नमक तेल खरीदने के लिए भी भारत आने पर मजबूर नेपाल के लोग

श्रीलंका की तरह ही भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है. विदेशी मुद्रा के घटते भंडार की वजह से नेपाल ने कई चीजों के आयात पर रोक लगा दी है. जिसे लोग रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदने भारत आ रहे हैं.

पिछले एक महीने से नेपाल में विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? यहां दवा, सरसों तेल समेत रोजमर्रा के वस्तुओं की कीमत रोजाना बढ़ रही है. इसी बीच नेपाल सरकार ने बीते अप्रैल महीने के आखिरी हफ्ते में खाने-पीने की कुछ वस्तुओं समेत दस प्रकार के सामानों के आयात पर अगले दो महीने तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद भारत से कारोबार में करीब 26 प्रतिशत की कमी का अनुमान है. ऐसा समझा जाता है कि नेपाल सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी को देखते हुए यह फैसला लिया है.

जानकार बताते हैं कि आयात पर अंकुश लगाकर नेपाल इसकी कवायद पहले से कर रहा था. फिलहाल, नेपाल ने दस सामानों पर प्रतिबंध लगाया है, जिनमें कुरकुरे व इसी तरह के पैक्ड फूड प्रोडक्ट्स, 32 इंच से बड़े टेलीविजन सेट, सभी प्रकार की विदेशी शराब, विदेशी सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला, जीप-कार व वैन, 250 सीसी से अधिक क्षमता के बाइक, महंगे मोबाइल फोन, हीरा, सभी प्रकार के खिलौने तथा ताश के पत्ते भी शामिल हैं.

बिहार के सीमावर्ती इलाके में बढ़ा व्यवसाय

नेपाल का ज्यादातर व्यापार भारत के बाजारों पर निर्भर है. इस प्रतिबंध को देखते हुए बिहार के विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? सीमावर्ती जिले मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, अररिया के विभिन्न बाजारों में नेपाली ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है. लोग भारतीय बाजारों से खरीदारी कर रहे हैं. अनुमान है कि इन बाजारों के व्यवसाय में करीब 25 प्रतिशत का इजाफा हो गया है. मधुबनी जिले के जयनगर बाजार के किराना व्यवसायी राधेश्याम कहते हैं, ‘‘भारतीय मुद्रा में चिप्स-कुरकुरे का छोटा पैक जो यहां पांच रुपये में मिलता है, उसे नेपाल के बाजार में दस रुपये में बेचा जा रहा है. इससे ही समझा जा सकता है कि नेपाल के लोग सीमार पार आकर क्यों खरीददारी कर रहे हैं. वहां के बाजार में सरसों तेल, गरम मसाला, आलू, प्याज व काजू-किशमिश की कीमत दोगुनी हो गई है. इसलिए सीमावर्ती इलाके के बाजारों में व्यवसाय बढ़ गया है.''

तस्वीर: Rebecca Conway/Getty Images

जयनगर बाजार आए विकास गुरुंग कहते हैं, ‘‘नेपाल में आयात पर प्रतिबंध के कारण विलासिता के साथ-साथ दैनिक उपयोग के सामान भी महंगे हो गये हैं. दुकानदार मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. इस पार आने में पांच-सात सौ रुपये खर्च होता है तो भी यहां खरीदारी सस्ती पड़ती है. यहां तक कि साबुन-शैंपू व हरी सब्जियां भी महंगी हो गईं हैं.'' शायद यही वजह है कि रक्सौल टेक्सटाइल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता व्यवसाय में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं. नेपाल के पांडेपुर से बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के इनरवा बाजार में सामान खरीदने आए हरिओम कानन कहते हैं, ‘‘हमारे यहां महंगाई चरम पर है. पहले जिन वस्तुओं के लिए भारतीय हमारे यहां आते थे, अब वही खरीदने हम इस पार आ रहे हैं.''

मधुबनी जिले के जयनगर बाजार के किराना व्यवसायी मो. जमशेद कहते हैं, ‘‘नेपाली ग्राहकों की भीड़ तीन गुणा तक बढ़ गई है. वैसे ज्यादातर लोग खाने पीने की चीजें खरीदने के लिए ही भारतीय बाजार में नेपाल से आ रहे हैं.'' इसी बीच कई लोग इन सामानों की तस्करी में भी लग गए हैं. ये लोग सुरक्षा बलों की नजर बचाकर ग्रामीण इलाकों से होकर साइकिल पर रख कर सामान नेपाल ले जा रहे हैं. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को भी इस बात की भनक है. इसे लेकर गश्ती पर तैनात जवानों को भी अलर्ट किया गया है.

प्रतिबंध का खासा असर, राजस्व में भी कमी

सीमावर्ती भारतीय कस्टम कार्यालयों के राजस्व में आई 75 प्रतिशत तक की कमी इस बात की तस्दीक करती है. मालवाहक वाहनों की आवाजाही भी घट गई है. बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल कस्टम कार्यालय को पहले करीब 20 से 25 करोड़ का राजस्व प्रतिमाह मिलता था. इसमें करीब तीन करोड़ की कमी का अनुमान है.

उत्तर बिहार उद्यमी संघ के महासचिव विक्रम कुमार बताते हैं कि के अनुसार नेपाल में लगने वाले भंसार (टैक्स) में लगातार वृद्धि की जा रही है. 2016-17 में वहां सामान भेजने पर 28 प्रतिशत भंसार लगता था, उसे 2019 में बढ़ाकर 150 प्रतिशत कर दिया गया.

मुजफ्फरपुर के उद्यमी अमरेश कुमार ने बताया, ‘‘यहां से करीब दो से ढाई करोड़ का स्नैक्स प्रतिदिन नेपाल जाता था, जो अब बंद हो गया है. नेपाल में रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमत सीमावर्ती इलाके के बाजारों की तुलना में दोगुनी होने से भले ही कुछ लोग खाने पीने की चीजों की खरीददारी के लिए आ रहे हों, प्रतिबंध के कारण नेपाल में व्यवसाय चौपट ही हो रहा है, जिससे भारतीय बाजार अछूता विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? नहीं रह गया है.''

कोरोना के कारण हालत हुई खराब

कोरोना महामारी की वजह से नेपाल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा है. पर्यटन यहां की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा रहा है. कोरोना काल में सैलानियों की आवाजाही थम गई. इंडो-नेपाल बॉर्डर भी पूरी तरह बंद था. पर्यटन और इससे जुड़े धंधे पूरी तरह चौपट हो गए. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो साल में पर्यटकों की संख्या में करीब 80 प्रतिशत की कमी आई तथा नेपाल को करीब 50 अरब रुपये का नुकसान हुआ.

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इसी तरह कोरोना काल में करीब 40 लाख से अधिक नेपाली प्रवासी अपने घर लौट आए. इससे नेपाल को भेजे जाने वाले विदेशी धन में करीब 75 अरब नेपाली रुपये की कमी आ गई. हालांकि, काम के लिए पुराने जगहों पर इनका जाना अब शुरू हो गया है. जानकार बताते हैं कि भारत में महंगी हो रहे पेट्रोलियम तथा रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भी नेपाल की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

मधुबनी के पत्रकार अमित रंजन कहते हैं, ‘‘नेपाल में कुछ सामानों पर प्रतिबंध के बाद जयनगर जैसे सीमावर्ती बाजारों में खाद्य सामग्री, कपड़े व किराना सामानों की बिक्री तो जरूर बढ़ी है, किंतु टीवी, फ्रिज व मोबाइल फोन की दुकानें जो पहले गुलजार हुआ करती थीं, वहां वीरानी छाई हुई है.'' भले ही नेपाल ने यह कदम एहतियातन उठाया हो, किंतु अगर यही स्थिति रही तो भारत से नेपाल को होने वाला कारोबार और घटेगा जिसका असर दोनों मुल्कों पर पड़ना तय है.

देश की खबरें | हम चीन से अपना व्यापार बंद क्यों नहीं कर देते : मुख्यमंत्री केजरीवाल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को सवाल किया कि चीन के साथ भारत अपना व्यापार बंद क्यों नहीं कर देता।

देश की खबरें | हम चीन से अपना व्यापार बंद क्यों नहीं कर देते : मुख्यमंत्री केजरीवाल

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को सवाल किया कि चीन के साथ भारत अपना व्यापार बंद क्यों नहीं कर देता।

केजरीवाल ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘हम चीन से अपना व्यापार क्यों नहीं बंद करते? चीन से आयात की जाने वाली अधिकतर वस्तुएं भारत में बनती हैं। इससे चीन को सबक मिलेगा और भारत में रोजगार पैदा होंगे।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया।

भारतीय सेना ने सोमवार को बताया था कि नौ दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के निकट एक स्थान पर झड़प हुई, जिसमें ‘‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए।’’

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर यांग्त्से के पास झड़प हुई।

पूर्वी लद्दाख में रिनचेन ला के पास अगस्त 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है।

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विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों?

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भारत का धीमा निर्यात चिंता का कारण क्यों है?

भारत का धीमा निर्यात चिंता का कारण क्यों है?_30.1

भारत का धीमा निर्यात: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

भारत का निर्यात: एक वर्ष पूर्व की अवधि की तुलना में अक्टूबर में भारत के निर्यात में लगभग 16.7% की गिरावट आई है। भारत से निर्यात-आयात यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा 2023 (भारत के आयात एवं निर्यात सहित अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलू) के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अर्थव्यवस्था की हालत पर महुआ मोइत्रा ने मोदी सरकार से पूछा- अब 'असली पप्पू' कौन है

देश की अर्थव्यवस्था पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने चुटकी लेते हुए मोदी सरकार से पूछा औद्योगिक उत्पादन चार प्रतिशत गिर गया जो 26 महीनों के न्यूनतम स्तर पर है, विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल के भीतर 72 अरब डॉलर की कमी आई है, नौ वर्षों में लाखों लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। अब 'असली पप्पू' कौन है

Updated Dec 13, 2022 | 11:56 PM IST

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Mahua Moitra

टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने आर्थिक संकेतकों और अर्थव्यवस्था को संभालने के सरकार के तौर-तरीकों को लेकर मंगलवार को उस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि अब ‘असली पप्पू’ कौन है। लोकसभा में 2022-23 के लिये अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों पर सोमवार को अधूरी रही चर्चा को आगे बढ़ाते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा कि किसी को नीचा दिखाने के लिए ‘पप्पू’ शब्दावली का इस्तेमाल किया गया। आंकड़ों के जरिये पता चलता है कि ‘असली पप्पू’ कौन है?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि अक्टूबर महीने में औद्योगिक उत्पादन चार प्रतिशत गिर गया जो 26 महीनों के न्यूनतम स्तर पर है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल के भीतर 72 अरब डॉलर की कमी आई है। उन्होंने कहा कि विदेश राज्य मंत्री ने सदन में बताया कि पिछले नौ वर्षों में लाखों लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। मोइत्रा ने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है कि लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं।

महुआ ने दावा किया कि विरोधी दलों के नेताओं को परेशान करने के लिए ईडी को इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बताना चाहिए कि ईडी के मामलों में दोषसिद्धि का प्रतिशत क्या है? क्या सिर्फ लोगों को परेशान करने के लिए विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? इस एजेंसी का इस्तेमाल हो रहा है? असली पप्पू कौन है? उन्होंने सवाल किया कि सरकार अतिरिक्त राजस्व, खासकर कर से इतर राजस्व संग्रह के लिए क्या कर रही है?

तृणमूल सांसद ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि हम लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारा यह अधिकार है कि सरकार की अक्षमता को लेकर उससे सवाल करें। यह सरकार का राजधर्म है कि वह जवाब दे। वह ‘खिसियानी बिल्ली’ की तरह व्यवहार नहीं करे।

उन्होंने हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों और खासकर हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम का हवाला देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष अपना गृह राज्य नहीं बचा सके, वहां हार का सामना करना पड़ा। अब ‘असली पप्पू’ कौन है? तृणमूल सदस्य ने कहा कि सरकार वह होनी चाहिए जो ‘मजबूत नैतिकता’, ‘मजबूत कानून व्यवस्था’ और ‘मजबूत अर्थव्यवस्था’ सुनिश्चित करे।

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