'डॉलर की तुलना में रुपया'
Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कमजोरी या मजबूती की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.19 प्रतिशत के नुकसान से 104.11 पर पहुंच गया है.
Dollar vs Rupee Rate Today: घरेलू शेयर बाजार में आई शानदार तेजी के साथ-साथ डॉलर के कमजोर होने से रुपये में बढ़त देखने को मिली है.
Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कमजोरी या मजबूती की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.11 प्रतिशत टूटकर 104.31 पर पहुंच गया.
Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कमजोरी या मजबूती की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.14 प्रतिशत घटकर 104.33 हो गया है.
Dollar vs Rupee Rate Today Latest Updates: पिछले सत्र में यानी गुरुवार को डॉलर (Dollar) मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Rupee) 5 पैसे की तेजी के साथ 82.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
Dollar vs Rupee Rate Today Latest Updates: दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कमजोरी या मजबूती की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 104.54 पर आ गया है.
Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह करेंसी की तुलना में अमेरिकी करेंसी की कमजोरी या मजबूती की स्थिती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.16 फीसदी गिरकर 104.96 पर आ गया है.
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान आज विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. आज निर्मला सीतारमण ने खासतौर पर रुपये और डॉलर के बदलते समीकरण पर सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में भारत की अर्थव्यवस्था ICU मे थी, Fragile Five में थी. आज COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये में लगातार गिरावट के पीछे क्या वजह बताई
नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई और बाजार में जारी अस्थिरता के बीच मंदी की आहट से लोग चिंतित हैं. इसी बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट जारी है. रुपया गिरकर प्रति डॉलर 82.69 रुपये के भाव पर पहुंच गया है. यानी आपको एक डॉलर के लिए 82.69 रुपये खर्च करने होंगे. अर्थशास्त्रियों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपए में जारी कमजोरी आर्थिक विकास दर और हमारे अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है. लेकिन अमेरिकी दौरे के दौरान एक प्रेस ब्रीफिंग में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में कुछ अलग ही जवाब दिया.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की करेंसी देखें तो उसके मुकाबले अपना रुपया अच्छा परफॉर्म कर रहा है. उन्होंने ‘इमर्जिंग मार्केट करेंसी’ की बात की. इसका अर्थ हुआ वे देश जो विकास की ओर अग्रसर हैं, उन सभी के मुकाबले अपना रुपया अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
वित्त मंत्री ने क्या दिया तर्क?
इस प्रेस ब्रीफिंग में निर्मला सीतारमण ने गिरावट पर अपना तर्क देते हुए कहा कि रुपया इसलिए गिर रहा है क्योंकि डॉलर दिन-ब-दिन मजबूत हो रहा है. उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है बल्कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है. आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए में गिरावट को लेकर यह बात ऐसे समय में कही है जब डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 82.69 पर पहुंच गया है. यह अब तक का सबसे निचला स्तर है.
भारतीय करेंसी को सपोर्ट क्यों नहीं कर रहा आरबीआई
भारतीय करेंसी को सपोर्ट करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा बाजार में कोई दखल नहीं दिए जाने पर वित्त मंत्री का कहना है कि फिलहाल रिजर्व बैंक इस बात की ओर ज्यादा ध्यान दे रहा है कि बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं हो. रुपये की लगातार गिरती कीमत को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने समाचार एजेंसी ANI से कहा कि भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरते बाजार वाले देशों की करेंसी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. अन्य सभी करेंसी अमेरिकी डॉलर की मजबूती के खिलाफ टिकी हुई हैं.
अमेरिका दौरे पर है वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन दिनों विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की सालाना बैठकों में शामिल होने के लिए अमेरिका के दौरे पर हैं. इसी दौरान एक प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा.
महंगाई का कारण: रूस-यूक्रेन युद्ध
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपये की हालिया गिरावट के लिए वैश्विक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. इसमें सबसे प्रमुख रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध है. इस युद्ध का असर पूरी दुनिया के व्यापार पर देखा जा रहा है. इससे दुनियाभर में सामानों की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई है. जिसका प्रभाव पूरी दुनिया में महंगाई के रूप में सामने आ रहा है. इस महंगाई को रोकने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. दुनिया के बाकी देश भी उसी का अनुसरण कर रहे हैं और ऐसा पहले भी हुआ है. इसका सीधा असर यह है कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये में लगातार गिरावट के पीछे क्या वजह बताई
इस प्रेस ब्रीफिंग में निर्मला सीतारमण ने गिरावट पर अपना तर्क देते हुए कहा कि रुपया इसलिए गिर रहा है क्योंकि डॉलर दिन ब . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 16, 2022, 15:23 IST
हाइलाइट्स
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक भारतीय रुपये की कीमत 82.69 पर पहुंच गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा रुपये ने कई अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी से बेहतर किया है.
नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई और बाजार में जारी अस्थिरता के बीच मंदी की आहट से लोग चिंतित हैं. इसी बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट जारी है. रुपया गिरकर प्रति डॉलर 82.69 रुपये के भाव पर पहुंच गया है. यानी आपको एक डॉलर के लिए 82.69 रुपये खर्च करने होंगे. अर्थशास्त्रियों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपए में जारी कमजोरी आर्थिक विकास दर और हमारे अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है. लेकिन अमेरिकी दौरे के दौरान एक प्रेस ब्रीफिंग में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में कुछ अलग ही जवाब दिया.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की करेंसी देखें तो उसके मुकाबले अपना रुपया अच्छा परफॉर्म कर रहा है. उन्होंने ‘इमर्जिंग मार्केट करेंसी’ की बात की. इसका अर्थ हुआ वे देश जो विकास की ओर अग्रसर हैं, उन सभी के मुकाबले अपना रुपया अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
वित्त मंत्री ने क्या दिया तर्क?
इस प्रेस ब्रीफिंग में निर्मला सीतारमण ने गिरावट पर अपना तर्क देते हुए कहा कि रुपया इसलिए गिर रहा है क्योंकि डॉलर दिन-ब-दिन मजबूत हो रहा है. उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है बल्कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है. आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए में गिरावट को लेकर यह बात ऐसे समय में कही है जब डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 82.69 पर पहुंच गया है. यह अब तक का सबसे निचला स्तर है.
भारतीय करेंसी को सपोर्ट क्यों नहीं कर रहा आरबीआई
भारतीय करेंसी को सपोर्ट करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा बाजार में कोई दखल नहीं दिए जाने पर वित्त मंत्री का कहना है कि फिलहाल रिजर्व बैंक इस बात की ओर ज्यादा ध्यान दे रहा है कि बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं हो. रुपये की लगातार गिरती कीमत को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने समाचार एजेंसी ANI से कहा कि भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरते बाजार वाले देशों की करेंसी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. अन्य सभी करेंसी अमेरिकी डॉलर की मजबूती के खिलाफ टिकी हुई हैं.
अमेरिका दौरे पर है वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन दिनों विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की सालाना बैठकों में शामिल होने के लिए अमेरिका के दौरे पर हैं. इसी दौरान एक प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा.
महंगाई का कारण: रूस-यूक्रेन युद्ध
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपये की हालिया गिरावट के लिए वैश्विक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. इसमें सबसे प्रमुख रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध है. इस युद्ध का असर पूरी दुनिया के व्यापार पर देखा जा रहा है. इससे दुनियाभर में सामानों की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई है. जिसका प्रभाव पूरी दुनिया में महंगाई के रूप में सामने आ रहा है. इस महंगाई को रोकने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. दुनिया के बाकी देश भी उसी का अनुसरण कर रहे हैं और ऐसा पहले भी हुआ है. इसका सीधा असर यह है कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
क्या मजबूत अमेरिकी डॉलर का मतलब कमजोर रुपया और गरीब होना है?
आइए पहले रुपए के इतिहास पर नजर डालते हैं. ब्रिटिश राज से आजादी के समय डॉलर के मुकाबले रुपया 3.3 था. 75 साल में रुपया 80 के लेवल पर पहुंच गया है यानी हर साल रुपया डॉलर के मुकाबले 4.4% कमजोर हुआ है.
भारतीय रुपया गिर रहा है. टीवी, न्यूज़ पेपर से लेकर सोशल मीडिया तक में ये खबरें सुर्खियां बनी हुई हैं. इससे कई लोग ऐसा मानने लगे हैं कि एक राष्ट्र के रूप में हम दिन-ब-दिन गरीब होते जा रहे हैं. रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 को पार कर गया है. इस बात से एक तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव भी बन गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है या हम एक आर्थिक आपदा की ओर बढ़ रहे हैं? आइए समझने की कोशिश करते हैं.
आइए पहले रुपए के इतिहास पर नजर डालते हैं. ब्रिटिश राज से आजादी के समय डॉलर के मुकाबले रुपया 3.3 था. 75 साल में रुपया 80 के लेवल पर पहुंच गया है यानी हर साल रुपया डॉलर के मुकाबले 4.4% कमजोर हुआ है. उस समय सरकार ने रुपये-डॉलर की दरों की घोषणा की थी और कोई वास्तविक बाजार-संचालित समीकरण नहीं था. तो, चलिए 1966 की बात करते हैं, जब रुपए का पहला बड़ा अवमूल्यन किया गया था, जो डॉलर के मुकाबले वैल्यू 7.5 तक ले आया था. यदि हम 1966 को आधार वर्ष के रूप में लेते हैं, तो रुपए का अब तक का वार्षिक मूल्यह्रास (annualised depreciation) 4.3% आता है.
1975 में, भारत ने स्टर्लिंग से डी-पेग किया और रुपए को करेंसी बास्केट के साथ पेग किया और ये लगभग 9 तक पहुंच गया. इस हिसाब से देखें तो 1975 से अब तक हर साल रुपए का 4.76% का वार्षिक डेप्रिसिएशन हुआ है. 1991 के बड़े आर्थिक सुधारों के बाद, रुपया लगभग 26 पर आ गया और वार्षिक मूल्यह्रास 3.8% रहा. जबकि पिछले 8 वर्षों में वार्षिक मूल्यह्रास 3.2% था. डॉलर के मुकाबले रुपए का लॉन्ग टर्म डेप्रिसिएशन काफी स्ट्रक्चरल और नेचुरल है.
कॉम्पेरेटिवली सस्टेंड लोअर इंफ्लेशन रेट के साथ किसी और देश के खिलाफ इंडियन करेंसी का डेप्रिसिएशन लॉन्ग टर्म पिक्चर है और जब तक ये बेसिक मैक्रोइकोनॉमिक फिनोमेनन रिवर्स नहीं हो जाता रुपए का मूल्यह्रास जारी रहेगा और ये डॉलर के मुकाबले 100 को भी पार कर जाएगा. अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान स्टेज का अर्थ है कि भारत न केवल तेजी से विकास करना जारी रखेगा बल्कि कम से कम निकट भविष्य में उच्च मुद्रास्फीति दर भी होगी. रुपए में सालाना 3 से 4 फीसदी की गिरावट का अनुमान है. कई शॉर्ट टर्म फैक्टर्स के आधार पर गति धीमी या तेज हो सकती है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी और वैश्विक बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता के कारण अमेरिका बेस्ड सिक्योरेटीज में निवेश का बढ़ता अलोकेशन रुपए में मौजूदा गिरावट के प्रमुख कारण हैं. डॉलर डिनॉमिनेटेड सिक्योरिटीज में डॉलर की डिमांड एक एक वैश्विक घटना है और सभी अर्थव्यवस्थाओं ने इसका प्रभाव देखा है. डॉलर इंडेक्स अपने 20 साल के उच्चतम स्तर के करीब है.
यहां इसे भी देखना चाहिए कि पाउंड, यूरो और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रुपए का अवमूल्यन कम रहा है. यानी दुनिया की इन अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपए में तेजी आई है. इसका अर्थ यह भी है कि भले ही निवेश को डॉलर डिनॉमिनेटेड सिक्योरिटीज में फिर से आवंटित किया जा रहा है, फिर भी भारत ने अपनी आर्थिक सुधार और क्षमता के कारण अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अपेक्षाकृत उच्च रैंक हासिल की है. ऐसे में स्थितियां पलटने पर विदेशी निवेशकों के वापस भारत का रुख करने की उम्मीद है.
डॉलर के मुकाबले रुपया भले ही गिर रहा हो, लेकिन डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है इसका मतलब यह नहीं है कि हम गरीब होते जा रहे हैं. हम तेजी से बढ़ रहे हैं; हमारी आय का स्तर बढ़ रहा है और हमारी क्रय शक्ति बढ़ रही है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इसमें घबराने की कोई बात नहीं है. बेशक, केंद्रीय बैंक और सरकार को रुपए में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने की जरूरत है, लेकिन यह हमारी आर्थिक ताकत, विकास और क्षमता पर फैसला नहीं है.
डॉलर के मुकाबले कैसे तय होता है रुपये का रेट, यहां जानें पूरा गणित
Rupee Exchange Rate रुपये की मजबूती और कमजोरी की क्या वजह है। साथ ही सवाल उठता है कि भारतीय रुपया की मजबूती और कमजोरी कौन तय करता है। साथ ही इसे तय करने का फॉर्मूला क्या है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..
नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारतीय रुपया सोमवार को अपने सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया था। जब डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 78 रुपये हो गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय रुपया की मजबूती और कमजोरी कौन तय करता है। साथ ही इसे तय करने का फॉर्मूला क्या है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..
क्या होता है एक्सचेंज रेट
जिस मूल्य (दर) पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से बदली जाती है उसे ‘एक्सचेंज रेट’ कहते हैं। किसी भी देश की करेंसी का मूल्य बाजार में उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे एक सामान्य व्यापारी सामान की खरीद-फरोख्त करता है, वैसे ही फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं- स्पॉट रेट यानी आज के दिन विदेशी मुद्रा का मूल्य और फॉरवर्ड रेट यानी भविष्य में किसी तारीख के लिए एक्सचेंज रेट।
असल में एक्सचेंज रेट में दो करेंसी होती हैं
- बेस करेंसी
- काउंटर करेंसी।
पहला तरीका, जिसमें बेस करेंसी किसी अन्य देश की होती है जैसे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत। इसमें डॉलर बेस करेंसी है, जबकि रुपया काउंटर करेंसी। दूसरा तरीका, जिसमें घरेलू मुद्रा बेस करेंसी होती है और विदेशी मुद्रा काउंटर करेंसी। वैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांशत: एक्सचेंज रेट व्यक्त करते समय डॉलर को बेस करेंसी के तौर पर माना जाता है।
फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट एक्सचेंज रेट फ्लोटिंग या फिक्स्ड होते हैं। फ्लोटिंग एक्सचेंज का मतलब यह है कि करेंसी का मूल्य बाजार के रुख पर तय हो रहा है और समय-समय पर डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है इसमें उतार-चढ़ाव आ रहा है। कुछ देशों में सरकार एक्सचेंज रेट तय करती है, जिसे फिक्स्ड एक्सचेंज रेट कहते हैं। उदाहरण के लिए सऊदी अरब की मुद्रा रियाल, जिसकी कीमत वहां की सरकार तय करती है।
रियल एक्सचेंज रेट
किसी भी करेंसी का रियल एक्सचेंज रेट, नॉमिनल एक्सचेंज रेट से भिन्न होता है। अक्सर आपने अखबार में पढ़ा होगा कि चीन ने अपनी करेंसी युआन को अंडरवैल्यू करके रखा है। इसका मतलब यह है कि युआन का जितना मूल्य होना चाहिए, उतना नहीं है। इसे समझने के लिए हम रियल एक्सचेंज रेट की मदद लेते हैं। इससे पता चलता है कि किसी देश की करेंसी का वास्तविक मूल्य क्या है। उदाहरण के लिए एक डॉलर की कीमत 6.8 युआन है। इस तरह डॉलर-युआन का नॉमिनल एक्सचेंज रेट 1/6.8 यानी 0.147 हुआ। मान लीजिए चीन में एक बर्गर की कीमत 20 युआन जबकि अमेरिका में 5.30 डॉलर है। इस तरह चीन में डॉलर में एक बर्गर की कीमत 20 गुणा 0.147 यानी 2.94 डॉलर होगी। चूंकि अमेरिका में एक बर्गर की कीमत 5.30 डॉलर है, इसलिए युआन और डॉलर का रियल एक्सचेंज रेट 2.94/5.3 यानी 0.55 होगा। इस तरह डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है रियल एक्सचेंज रेट एक से नीचे आया। जिसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले युआन करीब 45 प्रतिशत अंडरवैल्यूड है। आदर्श स्थिति में रियल एक्सचेंज रेट एक होना चाहिए।
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