जरुरी जानकारी | भारत होगा बड़ी निर्यात अर्थव्यवस्था, सौ भारतीय भाषाओं के लिए बना रहे एआई मॉडलः सुंदर पिचाई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई ने भारत को एक बड़ी निर्यात अर्थव्यवस्था बताते हुए सोमवार को कहा कि गूगल 100 से अधिक भारतीय भाषाओं के लिए एक इंटरनेट सर्च मॉडल विकसित कर रही है और यहां के महिलाओं के नेतृत्व वाली स्टार्टअप कंपनियों को 7.5 करोड़ डॉलर की मदद देगी।
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई ने भारत को एक बड़ी निर्यात अर्थव्यवस्था बताते हुए सोमवार को कहा कि गूगल 100 से अधिक भारतीय ओं के लिए एक इंटरनेट सर्च मॉडल विकसित कर रही है और यहां के महिलाओं के नेतृत्व वाली स्टार्टअप कंपनियों को 7.5 करोड़ डॉलर की मदद देगी।
भारत दौरे पर पहुंचे पिचाई ने यहां आयोजित ‘गूगल फॉर इंडिया’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गूगल भारत से कारोबार कर रहे स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि इन नई कंपनियों के लिए चिह्नित 30 करोड़ आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? डॉलर में से एक-चौथाई राशि महिलाओं की अगुवाई वाले स्टार्टअप में निवेश की जाएगी।
अपनी यात्रा के पहले दिन उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के अलावा दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ एक कार्यक्रम में शिरकत भी की।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पिचाई ने ट्वीट में कहा, ‘‘एक बेहतरीन मुलाकात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद। आपके नेतृत्व में हो रहे प्रौद्योगिकी बदलाव की तेज रफ्तार को देखना प्रेरणादायक है। अपनी सशक्त भागीदारी को जारी रखने का इंतजार और एक मुक्त, कनेक्टेड इंटरनेट आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? की दिशा में भारत की जी20 अध्यक्षता को हमारा समर्थन।’’
हालांकि, गूगल ने यह नहीं बताया कि पिचाई की इन मुलाकातों में किस मुद्दे पर चर्चा हुई। लेकिन खुद पिचाई ने अपनी यात्रा की शुरुआत में लिखे एक ब्लॉग में कहा था कि वह प्रधानमंत्री के साथ भारत के छोटे कारोबार एवं स्टार्टअप को समर्थन देने और साइबर सुरक्षा में गूगल के निवेश जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण और कृषि एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल में गूगल की पहल पर भी चर्चा होगी।
पिचाई ने ‘गूगल फॉर इंडिया’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी बड़े पैमाने पर काम कर रही है और दुनियाभर के लोगों की जिंदगी पर असर डाल रही है। ऐसे समय में जिम्मेदार एवं संतुलित नियम बनाने की मांग उठ रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके (भारत) पास जो पैमाना और प्रौद्योगिकी होगी, उसे देखते हुए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप लोगों के लिए सुरक्षा उपाय करें, संतुलन साधें। आप एक नवोन्मेषी ढांचा खड़ा कर रहे हैं ताकि कंपनियां कानूनी ढांचे में एक निश्चितता के बीच नवाचार कर सकें। भारत एक बड़ी निर्यात अर्थव्यवस्था भी होगा। उसे एक मुक्त एवं जुड़े हुए इंटरनेट से लाभ होगा और यह सही संतुलन साधना अहम होगा।’’
इसके पहले उन्होंने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘मैं 10 अरब डॉलर के अपने 10 साल के भारत डिजिटलीकरण कोष (आईडीएफ) से हुई प्रगति को देखने और नए तरीके साझा करने के लिए यहां आया हूं। हम भारत के डिजिटल भविष्य को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।’’
भारत में जन्मे और पले-बढ़े पिचाई ने कहा, ‘‘एआई पर आधारित एक एकल, एकीकृत मॉडल का विकास हमारे इसी समर्थन का हिस्सा है। यह लिखे हुए शब्दों एवं आवाज के जरिये 100 से अधिक भारतीय ओं को संचालित करने में सक्षम होगा। यह मॉडल दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली 1,000 ओं को ऑनलाइन मंच पर लाने की हमारी पहल का ही हिस्सा है।’’
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Old Pension Scheme : पुरानी पेंशन को लेकर सरकार ने कर दिया ये एलान, कर्मचारी जरूर पढ़ लें ये खबर
HR Breaking News, New Delhi : पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों के बीच तकरार की स्थिति बनी हुई है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड सरकार की तरफ से ओपीएस (OPS) की बहाली कर दी गई है. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से इसे लागू करने से पिछले दिनों साफ इंकार कर दिया गया था. इसके बावजूद भी कुछ राज्य सरकारों की तरफ से पुरानी पेंशन को लागू करने का ऐलान किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र के बयान के बाद कहा कि पुरानी पेंशन को लेकर मेरी वित्त सचिव से बात हो गई है. हमें पता है पैसा कहा से आना है?
पुरानी योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी सरकार
अब महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का पुरानी पेंशन पर बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा, 'सरकार पुरानी पेंशन योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी. अगर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाती है तो इससे 1,10,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे राज्य दिवालिया हो जाएगा. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होगी.' राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में फडणवीस ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को 2005 में बंद कर दिया गया था.
विलासराव देशमुख की तरफ सीधा इशारा
इतना नहीं नहीं फडणवीस ने सूबे के हित में पुरानी पेंशन योजना बंद करने का फैसला लेने के लिए तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार की प्रशंसा भी की. आपको बता दें उस समय विलासराव देखमुख 1 नवंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक सूबे के मुख्यमंत्री थे. माना यह जा रहा है कि उनका इशारा सीधा विलासराव देशमुख की तरफ था.
'2034 में श्रीलंका जैसी हो जाएगी हालत'
इससे पहले वित्त राज्य मंत्री भगवंत कराड और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा बयान दिया था. सुशील मोदी ने कहा था कि जो राज्य आज पुरानी पेंशन का ऐलान कर रहे हैं उन्हें आज कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन 2034 में उनकी हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी. उन्होंने यह भी कहा था कि पुनानी पेंशन लागू करके भविष्य की पीढ़ी पर बोझ डालना ‘बहुत बड़ा अपराध’ होगा.
आपको बता दें पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारी को पेंशन के रूप में अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत धन राशि दी जाती थी. महाराष्ट्र के वित्त मंत्री फडणवीस ने कहा, 'सरकार पुरानी योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी. अगर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाती है तो इससे 1,10,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे राज्य दिवालिया हो जाएगा. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होगी.'
Fact Check: 2000 रुपये के नोटों के चलन में आ रही गिरावट लेकिन एक जनवरी 2023 से इसे बंद कर 1000 के नए नोट जारी होने का दावा अफवाह
हमारी जांच से स्पष्ट है कि कुल चलन वाले नोटों में से 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी लगातार गिर रही है लेकिन यह दावा गलत और महज अफवाह है कि एक जनवरी 2023 से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि एक जनवरी 2023 से एक हजार रुपये का नोट आने वाला है और 2000 रुपये के नोट वापस कर लिए जाएंगे।
हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल हो रहा दावा गलत और बेतुका है। नोटबंदी के1000 रुपये के नोटों की जगह पर 2000 रुपये के नए नोटों को जारी किया गया था और इसके बंद किए जाने का दावा गलत है। यह सही है कि नोटबंदी के बाद जारी किए गए 2000 रुपये के नए नोटों के चलन में लगातार गिरावट आई है लेकिन सरकार की तरफ से 2000 रुपये के नोटों को बंद कर एक जनवरी 2023 से 1000 रुपये के नोटों को फिर से वापस लाए जाने की कोई योजना नहीं है।
क्या है वायरल?
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर्स ने इस वायरल वीडियो को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया वायरल मैसेज जिसमें एक जनवरी 2023 से 1000 रुपये के नए नोटों को जारी किए जाने का दावा किया गया है।
पड़ताल
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था।
नोटबंदी की घोषणा के बाद आरबीआई ने करेंसी मार्केट में 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोटों को जारी किया था, जो अभी तक प्रचलन में हैं। आरबीआई की वेबसाइट पर नोटबंदी के बाद जारी किए गए सभी नई सीरीज के नोटों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।
2016 में नोटबंदी के बाद जारी किए गए नई सीरीज के नोट (Source-RBI)
वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने आरबीआई के प्रवक्ता से संपर्क किया। 1 जनवरी से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नोटों को जारी किए जाने के दावे को उन्होंने अफवाह करार दिया।
केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ से भी इस दावे का खंडन करते हुए लोगों से इस मैसेज को फॉरवर्ड नहीं करने की अपील की गई है। पीआईबी ने बताया है कि केंद्र सरकार की तरफ से 2000 रुपये के नोटों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, 15 मार्च 2021 को लोकसभा में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि अप्रैल 2019 के बाद 2000 रुपये के एक भी नए नोट आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? की छपाई नहीं हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की 16 मार्च 2021 की रिपोर्ट
इस वजह से बाजार में 2000 रुपये के नोटों के चलन में कमी आई। मई 2022 में आरबीआई की आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि 2000 रुपये के नोटों के चलन में गिरावट आई है और इस साल मार्च के अंत तक चलन वाले कुल नोट में इसकी हिस्सेदारी घटकर मात्र 1.6 फीसदी रह गई है।
Source-RBI की सालाना रिपोर्ट (2021-22)
मई में जारी आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मार्च 2020 के अंत तक चलन वाले नोटों में 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी, जो कुल चलन वाले नोटों का 2.4 फीसदी है। यह संख्या मार्च 2021 में घटकर 245 करोड़ हो गई, जो कुल चलन वाले नोटों के मुकाबले 2 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष के अंत में इसमें और गिरावट आई और यह संख्या कम होकर 214 करोड़ हो गई, जो कुल चलन वाले नोटों के मुकाबले 1.6 फीसदी है।’
इन रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर 2000 रुपये के नए नोटों को बंद किए जाने की अटकलें लगाई जाती रही हैं। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूद संसद के शीतकालीन सत्र में बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने चरणबद्ध तरीके से 2000 रुपये के नोटों को बैकिंग तंत्र से बाहर किए जाने की मांग की थी। शून्य काल में उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि देश के अधिकांश एटीएम से 2000 रुपये के नोट गायब हैं और देश में ऐसी अफवाह है कि यह नोट जल्द ही बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना होगा, क्योंकि आरबीआई ने तीन साल पहले से ही इन नोटों की छपाई बंद कर दी है।
21 दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने संसद को जानकारी देते हुए बताया कि अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ती है तो भी दूसरी नोटबंदी की कोई योजना नहीं है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की 21 दिसंबर की रिपोर्ट
निष्कर्ष: हमारी जांच से स्पष्ट है कि कुल चलन वाले नोटों में से 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी लगातार गिर रही है, लेकिन यह दावा गलत और महज अफवाह है कि एक जनवरी 2023 से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे।
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला 2 जनवरी को | भारत की ताजा खबर
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 2 जनवरी को नोटों पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की 2016 की अधिसूचना पर लगभग तीन दर्जन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। ₹ 500 और ₹ 1000.
पीठ ने सरकार और याचिकाकर्ताओं की विस्तृत दलीलों को सुनने के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिन्होंने तर्क दिया है कि विमुद्रीकरण का फैसला मनमाना, असंवैधानिक और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के तहत निर्धारित शक्तियों और प्रक्रिया के विपरीत था।
शीर्ष अदालत, जो वर्तमान में शीतकालीन अवकाश के लिए बंद है, 2 जनवरी को फिर से खुलेगी।
उक्त निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट की मामलों की सूची में एक नोट न्यायमूर्ति बीआर गवई द्वारा खंडपीठ के लिए दिया जाएगा, जो इंगित करता है कि फैसला सर्वसम्मति से हो सकता है। बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यन और बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं।
जैसा कि पीठ ने 8 नवंबर, 2016 को प्रचलन से 86% से अधिक मुद्रा को वापस लेने के लिए बड़े पैमाने पर अभ्यास करने से पहले सरकार ने आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदान की गई उचित प्रक्रिया का पालन किया था या नहीं, इस पर दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने वित्त मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को भी निर्देश दिया। भारतीय रिजर्व बैंक निर्णय के लिए प्रासंगिक फाइलें पेश करेगा।
सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) के तहत विमुद्रीकरण किया। आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? यह प्रावधान सरकार को यह घोषित करने का अधिकार देता है कि “किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की कोई भी श्रृंखला कानूनी निविदा नहीं होगी” एक सिफारिश के बाद आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड से
आरबीआई ने 30 दिसंबर, 2016 तक अवैध मुद्रा नोटों के आदान-प्रदान की अनुमति दी, और अगले दिन एक अध्यादेश पेश किया गया, जिसने उन्हें सीमित विनिमय अवधि के बाद पुराने नोटों के कब्जे और उपयोग को दंडनीय अपराध बनाते हुए कानूनी निविदा के रूप में रोक दिया।
2016 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली तीन दर्जन याचिकाओं में ऐसे लोग हैं जो 30 दिसंबर तक उपलब्ध विंडो अवधि के भीतर अपना पैसा जमा करने में असमर्थ थे।
पांच दिवसीय मैराथन सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि विमुद्रीकरण “निर्णय लेने की सबसे खराब प्रक्रिया” थी जो “गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण थी और कानून के शासन का मजाक बनाती है।” याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह आकलन करने के लिए दस्तावेजों की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है कि क्या आरबीआई ने इतनी बड़ी मात्रा में मुद्रा की वापसी के प्रभाव पर विचार किया, जिससे इस देश के लोगों को पीड़ा, हानि और कठिनाई हुई। प्रासंगिक समय पर, ₹ बाजार में 17.97 लाख करोड़ रुपये की करेंसी चलन में थी, जिसमें से चलन से बाहर हुए नोटों की कीमत आंकी गई थी ₹ 15.44 लाख करोड़। इस का, ₹ 15.31 लाख करोड़ बैंकों में लौटाए गए।
चिदंबरम ने कहा कि 2016 की अधिसूचना द्वारा, प्रचलन में 86.4% मुद्रा को प्रचलन से बाहर कर दिया गया, जिससे नागरिकों को अत्यधिक कठिनाई हुई। उन्होंने बताया कि इसी तरह की विमुद्रीकरण कवायद दो मौकों पर – 1946 और 1978 में की गई थी, लेकिन विमुद्रीकृत मुद्रा 1946 में चलन में मुद्रा के मूल्य के हिसाब से केवल 11.5% थी और 1978 में 0.6% थी, जो कि भारी बहुमत को प्रभावित नहीं करती थी। लोग।
सरकार ने अर्थव्यवस्था को काले धन, नकली मुद्रा और आतंक के वित्तपोषण से मुक्त करने के व्यापक जनहित को प्राप्त करने के लिए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया। केंद्र ने कहा कि इस कदम से नकली नोटों पर रोक लगाने, डिजिटल लेन-देन में वृद्धि और आयकर कानून के अनुपालन को बढ़ावा मिला है। सरकार ने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था पर प्रभाव “अस्थायी” था क्योंकि वित्त वर्ष 2016-17 में वास्तविक विकास दर 8.2% और 2017-18 में 6.8% थी जो कि पूर्व-महामारी के वर्षों में 6.6% की दशकीय विकास दर से अधिक थी। .
आरबीआई ने तर्क दिया कि नागरिकों द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविक चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए थे, और एक बार ये उपाय प्रदान किए जाने के बाद, यह सुझाव देना गलत था कि आरबीआई इस अभ्यास को करने में “विचारहीन” था।
Old Pension Scheme : पुरानी पेंशन को लेकर सरकार ने कर दिया आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? ये एलान, कर्मचारी जरूर पढ़ लें ये खबर
HR Breaking News, New Delhi : पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों के बीच तकरार की स्थिति बनी हुई है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड सरकार की तरफ से ओपीएस (OPS) की बहाली कर दी गई है. लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से इसे लागू करने से पिछले दिनों साफ इंकार कर दिया गया था. इसके बावजूद भी कुछ राज्य सरकारों की तरफ से पुरानी पेंशन को लागू करने का ऐलान किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र के बयान के बाद कहा कि पुरानी पेंशन को लेकर मेरी वित्त सचिव से बात हो गई है. हमें पता है पैसा कहा से आना है?
पुरानी योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी सरकार
अब महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का पुरानी पेंशन पर बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा, 'सरकार पुरानी पेंशन योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी. अगर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाती है तो इससे 1,10,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे राज्य दिवालिया हो जाएगा. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होगी.' राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में फडणवीस ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को 2005 में बंद कर दिया गया था.
विलासराव देशमुख की तरफ सीधा इशारा
इतना नहीं नहीं फडणवीस ने सूबे के हित में पुरानी पेंशन योजना बंद करने का फैसला लेने के लिए तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार की प्रशंसा भी की. आपको बता दें उस समय विलासराव देखमुख 1 नवंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक सूबे के मुख्यमंत्री थे. माना यह जा रहा है कि उनका इशारा सीधा विलासराव देशमुख की तरफ आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? था.
'2034 में श्रीलंका जैसी हो जाएगी हालत'
इससे पहले वित्त राज्य मंत्री भगवंत कराड और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा बयान दिया था. सुशील मोदी ने कहा था कि जो राज्य आज पुरानी पेंशन का ऐलान कर रहे हैं उन्हें आज कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन 2034 में उनकी हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी. उन्होंने यह भी कहा था कि पुनानी पेंशन लागू करके भविष्य की पीढ़ी पर बोझ डालना ‘बहुत बड़ा अपराध’ होगा.
आपको बता दें पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारी को पेंशन के रूप में अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत धन राशि दी जाती थी. महाराष्ट्र के वित्त मंत्री फडणवीस ने कहा, 'सरकार पुरानी योजना के अनुसार पेंशन नहीं देगी. अगर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाती है तो इससे 1,10,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे राज्य दिवालिया हो जाएगा. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होगी.'
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