विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42)

संसद इस अधिनियम जून, 2000 को केंद्र सरकार के 1 दिन अस्तित्व में आया विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 की जगह के लिए विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत प्रबंधन अधिनियम, 1999 अधिनियमित किया है। उक्त अधिनियम के तहत मामलों की जांच के ऊपर लेने के उद्देश्य के लिए, निदेशक और अन्य अधिकारियों के साथ प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना की है।

अधिनियम की वस्तु को मजबूत करने और विदेशी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य के साथ और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून में संशोधन करने के लिए है।

यह अधिनियम पूरे भारत में फैली हुई है और यह भी लागू होते हैं भारत में निवासी व्यक्ति के स्वामित्व या नियंत्रण भारत से बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों और एजेंसियों के लिए लागू होता है। यह इस अधिनियम के लागू होता है जिसे करने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर प्रतिबद्ध किसी उल्लंघन के लिए भी लागू होता है।

विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत

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रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर

मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में कच्चा तेल कीमतों में तेजी आने और घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली दबाव से रुपये में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले निवेशकों के बीच विदेशी पूंजी की निकासी को लेकर चिंता रही।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.94 पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह 65 पैसे औंधे मुंह लुढ़ककर 81.50 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 81.94 के उच्चस्तर और 82.63 के निचले स्तर को छुआ।

इससे पिछले, कारोबारी सत्र में रुपया 52 पैसे की गिरावट के साथ 81.85 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.24 रह गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.64 प्रतिशत बढ़कर 83.22 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 208.24 अंक घटकर 62,626.36 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने सोमवार को 558.67 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशीमुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘निवेशकों की निगाह भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत बयान पर रहेगी। ऐसी उम्मीद है कि केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत की और वृद्धि कर सकता है।’’

भाषा राजेश राजेश रमण

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

श्रीलंका के राष्ट्रपति क्यों बोले, विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत ‘हमारे पास इकोनॉमी ही नहीं, तो आर्थिक सुधार क्या करें?’

श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से अब तक के सबसे भयानक आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इस बीच वहां के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का ये बयान 'हमारे पास इकोनॉमी ही नहीं, तो आर्थिक सुधार क्या करें?' काफी वायरल हो रहा है. आखिर उन्होंने ऐसी बात क्यों कही है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति क्यों बोले,

भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका 1948 में अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ. तब से अब तक पर्यटन के क्षेत्र में कई उपलब्धियां विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत हासिल करने वाली ये द्वीपीय देश वर्तमान में अपने सबसे भयावह आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) से गुजर रहा है. ऐसे में देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) का ये कहना कि ‘हमारे पास इकोनॉमी ही नहीं, तो आर्थिक सुधार क्या करें?’ लोगों को चिंता में डालने वाला है. आखिर किस वजह से विक्रमसिंघे ने ये बात कही.

क्या बोले रानिल विक्रमसिंघे ?विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि देश में आर्थिक सुधारों (वर्तमान में) की कोई तुक नहीं है. उन्होंने कहा कि नकदी संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था ही नहीं है, तो आर्थिक सुधार क्या करें. (No point in economic reforms when we don’t have an economy)

श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी के विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत चलते अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इस साल अप्रैल के मध्य में श्रीलंका ने खुद को विदेशी मुद्रा संकट के चलते खुद को इंटरनेशनल लेवल पर कर्ज चुकाने में अक्षम यानी दिवालिया घोषित कर दिया था.

क्यों कही राष्ट्रपति ने ये बात ?

डेली लंका मिरर की एक खबर के हवाले से एजेंसी ने बताया कि रानिल विक्रमसिंघे सोमवार को श्रीलंका इकोनॉमिक समिट 2022 को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि संकट में फंसी देश की अर्थव्यवस्था को पुरानी आर्थिक नीतियों (Outdated Economic System) और सिस्टम से ठीक नहीं किया जा सकता. उन्होंने देश में एक नया आर्थिक मॉडल (New Economic Model) बनाने की बात कही.

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि हमारे पास अर्थव्यवस्था को सुधारने की कोई योजना नहीं है. हम अर्थव्यवस्था को क्या सुधारें जब हमारे पास अर्थव्यवस्था ही नहीं है. हम एक नई अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा व्यापार संतुलन (Sri Lanka Trade Balance) हमारे पक्ष में नहीं है. तो क्या हम फिर से वैसा ही ढांचा खड़ा करने जा रहे हैं और फिर उतनी ही तेजी से विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत नीचे आने का सोच रहे हैं. इसलिए उन्हें लगता है कि आर्थिक सुधार से बात नहीं बनेगी.

बुरी है श्रीलंका की आर्थिक हालत

रानिल विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत विक्रमसिंघे ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति को मजबूत बनाना हमारी सरकार का मुख्य लक्ष्य है. वहीं देश को एक लॉजिस्टिक हब बनाना वक्त की जरूरत है.

श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 2.9 अरब डॉलर के राहत पैकेज की मांग की है. सितंबर में इसकी घोषणा हो चुकी है. पर इसके लिए श्रीलंका को अपने कर्ज को पुनगर्ठित करना है.

इस बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि अभी हम अपने द्विपक्षीय कर्जदारों से बातचीत कर रहे हैं. भारत के साथ हमारी बातचीत सफल भी रही विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत है. वहीं हम चीन से भी बातचीत कर रहे हैं. भारत विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत के अडानी समूह (Adani Group in Sri Lanka) के साथ कोलंबो हार्बर के वेस्ट टर्मिनल का विकास करना इसमें अहम कड़ी है.

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