डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)

Rupee Opening: रुपये में लौटी मजबूती, कल के एतिहासिक निचले स्तर के मुकाबले 13 पैसे तेजी पर आया

Rupee Opening: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेश में डॉलर की मजबूती से भी रुपये के सेंटीमेंट पर असर पड़ा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान को सीमित किया.विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है

By: ABP Live | Updated at : 23 Jun 2022 09:47 AM (IST)

Rupee Vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कल 78.40 रुपये प्रति डॉलर तक चला गया था और इसने अपना ऐतिहासिक निचला स्तर छू लिया. कल के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 78.39 पर बंद हुआ था और आज ये शुरुआती कारोबार में 13 पैसे की मजबूती के साथ 78.26 पर कारोबार कर रहा था.

नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर कल बंद हुआ था रुपया
विदेशी फंडों की लगातार निकासी और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.39 रुपये प्रति डॉलर के एक नये रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेश में विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है डॉलर की मजबूती से भी रुपये की धारणा पर असर पड़ा. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान को सीमित किया.

क्या है जानकारों का कहना
रेलिगेयर ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी विभाग की उपाध्यक्ष, सुगंधा सचदेवा ने कहा, "घरेलू शेयरों से बेरोकटोक धन निकासी और डॉलर के मजबूत होने के बीच, कुछ समय के लिए 78 अंक के आसपास मंडराने के बाद, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है निचले स्तर तक चला गया." एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिसिस विभाग के उपाध्यक्ष, जतिन त्रिवेदी ने कहा, "फेडरज रिजर्व के आक्रामक रुख और भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की आक्रामक बिक्री के कारण रुपया कमजोर होकर 78.30 से नीचे चला गया."

डॉलर इंडेक्स का हाल
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 फीसदी की मजबूती के साथ 104.48 पर पहुंच गया था. वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 4.46 फीसदी गिरकर 109.54 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने बुधवार को शुद्ध रूप से 2,920.61 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.

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Published at : 23 Jun 2022 09:17 AM (IST) Tags: Rupee currency dollar Dollar index हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

डॉलर इंडेक्स पर सारी दुनिया की नज़र रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है.

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)

What is US Dollar Index and Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?

डॉलर इंडेक्स क्या है?

डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.

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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?

डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.

  • यूरो : 57.6%
  • जापानी येन : 13.6%
  • कैनेडियन डॉलर : 9.1%
  • ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
  • स्वीडिश क्रोना : 4.2%
  • स्विस फ्रैंक : 3.6%

हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

डॉलर इंडेक्स का इतिहास

डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.

डॉलर इंडेक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.

विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से आई गिरावट, जानिए अब खजाने में कितना रह गया है?

3 जून को बीते सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से गिरावट दर्ज की गई. इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड लो पर बंद हुआ. इसके अलावा गोल्ड रिजर्व में भी गिरावट आई है.

विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से आई गिरावट, जानिए अब खजाने में कितना रह गया है?

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तीन जून को समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के आंकड़ों के अनुसार इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया था. 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर रहा था. समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई गिरावट है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 20.8 करोड़ डॉलर घटकर 536.779 अरब डॉलर रह गयी. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.

आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार (India Gold reserves) का मूल्य भी 7.4 करोड़ डॉलर घटकर 40.843 अरब डॉलर रह गया. समीक्षाधीन सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.8 करोड़ डॉलर विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है घटकर 18.41 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 50 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.025 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

रुपए का सेंटिमेंट कमजोर हुआ है

इधर विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया (Dollar vs Rupees) 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपए का अबतक का सबसे निचला स्तर है. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investors) की बाजार से पूंजी की निरंतर निकासी से यह गिरावट आई है. बाजार सूत्रों ने कहा कि शेयर बाजार में भारी बिकवाली तथा विदेशों में डॉलर के मजबूत होने से भी रुपए की धारणा प्रभावित हुई.

77.93 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो पर बंद हुआ विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है रुपया

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.81 पर खुला. दिन के कारोबार में यह 77.79 के उच्च स्तर और नीचे में 77.93 तक गया. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव 77.74 रुपए के मुकाबले 19 पैसे की गिरावट के साथ 77.93 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो अबतक का सबसे निचला स्तर है.

डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रिकॉर्ड लो पर रुपया

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, जोखिम से बचने की भावना, कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़े और मजबूत डॉलर सूचकांक के बीच भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया….बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,016.84 अंक की गिरावट के साथ 54,303.44 अंक पर बंद हुआ.

FII ने बेचे 3973 करोड़ के शेयर

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को बताने वाला डॉलर सूचकांक 1 फीसदी बढ़कर 104.235 के स्तर पर बंद हुआ. ब्रेंट क्रूड 1.06 फीसदी की गिरावट के साथ 122 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को पूंजी बाजार से शुद्ध रूप से 3,973.95 करोड़ रुपए के शेयर बेचे.

मैं एक विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति बनाने के लिए एक परभक्षी संकेतक का उपयोग कैसे करूं? | इन्वेंटोपैडिया

लाभदायक व्यापार के लिए शीर्ष 5 तकनीकी संकेतक (दिसंबर 2022)

मैं एक विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति बनाने के लिए एक परभक्षी संकेतक का उपयोग कैसे करूं? | इन्वेंटोपैडिया

परवलयिक संकेतक विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है स्टॉप पॉइंट उत्पन्न करता है, जिसमें से मौजूदा स्थिति बंद होनी चाहिए और संभावित प्रवृत्ति अनुमान लगाकर उलट हो जाती है। चूंकि परवलयिक संकेतक को अल्पावधि गति की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने इस सूचक को आसानी से पारंपरिक स्टॉक या वस्तुओं के व्यापारियों के रूप में लागू कर सकते हैं।

परवलयिक संकेतक द्वारा बनाई गई तकनीकी रणनीति को "रोक और रिवर्स" या एसएआर, विधि के रूप में संदर्भित किया जाता है, इसलिए आप इसे अक्सर परवलयिक एसएआर के रूप में संदर्भित करते हैं। परवलयिक संकेतक के स्टॉप-एंड-रिवर्स पॉइंट मूल्य की कार्रवाई के नीचे हैं, जब कीमतें बढ़ रही हैं, और जब कीमतों में कमी आ रही है, तो स्वाभाविक रूप से स्टॉप लॉस की एक श्रृंखला बनाते हैं जो लाभहीन पदों विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है से बाहर निकलने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, जब परवलयिक एसएआर बिंदु मौजूदा कीमतों के नीचे है, तो विदेशी मुद्रा व्यापारियों को लंबे समय तक जाना चाहिए। यदि कीमत बंद होने की स्थिति में गिरती है, तो लंबे समय तक स्थिति बंद करें और अगले व्यापारिक अवधि के उद्घाटन के लिए एक छोटी रणनीति डालें। विपरीत सच है अगर कीमत और स्तर के ऊपर रोक-और-रिवर्स बिंदु ट्रेल्स।

मुद्रा जोड़े के लिए मूल्य कार्रवाई कभी-कभी बेहद अस्थिर हो सकती है गलत परिस्थितियों में, परवलयिक एसएआर विदेशी मुद्रा व्यापारियों को समय से पहले या बहुत बार पोजीशन से बाहर निकलने का कारण बन सकती है, लाभ के अवसरों को सीमित कर सकता है किसी नए जोड़ी के व्यापार में होने पर समायोजन अवधि होने की संभावना होनी चाहिए। त्वरण कारक या वायुसेना में चरण गुणक को बढ़ाकर आप एसएआर की संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं। इसके विपरीत, आप कदम कम करके संवेदनशीलता कम कर सकते हैं।

बाजारों में जो तड़का हुआ और ट्रेंडिंग नहीं कर रहे हैं, परवलयिक एसएआर अपनी बहुत प्रभावशालीता खो देता है इन परिस्थितियों में, संवेदनशीलता को अधिक समायोजित करने के बजाय एक प्रवृत्ति के उभरने की प्रतीक्षा करना सबसे अच्छा होता है पहले दिशाओं की पहचान करने के लिए औसत दिशा निर्देशांक, या ADX जैसे सूचक का उपयोग करें, और फिर परवलयिक एसएआर व्यापारिक संकेतों का उपयोग करें।

विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं Qstick संकेतक का उपयोग कैसे करूं?

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Qstick सूचक के महत्व का अन्वेषण करें और एक साधारण विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति सीखें जो Qstick हिस्टोग्राम बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति बनाने के लिए मैं भंवर संकेतक (VI) का उपयोग कैसे करूं? | इन्वेस्टमोपेडिया

विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति बनाने के लिए मैं भंवर संकेतक (VI) का उपयोग कैसे करूं? | इन्वेस्टमोपेडिया

सीखें कि व्होटेक्स सूचक का उपयोग वॉल्यूम-भारित औसत मूल्य क्रॉस के साथ लंबी या छोटी प्रविष्टियों की पहचान करने के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति बनाने के लिए करें।

विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं डुअल कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीसीआई) का उपयोग कैसे करूं? | विदेशी मुद्रा बाजार के व्यापार के लिए एक अनूठी ब्रेकआउट ट्रेडिंग विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है रणनीति बनाने के लिए इन्व्हेस्टॉपिया

विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं डुअल कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीसीआई) का उपयोग कैसे करूं? | विदेशी मुद्रा बाजार के व्यापार के लिए एक अनूठी ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए इन्व्हेस्टॉपिया

दोहरी कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीआईआईआई) के वैकल्पिक व्याख्या का उपयोग करें।

भारत के पास कितना विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए दुनिया में है कौन सा स्थान

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नई दिल्लीः देश के आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में जानकारी दी गई कि भारत के पास नवंबर 2021 के अंत तक, चीन, जापान और स्विटजरलैंड के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार था. वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद पिछले दो वर्षो में भारत का भुगतान संतुलन सरप्लस में विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है रहा.

13 महीनों से अधिक समय तक किया जा सकता है आयात

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है सरप्लस में रहने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में मदद मिली. देश का विदेश मुद्रा भंडार 31 दिसंबर 2021 को 634 बिलियन डॉलर (करीब 47 हजार 300 अरब रुपए) था. इससे 13 महीने से अधिक समय तक के लिए विदेशों से आयात किया जा सकता है. वहीं, यह देश के विदेशी कर्ज से ज्यादा है. भंडार में बड़ी वृद्धि होने के पीछे कई कारक हैं. इनमें कुल विदेशी ऋण, अल्पकालिक ऋण आदि शामिल हैं.

2021-22 की पहली तिमाही में 600 बिलियन डॉलर था भंडार

वहीं, देश का विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 600 बिलियन डॉलर (करीब 44,810 अरब रुपए) था. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारत का मुख्य बाहरी क्षेत्र स्थिरता संकेतक मजबूत और बहुत बेहतर है. जैसे कि आयात कवर और विदेशी मुद्रा भंडार अब दोगुने से अधिक है. उच्च विदेशी मुद्रा भंडार, निरंतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बढ़ती निर्यात से होने वाली आय 2022-23 में विदेशी नकदी की कमी को पूरा करेगा.

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