वर्ग फुट क्षेत्र की गणना कैसे करें?
यदि आपने अपने घर को लैंडस्केप या फिर से तैयार करने का फैसला किया है, तो यह तय करने का समय है कि किन सामग्रियों का उपयोग करना है और उनका उपयोग कहां करना है। चाहे कालीन की खरीदारी हो या भूनिर्माण या गृह सुधार परियोजना की योजना बनाना, एक आवश्यक अवधारणा वर्ग फुटेज की गणना कर रही है। तो, सामग्री उत्पाद टैग पर सभी नंबरों को कैसे समझें? यहां कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं। लेकिन पहले स्क्वायर फीट का मतलब आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं समझ लेते हैं।
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क्या होती है मुद्रास्फीति, कैसे होती है इसकी गणना, आम जनता पर इसका क्या पड़ता है असर
Inflation: जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है. आम लोगों को सबसे ज्यादा इसका नुकसान उठाना पड़ता है. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी का असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. जबकि व्यापारियों और उधार देने वालों को फायदा होता है.
मुद्रास्फीति के बारे में जानिए
शशिकांत सिंह
- नई दिल्ली,
- 13 जून 2022,
- (Updated 13 जून 2022, 7:53 PM IST)
WPI और CPI के जरिए होती मुद्रास्फीति की गणना
महंगाई का सबसे ज्यादा असर नौकरीपेशा लोगों पर होता है
आम लोगों को महंगाई से फौरी राहत मिली है. मई में महंगाई दर में कमी आई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्ट आधारित रिटेल महंगाई दर मई में घटकर 7.04 फीसदी हो गई है. एक साल पहले मई महीने में महंगाई दर 6.30 फीसदी थी. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी थी. मई में खाद्य महंगाई दर 7.79 फीसदी रहा, जबकि अप्रैल में 8.38 फीसदी रहा था. अप्रैल के मुकाबले शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी आई है. शहरों में अप्रैल में 8.19 फीसदी महंगाई दर थी, जबकि मई में बढ़कर 8.20 फीसदी पर पहुंच गया है.
मुद्रास्फीति मतलब महंगाई-
आम बोलचाल की भाषा में मुद्रास्फीति से मतलब महंगाई से है. जब उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थाई या अस्थाई बढ़ोतरी होती है तो उसे मुद्रास्फीति या महंगाई कहते हैं. मुद्रास्फीति वो स्टेज है, जिसमें मुद्रा की मूल्य गिरता है. इसका मतलब कीमतें बढ़ती रहती हैं.
महंगाई का पता कैसे लगाया जाता है-
महंगाई का पता लगाने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. महंगाई दर को WPI और सीपीआई के जरिए मापा जा सकता है.
महंगाई दर WPI मतलब होलसेल प्राइस इंडेक्स पर आंकी जाती है. इस इंडेक्स का इस्तेमाल उन प्रोडक्ट्स की औसत कीमत स्तर में बदलाव आंकने के लिए किया जाता है, जिनका कारोबार थोक बाजार में होता है. WPI के जरिए 400 से ज्यादा कमोडिटी पर नजर रखी जाती है. इसमें आने वाले सभी चीजों की रोजाना समीक्षा होती है. WPI तक पहुंचने के लिए निर्मित उप्पादों, ईंधन और प्राथमिक वस्तुओं के दाम का इस्तेमाल किया जाता है.
कई देशों में CPI मतलब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के जरिए महंगाई मापी जाती है. सीपीआई एक खास समय अवधि में सामान की कीमतों में बदलाव की माप है. इसे जीवन-यापन के खर्च और आर्थिक बढ़ोतरी दोनों के इंडिकेटर के तौर पर यूज किया जाता है.
आम जनता पर महंगाई का असर-
आम जनता पर मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर अलग-अलग समाज पर अलग-अलग पड़ता है. महंगाई से आम लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है. नौकरीपेशा और किसानों पर महंगाई का सबसे ज्यादा असर होता है. महंगाई से इन वर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि इस वर्ग की कमाई सीमित होती है और महंगाई के चलते खर्च बढ़ जाता है. खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाती हैं. दूध, तेल, सब्जी, आटा-चावल जैसी रोजमर्रा की चीजें महंगी हो जाती है. जिससे आम आदमी की जेब पर भार पड़ता है. घर चलाना मुश्किल हो जाता है. महंगाई से उधार देने वालों को फायदा होता है, जबकि बचत करने वालों को नुकसान होता है.
एक्सपोर्ट और इंपोर्ट पर असर-
महंगाई का एक्सपोर्ट और इंपोर्ट पर भी असर पड़ता है. महंगाई से एक्सपोर्ट सस्ता हो जाता है जबकि इंपोर्ट महंगा हो जाता है. इसका कारण साफ है कि समान मात्रा में किसी वस्तु के आयात के लिए खरीदार को अधिक रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि उतनी ही मात्रा में निर्यात करने पर दूसरे देश को कम डॉलर खर्च करने पड़ते हैं.
महंगाई से फायदा-
महंगाई से उधार देने वालों और व्यापारियों को फायदा होता है. थोक विक्रता और फुटकर विक्रेता को महंगाई से फायदा होता है. मंहगाई बढ़ने से बिचौलियों को फायदा होता है. मुद्रास्फीति से उत्पादक और उद्यमी वर्ग को फायदा होता है. क्योंकि उत्पादक जिन वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, उनकी कीमतें बढ़ रही होती हैं. जबकि मजदूरी में बढ़ोतरी उस अनुपात में नहीं होती है. इस तरह से मुद्रास्फीति से उद्यमी और उत्पादक को फायदा होता है.
आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं ? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं ? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं।
हालांकि 'औसतें' तुलना के लिहाज़ से उपयोगी हैं, इससे आसमानताएँ छुपती हैं।
उदाहरण के लिए, दो 'देश क' और 'ख' देखते हैं। सरलता के लिए, हम जानते हैं की प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। निम्न तालिका में दिए आँकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए।
देश | 2007 में नागरिकों की मानसिक आय (रुपए में ) | |||||
I | II | III | IV | V | औसत | |
देश क | 9500 | 10500 | 9800 | 10000 | 10200 | 10000 |
देश ख | 500 | 500 | 500 | 500 | 48000 | 10000 |
क्या आपको दोनों देशों में रहने पर बराबर ख़ुशी होगी? क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं? शायद हममें से कुछ लोग देश 'ख' में रहना पसंद करेंगे अगर हमें यह आश्वासन हो की हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। लेकिन अगर हमारी नागरिकता संख्या लॉटरी के ज़रिए निश्चित होगी तो शायद हममें से ज्यादातर लोग देश 'क' में रहना पसदं करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हालांकि दोनों देशों की औसत आय एक सामान है, देश 'क' के लोग न तो बहुत अमीर हैं न बहुत गरीब, जबकि देश 'ख' के ज़्यादातर नागरिक गरीब हैं और एक व्यक्ति बहुत अमीर है । इसलिए हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित हैं।
विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग हैं?
यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) देशों की तुलना उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं। किन्तु उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं किन्तु विकास को मापने के लिए विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाना वाला मापदण्ड केवल प्रति व्यक्ति अथवा औसत आय हैं।
संक्षेप में, मानव विकास मापदण्ड यूएनडीपी द्वारा उपयोग किया जाता है, जबकि विश्व बैंक द्वारा केवल आर्थिक विकास किया जाता है।
विश्व बैंक विभिन वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?
विभिन्न देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य मापदंड:
प्रति व्यक्ति आय वाले देश जिनके प्रति वर्ष 12616 डॉलर प्रति वर्ष और उससे अधिक की राशि है, उन्हें अमीर देश कहा जाता है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1035 अमेरिकी डॉलर या उससे कम है उन्हें कम आय वाले देश कहते हैं। भारत कम मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि 2012 में प्रति व्यक्ति आय केवल 1530 डॉलर प्रति वर्ष थी। मध्य पूर्व और कुछ अन्य छोटे देशों को छोड़कर अमीर देशों को सामान्यतः विकसित देश कहा जाता है।
सीमियाएँ:
इस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है। लोग न तो बहुत अमीर हो सकते हैं और न ही बहुत गरीब हैं लेकिन एक ही देश में एक ही औसत आय के साथ, एक व्यक्ति अत्यंत समृद्ध हो सकता है, जबकि अन्य बहुत खराब हो सकते हैं इसलिए, औसत आय की विधि किसी देश की सही तस्वीर नहीं देती है।
यह मापदंड लोगों के बीच असमानताओं को छुपाता है।
Gratuity Calculation : कैसे की जाती है ग्रेच्युटी की गणना और कब मिलती है आपको आयकर से छूट, यहां पाएं डिटेल्स
Gratuity Calculation : कोई कर्मचारी किसी आर्गेनाइजेशन में पांच साल की अवधि पूरा कर लेता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार माना जाता है. इसकी गणना का आधार क्या है और आपको आयकर से छूट दी जाती है. इन सबके बारे में यहां पर चर्चा की जा रही है.
Updated: August 18, 2022 10:34 AM IST
Gratuity Calculation : वेतनभोगी कर्मचारी, अस्थायी या संविदा कर्मचारियों को छोड़कर, एक ही आर्गेनाइजेशन में रोजगार की एक निश्चित अवधि के पूरा होने के बाद ग्रेच्युटी भुगतान के लिए हकदार होते हैं.
Also Read:
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, एक कर्मचारी एक आर्गेनाइजेशन में लगातार पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद ग्रेच्युटी राशि प्राप्त करने के लिए पात्र हो आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं जाता है.
कर्मचारियों के रिटायर होने, इस्तीफा देने या नौकरी से निकाले जाने के बाद ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान किया जाता है.
ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 4 के अनुसार मृत्यु या अपंगता के कारण नौकरी की समाप्ति की स्थिति में पांच वर्ष की निरंतर सेवा की शर्त लागू नहीं होती है.
किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, ग्रेच्युटी राशि का भुगतान नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को किया जाता है.
ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 4 के अनुसार मृत्यु या अपंगता के कारण नौकरी की समाप्ति की स्थिति में पांच वर्ष की निरंतर सेवा की शर्त लागू नहीं होती है.
किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, ग्रेच्युटी राशि का भुगतान नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को किया जाता है.
ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 सभी संगठनों पर लागू होता है, जिसमें कारखानों, खदानों, तेल क्षेत्रों, बागानों, बंदरगाहों, रेलवे, मोटर परिवहन उपक्रमों, कंपनियों, दुकानों और 10 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठान शामिल हैं.
समय सीमा
मौजूदा नियमों के मुताबिक, कर्मचारी ग्रेच्युटी राशि के देय होने के 30 दिनों के भीतर आवेदन कर सकता है.
साथ ही नियोक्ता आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकता, भले ही वह 30 दिनों के बाद दायर किया गया हो.
ग्रेच्युटी राशि के लिए आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर नियोक्ता को देय राशि और भुगतान की तारीख निर्दिष्ट करनी होती है.
आवेदन की अस्वीकृति के मामले में नियोक्ता को ग्रेच्युटी के लिए आवेदन को अस्वीकार करने का कारण बताना होता है.
ग्रेच्युटी की गणना
कर्मचारी द्वारा अर्जित ग्रेच्युटी राशि सेवा के कार्यकाल और अंतिम आहरित वेतन पर निर्भर करती है. इसकी गणना मूल वेतन और महंगाई भत्ते के आधार पर की जाती है.
ग्रेच्युटी की गणना के लिए ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत आने वाले संगठनों के लिए हर महीने को 26 दिन माना जाता है.
सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए प्रत्येक 15 दिनों के लिए ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है. रोजगार के अंतिम वर्ष में, यदि कोई कर्मचारी छह महीने से अधिक समय तक कार्य करता है, तो उसे अगली संख्या में पूर्णांकित किया जाएगा.
उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी आठ साल या सात महीने की कुल अवधि के लिए कार्य करता है, तो इसे ग्रेच्युटी गणना के लिए 9 वर्ष माना जाता है.
ग्रेच्युटी की गणना के लिए फॉर्मूला
अंतिम आहरित वेतन (मूल वेतन प्लस आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं महंगाई भत्ता) * सेवा के पूर्ण वर्षों की संख्या * 15/26
ग्रेच्युटी अधिनियम के अंतर्गत नहीं आने वाले संगठन के कर्मचारी भी ग्रेच्युटी भुगतान के लिए पात्र हैं. ऐसे मामलों में, एक महीने में दिनों की कुल संख्या 30 होगी.
कर छूट
सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्राप्त सभी ग्रेच्युटी भुगतान आयकर से पूर्ण छूट के हकदार हैं.
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में, ग्रेच्युटी पर आयकर नियम इस आधार पर लागू होते हैं कि कर्मचारी ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 के तहत आते हैं या नहीं.
ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत आने वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए, प्राप्त ग्रेच्युटी पर लागू आयकर छूट निम्न में से कम से कम है:
सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिकतम राशि, जो वर्तमान में 20 लाख तक सीमित है
अंतिम आहरित वेतन *15/26*वर्ष की सेवा
प्राप्त वास्तविक ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के अंतर्गत नहीं आने वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए, आयकर छूट की सीमा निम्न में से न्यूनतम है:
पिछले 10 महीने का औसत वेतन (मूल + डीए) x रोजगार के वर्षों की संख्या x 1/2
वास्तव में प्राप्त ग्रेच्युटी
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Health Tips: क्या आप भी जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं? खाना खाने में वैसे कितना टाइम लगना चाहिए?
आज के भाग दौड़ की जिंदगी में हम खाना खाने में जल्दबाजी करते हैं और सेहत से जुड़ी कई समस्या को न्योता दे देते हैं, जानेंगे खाना खाने में औसत कितना समय लेना चाहिए.
By: ABP Live | Updated at : 21 Nov 2022 06:54 PM (IST)
खाना खाने के लिए औसत कितना समय लेना चाहिए
Health Tips: स्वास्थ्य ( Health) ही हमारी पूंजी है और इसी स्वास्थ्य के लिए हम खाना खाते हैं ,लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम आराम से और धीरे-धीरे खाना खाना तो बिल्कुल भूल ही गए हैं. खाना खाने को हम किसी काम की तरह जल्दी बाजी में निपटा देते हैं. यही वजह है कि आज इंसान बीमार है. लोगों को 100 तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.अगर आप भी फास्ट ईटर हैं तो आपको इससे जुड़ी कुछ बातें जरूर जाननी चाहिए
खाना खाने के लिए औसत कितना समय लेना चाहिए?
एक्सपर्ट और विशेषज्ञों के मुताबिक खाना खाने के समय आपको कम से कम 30 से 35 मिनट का समय जरूर लेना चाहिए. इस दौरान आपको बिल्कुल रिलैक्स होकर भोजन को खूब चबाकर खाना चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि भोजन को आनंद लेते हुए सेवन करने से ये शरीर में लगता भी है और आपको खाने ने मजा भी आता है. खाना खाते समय आपको दिमाग को शांत रखते हुए थाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. खाने को आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं आराम आराम से धीरे-धीरे खाना चाहिए क्योंकि जल्दी बाजी में खाने से आपके खाने का कण सांस वाली नली में फंस सकता है, जल्दी बाजी में खाना खाने से पाचन क्रिया आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे भोजन को पचने में अधिक समय लगता है.
भोजन की गति को धीमा करने के सुझाव
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1. अपने भोजन को 30 मिनट तक बढ़ाने के लिए टाइमर का उपयोग करें या घड़ी देखें.
2. भोजन के आधार पर प्रत्येक निवाले को 15 से 30 बार चबाने की कोशिश करें.
3. हर कुछ खाने के निवाले के साथ पानी के घूंट लें. यह आपको भरा हुआ महसूस करने में भी मदद कर सकता है.
क्या कहती है स्ट़डी?
एक अलग अध्ययन से यह बात सामने आई, खाने की गति में कमी से वजन बढ़ना कम हो गया और मोटापे को रोका गया. जापान के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने टाइप 2 मधुमेह वाले 59,717 लोगों के डेटा की जांच की। शोधकर्ताओं ने लोगों से खुद को फास्ट ईटर्स, मीडियम ईटर्स या स्लो ईटर्स के रूप में वर्णित करने के लिए कहा, जो लोग धीरे-धीरे खाने वाले थे उनमें मोटापे का जोखिम सबसे कम था. जो लोग स्वयं को मध्यम-खाने वाले के रूप में वर्णित करते हैं, उनमें थोड़ा अधिक जोखिम था, लेकिन सबसे अधिक जोखिम तेजी से खाने वाले समूह में था,
जल्दी में खाने से हो सकती है ये परेशानियां
1.अगर आप खाना धीरे और चबा कर खाते हैं तो इससे आपका डाइजेशन सही रहता है, लेकिन जल्दी बाजी आप चलती औसत की गणना कैसे करते हैं में खाना खाने से या चबाने के बजाय निगल जाने से डाइजेशन ( Digestion) बिगड़ सकता है. सीने में जलन, अपच और गैस जैसी दिक्कतें होने की संभावना रहती है.
2.जल्दी-जल्दी खाने से आपको डायबिटीज ( Diabetes) का भी खतरा हो सकता है.खाना जल्दी खाने से शरीर में इंसुलिन का प्रभाव कम होने और ब्लड ग्लूकोस के बढ़ने की संभावना बनी रहती है, इसके चलते आप डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं.
3.जल्दी में खाना खाने से इंसान मेटाबोलिक सिंड्रोम का शिकार हो जाता है. ऐसे में उसे हाई ब्लड प्रेशर ( Blood Pressur) की समस्या होने लगती है, और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
जल्दी जल्दी खाने की आदत कैसे बदले
1.अपने खाने के लिए समय नियमित करें.
2. दिन में जितनी बार भी खाते हैं उसके हिसाब से अपना समय तय करें.
3. खाते समय किसी अन्य चीजों के बारे में ना सोचे.
4. ट्रैवल के वक्त खाने से बचें
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Published at : 21 Nov 2022 06:15 PM (IST) Tags: lifestyle news Health News हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
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