Updated on: October 16, 2022 15:59 IST
ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या होती है? Offline vs Online Trading
😊✍आजकल भारत में लोगो की दिलचस्पी शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट में बढ़ने लगी है, यदि आप भी उनमे से ही है तो यह जानकारी आपके लिए भी बहुत फायदेमंद होने है.
शेयर बाजार में एक बहुत ही चर्चित शब्द है ऑनलाइन ट्रेडिंग जिसपे आज का यह पूरा लेख लिखा गया है. इस लेख में आपको जानने को मिलेगा की ऑनलाइन ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद ट्रेडिंग क्या है? ऑनलाइन ट्रेडिंग सही है या ऑफलाइन ट्रेडिंग और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कैसे काम करती है?
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ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है?
ऑनलाइन ट्रेडिंग का सीधा अर्थ है फिनांशल प्रोडक्ट की ऑनलाइन लेनदेन करना। अब के ब्रोकर अपने प्लात्फ्रोम के साथ ऑनलाइन हो गए है इनके ये प्लेटफार्म स्टॉक,कोडिएट बांड्स, ETFS और आदि बहुत से फीचर्स प्रदान करते है.
पहले के समय में जब कोई खरीदार शेयर को खरीदना चाहता था तब वह किसी ब्रोकर को कॉल करता था या मिलता था और उससे किसी कंपनी के शेयर की एक फिक्स अमाउंट को खरीदने के लिए कहता था.
इसके बाद ब्रोकर उस शेयर के बाजार मूल्य को आपसे बताएगा और उसको खरीद लेगा। आपके द्वारा ट्रेडिंग खाते की पुस्टि करने के बाद ब्रोकर की फ़ीस देनी पड़ती थी.
इससे आप समझ सकते है की यह स्टेप्स कितना लम्बा है इसी कारण आस्चर्य नहीं होता है ऑनलाइन ट्रेडिंग ने अपने फायदों कारण पुरे ट्रेडिंग बाजार को अपने कब्जे में कर लिया ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद है:
- आप लेनदेन बहुत ही आसानी से कर सकते है.
- यूजर अपने घर बैठे-बैठे अपने खाते पर नजर रख, सकते है ,रखरखाव और खोल और बंद कर सकते है.
- जब हमें एक से ज्यादा फिनांशल प्रोडक्ट की खरीदारी करनी होती थी तब हमारे बिच में कोई होता था जो खरीदारी करता था , लेकिन ऑनलाइन में आप आसानी से खरीद सकते और बेच सकते है.
- ऑनलइन होने के कारण आपको प्रोडक्ट्स और उपलब्ध स्टॉक्स के बारे में अच्छे से जानकारी मिलती है.
ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
जब भी कोई यूजर स्टॉक को खरीदने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म पर रिक्वेस्ट या आर्डर देता है, इसका आर्डर ट्रेंडिंग मेमबर प्लेटफार्म और एक्सचेंज प्लेटफार्म के डेटाबेस में स्टोर हो जात्ता है.
इस डेटाबेस का उपयोग उन सभी प्लेटफार्म को देखने के लिए किया जाता है तो स्टॉक खरीदने या बेचने का काम करती है, विश्लेषण करे के बाद आपको सबसे अच्छे पैसे वाला स्टॉक दिखाया जाता है.
यह जो आपको स्टॉक का पैसा दिखाया जाता है यह यूजर के द्वारा दिए गए आर्डर से मिलता हैं. इतना सभ कुछ होने के बाद ब्रोकर के पास तीन दिन होते है की वह आपके पैसे का ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद सेटलमेंट कर सकते है और इसके बाद आपके खाते में स्थानांतरण कर दिए जाते है.
बहुत से ऐसे प्लेटफार्म है जो आपको स्टॉक मार्केट में स्थिति स्टेटस का पता लगाने में मदत करते है. इससे एक यूजर को पता लगाने में आसानी होती है की कौन सी स्टॉक ऊपर जा रहा है और कौन सा निचे।
ऑनलाइन प्लेटफार्म की सबसे अच्छी बात यह की इन्हे उपयोग करना आसान है और यह यह कमिसन शुल्क भी कम लेती है.
Offline vs Online Trading
जैसे-जैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग की मांग बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे ही ऑफलाइन ट्रेडिंग कही पिछड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
हर किसी व्यक्ति को यही चाहिए की चीज़े उसे आसानी से ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद मिल जाये उसे उन चीज़ो को पाने के लिए ज्यादा मेहनत न करना पड़े, यह नियम ऑनलाइन ट्रेडिंग को ऑफलाइन ट्रेडिंग की तुलना में और लोकप्रिय कर रहा है.
क्यूंकि लोग घर बैठे-बैठे ही स्टॉक या शेयर मार्केट में पैसे निवेस्ट कर पा रहे है. ऑनलाइन ट्रेडिंग के लोकप्रिय होने का दूसरा कारण यह है की यह कम कमिशन लेता है और ये तो जानते ही हैं भारत में जहा कम में मिलेंगे लोग वही जाते है.
ऑनलाइन ट्रेडिंग में ज्यादा झंझट मारी भी नहीं होती है ऑफलाइन ट्रेडिंग की तुलना में. सब कुछ मिलाकर यही है की ऑनलाइन ट्रेडिंग का आनेवाला कल बहुत ही सुनहरा है.
निष्कर्ष
ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या हैं? उम्मीद है की इस आर्टिकल में आपको आपके सरे सवालों के जवाब मिल गए होंगे। आज के लिए इतना ही धन्यवाद।😊✍🙏🙏
Online vs Offline Market, कहां खरीदारी करना मुनाफे का सौदा? आसान भाषा में समझिए
फेस्टिवल्स के दौरान डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन स्टोर्स पर कई तरह के ऑफर्स मिलते हैं। छूट से लेकर EMI और नो-कॉस्ट ईएमआई की सुविधा भी दी जाती है
Edited By: India TV Business Desk
Updated on: October 16, 2022 15:59 IST
Photo:INDIA TV Online vs Offline Market, कहां करें खरीदारी?
Highlights
- कार्ड पर मिलता है ऑनलाइन अधिक छूट
- दिल्ली में रहने वालों को एक बार सदर बाजार हो आना चाहिए
- दिवाली डेडिकेटेड पेज जरूर चेक करें
Online vs Offline Market: त्योहार का सीजन शुरू हो चुका है। लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। दुकानों में दिवाली के अवसर पर काफी छूट दी जा रही है। ऑनलाइन भी काफी छूट मिल रहा है। Flipkart, Amazon और Myntra से लेकर मीशो जैसे साइट पर भारी छूट ऑफर किया जा रहा है। अगर आप इस बात को लेकर कंफ्यूजन में है कि शॉपिंग करने के लिए कौन सी जगह सबसे अच्छी है? क्या ऑनलाइन समान खरीदना फायदे का सौदा है या ऑफलाइन जाकर अपने मनपसंद की चीज खरीद लेनी चाहिए। आपके सभी सवालों के जवाब हम यहां देने जा रहे हैं।
कार्ड पर मिलता है ऑनलाइन अधिक छूट
फेस्टिवल्स के दौरान डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन स्टोर्स पर कई तरह के ऑफर्स मिलते हैं। छूट से लेकर EMI और नो-कॉस्ट ईएमआई की सुविधा भी दी जाती है, इसकी मदद से आप बड़े बजट वाले प्रोडक्ट को आसान किस्तों में घर ला सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स भी ले सकते हैं। कार्ड पर मिल रहे ऑफर्स से आप अच्छे-खासे पैसे बचा सकते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि ऑनलाइन, ऑफलाइन मार्केट की तुलना में अधिक छूट मिलता है।
दिवाली डेडिकेटेड पेज जरूर चेक करें
त्योहार के मौके पर लगभग हर कंपनी और स्टोर ग्राहकों के लिए कुछ ना कुछ ऑफर लाते हैं। यह ऑफर ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन सभी जगह ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद मिलते हैं। भले ही आपकी प्लानिंग बिग बाजार या क्रोमा से शॉपिंग करने की हो या फिर किसी क्लोदिंग स्टोर में जाकर कपड़े खरीदने की। इन सबसे पहले उनके दिवाली डेडिकेटेड पेज जरूर चेक कर लें। उसके वेबसाइट पर जाकर देख लें कि आपको कब से लेकर कब तक और कितनी छूट मिल रही है। इससे ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद आपको उनके ऑफर्स के बारे में पता भी चल जाएगा और वह कब तक वैलिड रहने वाला है इसकी जानकारी भी हो जाएगी। हो सकता है कि आपके पास मौजूद कार्ड या आपके बजट के हिसाब से कोई खास डील आपको मिल जाए।
नजदीकी मार्केट में विजिट करें
अगर आप दिल्ली से बाहर रहते हैं और आपको खरीदारी करनी है तो सबसे पहले शॉपिंग लिस्ट बनाएं और एक बार नजदीकी या पसंदीदा स्टोर और वेबसाइट पर दिए गए प्राइस की तुलना कर लें। इससे आपको पता चल जाएगा कि कहां से समान खरीदने पर बचत हो सकता है, क्योंकि फेस्टिव ऑफर में ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर अक्सर सामान तेजी से आउट ऑफ स्टॉक हो जाते हैं।
दिल्ली में रहने वालों को एक बार यहां हो आना चाहिए
अगर आप दिल्ली या उसके आस-पास के इलाके में रहते हैं तो आपको एक बार सदर बाजार, खारी बावली, चांदनी चौक, करोल बाग और गांधी नगर जैसे मार्केट का चक्कर लगा लेना चाहिए। यहां चीजें काफी सस्ती मिल जाती है। कई बार यहां ऑनलाइन की तुलना में बेहद सस्ते दाम पर प्रोडक्ट मिल जाते हैं। वहां घर के सामान से लेकर कपड़े और सजावट से जुड़े प्रोडक्ट सभी किफायदी कीमत में उपलब्ध होते हैं
शेयर बाजार में करनी है एंट्री, ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद, जानें यहां
बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं.
Share Market Investment: शेयर बाजार इन दिनों गुलजार है, निवेशकों की बहार है. मार्केट की मदमस्त चाल से निवेशक मालामाल हो रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए एंट्री का अच्छा मौका है.
अब सवाल उठता है कि शेयर मार्केट में ब्रोकर के जरिए निवेश करना चाहिए या खुद भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. अगर खुद निवेश करते हैं तो ऑनलाइन या ऑफलाइन, कैसे निवेश करना चाहिए. निवेश के दौरान पावर ऑफ अटॉर्नी का क्या महत्व है. इन तमाम बातों के बारे में चर्चा कर रहे हैं Zerodha के सह-संस्थापक निखिल कामथ.
कैसे करें निवेश (How to Invest in Share Market)
ऑनलाइन निवेशक खुद ट्रेडिंग कर सकता है. जबकि, ऑफलाइन में ब्रोकर की सेवाएं लेनी पड़ेंगी. ऑफलाइन ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद ट्रेडिंग में विशेष रूप से दलालों को निर्देश देते हैं. दलाल ब्रोकिंग एजेंसी पर निर्भरता बनाते हैं. ऑनलाइन खाते से ये निर्भरता खत्म हो जाती है.
डिस्काउंट ब्रोकर (Broker in Share Market)
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं. आपको निवेश या ट्रेडिंग की सलाह नहीं देते. ईमेल पर इलेक्ट्रोनिक कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलता है.
डिस्काउंट ब्रोकर कब चुनें
बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं
फुल सर्विस ब्रोकर (Full Service broker in share market)
फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. ये निवेश या ट्रेडिंग की सलाह देते हैं और IPO भरने की सुविधा-सलाह भी देते हैं. बाजार से जुड़ी खबरों के बारे में निवेशकों को बताना इनकी ड्यूटी होती है.
आपको बाजार की उथल-पुथल की समझ नहीं है और बाजार की हलचल नहीं समझ पाते हैं तो फुल सर्विस ब्रोकर का चुनाव बेहतर होता है.
ब्रोकिंग चार्जेज (Broking Brokerage Charges)
अक्सर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स रखते हैं. चार्जेज कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. इसलिए ब्रोकर को चुनने से पहले उसके चार्जेज के बारे में अच्छी तरह से पता कर लें.
ब्रोकर को चुनने से पहले उसके बारे में जान लें. बाजार में उसकी छवि कैसे, ये भी देख लें. ब्रोकर की सेवाओं, सुविधाओं से संतुष्ट होने पर ही उसकी सर्विस लें.
पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney)
पावर ऑफ अटॉर्नी एक लीगल डॉक्युमेंट होता है. दूसरे व्यक्ति को अकाउंट ऑपरेट करने का अधिकार मिलता है. पावर ऑफ अटॉर्नी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अधिकार होता है.
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के दौरान कई बार पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. आप शेयर बेच रहे हैं या शेयर्स को प्लेज करना है, वहां पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. ऑनलाइन इन्वेंस्टमेंट के लिए पॉवर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. ऑफलाइन इन्वेस्टेमेंट में इंस्ट्रक्शन स्लिप भेजनी पड़ती थी. ऑनलाइन ब्रोकिंग में ऑफलाइन मेथड प्रभावी नहीं होता है.
Mutual Fund में डायरेक्ट निवेश कैसे करते हैं, जानिए इसके क्या हैं फायदे व नुकसान
फंड ऑफ फंड्स कम रिस्क उठाने वाले छोटे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है.
अगर आपका KYC पूरा हो चुका है तो आप म्यूचुअल फंड में सीधे ऑफलाइन या ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं. अगर आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 20, 2021, 11:26 ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद IST
Mutual Fund Investment: देश में म्यूचुअल फंड में निवेश तेजी से बढ़ा है. इस पर मिलने वाले अच्छे रिटर्न ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है. कुछ फंड्स ने तो साल भर में ही 100 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. लेकिन अक्सर लोगों के सामने समस्या आती है कि म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें.
म्यूचुअल फंड्स में हम दो तरीके से निवेश कर सकते हैं. एक तो किसी भी निवेश प्लेटफॉर्म के माध्यम से पैसा लगा सकते हैं. जहां उनके फंड मैनेजर पैसे को अलग-अलग म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. दूसरा तरीका होता सीधे म्यूचुअल फंड में निवेश. यहां हम विस्तार से जानेंगे कि म्यूचुअल फंड में डायरेक्ट निवेश कैसे करते हैं.
KYC जरूरी
अगर आपका KYC पूरा हो चुका है तो आप म्यूचुअल फंड में सीधे ऑफलाइन या ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं. अगर आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने में असहज महसूस करते हैं, तो आप नजदीकी शाखा में जाकर फंड में निवेश कर सकते हैं.
ऑनलाइन म्यूचुअल फंड की स्कीमों में सीधे निवेश करने का सबसे आसान तरीका है और आपको कमीशन भी नहीं देना पड़ता. आप फंड की वेबसाइट या उसके RTA की साइट या फिर फिनटेक प्लेटफॉर्म से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं. फंड की वेबसाइट पर सीधे निवेश करने पर आपको कई लॉगिन मैनेज करने पड़ते हैं.
डायरेक्ट प्लान में निवेश
डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का मतलब है कि आप फिनांशियल प्लान बनाने, अपने गोल के लिए सबसे सही फंड्स को चुनने, अपने पोर्टफोलियो को नियमित तौर पर मैनेज करने और ज़रूरत पड़ने पर उसमें फेरबदल करने की जिम्मेदारी लेते हैं.
हर किसी को म्यूचुअल फंड में सही फंड चुनना और पोर्टफोलियो को मैनेज करना नहीं आता है. इसलिए डायरेक्ट प्लान उन निवेशकों के लिए है जो इसे आसानी से कर सकते हैं. अन्यथा, म्युचुअल फंड के बारे में कम जानकार लोगों को डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा निवेश करने की सलाह दी जाती है.
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड निवेश
ऐसी कई फिनटेक कंपनियां हैं जो मुफ़्त या फीस लेकर डायरेक्ट म्यूचुअल फंड निवेश प्लेटफ़ॉर्म पेश करती हैं. इनमें से ज्यादातर प्लेटफ़ॉर्म्स SEBI के साथ रजिस्टर्ड है इस लिए अच्छी तरह से विनियमित और SEBI द्वारा अनिवार्य किए गए सुरक्षा एवं गोपनीयता दिशानिर्देशों द्वारा नियंत्रित हैं. आजकल तो फॉर्च्यून 500 कंपनियों को भी हैक किया जा सकता है और वैसे ही म्यूचुअल फंड के प्लेटफॉर्म को भी. हालांकि, इसकी संभावना बिल्कुल ना के बराबर है.
पैसा सुरक्षित रहता है
क्योंकि फिलहाल ज़्यादातर डायरेक्ट प्लेटफॉर्म्स पर स्टार्टअप्स का मालिकाना अधिकार है, जो लंबे समय तक बाज़ार में नहीं थे, संभावना हो सकती है कि उनमें से कुछ बंद हो गयी होंगी या फिर बड़ी कंपनियों द्वारा खरीद ली गयी होंगी. लेकिन आपको इन रजिस्टर्ड प्लेटफार्मों द्वारा किए गए अपने निवेश के बारे में फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है. भले ही ये प्लेटफार्म भविष्य में मौजूद ना रहें, क्योंकि आपके द्वारा निवेश किया गया पैसा म्यूचुअल फंड के अकाउंट में जाता है और फंड के पास आपके निवेश का लेखा-जोखा रखने के लिए SEBI से मान्यता प्राप्त रजिस्ट्रार है.
अपने निवेश को एक्सेस करने के लिए आप हमेशा फंड हाउस से संपर्क कर सकते हैं. अगर आप अपने यूज़र एक्सपीरियंस, फीस, इसकी सेवाओं से खुश हैं और अगर आपको संस्थापक टीम पर भरोसा है, तो डायरेक्ट प्लेटफ़ॉर्म चुनें. उनके भविष्य और उनके माध्यम से किए गए अपने निवेश के बारे में चिंता न करें. फंड हाउस के पास वे हमेशा सुरक्षित रहेंगे.
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नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस डिजिटल युग में सबकुछ ऑनलाइन होता जा रहा है। जो लोग समय की बचत चाहते हैं और कम समय में अपने काम निपटाना चाहते हैं उनके लिए डिजिटल सिस्टम फिट बैठता है। इसी प्रकार इंश्योरेंस इंडस्ट्री भी डिजिटल हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा ऑटो इंश्योरेंस इंडस्ट्री ऑफलाइन से ऑनलाइन की ओर शिफ्ट हो रही है। अगर आप कार का इंश्योरेंस करवाने की सोच रहे हैं तो हम आपको कार इंश्योरेंस में ऑफलाइन और ऑनलाइन के बीच अंतर के साथ बताएंगे कि कहां है आपका फायदा।
दस्तावेज की जरूरत नहीं
आज भी ऑफलाइन इंश्योरेंस खरीदते वक्त लंबे-लंबे फॉर्म भरने होते हैं, जो कि लोगों के लिए आसान नहीं होता है। वहीं ऑनलाइन मोड में किसी प्रकार के दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती है। ऑनलाइन मोड में कुछ फॉर्म भरने होते हैं, लेकिन उसमें सिर्फ बेसिक जानकारी ही भरनी होती है।
समय की बचत
आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां पर लोगों के पास समय की कमी है। समय बचाने का मतलब है कि पैसों की बचत करना और यह हर किसी के लिए जरूरी है। अगर आप ऑनलाइन इंश्योरेंस ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश क्या है फायदेमंद करवाते हैं तो उसमें समय बहुत कम लगता है। आप कभी भी ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीद सकते हैं और आपको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं होती है। जबकि ऑफलाइन प्रोसेस में अधिक समय लगता है, इंश्योरेंस करवाने के लिए कंपनी की ब्रांच में जाने की जरूरत होती है।
कम कीमत
ऑफलाइन इंश्योरेंस के लिए फिजिकल ऑफिस की जरूरत होती है, अधिक स्टाफ और साधनों की मदद से सबकुछ होता है। इन सब वजहों से इंश्योरेंस की कीमत अधिक हो जाती है। वहीं ऑफलाइन इंश्योरेंस के लिए फिजिकल सेल्स ऑफिस की जरूरत नहीं होती है और मैनपावर भी कम ही चाहिए होती है, जिसकी वजह से लागत कम हो जाती है और इंश्योरेंस की कीमत कम हो जाती है। इसका असर पॉलिसी कवरेज या उस पर दिए जाने वाले ऑफर्स पर नहीं पड़ता है।
तुलना करने में आसान
अगर आपको ऑफलाइन मोड में इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना करनी हो तो आपको अलग-अलग कंपनियों की ब्रांच में जाना होगा जो कि बिल्कुल भी आसान नहीं है और इसमें समय और पैसे दोनों ज्यादा खर्च होंगे। वहीं ऑनलाइन मोड में आसानी से पॉलिसी की तुलना की जा सकती है। बहुत सी वेबसाइट मौजूद हैं जो पॉलिसी की आपस में तुलना करती हैं।
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