प्रधानमंत्री ने देश में 24 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने, वरिष्ठ नागरिकों को कर में रियायत देने पर, सूक्ष्म, छोटे और मझौले उद्यम के कर में कटौती करने पर, वेतनभोगी वर्ग को कुछ कर रियायतें देकर राहत देने पर बजट की सराहना की।

बाजारों तक कैसे पहुंचेंगे छोटे और सीमांत किसान, हाट बाजारों को अपग्रेड करने में लक्ष्य से पीछे है सरकार

चुनाव से पहले के अंतिम बजट से क्‍या उम्‍मीदें हैं? एक फौरी आकलन

वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम और अपना पांचवां आम बजट पेश करने वाले हैं। ये 2019 में होने वाले चुनाव से पहले का अंतिम आम बजट है लिहाजा ये कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के मद्देनज़र आम आदमी, खासकर गरीबों और किसानों को राहत दी जाएगी और उन्हें केंद्र में रख कर नयी योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। साथ ही नोटबंदी की मार से त्रस्त हुए निम्न मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों को राहत पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है।

चुनावी वर्ष का बजट होने के नाते इस तरह की अपेक्षाएं लाजिमी हैं, हालांकि लोक लुभावन बजट देना मोदी सरकार की मजबूरी कभी नहीं रही है। चुनाव जीतने के लिए उसके पास सफलतापूर्वक आजमाया गया नुस्खा तो है ही। यानी अल्पसंख्यकों को छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना प्रताड़ित करना, उन्हें देशद्रोही कहना, हिन्दू बनाम मुस्लिम का राग अलापना और अंत में प्रधानमंत्री मोदी का मंदिर-मंदिर मत्था टेकना।

सरकार आपकी पत्नी को हर महीने देगी 10000 रूपये का फायदा, जानिए क्या है योजना

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नई दिल्ली: PM Atal Pension Yojana: सरकार द्वारा आमजन के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं द्वारा सरकार आमजनों को बेहतर जीवन जीन के लिए सशक्त करने का प्रयास करती है। इस योजना का नाम अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana) है। अटल पेंशन योजना की बात करें तो 2015 में अरुण जेटली द्वारा लाया जा चुका है। इस योजना का उद्देश्य है कि असंगठित परिवारों को मजबूत आर्थिक सहायता पहुंचाकर फायदा दिया जाता है। स योजना में 10000 रुपये तक की पेंशन योजना (Pension Yojana) का लाभ मिलता है।

अटल पेंशन योजना क्या है (PM Atal Pension Yojana):

छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने का था उद्देश्य

इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाना था, ताकि ऐसे भी अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सके जो कृषि उत्पाद विपणन समितियों (APMCS) या थोक विनियमित बाजारों तक नहीं पहुंच सकते थे. हालांकि सरकार द्वारा दिए गए आंकड़े निराशाजनक हैं क्योंकि ग्रामीण हाटों का उन्नयन थोक विनियमित बाजारों की संख्या के विस्तार का एक विकल्प था. सरकार ने कहा था कि थोक विनियमित बाजारों का विस्तार संभव नहीं है, क्योंकि यह पूंजी-गहन और समय लेने वाला था.

अभी भी छोटे और सीमांत किसानों के लिए बाजारों तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना किसानों की संख्या देश के कुल किसानों की संख्या का 86 प्रतिशत है उससे भी अधिक हो सकते हैं. वे हमेशा एपीएमसी और अन्य थोक बाजारों में सीधे लेन-देन करने की स्थिति में नहीं होते हैं क्योंकि ऐसे बाजारों की पर्याप्त संख्या नहीं होती है. जो किसान एपीएमसी तक नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें या तो अपनी उपज को एग्रीगेटर्स / स्थानीय व्यापारियों को उनके द्वारा निर्धारित कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता है या आसपास के ग्रामीण हाटों में बेचने के लिए मजबूर किया जाता है , जो एपीएमसी की तरह विकसित नहीं होते हैं.

किसानों की आय दोगुनी करने वाली समिति की सिफारिश

यह बात तब सामने आई थी जब सरकार 2020 में अब छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना निरस्त किए गए कृषि कानूनों को लेकर आई थी. इन कानूनों ने मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति दी. डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2017 तक देश में 6,630 विनियमित थोक बाजार थे, जिनका औसत घनत्व 496 वर्ग किमी प्रति बाजार था. किसानों की आय़ दोगुनी करने संंबंधी समिति द्वारा भी मौजूदा ग्रामीण हाटों को विकसित करने की सिफारिश भी की गई थी. साथ ही यह भी सिफारिश की गयी है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के तहत एकत्रीकरण बाजार प्लेटफार्मों की सह-मेजबानी करने के साथ-साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल को अपनाने के लिए राज्यों में मौजूदा 22,000 (लगभग) हाटों के परिसर का लाभ उठा सकते हैं.

हाट ग्रामीण स्तर कृषि बाजार प्लेटफार्मों में उन्नत किया जा सकता है. उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कृषि के थोक के साथ राज्य विपणन अधिनियम के दायरे के बाहर रखकर जोड़ा जा सकता था. इसका लाभ यह होगा कि ये किसानों और उपभोक्ताओं के बीच स्थानीय खुदरा और टर्मिनल बाजारों में खुदरा आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए प्रत्यक्ष विपणन का भी समर्थन करेंगे. जेटली ने बजट भाषण के दौरान कहा था: “इन ग्रामों में, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग करके भौतिक बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा. ये ग्राम, इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई-एनएएम से जुड़े हुए हैं और एपीएमसी के नियमों से मुक्त हैं, किसानों को उपभोक्ताओं और थोक खरीदारों को सीधे बिक्री करने की सुविधा प्रदान करेंगे.

Budget 2018 : PM मोदी ने ठोंकी FM अरुण जेटली की पीठ

Rishi

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कृषि, स्वास्थ्य और छोटे व्यापार को ध्यान में रखकर सभी के लिए उपयुक्त बजट पेश करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली की सराहना की। मोदी ने लोकसभा में जेटली द्वारा वर्ष 2018-19 का बजट पेश करने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, "यह बजट किसानों, आम नागरिकों, पर्यावरण और विकास के लिए अनुकूल है।"

उन्होंने कहा, "बजट में व्यापार करने को आसान बनाने के साथ, जीवन को आसान बनाने पर भी ध्यान दिया गया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "इस बजट में सभी क्षेत्रों, कृषि से लेकर आधारभूत क्षेत्रों तक पर ध्यान दिया गया है। यह बजट भारत के 125 करोड़ लोगों के उम्मीदों और अपेक्षाओं को मजबूत करने वाला है।"

लेकिन नहीं छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना मिली आयकर दरों में कोई राहत

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आयकर दरों में 2018-19 के लिए कोई राहत नहीं दी। जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, "सरकार ने बीते तीन सालों में लोगों पर लागू निजी आयकर दरों में बहुत से सकारात्मक बदलाव किए हैं।"

उन्होंने कहा, "इसलिए मैं व्यक्तिगत आयकर दरों की संरचना में बदलाव करने का प्रस्ताव नहीं करता हूं।"

वेतनभोगी करदाताओं को राहत देने के क्रम में जेटली ने 'परिवहन भत्ता और विभिन्न चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के संबंध में वर्तमान छूट के बदले 40,000 रुपये के मानक कटौती का प्रस्ताव दिया।"

जेटली ने 2017-18 के बजट में 2.5 लाख प्रतिवर्ष से पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष की आयकर स्तर में आयकर 10 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया था।

जीएसटी लॉन्चिंग समारोह में हिस्सा लेने के लिए कांग्रेस और वाम दल का आश्वासन नहीं

अरूण जेटली (फाइल फोटो)

अरूण जेटली (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के लिए 30 जून को संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित विशेष आयोजन में शामिल होने को लेकर कांग्रेस और वाम दल की ओर से आज कोई आश्वासन नहीं आया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस इस पर विचार कर रही है कि आयोजन में हिस्सा ले या नहीं। उन्होंने कहा कि उसने अपने हिस्सा लेने को लेकर सरकार को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।

पहले की खबरों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच डी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने की उम्मीद है।

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