गृह प्रबंध में गृहिणी की भूमिका: एक विश्लेषण | Original Article Shikha Choudhary*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
संत पापाः ईश्वर हमें सभों के पास भेजते
वाटकिन सिटी, बुहस्पतिवार, 15 दिसम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने इटली के ख्रीस्तीय कार्य के के सदस्यों से मुलाकात करते हुए उनके कार्यो के लिए कृतज्ञता और प्रंशसा के भाव प्रकट किये तथा जीवन में आगे बढ़ने का संदेश दिया।
संत पापा ने युवाओं को दिये गये अपने संदेश में कहा कि येसु हमें अपने शिष्यों की भांति दुनिया में यह कहते हुए भेजते हैं, “जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ” (मत्ती.28.19)। यह निवेदन हमारे लिए येसु की ओर से हर ख्रीस्तीय के लिए आता है। उन्होंने “जाने” की क्रिया पर जोर देते हुए कहा कि कुछ लोग सोचते मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है हैं कि अच्छा ख्रीस्तीय होने का अर्थ चिंतन, मनन-ध्यान करना है, लेकिन येसु हमें जाने को कहते है क्योंकि यह हमें शिष्यों से प्रेरितों के रूप में बना दता है। “आप भी जाने को कहे जाते हैं क्योंकि ईश्वर हमारी सुस्तीपन को पसंद नहीं करते हैं। वे हमें आगे बढ़ने, राह में निकलने, तैयार रहने को कहते हैं जिससे हम अपने सही रुप में व्यक्त कर सकें।”
कहाँ मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है जायें, किसके पास जायें ॽ
संत पापा ने कहा, “लेकिन हमें कहां जाने, किसके पास जाने को कहा जाता है। सुसमाचार में येसु हमें सभों के पास भेजते हैं।” वे हम अपने में बंद रहने को नहीं कहते हैं। आज एक लड़के और लड़की के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि वे अपने को मोबाईल से चिपका हुआ पाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी आंखें दूसरों को देखने के लिए बनी हैं। वे नीचे की ओर देखने या आभासी दुनिया को अपने हाथों में पकड़े रहने के लिए नही हैं, वे स्वर्ग, ईश्वर की ओर देखने के लिए हैं, उनकी ओर देखने के लिए जो हमारे निकट रहते हैं। “हमारी आंखें खुशी को प्रसारित करने के लिए बनी हैं जिसका अनुभव हमें येसु से मिलन में करते हैं, उस मित्रता में जो हमारे जीवन को परिवर्तित करता है, जो हमें जीवन को गले लगाने और इस जीवन की सुन्दरता को खोजने में मदद करता है।
येसु का अनुसरण सुखद
संत पापा ने कहा कि येसु को अनुसरण करना कितना अच्छा है। उसके प्रेम को खोजना कितना सुन्दर है जो हममें से हर किसी के लिए उनके दिल में है। अपने को उस आनंदमय परियोजना का अंग बनाना जिसे उन्होंने हमारे लिए सुनिश्चित किया है कितना मनोहर है, उन उपहारों को अपने लिए खोजना जिन्हें वे हमारे लिए उदारता में देते हैं कितना अच्छा है। ये सारी बातें हमारे जीवन को आश्चर्य और आशा से भर देती और हमें स्वतंत्र और खुशी प्रदान करती है।
दूसरों के लिए जाना
संत पापा ने कहा, “इसके लिए हमें अपन से जाने की जरुरत है, अकेले नहीं लेकिन साथ में।” उन्होंने येसु के द्वारा दो-दो कर शिष्यों को भेजे जाने की बात पर बल देते हुए कहा कि वे हमें अकेले नहीं भेजते बल्कि दो-दो कर भेजते हैं जिससे हम उनके प्रेम का साक्ष्य दे सकें। वे हमें “एक दल” में भेजते हैं जिससे हम अपने को इस दुनिया में भाई-बहन के रुप में देख सकें, जो हमें अलग करना चाहती है, हमें विभाजित करती है, हमें एक-दूसरे के विरूध करना चाहती है। “दुनिया हमें अपने बारे में सोचने और दूसरों की चिंता नहीं करने को कहती है।” वहीं येसु हमें दूसरों की चिंता करने को कहते हैं जहाँ हम स्वयं की देख-रेख करना भी सीखते हैं। इसकी शुरूआत हमारे लिए यहाँ एक दूसरो को विरोधी के रुप में नहीं बल्कि एक दल के सदस्य, ईश्वर की संतान स्वरुप देखने से होती है, यह वह मनोभाव है जिसके द्वारा हम उदासीनता पर विजय होते हैं।
येसु का प्रेम
संत पापा ने युवाओं से कहा कि यही कारण है कि येसु हमें अपनी निगाहों से देखने को सीखलाते हैं जो पूर्वानुभव की एक दृष्टि है। हर कोई उनके लिए मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है महत्वपूर्ण है लेकिन कुछ हैं जिन्हें वे विशेष रुप से प्रेम करते हैं। उन्होंने कहा कि वे धनी और शक्तिशाली नहीं, या वे नहीं को जो चमकदार पत्रिकाओं की पृष्ठों या दूरदर्शन में आते हैं। लेकिन ये वे हैं जो सबसे छोटे, गरीब, भुला दिया गये हैं, वे जो परित्यक्त हैं जिसकी सुधि कोई नहीं लेता है। “अपनी चिंता छोड़ उनकी चिंता करना कि उन्हें क्या जरुरत है, हमारी इस दुनिया को शांतिमय और अधिक सुन्दर बनाती है।” संत पापा ने कहा कि मैं इसी बात के लिए आप सभों पर विश्वास करता हूँ, आगे जाने की आप की शक्ति और उससे भी बढ़कर शांति के लिए प्रार्थना जिसके द्वारा सबकुछ संभव हो सकता है।
डरे नहीं
“हम अपने कार्यक्षेत्र में उतरने से न डरें, आप आगे बढ़ें”, संत पापा ने युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा। येसु मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है बिना भयभीत हुए हमें सदैव आगे बढ़ने को कहते हैं क्योंकि वे हमारे साथ हैं। वे सुख और दुःख सब समय हमारे साथ रहते हैं। ख्रीस्त जंयती का त्योहार जो निकट है हमें इस बात की याद दिलाती है- ईश्वर दुनिया में मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है आते और हमें आगे बढ़ने हेतु अपनी शक्ति से भर देते हैं। इस ख्रीस्त जंयती में वे आप के साथ रहते और जीवन यात्रा में हमारे मित्र बनते हैं। वे हम कभी नहीं छोड़ते हैं। वे हमारे जीवन की घटनाओं में, जीवन के सभी उतार-चढ़ावों में हमारा साथ देने के लिए तुरंत पहल करते हैं, वे हमारी यात्रा का अर्थ खोजने में मदद करते, हर दिन की जिंदगी को अर्थपूर्ण ढ़ंग से देखने में, हमारी परीक्षा और दर्द में हमें साहस देते हैं। हमारी हर असफलता में वे हमें उठाते और हर तूफान के बीच हमारी रक्षा करने को तैयार रहते हैं। क्या ऐसे ईश्वर के साथ चलना अच्छा नहीं है, ऐसे ईश्वर जो हमारे मित्र हैं, जिस मित्र पर हम हमेशा भरोसा कर सकते हैं?
संत पापा ने युवाओं को अपने संबोधन के अंत में पुनः आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप सबों में अच्छे गुण और क्षमताएँ हैं, आप में ऐसा कोई भी नहीं जिसके पास क्षमताएँ न हो, हम इस बात को न भूलें। आप अपने गुणों का उपयोग करते हुए फलप्रद हों और आशा का साक्ष्य दें।
मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है
Year: Jul, 2021
Volume: 18 / Issue: 4
Pages: 92 - 94 (3)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/304874
Published On: Jul, 2021
Article Details
गृह प्रबंध में गृहिणी की भूमिका: एक विश्लेषण | Original Article
Shikha Choudhary*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
आर्थिक क्रिया क्या है
आर्थिक समस्या मूल रूप में साधनों की दुर्लभता के कारण होती है। दुर्लभता का अर्थ माँग की तुलना में पूर्ति का कम होना है। मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है किन्तु उसके पास इन आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। अतः सीमित साधनों से वह अपनी सभी आवश्यकताओं को सन्तुष्टि नहीं कर सकता है। अतः प्रत्येक उपभोक्ता का यह प्रयास होता है कि वह कम साधनों से अधिक से अधिक सन्तुष्टि प्राप्त कर सके। इसलिए उसे यह चयन करना पड़ता है कि किन वस्तुओं का कितनी मात्रा में उपभोग करे। चयन की समस्या ही आर्थिक समस्या को जन्म देती है। चयन की समस्या को ही आर्थिक समस्या कहते है।
जिस प्रकार व्यक्ति विशेष के पास साधन सीमित है और आवश्यकताएँ असीमित है, उसी प्रकार एक अर्थव्यस्था (देश) के पास भी साधन सीमित होते है और लक्ष्य या योजना असीमित होती है। साधनों की सीमितता के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। जैसे
1. किस वस्तु मूल्य क्रिया विश्लेषण करने का क्या अर्थ है का उत्पादन किया जाए ?
2. उत्पादन के लिए किस तकनीक को उपनाया जाए ?
3. उत्पादन किसके लिए किया जाए ?
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण
1 .असीमित मानवीय आवश्यकताएँ - मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित है और उनको पुरे करने वाले साधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए उपभोक्ता सबसे पहले तीव्र आवश्यकताओं को पुरे करने का प्रयास करता है।
2. सीमित साधन - आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य के पास सीमित मात्रा में साधन उपलब्ध होते है। जिनसे वह अपनी सभी आवश्यकताओं की पुर्ति एक साथ नहीं कर सकता।
3. साधनों के वैकल्पिक प्रयोग सम्भव होना - सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग हो सकते है। जैसे दूध का प्रयोग दही, मिठाई बनाने आदि में किया जाता है।
असीमित आवश्यकताओं, सीमित साधनों एवं साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। यही आर्थिक समस्या है.
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