें कि हार्ट अटैक (Heart Attack) एक नहीं बल्कि तीन प्रकार का होता है.
1. एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कशन (स्टेमी): यह हार्ट अटैक का पहला प्रकार है. इसमें व्यक्ति को अटैक के समय पर छाती के बीच में दर्द होता है लेकिन यह दर्द बहुत तेज नहीं होता है. बल्कि व्यक्ति को सीने में दबाव और जकड़न महसूस होती है. कुछ लोगों में यह जकड़न और दबाव छाती से बढ़कर, बाहों, गले, जबड़े और पीठ तक पहुंच जाता है.
2. नॉन एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कनश (एनस्टेमी): हार्ट अटैक का यह दूसरा प्रकार है. इसमें हार्ट अटैक आने की वजह कोरोनेरी धमनियों में आंशिक ब्लॉकेज होता है लेकिन दर्द और जकड़न से जुड़े लक्षण स्टेमी यानी एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कशन (ST Segment Elevation Infraction) जैसे ही होते हैं.
3. अस्थिर एनजाइना या कोरोनेरी ऐंठन: यह हार्ट एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? अटैक का तीसरा प्रकार है. इसमें व्यक्ति को जान खतरा अधिक नहीं होता है लेकिन दोबारा हार्ट अटैक आने की संभावना बहुत अधिक होती है. क्योंकि इसमें हृदय की धमनियां (Heart arteries) बहुत अधिक सिंकुड़ जाती हैं, जिससे हार्ट में ब्लड फ्लो डिस्टर्ब होता है. कई बार जब कोरोनेरी धमनियों में ऐंठन अधिक भी बढ़ जाती है तो ये भी हार्ट अटैक का कारण बनती है.
News Reels
हार्ट अटैक से जुड़ी जरूरी बात
- हार्ट अटैक के बारे में एक जरूरी बात जो हम सभी को पता होनी चाहिए वो यह है कि हर व्यक्ति को हार्ट अटैक के समय सीने में तेज दर्द हो या सामान्य दर्द हो यह जरूरी नहीं है. हो सकता है कुछ लोगों को इस तरह के दर्द का बिल्कुल अनुभव ना हो और पेट दर्द, सीने पर जलन या बदहजमी जैसी समस्या हार्ट अटैक के लक्षण के रूप में नजर आए.
- तंबाकू का सेवन करने वाले या कोकेन जैसे दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में कोरोनेरी धमनी में ऐंठन आने के कारण हार्ट अटैक के केस अधिक देखने को मिलते हैं.
- हार्ट अटैक के कई मामलों में इलाज के दौरान पता चलता है कि अटैक की वजह दिल की धमनी का फटना यानी स्पोंटेनियस कोरोनेरी आर्टरी डाइसेक्शन है. ऐसी स्थितियां भी हानिकारक और प्रतिबंधित नशीली चीजों के सेवन के कारण अधिक बनती हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Published at : 07 Dec 2022 08:45 AM (IST) Tags: heart attack Health Type Of Heart Attack हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2021 में 113 देशों के बीच भारत 71वें स्थान पर
नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा (जीएफएस) सूचकांक-2021 में 113 देशों के बीच 71वां स्थान हासिल किया है. भारत कुल अंकों के लिहाज से दक्षिण एशिया में सबसे अच्छे स्थान पर रहा, लेकिन खाद्य पदार्थों की वहनीयता यानी (Affordbility) के मामले में अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? से पीछे है.
खाद्य पदार्थ वहनीयता श्रेणी में पाकिस्तान (52.6 अंक के साथ) ने भारत (50.2 अंक) से बेहतर अंक हासिल किया है.
इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट और कोर्टेवा एग्रीसाइंस द्वारा मंगलवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया कि जीएफएस इंडेक्स-2021 की इस श्रेणी में श्रीलंका 62.9 अंकों के साथ और भी बेहतर पायदान पर है.
आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फिनलैंड, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, जापान, फ्रांस और अमेरिका ने सूचकांक पर 77.8 और 80 अंक के बीच समग्र जीएफएस अंक हासिल कर शीर्ष स्थान साझा किया.
जीएफएस सूचकांक 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के शून्य भूखमरी के सतत विकास लक्ष्य की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रणालीगत खामियों और जरूरी कामों पर ध्यान दिलाता है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 113 देशों के जीएफएस सूचकांक-2021 में कुल 57.2 अंकों के साथ 71वां स्थान हासिल किया. वहीं उसके बाद पाकिस्तान (75वें स्थान), श्रीलंका (77वें स्थान), नेपाल (79वें स्थान) और बांग्लादेश (84वें स्थान) का स्थान रहा. लेकिन भारत, चीन (34वें स्थान) से काफी पीछे है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जीएफएस सूचकांक 113 देशों में खाद्य सुरक्षा के अंतर्निहित कारकों को मापता है, जो कि सामर्थ्य, उपलब्धता, गुणवत्ता, सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों और लचीलेपन के कारकों पर आधारित है.
यह आय और आर्थिक असमानता सहित 58 खाद्य सुरक्षा संकेतकों पर विचार करता है. इसका उद्देश्य 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य जीरो हंगर की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रणालीगत अंतराल और कार्यों पर ध्यान आकर्षित करना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजन की उपलब्धता, गुणवत्ता और सुरक्षा के साथ-साथ खाद्य उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के मामले में भारत ने जीएफएस इंडेक्स 2021 पर पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से बेहतर स्कोर किया.
हालांकि, पिछले 10 वर्षों में समग्र खाद्य सुरक्षा स्कोर में भारत का वृद्धि लाभ पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से पीछे था.
भारत का स्कोर 2021 में केवल 2.7 अंक बढ़कर 57.2 हो गया, जो 2012 में 54.5 था. जबकि पाकिस्तान का 9 अंक बढ़ा, पाकिस्तान 2012 में 45.7 था, जो बढ़कर 2021 में 54.7 हो गया. वहीं, नेपाल के 7 अंक बढ़ा, 2012 में 46.7 अंक से 2021 में 53.7 अंक हो गया. और बांग्लादेश का 4.7 अंक बढ़ा, 2012 में 44.4 अंक से 2021 में 49.1 अंक हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का स्कोर 9.6 अंक बढ़कर 2021 में 71.3 हो गया, जो 2012 में 61.7 था.
इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट में ग्लोबल फूड सिक्योरिटी इंडेक्स की प्रमुख प्रतिमा सिंह के अनुसार, ‘इंडेक्स से एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? पता चलता है कि पिछले दस वर्षों में देशों ने खाद्य असुरक्षा को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, खाद्य प्रणाली आर्थिक, जलवायु और भू-राजनीतिक झटकों के प्रति संवेदनशील बनी एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? हुई है. भूख और कुपोषण को समाप्त करने और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्रवाई अनिवार्य है.’
अपनी वैश्विक रिपोर्ट में इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट ने कहा कि सूचकांक से पता चलता है कि इन वर्तमान और उभरती भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए खाद्य सुरक्षा में निवेश की आवश्यकता है – जलवायु के हिसाब से फसल पैदावार में नवाचार से लेकर सबसे कमजोर लोगों की सहायता के लिए कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिए.
मालूम हो कि बीते 14 अक्टूबर को जारी साल 2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 94वें स्थान से फिसलकर 101वें पायदान पर पहुंच गया है. इस मामले में वह अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है.
हालांकि, भारत सरकार ने वैश्विक भूख सूचकांक रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति को ‘अवैज्ञानिक’ बताया है. सरकार ने कहा कि इस रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगरहिल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले उचित मेहनत नहीं की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
क्या आपको ये रिपोर्ट पसंद आई? हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें.
एससी एसटी एक्ट व महिला उत्पीड़न के झूठे मुकदमों का है बोलबाला – राजस्थान पुलिस
11 जनवरी 2021 को जयपुर में राजस्थान के डीजीपी मोहनलाल राठौड़ द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई जिसमें साल 2020 के अपराधों पर बात करते हुए मोहनलाल राठौड़ ने आंकड़ों के साथ कुछ चीजें पेश की और वह इस प्रकार थी कि 2020 में राजस्थान में करीबन 7017 मुकदमें एससी एसटी एक्ट सिटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हुए जांच में पाया गया कि करीबन करीबन 42% के आसपास 3000 से ज्यादा मुकदमे फर्जी तरीके से मांगी है वह सामाजिक दुर्भावना को मध्य नजर रखते हुए बदले की भावना के मद्देनजर रखते हुए किसी व्यक्ति विशेष को बदनाम करने के मध्य नजर रखते हुए फर्जी दर्ज कराए गए इसी के साथ महिला उत्पीड़न में भी फर्जी मुकदमों का दायरा 40% से ज्यादा का रहा कहीं ना कहीं महिला उत्पीड़न हो यह sc-st एट्रोसिटी एक्ट हो यह इस बात को दर्शाता है कि किस प्रकार से जाति के नाम पर अधिकारों के नाम पर लोग कानून का दुरुपयोग करते हैं जब 21 मार्च 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने इन सभी रिपोर्ट से तंग आकर एससी एसटी एक्ट पर संशोधन तथा बिना जांच गिरफ्तारी ना करने की बात कही उसके बाद राजनीति के चाटुकार नेताओं ने केंद्र सरकार तक इस बात की शिकायत करते हुए 2 अप्रैल 2018 को आप सब साक्षी हैं कि किस प्रकार पूरे भारत को आग के हवाले कर दिया गया हिंदुस्तान के संसाधनों को तोड़ा गया थोड़ा गया और करीबन करीबन हजारों करोड रुपए का नुकसान आम जनता के टैक्स से बनी हुई संसाधनों पर किया गया उस समय भी उन तमाम अपराधियों पर जब कानूनी कार्यवाही करने हेतु मुकदमे दर्ज हुए तो राजस्थान की वर्तमान सरकार में अपनी सरकार बनते ही सारे के सारे ऐसे मुकदमों को वापस ले लिया गया इस प्रकार से किसी कानून को राजनीतिक रंग देना इस बात की ओर संकेत करता है कि गुनहगार और अपराधी को सह भी देने वाली यह सरकारें ही मुख्य रूप से देश के संसाधनों को नुकसान पहुंचाने में पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी संज्ञान लेना चाहिए कि ऐसे कौन लोग हैं जो ऐसी अव्यवस्थाओं के पक्षधर है ऐसे लोगों पर भी अंकुश लगाने का प्रयास करना चाहिए
2018 के दौर में केंद्र सरकार के करीबन 16 मंत्री जिसमें मुख्य रुप से अर्जुन राम मेघवाल रामविलास पासवान थावरचंद गहलोत रामदास अठावले तथा अन्य sc-st समुदाय से आने वाले नेताओं और मंत्रियों का एक दल प्रधानमंत्री जी से 28 मार्च 2018 को मिला तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस सुझाव को तुरंत प्रभाव से वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया और जब दबाव बनता नहीं दिखा तो 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के नाम पर पूरे हिंदुस्तान के संसाधनों को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया उसके बाद जो मुकदमे तोड़ने वाले अपराधियों पर दर्ज हुए थे उनको भी वापस लेने की पैरवी इन मंत्रियों द्वारा लगातार की गई वर्तमान की राजस्थान डीजीपी की इस रिपोर्ट से यह भाग बिल्कुल तय हो जाती है कि कहीं ना कहीं एससी एसटी एक्ट के नाम पर इस कानून का भरपूर दुरुपयोग होता आ रहा है क्योंकि मैं बता दूं कि केंद्र सरकार द्वारा इस प्रकार के मुकदमे दर्ज होने पर पीड़ित को मुआवजे के नाम पर सहायता राशि दी जाती है और उस सहायता राशि को प्राप्त करने के साथ-साथ किसी से भी किसी भी प्रकार की बदले की भावनाओं को पूरी करने के चक्कर में कोई भी व्यक्ति किसी पर भी एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करवा कर प्रताड़ित कर सकता है और यह जो 40% झूठे मामले हैं यह कहीं ना कहीं उसी संदर्भ में है
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, जिसे एससी / एसटी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, को भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ हाशिए के समुदायों की रक्षा के लिए लागू किया गया था।
कानून में विभिन्न अपराधों या व्यवहारों से संबंधित अपराधों को सूचीबद्ध किया गया है जो आपराधिक अपराधों को दर्शाता है और अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के आत्म-सम्मान और सम्मान को तोड़ता है, जिसमें आर्थिक, लोकतांत्रिक, और सामाजिक अधिकारों, भेदभाव, शोषण और दुर्व्यवहार से इनकार शामिल है। कानूनी प्रक्रिया।
अधिनियम की धारा 18 के तहत, अपराधियों को अग्रिम जमानत का प्रावधान उपलब्ध नहीं है। कोई भी लोक सेवक, जो जानबूझकर इस अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करता है, 6 महीने तक कारावास के साथ सजा के लिए उत्तरदायी है। एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों के रूप में “अत्याचार” के अधिक उदाहरणों को जोड़कर अधिनियम को अधिक कठोर बनाने के लिए 2015 में मूल अधिनियम में एक संशोधन जोड़ा गया था।
विवादास्पद कानून ने एससी / एसटी समुदायों द्वारा अन्य समुदायों के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करके बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के मामलों से संबंधित देश में एक बड़ी बहस को हवा दी है। इसे संज्ञान में लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 के फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के कड़े प्रावधानों को कम कर दिया था।
हालांकि, केंद्र सरकार ने SC / ST अत्याचार अधिनियम से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश को रद्द करने के लिए एक और संशोधन अधिनियम लाया। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2018 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.
Types of Heart Attack: तीन तरह का होता है हार्ट अटैक, नशा करने वाले लोगों के दिल में दिखता है ये बदलाव
Heart Attack: किसी हार्ट पेशेंट को ट्रीटमेंट देते समय डॉक्टर्स को कई बारीकियों पर ध्यान देना होता है. इन्हीं में शामिल है, इस बात पर ध्यान देना कि हार्ट अटैक किस प्रकार का है.
By: ABP Live | Updated at : 07 Dec 2022 08:45 AM (IST)
हार्ट अटैक के प्रकार
Cause Of Heart Attack: हार्ट अटैक के बारे में यह बात ज्यादातर लोग जानते हैं कि ब्लड फ्लो में किसी भी तरह की बाधा आने के कारण यदि दिल को ब्लड की सप्लाई एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? ना हो पाए तो हार्ट अटैक आ जाता है. यह हार्ट अटैक को डिफाइन करने का सबसे आसान तरीका है, जिसे आम इंसान भी समझ सकता है. लेकिन डॉक्टर्स के लिए यह सब इतना आसान नहीं होता है. किसी हार्ट पेशेंट को ट्रीटमेंट देते समय डॉक्टर्स को कई बारीकियों पर ध्यान देना होता है. इन्हीं में शामिल है, इस बात पर ध्यान देना कि हार्ट अटैक किस प्रकार का है (Types of Heart Attack). आपका चौंकना जायज है, लेकिन यहां जानें कि हार्ट अटैक (Heart Attack) एक नहीं बल्कि तीन प्रकार का होता है.
1. एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कशन (स्टेमी): यह हार्ट अटैक का पहला प्रकार है. इसमें व्यक्ति को अटैक के समय पर छाती के बीच में दर्द होता है लेकिन यह दर्द बहुत तेज नहीं होता है. बल्कि व्यक्ति को सीने में दबाव और जकड़न महसूस होती है. कुछ लोगों में यह जकड़न और दबाव छाती से बढ़कर, बाहों, गले, जबड़े और पीठ तक पहुंच जाता है.
2. नॉन एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कनश (एनस्टेमी): हार्ट अटैक का यह दूसरा प्रकार है. इसमें हार्ट अटैक आने की वजह कोरोनेरी धमनियों में आंशिक ब्लॉकेज होता है लेकिन दर्द और जकड़न से जुड़े लक्षण स्टेमी यानी एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कशन (ST Segment Elevation Infraction) जैसे ही होते हैं.
3. अस्थिर एनजाइना या कोरोनेरी ऐंठन: यह हार्ट अटैक का तीसरा प्रकार है. इसमें व्यक्ति को जान एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है? खतरा अधिक नहीं होता है लेकिन दोबारा हार्ट अटैक आने की संभावना बहुत अधिक होती है. क्योंकि इसमें हृदय की धमनियां (Heart arteries) बहुत अधिक सिंकुड़ जाती हैं, जिससे हार्ट में ब्लड फ्लो डिस्टर्ब होता है. कई बार जब कोरोनेरी धमनियों में ऐंठन अधिक भी बढ़ जाती है तो ये भी हार्ट अटैक का कारण बनती है.
News Reels
हार्ट अटैक से जुड़ी जरूरी बात
- हार्ट अटैक के बारे में एक जरूरी बात जो हम सभी को पता होनी चाहिए वो यह है कि हर व्यक्ति को हार्ट अटैक के समय सीने में तेज दर्द हो या सामान्य दर्द हो यह जरूरी नहीं है. हो सकता है कुछ लोगों को इस तरह के दर्द का बिल्कुल अनुभव ना हो और पेट दर्द, सीने पर जलन या बदहजमी जैसी समस्या हार्ट अटैक के लक्षण के रूप में नजर आए.
- तंबाकू का सेवन करने वाले या कोकेन जैसे दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में कोरोनेरी धमनी में ऐंठन आने के कारण हार्ट अटैक के केस अधिक देखने को मिलते हैं.
- हार्ट अटैक के कई मामलों में इलाज के दौरान पता चलता है कि अटैक की वजह दिल की धमनी का फटना यानी स्पोंटेनियस कोरोनेरी आर्टरी डाइसेक्शन है. ऐसी स्थितियां भी हानिकारक और प्रतिबंधित नशीली चीजों के सेवन के कारण अधिक बनती हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Published at : 07 Dec 2022 08:45 AM (IST) Tags: heart attack Health Type Of Heart Attack हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
विशिष्ट सेवा पॉलिसी – (एसआरसी)
जहाँ भारतीय वंत्र्पनियों ने विदेशी प्रधानों को तकनीकी तथा व्यावसायिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए संविदा संपन्न की है, संविदा के अंतर्गत देय भुगतानों के लिए भी आपूर्ति संविदा की तरह जोखिम बने रहते हैं। ऐसे निर्यातकों की सेवाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए ईसीजीसी ने सेवा पॉलिसी शुरु की है ;
विभिन्न प्रकार की सेवा पॉलिसियाँ क्याक हैं तथा वे किस प्रकार रक्षा प्रदान करती हैं ?
- विशिष्ट सेवा संविदा (व्यापक जोखिम) पॉलिसी
- विशिष्ट सेवा संविदा (राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी
- संपूर्ण पण्यावर्त सेवा (व्यापक जोखिम) पॉलिसी तथा
- संपूर्ण पण्यावर्त सेवा (राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी
विशिष्ट सेवा पॉलिसी अपने नाम के अनुसार, एक विशिष्ट संविदा को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती है। यह उन संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती है जिनका मूल्य बहुत अधिक होता है तथा इसकी अवधि भी अपेक्षावृत्र्त लंबी होती है। संपूर्ण पण्यावर्त पॉलिसी उन निर्यातकों के लिए उचित है जो प्रधानों के समूह को निर्यातों की पुनरावृत्ति आधार पर सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा जहाँ पर प्रत्येक सेवा संविदा की अवधि अपेक्षावृत्र्त कम होती है। ऐसी पॉलिसियाँ उन सभी संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती हैं, जो अगले 24 महीनें की अवधि के दौरान निर्यातक द्वारा समाप्त की जानी है।
निगम की यह अपेक्षा होती है कि सेवाओं के लिए भुगतान की शर्तें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इस व्यवस्था के लिए प्रचलित प्रथाओं के अनुसार हों। सामान्यतया संविदा, पर्याप्त अग्रिम भुगतानों पर ही प्रदान की जाती है तथा शेष का भुगतान, कार्य की प्रगति के अनुसार समय-समय पर देय होगा। भुगतान को साख-पत्र अथवा बैंक गारंटी के रूप में संतोषजनक प्रतिभूति का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
वा पॉलिसी उन संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है जिसके अंतर्गत वेत्र्वल सेवाएँ प्रदान की जानी हैं । जिन संविदाओं के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सेवाओं का मूल्य संविदा का वेत्र्वल एक छोटासा हिस्सा मात्र है तथा जिनमें मशीनरी तथा उपकरणों का समावेश होता है को आपूर्ति संविदा की उचित विशिष्ट पॉलिसी के अंतर्गत संरक्षित किया जाएगा ।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 135