Trading से पैसे कैसे कमाते हैं | Trading Se Paise Kaise Kamaye 2022

इस पोस्ट में जानेंगे – ट्रेडिंग क्या है ( Trading kya hai ), ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ( Types of Trading in hindi ), Trading से पैसे कैसे कमाए (Trading Se Paise Kaise Kamaye).

Trading के बारे में आपके सारे Confusion को दूर करने के लिए हमने यह पोस्ट आपके लिए लिखा है। इस लेख में आपको पूरी जानकारी जानने को मिलेगा कि ट्रेडिंग क्या है, ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है, ट्रेडिंग कैसे की जाती है और ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमायें जाते हैं (Trading Se Paise Kaise Kamaye) तथा कुछ Best Trading App के बारे में भी आपको इस लेख में जानने को मिलेगा।

शेयर मार्केट में Trading करना और Trading से पैसे कमाना आज के समय में एक सामान्य बात हो गयी है, मोबाइल में अनेक प्रकार के Trading App हैं जिससे यूजर आसानी से Trading कर सकते हैं और पैसे कमा सकते है। अगर आप शेयर मार्किट बारे में विशेष कुछ नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि – नए लोग शेयर बाजार से पैसा कैसे कमाए (Must read)

ट्रेडिंग क्या है ( Trading kya hai ).

सामान्य तौर पर ट्रेडिंग का मतलब क्रय और विक्रय से हैं, जब हम किसी चीज को खरीदते हैं और उसे बेच देते हैं इस प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं. हमारे आसपास हम बहुत सी चीजों को देखते हैं जो किसी ना किसी के द्वारा खरीदी बेची जाती है, वह सभी लोग जो इन चीजों के क्रय विक्रय में शामिल होते हैं ट्रेडर कहलाते हैं।

इसी प्रकार स्टॉक मार्केट में जब आप शेयरों की खरीदारी और विक्रय करते हैं तब आप शेयर मार्केट में एक ट्रेडर कहलाते हैं, और आपके द्वारा की गई क्रिया जिसमें आप शेयर को खरीदते हैं और बेचते हैं ट्रेडिंग कहलाती है।

शेयर मार्केट दो तरह से पैसा लगाया जाता है, एक है निवेश तो ट्रेडिंग क्या हैं दूसरा ट्रेडिंग। सेम डे या शार्ट टर्म के लिए किसी शेयर के क्रय-विक्रय की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं।

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ( Types of Trading in hindi )

Share Market में trading को चार भागों में विभाजित किया गया है।

  1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग ( Intraday Trading )
  2. स्विंग ट्रेडिंग या शार्ट टर्म ट्रेडिंग (Swing Trading or Short Term Trading )
  3. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( ट्रेडिंग क्या हैं Scalper Trading)
  4. पोज़िशनल ट्रेडिंग ( Positional Trading )

Intraday Trading क्या है?

Intraday Trading में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है, यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं और मार्केट बंद (3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को इंट्रा-डे ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते है।

Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया कराता है। इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं। यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है।

Swing Trading क्या है?

Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।

Scalping Trading क्या है?

Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।

Positional Trading क्या है?

Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down ट्रेडिंग क्या हैं से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।

Position Trading को Delivery Trading भी बोलते है, क्योंकि Position मतलब अपनी जगा फिक्स करना जैसे कि Intraday Trading हम एक दिन के लिए Trading कर सकते थे, ठीक वैसे ही Position Trading में हम अपने Stock को जो हमे Buy या Sell क्या है उसको ट्रेडिंग क्या हैं हम होल्ड करके रख सकते है, कुछ टाइम के लिए।

Trading क्या है और यह कितने प्रकार की होती है? Trading Kya Hai?

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दोस्तों एक बार फिर से आपका स्वागत है हमारा सपोर्ट वेबसाइट पर। आज के इस आर्टिकल में हम ट्रेडिंग – Trading Kya Hai के बारे में आपको बताएंगे। आज के समय में ऑनलाइन ट्रेडिंग काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और काफी सारी ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिनकी मदद से आप ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते हैं। लेकिन ऑनलाइन ट्रेडिंग करना काफी ज्यादा जोखिम भरा भी होता है। भारत में ट्रेडिंग काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई है और काफी ज्यादा लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको ट्रेडिंग के बारे में सभी जानकारी काफी आसानी से देने वाले हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि Trading Kya Hai? शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? इंट्राडे और स्विंग ट्रेडिंग क्या है? चलिए जानते हैं कि Trading Kya Hai?

Table of Contents

Trading Kya Hai?

ट्रेडिंग को हिंदी में “व्यापार” कहते हैं। ट्रेडिंग में हम किसी वस्तु या फिर किसी सेवा को कम दाम में खरीद कर उस वस्तु या सेवा को दाम बढ़ जाने पर बेचते हैं। ट्रेडिंग का सबसे मुख्य मकसद यह है कि किसी भी वस्तु को कम दाम में खरीद कर अधिक दाम में बेचकर मुनाफा कमाना है। आज के समय में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग शेयर मार्केट में की जाती है। लोग कंपनियों के शेयर को खरीदते हैं और इन्हीं शेयर को बेचकर हजारों लाखों रुपए काफी आसानी से कमा लेते हैं। अगर आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको शेयर मार्केट ट्रेडिंग के बारे में जानकारी होनी चाहिए। चलिए जानते हैं कि शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या होती है?

शेयर मार्किट ट्रेडिंग क्या है?

जब आप शेयर मार्केट में किसी भी शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के भीतर आपके द्वारा खरीदे गए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेचते हैं तो यह शेयर मार्केट ट्रेडिंग कहलाती है। शेयर मार्केट 9:15 AM से 3:30 PM तक खुलती है। इस बीच ट्रेडर्स कम दाम में शेयर को खरीदते हैं और दाम बढ़ जाने पर उन शेयर को बेच भी देते हैं जिससे कि उनको मुनाफा हो सके। इस तरह से ट्रेडर्स शेयर मार्केट Trading के जरिए काफी आसानी से पैसे कमा ट्रेडिंग क्या हैं सकते हैं। लेकिन शेयर मार्केट ट्रेडिंग काफी ज्यादा जोखिम भरी है क्योंकि कभी-कभी इसमेें आपके द्वारा खरीदे गए शेयर के दाम नहीं बढ़ते हैं और इस तरह से आपके पैसे चले भी जाते हैं। अब हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है।

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है?

शेयर मार्केट के अंतर्गत ट्रेडिंग मुख्य रूप से केवल चार प्रकार की होती है। सभी ट्रेडर्स पैसे कमाने के लिए अपनी सुविधा के अनुसार ट्रेडिंग करते हैं।

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  • Intraday Trading
  • Scalping Trading
  • Swing Trading
  • Positional Trading

Intraday Trading क्या है?

Intrading Trading एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जिसमें केवल 1 दिन के लिए ट्रेडिंग की जाती है। इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर्स मार्केट खुलने के बाद शेयर को खरीद लेते हैं और और मार्केट को बंद होने से पहले वह अपने खरीदे गए शेयर को भेज देते हैं। इस प्रकार यह ट्रेडिंग केवल 1 दिन ही चलती है। ऐसे ट्रेडर्स को जो इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं इंट्राडे ट्रेडर्स कहलाते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग Scalping Trading से थोड़ी कम जोखिम भरी होती है।

Scalping Trading क्या है?

Scalping Trading एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जिसमें ट्रेडर्स केवल कुछ सेकंड और मिनटों के लिए ट्रेडिंग करते हैं। यह ट्रेडिंग काफी ज्यादा जोखिम भरी होती है क्योंकि इस ट्रेडिंग में ट्रेडर्स अपने पैसे गवा सकते हैं। स्काल्पिंग ट्रेडिंग केवल वो ट्रेडर्स ही करते हैं जो शेयर को कुछ मिनट या कुछ सेकंड के लिए खरीदते हैं और बेच देते हैं। जो ट्रेडर्स स्काल्पिंग ट्रेडिंग करते हैं उन्हें स्केपर्स कहा जाता है।

Swing Trading क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग है जो कुछ दिनों के लिए चलती है । ट्रेडर्स इस प्रकार की ट्रेडिंग में खरीदे गए शेयर को कुछ दिनों के बाद भी बेच सकते हैं। अगर कोई भी ट्रेडर्स चाहता है कि वह खरीदे गए शेयर को 10 से 12 दिनों के बाद बेचना है तो वह स्विंग ट्रेडिंग ही करता है। स्विंग ट्रेडिंग की खास बात यह है कि ट्रेडिंग में चार्ट को दिनभर देखना नहीं होता है। यह ट्रेडिंग उन लोगों के लिए काफी ज्यादा बेहतर है जो लोग जॉब करते हैं या फिर स्टूडेंट हैं। इस ट्रेडिंग में उनका पूरा दिन नहीं जाएगा आपको केवल शेयर को खरीदना है और जब आप चाहे तो शेयर को बेच सकते हैं।

Positional Trading क्या है?

Positional Trading एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जिसमें आप कुछ महीने के लिए भी ट्रेड कर सकते हैं। यानी कि आप खरीदे गए शेयर को कुछ महीने के बाद भी बेच सकते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग में ट्रेडर्स काफी आसानी से पैसे कमा लेते हैं। ट्रेडर्स शेयर को तभी बेचते हैं जब उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है। यह ट्रेडिंग सबसे कम जोखिम भरी होती है। इस ट्रेडिंग में शेयर बाजार के Up-down से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

Trading Account क्या है?

अगर आप Trading करना चाहते हैं तो ट्रेडिंग करने के लिए एक ट्रेडिंग अकाउंट जरूर होना चाहिए। ट्रेडिंग अकाउंट एक ऐसा अकाउंट होता है जिसकी मदद से आप शेयर को खरीद और भेज सकते हैं। ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से आप खरीद या बिक्री का ट्रेडिंग क्या हैं आर्डर, स्टॉक एक्सचेंज कर सकते हैं। जो ट्रेडर्स ट्रेडिंग करते हैं वह सभी ट्रेडिंग अकाउंट जरूर खुलबाते हैं।

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अगर आप किसी भी शेयर को खरीदना चाहते हैं और इसके लिए आप ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे जमा करना चाहते हैं तो यह भी आप काफी आसानी से कर सकते हैं। जितने रुपए की मदद से आप किसी शेयर को खरीदना चाहते हैं, उतने रुपए आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा करें और बाद में आप शेयर को खरीद कर रख सकते हैं। अगर आपके ऑर्डर के अनुसार आपका शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर बिकने के लिए तैयार होगा तो आपको वे शेयर मिल जाएंगे और इतने ही रुपए आपके ट्रेडिंग अकाउंट से भी कट जाएंगे। तो इस तरह से आप ट्रेडिंग करने के लिए एक ट्रेडिंग अकाउंट जरूर खुलवाएं। अब तक आप जान चुके होंगे कि Trading Kya Hai?

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको ट्रेडिंग – Trading Kya Hai के बारे में संपूर्ण जानकारी दे दी है। आप हमारे इस आर्टिकल की मदद से काफी आसानी से Trading Kya Hai इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले हमने आपको बताया है कि Trading Kya Hai और ट्रेडिंग कितनी प्रकार की होतीहै। ट्रेडिंग चार प्रकार की होती है जिसमें से सबसे सरल ट्रेडिंग पोजीशनल ट्रेडिंग होती है क्योंकि इसमें सबसे कम जोखिम होता है। अगर आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो काफी सावधानी से करें। दोस्तों अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो हमें जरूर बताएं। साथ ही हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा ट्रेडिंग क्या हैं से ज्यादा लोगों में शेयर करें।

Demat और Trading अकाउंट में क्या फर्क होता है? स्टॉक ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो समझ लें ये कैसे होते हैं अलग

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं.

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शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपके पास इसके लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट रखना स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए सबसे पहली शर्त है. इसके अलावा एक ट्रेडिंग अकाउंट भी है, जिसकी जरूरत आपके इन्वेस्टमेंट नेचर के हिसाब से पड़ती है. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इनका फर्क, इनका काम ट्रेडिंग क्या हैं और इनका रोल समझना जरूरी है.

Demat Account क्या होता है?

डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है, जहां आप अपने शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है. डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे आप अपना ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं.

इसका काम कुछ-कुछ बैंक अकाउंट जैसा होता है, जहां आप अपना पैसा डिपॉजिट और विदड्रॉ कर सकते हैं. इसी तरह इस अकाउंट में सिक्योरिटी रखी जाती है और जरूरत पड़ने पर डेबिट और क्रेडिट किया जाता है.

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कोई शेयर हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है. आपके अकाउंट में ज़ीरो बैलेंस हो तो भी कोई दिक्कत नहीं है.

ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?

डीमैट अकाउंट के उलट अगर आपको स्टॉक ट्रेडिंग करनी है तो आपको इसके लिए ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी. स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किसी कंपनी ट्रेडिंग क्या हैं के शेयर में निवेश करना हो तो आप इस अकाउंट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं.

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में कुछ बेसिक फर्क

1. डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट को आपके बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है.

2. डीमैट अकाउंट जहां बस असेट स्टोर करने के लिए खुलवाया जाता है, इससे कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता. वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेड ट्रांजैक्शन करने के काम आता है.

3. डीमैट अकाउंट पर इन्वेस्टर्स को सालाना चार्ज देना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, लेकिन चार्ज कंपनी पर भी निर्भर होता है कि वो आपसे चार्ज लेगी या नहीं.

डीमैट अकाउंट के बिना ट्रेडिंग अकाउंट, और ट्रेडिंग अकाउंट के बिना डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?

आमतौर पर डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं. स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए ये दोनों ही अकाउंट जरूरी है. जब एक निवेशक शेयरों में ट्रेड करता है तो ये शेयर स्टोर करने के लिए उसे डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है.

हालांकि, अगर ट्रेडर बस ट्रेडिंग कर रहा है, जैसे कि वो इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो ट्रेडिंग अकाउंट से भी हो जाता है, इसमें डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है.

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग है क्या? क्या हैं इसके फायदें? कौन कर सकता है ऑप्शन ट्रेडिंग? क्या हैं इसकी जरूरी शर्तें? इन सवालों के सभी जबाव 5 मिनट में .

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.

फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.

क्या है कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
कॉल ऑप्शन तब इस्तेमाल होता है जब आपको लगता है कि किसी कमोडिटी में आप तेजी पर दांव लगाते हैं. काल ऑप्शन में आपको प्रीमियम भरना होता वहीं आपका अधिकतम नुकसान होता है. दूसरी ओर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब होता है जब आपको लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार है.

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में ऑप्शंस कैसे चलेगा?
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि जो ऑप्शंस एक्सपायरी पर आउट ऑफ द मनी रह जाएंगे वे लॉस में कटेंगे. जिन ऑप्शन होल्डर्स के ऑप्शंस इन द मनी रहेंगे उनको अपनी पोजिशन प्रॉफिट में काटने या फिर उनको फ्यूचर्स पोजिशन में कनवर्ट करने की सहूलियत होगी.

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ट्रेडिंग अकाउंट होना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. अगर आपका पहले से फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं. अगर आप नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा.

यह ट्रेडिंग खुलवाते समय जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे है वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य जरूर हो. साथ ही बाज़ार में इस ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान हो. इसके लिए आप इन दोनों एक्सचेंज की बेवसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटा सकते हैं.

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकउंट की आईडी मुहैया कराता. इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग के 5 बड़े फायदे

1-वायदा के मुकाबले कम ट्रेडिंग क्या हैं रिस्क, रिटर्न ज्यादा

2- प्रीमियम पर टैक्स लगेगा इसलिए वायदा के मुकाबले टैक्स कम

3-हेजिंग का टूल होने से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी

4-कमोडिटी में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, कमोडिटी बाज़ार को बूस्टर मिलेगा

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