American Option क्या हैं?
अमेरिकी विकल्प क्या हैं? [What is American Option?] [In Hindi]
American Option Options की एक शैली है जो आपको किसी Option contract को उनकी समाप्ति तक किसी भी समय प्रयोग करने की अनुमति देता है। यह आपको अपनी विकल्प ट्रेडिंग रणनीति के साथ लचीलापन देता है।
इन विकल्पों में से एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि जैसे ही वे पैसे में होते हैं या जब भी कीमत लाभकारी दिशा में चलती है, तो आप Contract का प्रयोग कर सकते हैं।
मान लें कि आपके पास $ 10 के स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल विकल्प है, और आज, अंतर्निहित स्टॉक $ 15 पर ट्रेड करता है। एक अमेरिकी विकल्प के साथ, आपको निष्पादित करने के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है और संभवतः मुनाफे से बाहर होना चाहिए। आप तुरंत व्यापार निष्पादित कर सकते हैं और $ 5 स्प्रेड पर नकद कर सकते हैं।
अमेरिकी विकल्प कब खरीदें [When to buy american options] [In Hindi]
एक American style विकल्प निश्चित रूप से आपको अधिक लचीलापन देता है। हालाँकि, इस मामले में आपकी पसंद काफी सीमित हो सकती है, क्योंकि उपलब्ध विकल्प का प्रकार एक्सचेंज और परिसंपत्ति पर निर्भर हो सकता है। भारत में, उदाहरण के लिए, आप शेयरों के लिए अमेरिकी कॉल विकल्प प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी विकल्प इंडेक्स और मुद्रा विकल्पों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। तो, इस मामले में, आपके पास प्रस्ताव पर जो कुछ भी है उसके साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
अमेरिकन कॉल और पुट ऑप्शंस [American Call & Put Option] [In Hindi]
कॉल ऑप्शन धारक को contract period के भीतर किसी भी दिन अंतर्निहित सुरक्षा या स्टॉक की डिलीवरी की मांग करने का अधिकार देता है। इस सुविधा में कोई भी दिन शामिल है जो समाप्ति के दिन तक और समाप्त होता है। सभी विकल्पों की तरह, धारक के पास शेयर प्राप्त करने का दायित्व नहीं है यदि वे अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करना चुनते हैं। स्ट्राइक मूल्य पूरे अनुबंध में समान निर्दिष्ट मूल्य रहता है। Algorithmic trading क्या है?
जैसा कि हमने देखा है, एक अमेरिकी शैली विकल्प किसी भी समय आपके अधिकार का प्रयोग करने के लिए लचीलापन प्रदान करता है। हालाँकि, आपके पक्ष में कीमतों के पहले उदाहरण में बंदूक कूदने और अपने अधिकार का प्रयोग करने का प्रलोभन हो सकता है। उस स्थिति में, यदि कीमतें अधिक (कॉल ऑप्शन के मामले में) या कम (पुट ऑप्शन के मामले में) चलती हैं, तो आप हारने के लिए खड़े होंगे। इंडेक्स विकल्पों के लिए अमेरिकी विकल्प भी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए वे वहां ज्यादा काम के नहीं हैं।
What is Options Trading in Hindi? ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है? कैसे करते हैं?
आप यहां तक आये हैं इसका मतलब है कि आप वाकई में Option Trading को लेकर सीरियस हैं। आजकल जहाँ लोग शारीरिक सुख प्राप्त करने के लिए भाग रहे हैं, आपने अपनी जिंदगी से जुड़ा अहम् फैसला लिया है, हम आपको उसकी बधाई देते हैं।
अब सवाल ये है कि क्या आप Option Trading कर सकते हैं?
जी बिलकुल कर सकते हैं पर उससे पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग को समझना होगा और सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ना होगा कि ये ट्रेडिंग कैसे काम करती है ताकि आगे जाकर आपको नुकसान न हो।
ऐसे में आपके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होगा लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ। इस प्रकार की ट्रेडिंग में पैसे बहुत जल्दी बढ़ते और कम होते हैं तो आपको अपने मन पर काबू पाना होगा।
Option Trading करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
आपको पहले से सचेत करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि इसमें आपके पैसे जा रहे हैं और आजकल पैसा ही सब कुछ है। आपको हर एक फैसला काफी सोच विचारकर करना होगा और शेयर मार्किट में अपने सफर की शुरुआत हमेशा कम से करें।
जैसे अगर आपके पास लगाने के लिए अगर ₹20,000 हैं तो उसका 25% ही लगाएं मतलब ₹5,000। ठीक वैसे ही अगर आपके पास घर के खर्चे पूरे होने के बाद ₹10,000 बचते हैं तो इसमें से केवल ₹2500 ऑप्शन ट्रेडिंग में इस्तेमाल करें।
अगर आपके पास इससे भी कम पैसे बच रहे हैं तो आप ऑप्शन ट्रेडिंग को छोड़कर Equity में इन्वेस्ट या ट्रेडिंग कर सकते हैं। ये आपको काफी सस्ता पड़ेगा और पूरी तरह टेक्निकल एनालिसिस करने के बाद आप यदि शेयर खरीदेंगे तो आपको फायदा होने के सम्भावना कई गुना बढ़ जाएगी।
Options Trading Kya Hai?
ऑप्शन ट्रेडिंग Buyer और Seller के बीच में एक ऐसा समझौता है जो Buyer को एक खास कीमत पर एक खास समय सीमा के भीतर किसी Underlying Asset को खरीदने या बेचने का अधिकार प्रदान करता है।
स्टॉक मार्किट में Options का काम खरीदने वाले को एक निर्धारित कीमत पर किसी निश्चित समय सीमा के लिए कोई सिक्योरिटी खरीदने का अधिकार देना है | समय कुछ मिनटों से लेकर 6 महीने तक हो सकता है लेकिन वह समय पूरा होने के बाद खरीदने वाले को पूरे पैसे चुकाने होंगे।
Option Trading में Premium क्या है?
अपना अधिकार पक्का करने के लिए buyer को कुछ मूल्य पहले से चुकाना होता है जिसे हम प्रीमियम कहते हैं। प्रीमियम की राशि उस आधार पर निर्धारित की जाती है कि और कितने लोग उस कॉन्ट्रैक्ट को खरीद रहे हैं और आगे उसके बढ़ने की कितनी सम्भावना है।
ऑप्शन कितने प्रकार के होते है?
ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं: कॉल और पुट जिन्हें ब्रोकर्स द्वारा CE और PE से दर्शाया जाता है। यदि आपको आने वाले समय में शेयर की कीमत बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं तो आप कॉल ऑप्शन खरीदेंगे वहीँ दूसरी ओर अगर आपको लग रहा है कि ये शेयर डूबने वाला है तो पुट विकल्प खरीदना फायदेमंद हो सकता है।
फायदा तभी होगा जब ऑप्शन का मूल्य आपके चुकाए गए प्रीमियम से ज्यादा होगा। अब शेयर मार्किट में कुछ भी काम करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट की जरुरत तो पड़ती ही है इसलिए एक अच्छा सा ब्रोकर ढूंढ़कर अपना डीमैट अकाउंट अवश्य खुलवाएं तभी आप Option Trading की शुरुआत कर पाएंगे।
1. Call Option(CE)
मान लीजिये अभी बैंकनिफ़्टी 31900 चल रहा है और आपने Bank Nifty की 32000 की कॉल वाला एक lot (group of share) ख़रीदा जिसमे हर एक शेयर की कीमत 28 रूपये थी।
अब अगर बैंक निफ़्टी 32000 के विकल्प ट्रेडिंग क्या हैं? पास विकल्प ट्रेडिंग क्या हैं? जायेगा जैसे 31930, 31940 आदि तो लोट में ख़रीदे गए हर एक शेयर की कीमत में वृद्धि होगी। अब Bank Nifty आपके बताये गए मूल्य के जितना पास पहुंचेगा आपको उतना ज्यादा ही लाभ होगा।
वहीँ अगर BankNifty बढ़ने की बजाए घट गया, जैसा की अधिकतर लोगों के साथ होता है, तो आपको बहुत नुकसान होगा। उसके लिए भी तैयार रहना अनिवार्य है क्योंकि यही Option Trading की डार्क साइड है।
2. Put Option(PE)
वहीँ दूसरी तरफ पुट ऑप्शन आपको शेयर बेचने का अधिकार देता है जैसे कि आप एक बियर बन गए हैं | आपको बता दें बियर वे लोग होते हैं जो शेयर को शार्ट करके पैसे बनाते हैं।
जैसे कि BankNifty का CMP अभी 31000 चल रहा है और आपने बैंक निफ़्टी का 30900 की पुट वाला एक lot ख़रीदा और उसके बाद BankNifty अगर 31000 चला गया तो आपकी बल्ले बल्ले हो जाएगी।
अगर आपने पुट ऑप्शन ख़रीदा और शेयर उस ऑप्शन की कीमत आपकी बताई गयी कीमत मुताबिक गिर गयी तो आपको बहुत फायदा होगा पर अगर कीमत गिरते गिरते उछल गयी और आप अपने ऑप्शन को बेचने से चूक गए तो भारी घाटा करने के लिए तैयार रहिये।
क्या Option Trading बेकार है?
दुनिया के बड़े इन्वेस्टर जैसे वारेन बुफेट, चार्ली मंगर, राकेश झुनझुनवाला, राधाकिसन दमानी आदि सब Option Trading छोड़कर स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने का मौका ढूंढते हैं। क्योंकि वे जानते है कि ट्रेडिंग करके कुछ समय के लिए अमीर बना जा सकता है लेकिन इन्वेस्टिंग करके उम्र भर।
इसका ये मतलब नहीं है कि आप Option Trading को लात मार दें। यह भी एक विकल्प है और लोग इससे भी अमीर बनते हैं। लेकिन अगर आपने स्टॉक मार्किट के बारे अभी पढ़ना शुरू किया है और आप इस विकल्प से शुरुआत करना चाहते हैं तो शायद आप गलत हों।
आपको कम से कम 1 से 3 साल का समय देना होगा, Trading psychology books पढ़नी होंगी और मार्किट को समझना होगा। उदाहरण के लिए जब हम स्कूल जाते है तो पहले जमकर पढाई करते हैं और उसके बाद एग्जाम देते हैं।
यदि बिना पढ़ें परीक्षा देने जायेंगे तो जानते हैना आपका हाल कैसा होगा। ठीक वैसा ही तब होगा अगर आप इक्विटी से शुरुआत न करके सीधा ऑप्शन में घुस जायेंगे इसलिए पहले पढाई करिये और फिर Option Trading में शुरुआत कीजिये।
Stock Market Trading: बेस्ट करियर ऑप्शन में से एक है स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग, जानें कैसे करें कोर्स
Stock Market Trading Courses: यहां जानें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में करियर विकल्प क्या हैं और आप इसमें किन योग्यताओं के साथ जॉब कर सकते हैं।
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हाइलाइट्स
- स्टॉक मार्केट क्यों है बेस्ट करियर ऑप्शन?
- जानें कोर्स के लिए कौन-सी योग्ताएं हैं जरूरी
- इस फील्ड में जॉब करने से मिलते हैं कई फायदे
- आप अपने खुद के मालिक हो सकते हैं।
- करेक्ट नॉलेज और स्ट्रेटजी के साथ, आप मार्केट से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
- आप कैश मार्केट (cash market) से डेरिवेटिव मार्केट (derivative market) तक बढ़ सकते हैं और लीवरेज को अपना फ्रेंड बना सकते हैं
- आप रिसर्चर या ट्रेनर भी बन सकते हैं
- आप सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (SEBI registered Investment Advisor) या सेबी पंजीकृत अनुसंधान विश्लेषक (SEBI registered Research Analyst) बन सकता है और कंसल्टिंग कर सकते हैं।
- स्टॉकब्रोकर (Stockbroker)
- फाइनांशियल एडवाइजर (Financial Advisor)
- इनवेस्टमेंट एडवाइजर (Investment Advisor)
- पोर्टफोलिया मैनेजमेंट सर्विस (Portfolio Management Services) (PMS)
- रिसर्च एनालिस्ट (Research Analyst)
- ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग (Online Stock Trading)
- फाइनांशियल एनालिस्ट (Financial Analyst)
- इक्वीटी इनालिस्ट (Equity Analyst (Fundamental/ Technical)
- मार्केट रिसर्चर (Market Researcher)
- एमएफ डिस्ट्रिब्यूटर / एडवाइजर (MF Distributor/Advisor)
- इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर / एडवाइजर (Insurance distributor/advisor)
- एक क्लीयर ट्रेडिंग प्लान तैयार करना। ट्रेडिंग प्लान का लक्ष्य श्ूजर के लिए क्लीयर और मीनिंगफुल होना चाहिए।
- स्ट्रैटजी को लागू करने के लिए ट्रेडर को टेक्नोलॉजी और मेथ्ड से फैमिलियर होना चाहिए।
- आउटकम को प्राप्त करने की प्लानिंग के लिए, ट्रेडर को प्लानिंग पर भरोसा करना चाहिए।
- लगातार सफलता प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए रेवेंज ट्रेडिंग (revenge trading), रीसेंसी बायस (recency bias), स्टीरियोटाइपिंग इत्यादि जैसे बिहेवेरियल बायसेज (behavioral biases) के बारे में हमेशा अवेयर रहना चाहिए।
- हमेशा कुछ नियम रखें और हमेशा उनका पालन करें।
- ट्रेडिंग को फुलटाइम प्रोफेशन/बिजनेस के रूप में मानें जिसमें बिजनेस करने की लागत में आपको होने वाली हानि होती है। नुकसान से कभी भी न हिचकिचाएं और हमेशा स्ट्रिक्ट स्टॉप-लॉस का पालन करें।
- ट्रेडर ज्यादातर सेल्फ थॉट ब्रीड (self-taught breed) होते हैं। हालांकि, एक प्रोफेशनल ट्रेडर को शुरू करने के लिए फाइनांस की मूल बातें समझने की जरूरत है। कॉलेज की डिग्री आजकल एक प्रीकंडीशन है - कम से कम यदि आप ट्रेडिंग को सिरियसली लेना चाहते हैं या किसी सम्मानजनक फाइनांशियल इंस्टीट्यूशन या कॉर्पोरेशन में ट्रेडिंग से रिलेटेड करियर बनाना चाहते हैं।
- अधिकांश ट्रेडर के पास मैथ्स, फाइनांस, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स या इंडस्ट्री में डिग्री होती है। डिफाइंड क्राइटेरिया के रूप में, शुरुआत करने के लिए आयु 18 वर्ष हो ऐसा जरूरी नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है। नाबालिग और वयस्क दोनों शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
- माता-पिता या गार्जियन द्वारा संबंधित दस्तावेज जमा करने के बाद नाबालिग के नाम पर अकाउंट खोला जा सकता है। नाबालिग के वयस्क होने तक माता-पिता या गार्जियन अकाउंट की देखरेख करते हैं। नाबालिग के 18 साल के होने के बाद, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट व्यक्ति को कुछ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज प्राप्त करने के लिए एक एडवाइजरी भेजता है ताकि वह नया अकाउंट खोल सके और उसमें डिटेल ट्रांसफर कर सके।
- डीमैट अकाउंट खोलने के लिए पैन कार्ड जरूरी है। इसे खोलते समय आपको केवाईसी दस्तावेजों के साथ अपने पैन कार्ड की एक प्रति जमा करनी होगी। दूसरी ओर, किसी के लिए इस इंडस्ट्री में इनवेस्टेंट एडवाइजरी या किसी कंसल्टिंग कंपनी में प्रोफेशनल के रूप में काम करने के लिए एनआईएसएम सर्टिफाइड होना चाहिए और इकोनॉमिक्स / बिजनेस मैनेजमेंट / फाइनांस या इसी तरह के कोर्स में मास्टर या ग्रेजुएट होना जरूरी है।
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Share Market: जाने क्या है Insider Trading, सरकार इसको क्यों मानती है अपराध?
Share Market Update News: किसी कंपनी को जब अपना विस्तार करना होता है और उसके लिए पैसे चाहिए होते हैं तो उसके पास पैसा बनाने के कई विकल्प होते हैं. उन्हीं विकल्पों में से एक होता है, अपनी हिस्सेदारी को लोगों में बांटना. इसके साथ कंपनी आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) निकालती है. आप कंपनी को पैसे देकर इन आईपीओ (कंपनी में हिस्सेदारी) को कंपनी से सीधा खरीद सकते हैं. इसके साथ ही कंपनी के ये शेयर आप कभी भी और किसी को भी बेच सकते हैं.
क्या होता है प्राइमरी और सेकेंड्री मार्केट
लेकिन जब कंपनी शेयर बेच रही थी, तब अगर आप उनको नहीं खरीद पाए और अब आप उन्हें खरीदना चाहते हैं तो आप किसी और से ये शेयर खरीद सकते हैं. आईपीओ के अलावा आप एक बार भी न तो कंपनी से शेयर खरीदते हैं और न ही कंपनी को बेचते हैं. आप तो किसी ओर से शेयर खरीद रहे हैं और किसी और को ही शेयर बेच रहे हैं. यहां आप सेकेंड हैंड शेयरों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. इसलिए जहां आईपीओ से शेयरों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, उसे प्राइमरी और जहां सेकेंड हैंड शेयरों की बिक्री-खरीद हो रही है, उसे सेकेन्ड्री मार्केट कहा जाता है. आप जो रोजना शेयर मार्केट की खबरें सुनते हैं, वो वास्तव में एक सेकेन्ड्री मार्केट है.
ऐसे घटते बढ़ते है शेयरों के दाम
शेयर मार्केट में भी डिमांड व सप्लाई के हिसाब से दामों का घटना बढ़ना होता है. अगर किसी कंपनी के शेयरों की डिमांड ज्यादा होगी तो उसके शेयरों के दाम बढ़ते चले जाएंगे और मांग घटती है तो दाम घटते चले जाएंगे. इस शेयरों की डिमांड कंपनी की परफोर्मेंस के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है. उदाहरण के तौर पर कंपनी ने अगर कोई में कोई ऐसी चीज बनाई है, जिसकी मांग आगे चलकर बढ़ने वाली है तो उसके शेयरों की डिमांड बढ़ती चली जाएगी. कोरोना काल के दौरान बिल्कुल ऐसा ही हुआ. कोरोना महामारी में फार्मा कंपनी के साथ ऐसा ही हुआ, क्योंकि टीका बनाने की तैयारी चल रही थी और सबको पता था कि टीका जब भी आएगा, उसकी मांग में बड़ा उछाल आएगा. इसके विपरीत कोई कंपनी अगर घाटे में जा रही या उसका कोई विवाद चल रहा है तो उसके शेयरों की डिमांड कम होगी.
शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले तीन तरह के निवेशक होते हैं-
1- इंवेस्टर्स- ये एक या कई कंपनियों के शेयर खरीदकर, लंबे समय तक उन शेयरों को अपने पास रखते हैं. इनको बाजार में समय-समय पर होने वाले उतार चढ़ाव से कोई फर्क नहीं पड़ता. वो धीरे-धीरे अपना निवेश पढ़ाते रहते हैं. पांच या दस साल बीत जाने के बाद ये पैसा निकालते हैं. इस तरह की ट्रेडिंग को वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता है.
2- स्विंग ट्रेडर्स- ऐसे निवेशक कुछ महीनों या कुछ दिनों के लिए किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उम्मीद के हिसाब से फायदा या नुकसान देखकर पैसा निकालते हैं. इस तरह की ट्रेडिंग में रिस्क ज्यादा होता है, लेकिन रिटर्न भी उसी हिसाब से मिलता है.
3- इंट्राडे ट्रेडर्स- ऐसे ट्रेडर्स रोजाना शेयर खरीदते हैं और रोजाना शेयर बेचते हैं. ऐसे ट्रेडर्स को गैंबलर भी कहा जाता सकता है. ये एक दिन के हिसाब से पैसा कमाते हैं और लाखों की रकम कमा या गंवा सकते हैं.
क्या है इनसाइडर ट्रेडिंग-
जब किसी व्यक्ति या संस्था के पास किसी कंपनी से जुड़ी यूपीएसआई (अनपब्लिशड प्राइज इंफोर्मेशन) होती है. ऐसे में उसके द्वारा की गई ट्रेडिंग को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है. यूपीएसआई का मतलब कंपनी के शेयरों के बारे में ऐसी बहुत ही संवेदनशील जानकारी जो अभी तक पब्लिशड नहीं हुई है. मतबल सेबी और मीडिया को रिपोर्ट नहीं हुई है. यूपीएसआई का एक्सेस रखने वाले व्यक्ति को इनसाइडर ट्रेडर मान लिया जाता है, जैसे कि कंपनी के कर्मचारी या कंपनी के प्रमोटर्स. ऐसा ज्यादातर इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है. आपको बता दें कि हर बड़ी कंपनी को अपने तिमाही रिजल्ट या कोई भी बड़ी जानकारी सेबी को रिपोर्ट करना होता है.
शेयर बाजार में अब नहीं डूबेंगे पैसे, ये स्टार्टअप ऐसे बनाएगा आपको ‘ट्रेडिंग गुरु’
कहते हैं कि ‘दूध का जला, छाछ भी फूंककर पीता है.’ शेयर बाजार में निवेश करने वाले अक्सर ये कहावत इस्तेमाल करते हैं. अगर शेयर बाजार में एक बार किसी का नुकसान हो जाए तो वो खुद तो शेयर बाजार में निवेश करने से बचता ही है. कई और संभावित निवेशकों को भी शेयर बाजार, यहां तक कि म्यूचुअल फंड में भी निवेश करने से रोकता है. ऐसे में निवेश विकल्प ट्रेडिंग क्या हैं? का एक अच्छा विकल्प इन संभावित निवेशकों की पहुंच से दूर हो जाता है. लेकिन अब एक स्टार्टअप ने ऐसा तरीका निकाला है जो आपको पैसे का नुकसान हुए बगैर शेयर बाजार में ट्रेडिंग का गुरु बनाएगा. जानें इसके बारे में.
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शेयर बाजार के नौसिखियों के लिए Neostox नाम के इस स्टार्टअप ने नायाब तरीका ढूंढा है. जैसे पायलट को ट्रेनिंग या ड्राइविंग स्कूल में ड्राइविंग सिखाने के लिए सिम्यूलेटर पर प्रशिक्षण दिया जाता है. वैसा ही एक सिम्यूलेशन प्लेटफॉर्म Neostox ने तैयार किया है. ये प्लेटफॉर्म नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के रीयल-टाइम फीड पर काम करता है और आपको शेयर ट्रेडिंग के जरूरी गुर सिखाता है. कैसे काम करता है ये.
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शेयर बाजार में निवेश के दौरान हमारा सबसे बड़ा डर पैसा डूबने को लेकर होता है. Neostox ने अपने प्लेटफॉर्म पर इसी का तोड़ निकाला है वर्चुअल मनी के तौर पर, जैसे ही ग्राहक इस पर साइन-इन करता है, उसके अकाउंट में तत्काल 10 लाख रुपये का वर्चुअल कैश आ जाता है. इसे 1 करोड़ रुपये तक टॉप-अप किया जा सकता है. इसी वर्चुअल मनी की मदद से कोई ग्राहक इस सिम्यूलेशन प्लेटफॉर्म पर शेयर ट्रेडिंग कर सकता है. कैसे ट्रेडिंग होती है इस प्लेटफॉर्म पर.
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Neostox के प्लेटफॉर्म पर आपको असली शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने जैसा अनुभव मिलेगा. कंपनी के को-फाउंडर में से एक राजेश दुआ का कहना है कि इस प्लेटफॉर्म पर NSE की रियल ट्रेडिंग को रियल-टाइम ट्रेडिंग में बदल दिया गया है. प्लेटफॉर्म पर निवेशक शेयरों के ऊपर-नीचे जाते भाव, उनकी खरीद-बिक्री करना, ऑर्डर देना, ऑर्डर की लिमिट तय करना, डिलिवरी ऑप्शन या इंट्रा-डे ट्रांजैक्शन में से चुनना इत्यादि काम पैसा डूबने के डर के बिना सीख सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर क्या कोई चार्जेस भी लगते हैं.
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राजेश दुआ का कहना है कि Neostox पर ट्रेडिंग को वास्तविक अनुभव बनाने के लिए इसका डिजाइन ऐसे किया गया है जैसे किसी आम ब्रोकरेज फर्म का होता है. इसके अलावा शेयर बाजार में निवेश से जुड़े क्या खर्च हैं इसका अनुभव कराने के लिए Neostox ब्रोकरेज चार्जेस, एक्सचेंज फीस और टैक्स इत्यादि की वसूली करती है. हालांकि ये सारे चार्जेस भी वर्चुअल मनी से भरने होते हैं. कैसे आया इसका आइडिया.
(File Photo)
Neostox के स्टार्ट-अप बनने की कहानी भी दिलचस्प है. राजेश दुआ बताते हैं कि Neostox के Version 1.0 प्लेटफॉर्म को तैयार करने में 3 साल लगे और उसके बाद इसे पिछले साल लॉन्च किया गया. अब कंपनी इसका Version 2.0 लेकर आ रही है. उन्होंने अपने 2 और दोस्तों के साथ मिलकर इसे तैयार किया. इसका आइडिया उन्हें तब आया जब वो खुद शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोच रहे थे और इसके लिए कोई सिम्यूलेशन प्लेटफॉर्म ढूंढ रहे थे. लेकिन उन्हें ऐसा कोई प्लेटफॉर्म मिला ही नहीं..
कंपनी का कहना है कि भारत में करोड़ों लोग हैं जो शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं. लेकिन पैसा डूबने के डर से वो इसमें निवेश से बचते हैं. Neostox ऐसे लोगों की मदद करेगा और उसके इस प्लेटफॉर्म पर अनुभव प्राप्त करने के बाद वो चाहें तो असली पैसों से शेयर बाजार में असली ट्रेडिंग कर सकते हैं.
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