प्रश्नसमुच्चय--१२

विश्व मे कौनसी एसी झील जो प्रत्येक 12 बर्ष बाद मीठे व खारी जल मे परिवर्तित होता रहती क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? है ?

उत्तर : तिब्बत की उरुस्सी झील

विश्व की सबसे लम्बी बस कहा है ?

उत्तर : अमेरिका मे 76 फुट लम्बी , 11 टन भारी 121 यात्री बैठ सकते है

विश्व मे कौनसी पहाडी जो प्रतिदिन अप ना र्ंग बदला करती है ?

उत्तर : आयर्स क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? राक जो दछीण आस्टेलिया मे है

विश्व का सबसे पहला जहाज किस देश मे उडा था, चालक कौन था? 17 दिसम्बर 1903, अरबिले राइट ने विश्व मे कितनी भाषाये बोली जाती है ?

उत्तर : 2792 भाषाये

विश्व मे उस देश का नाम बताइए जहॉ सिर्फ पुरुष है तथा उसकी जनस्ंख्या क्या है ?

उत्तर : जनस्ंख्या 1000 बेट्कन सिटी यूरोप

विश्व मे कौन सी नदी है, जिस नदी मे मछ्ली नही पायी जाती है ?

उत्तर : जार्डन नदी फिलीस्तीन

विश्व की सबसे लम्बी औरत कौन है ?

उत्तर : मध्य चीन की सनि चुगलिंग 8 फुट है

विश्व की सबसे लम्बी नहर कौन सी है

उत्तर : स्वालीन नहर ,स्वेत सागर

विश्व की सबसे बडा एयर पोर्ट कहॉ है ?

उत्तर : टैक्सास का फोर्ट वर्थ अमेरिका मे है

विश्व की सबसे ऊची चोटी ?

उत्तर : माउण्ट एरेस्ट, 8848 मी, है

विश्व की सबसे बडा स्टेडियम है ?

उत्तर : एस्ट्राहीव स्टेडियम प्रांग

विश्व की सबसे बडा महल है ?

उत्तर : बेटिकल इटली मे

विश्व की सबसे लम्बी सडक सुरंग कौन सी है ?

उत्तर : माउण्ट ब्लाक फ्रांस से इट्ली, क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? 72 कि.मी है

भारत का राष्ट्रीय सूत्र (वाक्य ) क्या है ?

उत्तर : सत्यमेव जयते

विश्व की सबसे बडा सेना कौन सी है ?

उत्तर : मुक्ति सेना, चीन 20 लाख सैनिक

विश्व मे कौन सा देश है जिसमे सर्प नही है ?

उत्तर : हवाई दीप मे

विश्व की सबसे बडी लायब्रेरी कौन सी है ?

उत्तर : मास्को की लेनिन लाइब्रेरी 2 करोड पुस्तक है अभी तक

विश्व का सबसे बडा संग्रहालय कौन सा है

उत्तर : एलवर्ड संग्रहालय

विश्व का सबसे बडा बन्दरंगाह कौन सा है

उत्तर : सुर्बर न्युयार्क

विश्व मे सोने का सर्वाधिक उत्पादन बाल देश कौन सा है ? उत्त = दछीण अफ्रीका मे विश्व का कौनसा देश है जो कभी गुलाम नही हुआ है ?

उत्तर : नेपाल

विश्व का वह कौनसा जन्तु है जो जिन्दगी भर बिना पानी पीये जीता है ?

उत्तर : अमेरिका का कंगारु

विश्व की प्रथम महिला जो अंतरिछ यात्री कौन है ?

उत्तर : बेमेनतिना तेरशकी

विश्व का वह कौनसा देश है जो कपडे पर अखबार निकालता है ?

उत्तर : स्पेने

विश्व मे कौन - सा पौधा है जिसकी शक्ल आदमी से मिलती जुलती है और उसे उखाड्ने पर उसमे से बच्चे की रोने की आवाज आती है वह पौधा कहॉ पाय जाता है ? मैडुक अफ्रीका मे विश्व मे प्रथम बाइसिकल कब कहॉ और किसने चलाई थी ?

उत्तर : ऎकलिकन स्काटलैण्ड मे सन 1835 ईसा. मे

विश्व मे कौनसी चिडिया के पंख नौ र्ंग के होते है ? पिटा चिडिया (आस्ट्रेलिया मे ) दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश कौनसा है

अफगानिस्तान में अलग-अलग कबीले सत्ता के लिये लड़ते रहे हैं. देश के बड़े हिस्से पर तालिबान का क़ब्ज़ा हो जाने के बाद भी अफग़ानिस्तान लम्बे गृहयुद्ध की राह पर है.

क्या तालिबान से पिता की विरासत को बचा पाएंगे अहमद मसूद?

अगस्त 2005 के आखिरी हफ्ते में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अफगानिस्तान का दौरा किया. तब अमेरिका और सहयोगी देशों द्वारा तालिबान को खदेड़ दिये जाने के बाद अफग़ानिस्तान का पुनर्निर्माण ज़ोरों पर था और भारत की उसमें सक्रिय भूमिका थी. प्रधानमंत्री की यात्रा के करीब तीन हफ्ते के भीतर ही वहां चुनाव होने जा रहे थे और भारतीय चुनाव आयोग के अधिकारी अफगानी अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिये कई महीनों से वहां डटे थे.

युद्ध से तहस-नहस अफग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में नये संसद भवन की नींव पूर्व राजा ज़ाहिर शाह ने डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में ही रखी. सिंह के सामने ही काबुल के एक हबीबिया स्कूल (जो बमबारी में तबाह हो गया था) का पुनर्निर्माण कर भारत ने उसे अफग़ानी अधिकारियों के हवाले किया. हर ओर लोकतंत्र की बयार और राहत भरा माहौल था.

पंजशीर घाटी का रुख

अफगानिस्तान पर अमेरिकी सेनाओं के हमले के वक्त 2001 में पंजशीर घाटी का नाम और उसकी सामरिक अहमियत को एक पूरी पीढ़ी ने टीवी स्क्रीन पर तस्वीरों और जानकारों के बयानों से ही समझा. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुये आतंकी हमले के कुछ ही दिन पहले ‘पंजशीर का शेर’ कहे जाने वाले ताजिक कमांडर अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी गई. मसूद ने दशकों से जिस पंजशीर घाटी से जंग जारी रखी और जिस वादी को अब तक कोई जीत न सका वह एक बार फिर चर्चा में है. फर्क इतना ही है इस बार इस घाटी को बचाने की ज़िम्मेदारी अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के हाथों में है.

करीब 16 साल पहले तब मनमोहन सिंह अपने दो दिन के दौरे के बाद वापस दिल्ली लौट आये लेकिन हमारी टीम काबुल में रुकी रही. हमारी योजना वहां चुनाव की तैयारियां कवर करने की थी. हमारे पास एक अफगानी दुभाषिया था जो अच्छी अंग्रेज़ी बोलता था और एक स्थानीय ड्राइवर भी जो दुभाषिये से कम उम्र का था लेकिन बहुत वाचाल और मज़ाकिया. वह स्थानीय भाषा (दरी) में दुभाषिये के साथ लगा रहता. अफगानिस्तान में अलग-अलग कबीले सत्ता के लिये लड़ते रहे हैं. ताजिक समुदाय के अहमद शाह मसूद हमेशा पश्तून तालिबानों की आंखों की किरकिरी बना रहा.

मसूद, जैसे आपका गांधी

तालिबान की हार के बाद तक क़ाबुल में अहमद शाह मसूद के बड़े पोट्रेट और पोस्टर टंगे दिखे. काबुल एयरपोर्ट का नाम मसूद के नाम पर किया गया जिसे बाद में हामिद करज़ई क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? ने बदल दिया. जब दुभाषिये से मैंने पूछा की अफग़ानिस्तान में मसूद की क्या अहमियत है तो कुछ सोचकर उसने कहा– एज यू हैव गांधी इन योअर कंट्री. मुझे पता नहीं कि उसे गांधी के बारे में कितना पता था और यह उपमा कितनी ठीक रही होगी लेकिन इससे कमांडर अहमद शाह मसूद के मयार का अंदाज़ा हुआ. अगले दिन जब पंजशीर घाटी का रुख किया तो साथी अमिताभ रेवी और नरेंद्र गोडावली अलग कार में थे और मुझे कुछ ताजिक नेताओं के साथ दूसरी गाड़ी में बैठना पड़ा.

पंजशीर घाटी काबुल से उत्तर-पूर्व दिशा में करीब 150 किलोमीटर दूर है. अपदस्त उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह यहीं शरण लिये हुये हैं. वह ट्विटर पर यह पैगाम डाल चुके हैं कि, "वह अपने हीरो, कमांडर और गाइड अहमद शाह मसूद की आत्मा और विरासत को दगा नहीं देंगे और तालिबानी आतंकियों के आगे नहीं झुकेंगे." सालेह के अलावा अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने भी यही इरादा जताया है. इससे स्पष्ट है कि देश के बड़े हिस्से पर तालिबान का क़ब्ज़ा हो जाने के बाद भी अफग़ानिस्तान लम्बे गृहयुद्ध की राह पर है.

पंजशीर का दुर्गम भूगोल

पूरे रास्ते वह ताजिक नेता स्थानीय भाषा में बतियाते रहे और मैं अकेला (मेरे साथी दुभाषिये के साथ दूसरी कार में थे) चुपचाप उस एक्सप्रेस हाईवे जैसी सड़क को महसूस कर रहा था जो तबाही के बाद बनी थी. कुछ देर में यह हाईवे अचानक दोनों ओर पहाड़ियों से घिर गया और साथ में नदी बहती दिखी. ये अद्भुत खूबसूरती और भव्यता थी जिसे एक क्षण में आत्मसात करना मुश्किल था. मेरे चेहरे के भाव देखकर उन अफगानियों में से एक बुज़ुर्ग मेरी ओर देख कर बोला, दरे पंजशीर! यानी पंजशीर घाटी.

मैंने पहली बार हिन्दुकुश की पहाड़ियों को देखा. सड़क पंजशीर घाटी में तो प्रवेश कराती थी लेकिन वहां के दुर्गम पहाड़ों और यहां के गांवों तक पहुंचना किसी के लिये आसान न था. इस भूगोल को देखकर समझ आता है कि पंजशीर का अजेय होना केवल मसूद जैसे कमांडरों के कारण नहीं है बल्कि इसका भूगोल इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यहां डटे गुरिल्लाओं के लिये ऊंचे पहाड़ों से दुश्मन पर नज़र रखना और उस पर हमला करना जितना आसान है दुश्मन के लिये फतह करना उतना ही कठिन.

पंजशीर का भूगोल इस घाटी का प्रवेश द्वार की हिफाज़त को आसान बनाता है. सालेह ने ट्वीट कर कहा है, "पड़ोसी की अंदराब घाटी पर गुरिल्ला हमले झेलने के बाद तालिबान अब पंजशीर के प्रवेश द्वार पर जमा हो रहे हैं. तालिबान का प्रतिरोध कर रहे लड़ाकों ने हाईवे को बन्द कर दिया है." सालेह ने ये भी कहा है कि तालिबान रसद और ज़रूरी सामग्री को आने से रोक रहे हैं जिससे एक मानवीय संकट खड़ा हो रहा है.

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तालिबान का उदय कैसे हुआ, कौन था संस्‍थापक और क्‍या है इसका इतिहास? जानिए आतंकी संगठन की पूरी कुंडली

तालिबान एक पश्तो शब्‍द है जिसका मतलब होता छात्र। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरवाद से पूरी तरह से प्रेरित हों।

PC- AP

पूरी दुनिया चुप्‍पी साधे देखते रही और अफगानिस्‍तान पर तालिबान का कब्‍जा हो गया। अफगानिस्‍तान में डर और दहशत का आलम कैसा है, इसकी बानगी वहां से आने वाली तस्‍वीरें साफ बंया कर रही हैं। हर तरफ गोलीबारी और धमाकों ने अनार के देश कहे जाने वाले अफगानिस्‍तान को जंग का मैदान बनाकर रख दिया है। तालिबान अब अफगानिस्‍तान में सरकार बनाने की कवायद शुरू कर चुका है। तालिबानी नेता यह साफ कर चुके हैं कि देश में सरकार शरिया कानून के हिसाब से चलेगी। खबर ये भी है कि तालिबान अफगानिस्‍तान का नाम बदलकर 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' कर सकता है। ऐसे में अब लोगों के जेहन में सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर ये तालिबान है कौन और इसका उदय कैसे हुआ? कौन था इसका संस्‍थापक? तो आइए इस खबर में हम आपको तालिबान से जुड़ी हर बात बताएंगे।

कौन है तालिबान, कैसे हुआ इसका उदय

अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उदय हुआ था। तालिबान एक पश्तो शब्‍द है जिसका मतलब होता छात्र। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरवाद से पूरी तरह से प्रेरित हों। कहा जाता है कि 1990 के दशक में जब अफगानिस्‍तान से सोवियत संघ की सेना वापस जा रही थी तो कई गुटों में झड़प हुआ। इस झड़प ने अफगानिस्‍तान में तालिबान को जन्‍म दिया।

इन गुटों से छुटकारा पाने के लिए अफगान के लोगों ने तालिबान का स्वागत किया। हालांकि बाद में तालिबान के नियमों से परेशान हुए जिसकी वजह से वो इसका विरोध करने लगे, लेकिन तब तक तालिबान इतना मजबूत हो चुका था कि उनके विरोध का इसपर असर नही पड़ा।

तालिबान के बढ़ने में अमेरिका क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? ने भी निभाई भूमिका

कहा जाता है कि अफगानिस्‍तान के स्थानीय गुरिल्ला लड़ाकों के समूहों ने सालों तक अमेरिकी समर्थन के सहारे सोवियत संघ के खिलाफ झंडा उठाए रखा। अमेरिका ने उन्हें हथियार और पैसे मुहाये कराए ताकि उसके दुश्मन सोवियत संघ के मंसूबों को नाकाम किया जा सके। लेकिन 9/11 हमले के बाद अमेरिका तालिबान के खिलाफ आ गया। इसके बाद से वो खुलकर तालिबानियों पर कार्रवाई करने लगा।

तालिबान का संस्‍थापक मुल्ला मोहम्मद उमर

तालिबान का संस्‍थापक कमांडर मुल्ला मोहम्मद उमर था। ये संगठन उसी के इशारों पर चलता थे। हालांकि तब संगठन इतना मजबूत नहीं था और अफगानिस्तान मुजाहिदीन के हाथ में था। एक गरीब परिवार में जन्मे, उमर ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में दारुल उलूम हक्कानिया से स्नातक किया। 1980 के दशक के दौरान, वह सोवियत संघ और अफगानिस्तान के लोकतांत्रिक गणराज्य के खिलाफ युद्ध में अफगान मुजाहिदीन में शामिल हो गया। उसने 1994 में तालिबान आंदोलन की स्थापना की, और 1995 तक दक्षिणी और पश्चिमी अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। सितंबर 1996 तक तालिबान ने राजधानी काबुल पर भी कब्जा कर लिया।

अल कायदा का ठिकाना तालिबान

11 सितंबर, 2001 को न्यूयाॅर्क वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद दुनिया भर का ध्यान तालिबान पर गया। हमले के मुख्य संदिग्ध ओसामा बिन लादेन और अल कायदा के लड़ाकों को शरण देने का आरोप तालिबान पर लगा। सात अक्टूबर, 2001 को अमेरिका के नेतृत्व में सैन्य गठबंधन ने अफगानिस्‍तान पर हमला कर दिया और दिसंबर के पहले सप्ताह में तालिबान का शासन खत्‍म हो गया। दुनिया के सबसे बड़े तलाशी अभियान के बाद भी ओसामा बिन लादेन और तब तालिबान प्रमुख रहे मुल्ला मोहम्मद उमर और उनके दूसरे साथी अफगानिस्‍तान से निकलने में कामयाब रहे।

तालिबान गुट के कई लोगों ने पाकिस्तान के क्वेटा शहर में पनाह ली और वे वहां से लोगों को निर्देशित करने लगे थे। हालांकि पाकिस्तान सरकार क्वेटा में तालिबान की मौजूदगी से हमेशा इनकार करती आई है।

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