Charlie Munger को इस खास वजह से बहुत पसंद करते हैं Nithin kamath, Twitter पर शेयर की यह जानकारी
Nithin Kamath ने मुंगेर के कुछ लोकप्रिय Quotes की लिस्ट शेयर की है। ये कोट्स हर इनवेस्टर्स के लिए बहुत काम के हैं
अमेरिकी बिलियनेयर इनवेस्टर और Berkshire Hathaway के वाइस-चेयरमैन Charlie Munger (चार्ली मुंगेर) को शेयरों में निवेश करने वाला करीब हर आदमी जानता है। मुंगेर Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामत के सबसे पसंदीदा बिजनेसमेन में से एक हैं। जेरोधा के सीईओ को मुंगेर की Brutal honesty बहुत आकर्षित करती है। कामत ने इस बारे में Twitter पर बताया है। दरअसल, उन्होंने मुंगेर के कुछ लोकप्रिय Quotes की लिस्ट शेयर की है। ये कोट्स हर इनवेस्टर्स के लिए बहुत काम के हैं। कामत ने अपने ट्वीट में कहा है कि अपनी ब्रुटल ऑनेस्टी के लिए मुंगेर हमारे पसंदीदा कारोबारियों में से एक हैं। मुझे उनके कुछ बेहतर कोट्स किसी ने भेजे हैं। में उन्हें शेयर कर रहा हूं। यह उन लोगों के लिए बहुत अहम हैं, जो इनवेस्ट करते हैं और बिजनेस खड़ी करना चाहते हैं। मुंगेर अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर हैं। हाल में उन्होंने ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में Tesla की उपलब्धियों को छोटा चमत्कार (Minor Miracle) बताया था।
मुंगेर ने सीएनबीसी से कहा था, "टेस्ला ने जो मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए किया है, उससे मैं हैरान हूं। मैं टेस्ला की तुलना बिटकॉइन से नहीं कर रहा हूं। टेस्ला ने इस सभ्यता में थोड़ा वास्तविक योगदान किया है। Elon Musk ने कुछ अच्छी चीजें की हैं, जो दूसरे नहीं कर सकते।"
बड़े पैमाने पर मंदी से टेक छंटनी 2023 की शुरुआत में और खराब होने वाली है
ग्लोबल आउटप्लेसमेंट एंड करियर ट्रांजिशनिंग फर्म कॉलेंजर, ग्रे एंड क्रिसमस के आंकड़ों के अनुसार, 2008 में टेक कंपनियों ने लगभग 65,000 कर्मचारियों को निकाल दिया था और 2009 में समान संख्या में श्रमिकों ने अपनी आजीविका खो दी थी।
तुलनात्मक रूप से, 965 तकनीकी कंपनियों ने इस वर्ष वैश्विक स्तर पर 150,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की, जो 2008-2009 के महान मंदी के स्तर को पार कर गया।
मेटा, अमेज़ॅन, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट, सेल्सफोर्स और अन्य जैसी कंपनियों के नेतृत्व में, वैश्विक मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों के बीच अगले साल की शुरुआत में टेक छंटनी की स्थिति खराब होने वाली है।
मार्केट वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, छंटनी टेक फर्मों द्वारा 2023 और उसके बाद व्यवहार्यता बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
टेक छंटनी के एक क्राउडसोर्स्ड डेटाबेस, layoffs.fyi के डेटा से पता चलता है कि 1504 तकनीकी कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से 2,47,567 कर्मचारियों को बर्खास्त किया है, लेकिन 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है और 2023 की शुरुआत भी गंभीर हो सकती है।
नवंबर के मध्य तक, मेटा, ट्विटर, सेल्सफोर्स, नेटफ्लिक्स, सिस्को, आरोकू और अन्य जैसी कंपनियों के नेतृत्व में अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में 73,000 से अधिक कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती की गई है।
भारत में भी 17,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
अमेज़ॅन और पीसी और प्रिंटर प्रमुख एचपी इंक जैसी बड़ी टेक कंपनियां वैश्विक छंटनी के मौसम में शामिल हो गई हैं, और क्रमश: 20,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने के लिए तैयार हैं और आने वाले दिनों में 6,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की जा सकती है ।
नेटवर्किंग की दिग्गज कंपनी मेटा ने वैश्विक स्तर पर लगभग 4,000 नौकरियों में कटौती शुरू कर दी है।
Google कथित तौर पर अगले साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर छंटनी के लिए तैयारी कर रहा है और अल्फाबेट और Google के सीईओ सुंदर पिचाई ने चिंतित Google कर्मचारियों को कोई आश्वासन नहीं दिया है कि ऐसा नहीं होगा।
कर्मचारियों के साथ एक कंपनीव्यापी बैठक में, पिचाई ने कहा "भविष्य की भविष्यवाणी करना वास्तव में कठिन है, इसलिए दुर्भाग्य से, मैं ईमानदारी से यहां बैठकर भविष्योन्मुखी प्रतिबद्धता नहीं बना सकता"।
उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि कंपनी "महत्वपूर्ण निर्णय लेने, अनुशासित होने, जहां हम कर सकते हैं उसे प्राथमिकता देने, जहां हम कर सकते हैं, उसे तर्कसंगत बनाने के लिए कठिन प्रयास कर रही है, ताकि हम आगे की परवाह किए बिना तूफान को बेहतर तरीके से तैयार कर सकें।"
पिचाई ने कहा, "मुझे लगता है कि हमें इसी पर ध्यान देना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए।"
खाद्य सुरक्षा बिल नहीं विकास चाहिए
गरीबी भयावह चीज है। जीवन की बुनियादी जरूरतें भी पूरी न कर पाना कितना खेदजनक है। ऐसी ज्यादा चीजें नहीं हैं जो मानवता को इतना नीचा देखने पर मजबूर करें। भारत उनमें शामिल है जिन्हें गरीबी की जन्नत कहा जा सकता है। हम चाहे तो 1947 के पहले की हमारी सारी गलतियों के लिए अंग्रेजों को दोष दे सकते हैं, लेकिन उन्हें गए भी 67 साल गुजर चुके हैं। हम अब भी दुनिया के सबसे गरीब देशों में से हैं। एशिया में चालीस के दशक में हमारी जितनी ही गरीबी के साथ शुरुआत करने वाले देशों ने कितनी तरक्की कर ली है।
उनमें से कुछ ने तो नाटकीय प्रगति की है। गरीबी का जारी रहना खासतौर पर इसलिए आश्चर्यजनक है, क्योंकि गरीबों की नुमाइंदगी का दावा करने वाले बहुत सारे स्मार्ट और ताकतवर लोग हैं। राजनेता, बुद्धिजीवी, गरीबी संबंधी विशेषज्ञ अर्थशास्त्री, एनजीओ. गरीबों की सहायता की कोशिश में लगे इतने लोग हैं कि यह सोचकर ही सिर चकरा जाता है कि आखिर हम गरीबी से पिंड क्यों नहीं छुड़ा पा रहे हैं। सार्वजनिक बहसों में वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले बुद्धिजीवी ही हावी रहते हैं। ये बुद्धिजीवी धरती पर गरीबों के सबसे हिमायती लोगों में से हैं। और फिर भी ऐसा लगता नहीं कि वे कोई हल निकाल पा रहे हैं।
और वे निकाल पाएंगे भी नहीं। क्योंकि वे भले ही गरीब और उनकी समस्याओं के विशेषज्ञ हों, वे एक ऐसी चीज के बारे में ज्यादा नहीं जानते जिससे अंतत: गरीबी खत्म की जा सकती है। वह चीज है पैसा। हो सकता है आप को लगे कि यहां समस्या को बहुत सरल बनाकर पेश किया जा रहा है। यह हैरानी की ही बात है कि हमारे शीर्ष विचारक और बहसों में हावी रहने वालेे संपत्ति को बढ़ाने, वास्तविक आर्थिक अधिकारिता और उत्पादकता के बारे में कितना कम जानते हैं। यदि जानते होते तो वे सबसे बेहूदा योजनाओं से एक- खाद्य सुरक्षा बिल को हमारे जादूगर राजनेताओं की टोपी से बाहर नहीं आने देते।
बिल ऐसा है कि इसके विरोध में लिखना कठिन है। रंग-ढंग से वामपंथी लगभग कम्युनिस्ट बुद्धिजीवी माफिया आपको मार ही डालेगा। विषय संवेदनशील है। आप तर्क दे सकते हैं कि यदि योजना पर अमल हुआ तो हम पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को और बर्बाद कर देंगे। जरा ऐसे तर्क देकर देखिए। जवाब मिलेगा- 'कम से कम एक गरीब माता अपने बच्चे को भरपेट भोजन के बाद रात को शांति से सोते हुए तो देखेगी।Ó जरा इस मुद्दे पर बहस करके मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए तो देखिए! आपको चाहे देश की आर्थिक बर्बादी नजर आ रही हो, लेकिन आकड़ों से भरा आपका पे्रजेंटेशन, गांव में कुपोषित भूखे बच्चे के फोटो से कैसे मुकाबला कर सकता है। मुझे लगता है कि जब मुकाबले में कोई यह सवाल उछाल देता है, 'आप गरीबों की मदद नहीं करना चाहते न!Ó तो सारा अर्थशास्त्र, बुनियादी गणित, कॉमनसेन्स, तार्किकता और व्यावहारिकता धरी रह जाती है।
कहा जाएगा कोई गरीबों की मदद नहीं करना चाहता। इससे बदतर यह होगा कि आपको गरीब विरोधी करार देने के बाद आपको बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हिमायती घोषित कर दिया जाए। आप अपने मुद्दे पर और डटे रहें तो आपको दक्षिणपंथी करार दे दिया जाएगा। ऐसा पूंजीवादी जिस पर एफडीआई का भूत सवार है। हो सकता है सांप्रदायिक होने का दाग भी लगा दिया जाए। तो ऐसे भारत में आपका स्वागत है जहां कोई तर्क के आधार पर बहस नहीं करता। हम भावनाओं और नैतिक श्रेष्ठता के आधार पर बहस करते हैं। तर्क रखने की बजाय हम विरोधी पर हमला बोल देते हैं। तो साहब, किसी भी समझदार व्यक्ति की तरह इस बिल पर मेरा अधिकृत बयान यही है: लाओ भाई, खाद्य सुरक्षा बिल लाओ।
सिर्फ दो-तिहाई आबादी को ही क्यों पूरे भारत को ही मुफ्त अनाज की इस योजना के दायरे में मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए लाया जाए। फिर सब्जियां और फल भी क्यों नहीं दिए जाएं? और क्या गरीब बच्चे ताजा दूध के हकदार नहीं हैं? हमें वह भी मुहैया कराना चाहिए। प्रत्येक भारतीय परिवार को अनाज, फल, सब्जियां, दूध और स्वाथ्यवद्र्धक संतुलित भोजन के लिए जो भी लगता है वह मिलना चाहिए। यह मुफ्त होना चाहिए। यदि बहस में सबसे भला इरादा रखने वाले की ही जीत होने वाली हो तो मैं यह सुनिश्चित करना चाहूंगा कि मैं ही वह आदमी माना जाऊं। क्या अब मैं भला आदमी नहीं हूं?
जब मेरे दिमाग में उत्तेजित करने वाले ऐेसे सवाल उठते हैं कि कौन इसका भुगतान करेगा या इतना अनाज कैसे मुहैया कराया जाएगा या पहले से ही कर्ज में डूबी सरकार की हालत इसके बाद क्या होगी तो मैं अपने दिमाग को चुप रहने के लिए कहता हूं। मैं अगले कुछ वर्षों में ही लगने वाले लाखों करोड़ों रुपए के लंबे-चौड़े आकड़ों को भी नजरअंदाज कर देता हूं। इस पैसे का उपयोग ग्रामीण शिक्षा, सिंचाई या सड़कों के जाल के रूपांतरण में किया जा सकता है। इससे गरीबों को रोजगार मिलेगा और वे समृद्ध होंगे। ऐसे विचार जब मुझे आएंगे तो मैं दिल से नहीं दिमाग से सोचने के लिए खुद को कोसने लगूंगा।
गरीबी हटाना जरूरी नहीं है। महत्वपूर्ण है यह जताना कि कौन गरीबों की परवाह ज्यादा करता है। वित्तीय घाटा बढ़ जाए, रेटिंग एजेंसियां बाजार में हमारी साख कम कर दें, विदेशी निवेशक हमारे यहां निवेश करना बंद कर दें तो क्या? हमें उनकी जरूरत नहीं है। वे सब तो वैसे भी हमारे दुश्मन हैं। सरकार कभी भी उत्पादक चीजों पर खर्च नहींं करेगी। हम विदेशियों को डराकर भगा देंगे। हमारे यहां कभी बेहतर आधारभूत ढांचा, स्कूल व अस्पताल नहीं होंगे। तो क्या हुआ? हम गरीबों की परवाह तो करते हैं।
हम तब तक गरीबों की परवाह करते रहेंगे जब तक कि पूरा पैसा खत्म नहीं हो जाता। देश दिवालिया हो जाएगा। रोजगार नहीं होगा और अधिक लोग गरीब हो जाएंगे। पर क्या यह अच्छी बात नहीं होगी? इससे हमें और अधिक गरीबों का ख्याल रखने का मौका मिलेगा। तो मेरा खाद्य, सब्जी, और दूध सुरक्षा बिल लाइए। क्या कुछ छूट रहा है? अरे हां, सूखे मेवे। तो कुछ सूखे मेवे सारे भारतीयों के लिए प्लीज!
क्या भारत में वाइन का वक्त आ गया है?
सबसे बड़ी भारतीय वाइन कंपनी सुला का आईपीओ तैयार है. कंपनी को लगता है कि अब भारत में वाइन की लोकप्रियता में उछाल आने वाला है. क्या वाकई ऐसा है?
भारत की सबसे बड़ी वाइन निर्माता कंपनी सुला विनयर्ड्स अब शेयर बाजार का रुख कर रही है. भारतीय मध्य वर्ग में वाइन की बढ़ती लोकप्रियता के दम पर कंपनी उम्मीद कर रही है कि शेयर बाजार में उसका जोरदार स्वागत होगा और वह बड़ी रकम जुटाने में कामयाब होगी.
भारत में शराब पीने वालों को आमतौर पर हार्ड लिकर यानी ऐसी शराब का चहेता माना जाता है जिसमें अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है, मसलन, व्हिस्की या रम या इसी तरह के दूसरे ड्रिंक. इस बाजार में वाइन का हिस्सा सिर्फ एक फीसदी है. 1.4 अरब लोगों के देश में औसतन साल में कुछ चम्मच वाइन ही पी जाती है.
हालांकि उत्पादकों को उम्मीद है कि जैसे 1980 के दशक में वाइन की लोकप्रियता में उछाल आया था, वैसा ही भारत में भी होगा. वैसे, विशेषज्ञों का कहना है कि इस उम्मीद को ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ने देना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता कभी भी पानी फेर सकती है. इसके अलावा, भारत विदेशों से वाइन आयात भी कर रहा है, जिसका असर स्थानीय उत्पादकों पर होगा. मसलन, हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से जो व्यापार समझौता हुआ है, उसके तहत वहां की वाइन पर टैक्स घटा दिया गया है और वे सस्ते में अपने उत्पाद भारत में बेच पायेंगे.
‘वाइन का समय आ गया है'
फिर भी, सुला विनयर्ड्स के संस्थापक और सीईओ राजीव सामंत को लगता है कि "वाइन का समय आ गया है.” अमेरिका की स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र रहे सामंत जब कैलिफॉर्निया से लौटे थे तो शुरुआत में उन्होंने नासिक में अपनी पारिवारिक जमीन पर गुलाब और आम उगाने शुरू किए थे.
वह बताते हैं, "आज जहां सुला है, वहां सिर्फ घास के मैदान हुआ करते थे. यह तेंदुओं और सांपों का घर था. ना बिजली थी, ना टेलीफोन लाइन. ऐसा लगता था कि वहां पिछली सदी चल रही है. मुझे यहां कुछ खूबसूरती नजर आई. उस जगह में कुछ तो था जो मुझे पसंद आ गया था.”
भारत दुनिया के सबसे बड़े अंगूर उत्पादकों में से एक है. नासिक उन खास इलाकों में हैं, जहां के अंगूर अच्छे माने जाते हैं. लेकिन पहले ये अंगूर खाने के मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए लिए ही प्रयोग होते रहे.
सामंत को कैलिफॉर्निया की नेपा घाटी में अंगूरों की खेती देखकर प्रेरणा मिली थी, कि ऐसा ही कुछ भारत में किया जाए. वह कहते हैं, "क्यों ना एक अच्छी पीने लायक वाइन भारत में ही तैयार की जाए, जिस पर भारत में बनने का तमगा भी हो. मैंने वही करने का फैसला किया.”
सुला वाइन भारत की सबसे बड़ी वाइन कंपनी हैतस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए Images
सामंत ने अपनी कंपनी को अपनी मां सुलभा के नाम पर सुला नाम दिया. अंगूर की पहली बेल 1996 में रोपी गई थी. बाद में वहां एक रिजॉर्ट भी बनाया गया जिसका मकसद नासिक को भारत की वाइन-कैपिटल के रूप में मशहूर करना था.
अब 26 साल बाद सुला शेयर बाजार में जाने को तैयार है और अगले हफ्ते उसका आईपीओ खुल रहा है. बुधवार को कंपनी ने बताया कि एक तिहाई हिस्सा बेचा जा रहा है जिसकी कीमत 35 करोड़ डॉलर यानी 29 अरब रुपये आंकी गई है. कंपनी को करीब 10 अरब रुपये जुटाने की उम्मीद है.
भारतीय वाइन की चुनौतियां
मुंबई स्थित अजीब बालगी ने ‘द हैपी सिंह' नाम से एक कंपनी बनाई है और वह शराब के व्यापारियों को सलाह देते हैं. वह बताते हैं कि क्वॉलिटी के मामले में भारत की महंगी वाइन दुनिया की अच्छी वाइन से मुकाबला करने लगी है, जबकि उसका अंदाज भारतीय बना हुआ है.
बालगी कहते हैं, "वे ऑस्ट्रेलियन या फ्रेंच वाइन जैसा स्वाद तो नहीं देतीं. भारत भूमध्य रेखा के ज्यादा करीब है इसलिए हमारे अंगूर ज्यादा पके होते हैं.” उनके मुताबिक जो लोग वाइन पीने की शुरुआत कर रहे हैं वे मिठास की ओर आकर्षित होते हैं इसलिए उन्हें मिली जुली वाइन ज्यादा अच्छी मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए लगती है. बहुत से लोग सांगरिया से शुरुआत करते हैं.
1995 में भारत में वाइन का उपभोग लगभग ना के बराबर था जो अब बढ़कर इस स्तर पर पहुंच गया है कि इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ वाइन एंड वाइन (IOVV) के अनुसार पिछले साल दो करोड़ लीटर वाइन पी गई. महिलाओं के सार्वजनिक रूप से शराब पीने को मान्यता मिलने से यह चलन और बढ़ा है.
मुंबई स्थित उद्योगपति परिमल नायक वाइन के चाहने वालों में से हैं. अपना 44वां जन्मदिन मनाने के लिए वह अपने परिवार के साथ सुला विनयर्ड्स गए थे. वह कहते हैं, "सुला वाइन में बहुत सुधार हुआ है. यहां माहौल भी अच्छा है. मुझे इस पर गर्व है.”
हालांकि बालगी कहते हैं कि वाइन के विस्तार की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है कीमत. वाइन पर भी अमूमन उतना ही टैक्स लगता है जितना अन्य शराबों पर, जबकि इसमें अल्कोहल की मात्रा बहुत कम होती है. वह कहते हैं, "भारतीय वाइन की एक बोतल की कीमत लगभग उतनी ही है जितनी रम या व्हिस्की की है. भारत में ज्यादा वाइन नहीं बिकती क्योंकि ज्यादातर लोग इसे खरीद ही नहीं पा रहे हैं.”
उचित उत्पाद पैकेजिंग के साथ ईकामर्स की बिक्री 18% बढ़ाएँ
क्या आपको सिर्फ एक उत्पाद पसंद नहीं है जो एक फैंसी बॉक्स में आता है या जीवंत रंगों में कवर किया गया है? अच्छा तो अपने ग्राहकों को करते हैं। उत्पाद पैकेजिंग अपने ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने और ब्रांड रिकॉल में सुधार करके बिक्री बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो, आइए जानें कि उत्पाद की पैकेजिंग के साथ बिक्री कैसे बढ़ाई जाए।
उदाहरण के लिए, यदि आप फ्लिपकार्ट को देखते हैं, तो चमकदार नीली पैकेजिंग तुरंत आपकी आंख को पकड़ लेती है और बिना लेबल पढ़े भी आपको पता चल जाता है कि यह आपकी पसंदीदा वेबसाइट है, जो आपके बहुप्रतीक्षित पैकेज को वितरित कर रही है। वही अमेज़न के लिए चला जाता है। पैकेजिंग को ग्राहक के दिमाग पर इतनी दृढ़ता से अंकित किया जाता है, कि वे इसे अवचेतन रूप से पहचान लेते हैं।
क्यों उत्पाद पैकेजिंग पर ध्यान दें?
आश्चर्य है कि आपको उत्पाद पैकेजिंग पर ध्यान देना क्यों शुरू करना चाहिए? मुझे आपको कुछ कारण बताए:
1) ब्रांड रिकॉल
आपका पैकेज इतना अच्छा होना चाहिए कि मिनट ग्राहकों को देखें, उन्हें आपके ब्रांड को पहचानने में सक्षम होना चाहिए। उदाहरण के लिए वीरांगना पीले रंग में लिखा 'अमेजन' वाला ब्लैक बॉक्स एक ऐसी चीज है जिसे आप जरूर पहचानेंगे।
2) ग्राहक प्रतिधारण
एक व्यवसाय के स्वामी होने के नाते, आप जानते हैं कि क्लाइंट को लॉक करना कितना मुश्किल है। आपको उन्हें लगातार राजी करना होगा, विज्ञापन देना होगा, बाजार बनाना होगा, जब तक आप अंत में उसे / उसे अपना उत्पाद खरीदने के लिए मना नहीं सकते। लेकिन, अच्छी पैकेजिंग के साथ, यह प्रयास निश्चित रूप से कम हो जाता है। और पैकेजिंग से हमारा तात्पर्य सिर्फ कल्पना करना नहीं है बल्कि मजबूत भी है पैकेजिंग आपके ग्राहक को बनाए रखने में सक्षम है और आपको बहुत सारा पैसा बचाता है।
3) ब्रांड निष्ठा बनाए रखने में मदद करता है
उन्हें अच्छी पैकेजिंग दें और वे कभी नहीं छोड़ रहे हैं। ग्राहकों को एक अच्छा वितरण अनुभव के लिए suckers हैं। उत्पाद की उपस्थिति उन्हें तुरंत आबंटित करती है, यही कारण है कि भारतीय ईकामर्स स्टोर , खुशी से अविवाहित अपने सभी उत्पादों को एक भूरे रंग के बॉक्स में अपने ब्रांड डिजाइन के साथ पैकेज करता है।
4) रूपांतरण दरों में सुधार करता है
यदि आपको लगता है कि आपके उत्पाद बेहतर होने के बावजूद आपके प्रतियोगी आपसे आगे निकल रहे हैं, तो पैकेजिंग बदलने पर विचार करें। अध्ययनों से पता चलता है कि 38% ग्राहक अंतिम ऑर्डर किए गए उत्पाद की पैकेजिंग के आधार पर आपके साथ फिर से खरीदारी करेंगे। व्यर्थ के विज्ञापन प्रयासों पर पैसा खर्च करने के बजाय, अपने भेजे गए उत्पाद के रूप को बदलने पर विचार करें और आपको अंतर दिखाई देगा।
5) ब्रांड पहचान को लागू करता है
आपके उत्पाद को आपके ब्रांड की विशेषताओं को चित्रित करना चाहिए। बस पैकेजिंग को देखकर, ग्राहकों को यह बताने में सक्षम होना चाहिए कि यह आपका ब्रांड है। चुम्बक नामक भारतीय ईकामर्स स्टोर इसके लिए एक आदर्श उदाहरण है। यह ब्रांड एक लाइनर quirky के साथ उत्पाद बनाता है। इस ब्रांड की पैकेजिंग पूरी तरह से बाहर है, जिससे ब्रांड को अपने प्रतिस्पर्धियों से पहचानना और अंतर करना आसान हो जाता है।
6) पैकेज आवेषण - सर्वश्रेष्ठ प्रचार उपकरण
पैकेज आवेषण उत्कृष्ट ग्राहक सेवा की कुंजी है। यह कुछ ऐसा है जो अधिकांश ब्रांडों द्वारा किसी का ध्यान नहीं जाता है। पैकेज आवेषण हस्तलिखित नोट्स या छूट के रूप में हो सकता है। आप छोटे प्रस्तुत भी शामिल कर सकते हैं जो कि ऑर्डर किए गए उत्पाद के साथ अच्छी तरह से चलते हैं। इससे आपके ग्राहक को लगता है कि आप वास्तव में उनकी परवाह करते हैं और इस तरह ब्रांड की वफादारी को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। 20 कपड़े, एक भारतीय ईकामर्स रिटेल स्टोर, हमेशा अपने ग्राहकों के लिए छोटे उपहारों के साथ हस्तलिखित नोट्स भेजता है! यह एक तकनीक है जो कभी भी विफल नहीं होगी!
प्रभावी उत्पाद पैकेजिंग के लिए युक्तियाँ
यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको प्रभावी रहते हुए ध्यान में रखने चाहिए उत्पाद पैकेजिंग
हमेशा रंगों, फ़ॉन्ट, लोगो और डिज़ाइन के अनुरूप होना चाहिए। ब्रांड पहचान और ब्रांड रिकॉल के लिए पैकेजिंग महत्वपूर्ण है, इसलिए यदि आप पैकेज को अपने ग्राहकों और क्षमता को बदलते रहते हैं ग्राहकों भ्रमित हो जाएगा और अपने उत्पाद को याद रखने में कभी सक्षम नहीं होगा।
अपने सामान की सुविधापूर्वक पैकेजिंग करना बहुत महत्वपूर्ण है। पैकेजिंग को न केवल मजबूत होना चाहिए, बल्कि इसे एक्सेस करना भी आसान होना चाहिए। WriteyBoard एक ऑनलाइन ब्रांड है जिसने उत्पाद पैकेजिंग में पूरी तरह से क्रांति ला दी है। वे अपने उत्पादों को बॉक्स में भेजते हैं जो एक मार्कर के आकार का होता है। यह बेलनाकार बॉक्स एक व्हाइटबोर्ड पकड़ सकता है जिसे आसानी से चारों ओर ले मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए जाया जा सकता है।
3) आकर्षक रंग
अपने उत्पाद बॉक्स को ध्यान से चुनें। चमकीले रंग जैसे लाल, नीला, पीला, हरा तुरन्त ग्राहक की नज़र में आते हैं। यदि आप पारंपरिक भूरे रंग के बॉक्स के मुझे शेयर बाजार की परवाह क्यों करनी चाहिए साथ जाना चाहते हैं, तो आप स्नैपडील और जिस तरह से टेप के साथ प्रयोग कर सकते हैं फ्लिपकार्ट करते हैं.
4) स्पष्ट संचार
इस सामग्री के नाम, निर्देश, निर्माण की तारीख, समाप्ति तिथि यह सब स्पष्ट रूप से उत्पाद पर लिखा जाना चाहिए। यह आपके और ग्राहक के बीच विश्वास बनाने में मदद करता है। पारदर्शिता लंबे समय तक चलने वाले संबंधों को बनाए रखने की कुंजी है।
तो, अब आप जानते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है एक अच्छा पैकेज डिजाइन करें आपके उत्पाद के लिए। तो इन सरल उत्पाद पैकेजिंग युक्तियों का पालन करें और अपनी बिक्री को आकाश को छूते हुए देखें!
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