Stochastic Indicator kya hai? jaane Stochastic Indicator kaha use hota hai

Stochastic Indicator एक बहुत ही उपयोगी इंडिकेटर है, यह यू कहे टेक्निकल एनालिसिस करने में Stochastic Indicator उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है। हम लोग आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि Stochastic Indicator का हम उपयोग कैसे कर सकते है तथा इसकी सहायता से हम अपनी ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बना सकते है।

कैसे बनता है Stochastic Indicator :

Stochastic Indicator रिसेंट प्राइस की जानकारी तथा रिसेंट हाई,लो की जानकारी ले कर हमे किसी भी स्टॉक के momentum की जानकारी देता है। Stochastic Indicator हम ये नही पता लगा सकते की ये किस ओर मूव करे गा ये हमे momentum बताया है और ये ऊपर था नीचे किसी ओर हो सकता है।

Stochastic Indicator 2 लाइनों से बना होता है। लाइन 1 को %K लाइन कहा जाता है और दूसरी लाइन को %D लाइन कहा जाता है %k का 3 दिन का सिम्पल मूविंग एवरेज ही %D लाइन है।

Stochastic Indicator का उपयोग कर ट्रेडिंग को कैसे बेहतर बनाए :

अब सवाल यह उठता है कि हम अपनी ट्रेडिंग को बेहतर बनाने के लिए Stochastic आरएसआई का उपयोग कैसे कर सकते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, Stochastic Indicator का उपयोग करते टाइम ट्रेडर डी लाइन पर अधिक ध्यान देते हैं।

Stochastic indicator 0 से 100 के बीच में ही मूव करता है। 2 लाइनों में से %K लाइन %D लाइन से तेज है। जब डी लाइन्स ओवरबॉट जोन यानी 80 से ऊपर पहुंच जाती हैं तो ट्रेडर बिक्री के मौके तलाशते हैं। इसी तरह, जब डी लाइन 20 से नीचे चली जाती है तो उस ज़ोन को ओवरसोल्ड ज़ोन कहा जाता है, और वहाँ, ट्रेडर्स खरीदने के अवसरों की तलाश करते हैं।

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नोट : यह एक और ध्यान देने वाली बात है कि आप लोग केवल Stochastic indicator का उपयोग कर के किसी स्टॉक को खरीद या बेच नही सकते है एंट्री लेने के लिए आप Pivot Points Standard को देख सकते है या Fibonacci Retracement लेवल टेस्ट करे आदि, आप अपने हिसाब से देखे जो आप को अच्छा लगे।

Stochastic Indicator

जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में दिखाया गया है, जब डी लाइन ओवरबॉट ज़ोन में होती है, तो स्टॉक को बेचा जा सकता है जब स्टॉक नीचे चला जाता है और डी लाइन 20 अंक से नीचे पहुंच जाती है, तो स्टॉक को खरीदा जा सकता है इस चित्र के माध्यम से हम ने आप को यही समझने की कोसिस की है आशा है आप लोगो को समझ में आया होगा।

Stochastic Indicator से लाभ:

टेक्निकल एनालिसिस करने में उपयोग होने वाले सभी इंडिकेटरो में सबसे आसान इंडिकेटर में से एक है , आम तौर पर, सभी indicator को सेटिंग संशोधन की थोड़ी आवश्यकता होती है लेकिन हम इसकी डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स को बदले बिना स्टोचास्टिक इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।

Stochastic इंडिकेटर का एक और फायदा यह है कि इसके द्वारा उत्पन्न सिग्नल विश्वसनीय होते हैं और लाइव बाजारों में आसानी से देखे जा सकते हैं। जिसे हम अपनी ट्रेडिंग में लॉस को कम kar सकते है

जैसा कि प्रत्येक Indicator की कुछ सीमाएँ होती हैं, यहाँ Stochastic Indicator की कुछ सीमाएँ हैं –

जैसा कि मैंने पहले बताया है केवल Stochastic Indicator का उपयोग स्टॉक को खरीदने और बेचने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके लिए आप को कई सारी और जानकारी की आवश्कता होती है आप लोग केवल Stochastic Indicator का उपयोग कर के कोई पोजिशन न बनाए Pivot Points Standard, आदि देखे।

इसके अलावा, जब Stochastic Indicator ओवरबॉट या ओवरसोल्ड ज़ोन में पहुँच जाता है, तो कोई ब्रह्म नियम नहीं है कि वह गलत नही हो सकता

मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको Stochastic Indicator के बारे में कुछ जानकारी प्रदान की तथा जाना हम इसका उपयोग कैसे कर सकते है और इसका असर हमारी ट्रेडिंग में किस प्रकार से होता है। यदि आप टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न indicator के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हैं, तो आप NIFTYCHARTING में क्लिक कर के जान सकते है और अपनी ट्रेडिंग को अच्छा बना सकते है।
धन्यवाद

अम्ल, भस्म तथा लवण - क्लास दसवीं विज्ञान

प्रयोगशाला में क्षार या भस्म (Acid and Base in Laboratory)

प्रयोगशाला में अम्ल तथा क्षार या भस्म को इंडिकेटर (indicator) के उपयोग से पहचान किया जा सकता है।

सूचक (Indicator)

वैसे पदार्थ जो हमें बतलाते हैं कि दिया गया पदार्थ अम्ल है या क्षार सूचक (Indicator) कहलाते हैं।

अम्ल – क्षार सूचक (Acid-base indicator) के प्रकारः

श्रोत के आधार पर सूचक (Indicator) को दो भागों में बांटा जा सकता हैः

प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator)

मानव निर्मित सूचक (Synthetic Indicator)

प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator):

वैसे सूचक (Indicators) जिन्हें प्राकृतिक श्रोत से प्राप्त किया जाता है को प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator) कहते हैं। जैसे: लिटमस (Litmus), लाल पत्ता गोभी (red cabbage), हल्दी (turmeric), प्याज onion, वैनिला (vanilla), लौंग (clove), इत्यादि।

लिटमस (Litmus):

लिटमस (Litmus) एक प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator) है। लिटमस (Litmus) पानी में घुलनशील होता है। लिटमस (Litmus) एक प्रकार का रंग (Dye) है जिसे लाईकेन (Lichen) नामक ऑर्गेनिस्म (Organism) से प्राप्त किया जाता है। लाईकेन (Lichen) फ़ंगस तथा काई का संयुक्त रूप है जिनका आपस में सहजीवी संबंध (symbiotic relationship) होता है।

छन्ना पत्र या सोख्ता पत्र (Filter paper) को लिटमस के अर्क (Extract) में में डुबोकर लिटमस पेपर तैयार किया जाता है। लिटमस मूल रूप में बैगनी रंग का होता है तथा इसे बोलचाल की भाषा में लाल रंग का कहा जाता है।

लिटमस पेपर का उपयोग प्रयोगशालाओं में अम्ल तथा क्षार की पहचान के लिये आमतौर पर सर्वाधिक किया जाता है।

लिटमस पेपर दो रंगों लाल तथा नीले रंग में उपलब्ध होता है।

अम्ल नीले रंग के लिटमस पेपर को लाल कर देता है।

क्षार लाल रंग के लिटमस पेपर को नीला बना देता है।

हल्दी (Turmeric):

हल्दी (Turmeric) एक प्राकृतिक सूचक है। हल्दी का रंग पीला होता है।

हल्दी के रंग पर अम्ल का कोई असर नहीं होता है अर्थात अम्ल हल्दी के रंग को नहीं बदलता है।

परंतु क्षार हल्दी के पीले रंग को भूरा लाल रंग में बदल देता है।

हम पाते हैं कि कपडे जिसपर हल्दी का दाग लगा होता है को साबुन से धोने के क्रम में ह्ल्दी का दाग भूरे लाल (Reddish brown) रंग में बदल जाता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि साबुन में क्षार होता है, जो हल्दी के रंग को भूरे लाल रंग में बदल देता है। यह भूरा लाल रंग कपडे के सूखने के बाद पुन: पीले रंग में बदल जाता है।

छन्ना पत्र या सोख्ता पत्र (Filter paper) को हल्दी के घोल में डुबाकर तथा सुखाकर हल्दी पेपर (Turmeric paper) तैयार किया जा सकता है जिसे लिटमस पेपर की तरह अम्ल Indicators कितने होते है तथा क्षार के पहचान के लिये उपयोग किया जा सकता है। ह्ल्दी के पाउडर में में पानी मिलाकर हल्दी का घोल तैयार किया जा सकता है।

लाल पत्ता गोभी (Red Cabbage):

लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) को भी प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator) के रूप में उपयोग किया जाता है। लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) मूल रूप में बैगनी रंग क होता है।

जब लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) अम्लीय मिट्टी में उगता है तो इनके पत्ते लाल रंग के होते हैं तथा जब क्षारीय मिट्टी में उगता है तो इनके पत्ते पीलापन लिये हुए हरे रंग के होते हैं।

यही कारण है Indicators कितने होते है कि लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) का उपयोग अम्ल तथा क्षार की पहचान के लिये प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator) के रूप में होता है।

लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) के गुणः

लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) मूल रूप में बैगनी रंग क होता है।

लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) अम्ल (Acid) मिलाने पर लाल रंग में बदल जाता है।

लाल पत्ता गोभी (Red cabbage) के रस (juice) क्षार (Base) मिलाने पर यह हरे रंग में बदल जाता है।

सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators):

प्राकृतिक ने हमें कई ऐसे पदार्थ दिये हैं जिनका गंध अम्ल (Acid) तथा क्षार (Base) मिलाने पर बदल जाता है। ऐसे पदार्थ सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators) कहलाते हैं। उदाहरण: वैनिला (vanilla), लौंग (clove), प्याज (onion) इत्यादि।

प्रायः वैनिला (vanilla), लौंग (clove), प्याज (onion) का उपयोग सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators) के रूप में अम्ल (Acid) तथा क्षार (Base) को पहचानने में किया जाता है। सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators) वैसे लोग जो देख नहीं सकते के की प्रयोगशालाओं में समान रूप से भागीदारी सुनिश्चित करता है।

प्याज (Onion):

प्याज का उपयोग भी सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators) के रूप में होता है।

प्याज (Onion) अम्ल (Acid) के साथ गंध (Smell) नहीं बदलता है।

लेकिन प्याज (Onion) का गंध (Smell) क्षार (Base) मिलाने से खत्म हो जाता है।

प्याज (Onion) के अम्ल (Acid) तथा क्षार (Base) के साथ इन गुणों के प्रदर्शित करने के कारण उपयोग सूंघने वाला सूचक (Olfactory Indicators) के रूप में होता है।

वैनिला (Vanilla):

वैनिला (Vanilla) में जब क्षार (Base) मिलाया जाता है, तो इसका गंध (Smell) खत्म हो जाता है।

लेकिन वैनिला (Vanilla) में जब अम्ल (Acid) मिलाया जाता है, तो इसके गंध (Smell) पर कोई असर नहीं होता है।

लौंग (Clove):

लौंग (Clove) में जब क्षार (Base) मिलाया जाता है, तो इसका गंध (Smell) खत्म हो जाता है।

लेकिन लौंग (Clove) में जब अम्ल (Acid) मिलाया जाता है, तो इसके गंध (Smell) पर कोई असर नहीं होता है।

मानव निर्मित सूचक (Synthetic Indicators):

सूचक जिन्हें प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है को मानव निर्मित सूचक (Synthetic Indicators) कहते हैं।

फ़ेनॉल्फ़थैलीन (Phenolphthalein) तथा मिथाईल ऑरेंज (Methyl Oragne) दो महत्वपूर्ण मानव निर्मित सूचक (Synthetic Indicators) हैं जिनका उपयोग प्रयोगशालाओं में अम्ल (Acid) तथा क्षार (Base) की पहचान के लिये किया जाता है।

फ़ेनॉल्फ़थैलीन (Phenolphthalein):

फ़ेनॉल्फ़थैलीन (Phenolphthalein) एक रंगहीन घोल है।

क्षार (Base) मिलाने से फ़ेनॉल्फ़थैलीन (Phenolphthalein) का रंग गुलाबी (Pink) हो जाता है।

लकिन अम्ल (Acid) मिलाने से फ़ेनॉल्फ़थैलीन (Phenolphthalein) रंगहीन ही रहता है।

मिथाईल ऑरेंज (Methyl Oragne):

मिथाईल ऑरेंज (Methyl Oragne) एक नारंगी रंग का तरल है।

मिथाईल ऑरेंज (Methyl Oragne) का रंग क्षार (Base) के मिलाने से पीला हो जाता है।

मिथाईल ऑरेंज (Methyl Oragne) का रंग अम्ल (Acid) के मिलाने से लाल हो जाता है।

RSI Indicator In Hindi आर.एस.आय का ट्रेडिंग में उपयोग कैसे करे

RSI को Relative Strength Index के नाम से जाना जाता है. RSI Indicator in hindi आर्टिकल में हम RSI Indicator के बारे में विस्तार से जानेंगे. टेक्नीकल एनालिसिस में RSI Indicator सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाने वाला इंडिकेटर है. RSI Indicator एक लीडिंग इंडिकेटर है जो टेक्नीकल एनालिसिस में ट्रेंड रिवेर्सल को पहचानने के लिए उपयोग में लिया जाता है. शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करने वाले ज्यादातर ट्रेडर RSI Indicator का उपयोग करते है.

अगर आप जानना चाहते है की RSI क्या है? कैसे काम करता है और RSI Indicator कैसे हमें शेयर खरीदने या बेचने के लिए उपयोगी है तो आपको पूरी जानकारी इस आर्टिकल RSI Indicator in hindi pdf आर्टिकल में मिल जायेगी.

RSI Indicator divergence भी बनाता है जो ट्रेंड के रिवर्सल का संकेत देते है. RSI Indicator शेयर की इंटरनल पावर याने की आतंरिक क्षमता को दर्शाता है.

RSI Indicator in hindi आर्टिकल में हम जानेंगे की कैसे RSI Indicator Sideway marke t , किसी अनिश्चित ट्रेंड वाले बाजार में हमें ट्रेडिंग करने के लिए उपयोगी है.

RSI –Relative strength index –रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स

Table of Contents

RSI –Relative strength index एक लीडिंग इंडिकेटर है. RSI ट्रेंड रिवर्सल और शेयर की आतंरिक ताकत को दर्शाता है. टेक्नीकल एनालिसिस में RSI के पॉजिटिव और नेगेटिव Divergence का उपयोग शेयर में खरीदी और बिकवाली के लिए उपयोग में लिए जाते है.

RSI –Relative strength index शेयर्स में Oversold और ओवर Bought पोजीशन को भी दर्शाता है. ओवेर्सोल्ड का मतलब होता है जिस शेयर्स में अधिक सेल्लिंग मोमेंटम होता है और ओवरबाउट का मतलब होता है की उस शेयर्स में इतनी ज्यादा बाइंग मोमेंटम है की वंहा से शेयर्स में करेक्शन आ सकता है.

RSI –Relative strength index एक स्वतन्त्र ट्रेडिंग सिस्टम है. RSI –Relative strength index को दुसरे एनालिसिस इंडिकेटर या मूविंग एवरेज के के साथ जोड़कर भी अच्छा रिसल्ट मिल सकता है. RSI INDICATOR दिखने में ऐसा लगता है

rsi indicator

RSI Indicator in (hindi) कैसे काम करता है?

RSI –Relative strength index शेयर्स की इंटरनल पॉवर को दर्शाता है इस स्ट्रेंथ को दर्शाने के लिए वो एक निश्चित रेंज के बिच में ओसिलेट करता रहता है याने की घूमता रहता है इसके कारन RSI –Relative strength index को एक मोमेंटम ओसिलेटर इंडिकेटर भी कहा जाता है.

RSI ० से लेकर १०० के स्तर के बिच में घूमता रहता है. RSI के मूल्य के आधार पर शेयर में खरीदी या बिकवाली के संकेत मिलते है. जैसे की अगर RSI ०-३० के बिच है तो शेयर ओवरसोल्ड हो चूका है और इसमें ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है इसके संकेत मिलते है.

लेकिन इस बात का ख्याल रखे की अगर लम्बी समय अवधि के लिए ये ०-३० के बिच रहे तो इसमें और गिरावट आ सकती है क्यूंकि RSI ० से निचे नहीं जा सकता और लम्बी समय अवधि के लिए ०-३० के बिच रहने का मतलब शेयर में और गिरावट आ सकती है ये हो सकता है. ऐसी स्थिति में शेयर की खरीदी की बजाये बिकवाली के मौके आपको ढूंढने चाहिए.

अगर RSI ७०-१०० के बिच में है तो आप मान सकते है की इस शेयर्स में बहुत बाईंग हो चुकी है और करेक्शन आ सकता है.

लेकिन हमने ऊपर कहा उस तरीके से अगर ये स्थिति लम्बे समय के लिए रहे तो आपको खरीदी करनी चाहिए ना की बिकवाली जब तक आपको ट्रेंड रिवर्सल का कोई संकेत नहीं मिल जाता.

लम्बी ओवेरबोट स्थिति के बाद अगर आपको लगे की अब RSI निचे की और जाना सुरु हो गया है तो आप शेयर्स में बिकवाली के मौके तलाश सकते है

उसी प्रकार अगर ओवेर्सोल्ड की स्थिति में RSI ३० की रीडिंग के ऊपर जाने लगे तब आप शेयर खरीदने के मौके तलाश सकते है.

RSI –Relative strength index Divergence का ट्रेडिंग में उपयोग:

जिस प्रकार हम RSI जिस अंको के बिच घूमता है उससे शेयर खरीद करे या बिकवाली करे ये जान सकते है उसी तरह हम RSI Divergence का उपयोग करके शेयर में खरीदी करे या बिकवाली करे ये जान सकते है.

अगर किसी शेयर का भाव ऊपर की तरफ बढ़ता जा रहा है लेकिन RSI स्ट्रेंथ नहीं बता रहा और निचे की तरफ ही रहता है तो इसे टेक्नीकल एनालसिस की भाषा में डायवरजन्स कहते है.

ऐसी स्थिति में अगर आपको केंडलस्टिक चार्ट पैटर्न में बेरिश केंडल दिख जाए तो आपको कन्फर्मेसन मिल जाता है और आप शेयर में बिकवाली कर सकते है.

उसी प्रकार अगर शेयर का भाव गिर रहा है लेकिन RSI ऊपर की तरफ ही रहता है ज्यादा निचा नहीं जा रहा है ऐसी स्थिति में अगरे आपको कोई बुलिश पैटर्न चार्ट पर दिख जाए तो आप शेयर में खरीदी कर सकते है.

इस प्रकार आप पॉजिटिव डायवरजन्स और नेगेटिव डायवरजन्स का उपयोग ट्रेडिंग में कर सकते है जो की काफी मजबूत संकेत होता है.

rsi indicator in hindi

RSI Indicator in hindi का ट्रेडिंग में कैसे उपयोग करे

इंट्राडे ट्रेडिंग , स्विंग ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट याने की लम्बी अवधि के निवेश के लिए आप RSI का उपयोग टेक्नीकल एनालिसिस के लिए कर सकते है.

किसी भी शेयर को खरीदते समय हमेशा ध्यान रखे की RSI की रीडिंग अच्छी हो आप RSI –Relative strength index के डायवरजन्स का उपयोग करके भी शेयर चुनने के लिए रणनीति बना सकते है. जब कभी अगर आप केंडलस्टिक चार्ट में डायवरजन्स देखे तो आप इसका उपयोग करके खरीदी और बिकवाली कर सकते है

अगर है तो आप Positive Divergence खरीदी कर सकते है Negative Divergence है तो आप बिकवाली कर सकते है.

काफी लोग ये नहीं जानते की RSI के भी डायवरजन्स होते है. वो सिर्फ MACD का ही डायवरजन्स के लिए उपयोग करते है.

आप सपोर्ट और रेसिस्टेंट लेवल निकाल ने के लिए भी आर.एस.आय का उपयोग कर सकते है.

RSI का डिफ़ॉल्ट सेटिंग १४ का है आप अनुभव के साथ साथ इसमें फेरबदल करके अपने हिसाब से भी इसे सेट कर सकते है.

निष्कर्ष:

RS I Indicator in hindi आर्टिकल में हमने देखा की RSI Kya hai, RSI कैसे काम करता है, RSI का हम टेक्नीकल एनालिसिस में कैसे उपयोग कर सकते है, इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, और लम्बी अवधि के लिए RSI कैसे उपयोगी होता है.

शेयर में कितनी मजबूती है उसकी इंटरनल मजबूती हमें RSI के जरिये पता चलती है. आप RSI का उपयोग करके कैसे शेयर चुन सकते है इन सब बातो की जानकारी आपको मिल चुकी होगी.

टेक्नीकल एनालिसिस सिखने और शेयर बाजार से जुडी जानकारी हिंदी में पढने के लिए आप मेरी वेबसाइट हिन्दिसफ़र.नेट की विजिट जरुर करे .

इंडिकेटर के फाल्ट बढ़ा रहे बिजली मीटर की रफ्तार

केस एक- सोनबरसा कस्बे के श्रीत्रिपाठी के घरेलू कनेक्शन पर लगा बिजली मीटर अगस्त माह में अचानक तेज चलने लगा। रोजाना 7 से 8 यूनिट बिजली खपत दर्ज करने लगा। हैरान-परेशान श्रीत्रिपाठी ने बिजली निगम में.

 इंडिकेटर के फाल्ट बढ़ा रहे बिजली मीटर की रफ्तार

केस एक- सोनबरसा कस्बे के श्रीत्रिपाठी के घरेलू कनेक्शन पर लगा बिजली मीटर अगस्त माह में अचानक तेज चलने लगा। रोजाना 7 से 8 यूनिट बिजली खपत दर्ज करने लगा। हैरान-परेशान श्रीत्रिपाठी ने बिजली निगम में मीटर तेज चलने की शिकायत दर्ज कराई। बिजली निगम ने क्षेत्र के जेएमटी से मीटर की जांच कराई तो मीटर ठीक मिला। इसके बाद जेएमटी ने घर की वायरिंग की जांच की। स्विचबोर्ड में लगे चार इंडिकेटर को डिस्कनेक्ट किया। अगले दिन से मीटर बिजली खपत पहले की अपेक्षा कम खपत दर्ज करने लगा। जेएमटी ने उन्हें सलाह दी की इंडिकेटर निकवा कर फेक दीजिए। इसमें फाल्ट होने के कारण ही मीटर तेज चल रहा था।

केस दो- पादरी बाजार कस्बे की अर्चना देवी के चार कमरें के मकान में लगा बिजली मीटर भी जून महीने से रोजाना 10 से 12 यूनिट बिजली खपत दर्ज कर रहा था। अगस्त में 350 यूनिट का बिल आने पर उनका माथा ठनका। उन्होंने बिजली निगम में आवेदन देकर मीटर तेज चलने की शिकायत दर्ज कराई। Indicators कितने होते है क्षेत्र के जेएमटी ने एक्वाचेक से मीटर की जांच की। बिजली कर्मचारी ने वायरिंग व अर्थिंग की जांच की। सबकुछ दुरुस्त मिलने पर उसने इण्डीकेटर की जांच की तो आठ स्वीच बोर्ड में लगे इंडिकेटर के क्वायल शार्ट मिले। वे वोल्टेज अधिक ले रहे थे। उपभोक्ता ने सभी इंडिकेटर निकवा दिए। मीटर अपनी रफ्तार में चलने लगा। अब अर्चना के घर रोजाना तीन से चार यूनिट ही बिजली खपत दर्ज हो रहीं है। अर्चना के अनुरोध पर बिजली निगम अब बिल सुधार करने में जुटा है।

केस तीन-सिक्टौर के जितेन्द्र कुमार पासवान के कनेक्शन पर लगा बिजली मीटर भी विगत छह माह से महीने में 400 से 450 यूनिट बिजली खपत दर्ज कर रहा था। हैरान-परेशान जितेन्द्र ने क्षेत्र के जेई व एसडीओ से मीटर तेज चलने की शिकायत दर्ज कराई। बिजली निगम की टीम ने मीटर की जांच की। मीटर में कोई कमी नहीं मिली। टीम जितेन्द्र कुमार को फटकार लगाते हुए लौट गई। जितेन्द्र ने क्षेत्र के जेएमटी से मीटर की जांच का अनुरोध किया। जेएमटी ने उसके घर की वायरिंग,अर्थिंग व इनवर्टर की जांच की। इनवर्टर का कनेक्शन गलत जुड़ा मिला। जेएमटी ने इनवर्टर का कनेक्शन दुरुस्त कर दिया। इसके बाद मीटर की रफ्तार कम हो गई।

क्या आपने सोचा है कि घर में बिजली आ रही है या नहीं, यह जानने के लिए स्विच बोर्ड में जो इंडिकेटर लगवाते है, वो दिखता भले छोटा हो, लेकिन आपको बड़ी चपत लगा सकता है। यह तीन मामले इसकी बानगी भर है। असल में यदि इंडिकेटर में कोई भी फाल्ट आया तो वह आपके बिजली मीटर की रफ्तार बढ़ा देता है। जाने अनजाने में उस बिजली का भुगतान करना पड़ता है। जिसका इस्तेमाल आपने किया ही नहीं। इस समस्या के सर्वाधिक मामले ग्रामीण क्षेत्रों से प्रकाश में आ रहे है। सिक्टौर, खोराबार, पादरी बाजार व सोनबरसा क्षेत्र के सैकड़ों कनेक्शनों के मीटरों की जांच में सामने यह मामला उजागर हुआ। स्विच बोर्ड से इंडिकेटर निकवाले के बाद उपभोक्ता के मीटर की रफ्तार कम हो गई।

इंडिकेटर का फाल्ट बढ़ा देता है बिजली खपत

बिजली निगम के सेवा निवृत इंजीनियर कृष्ण कुमार कहते है कि इंडिकेटर में रजिस्टेंट लगे होते है। उसमें पतले तार की वाईडिंग होती है। वह वोल्टेज को कम कर देता है। रजिस्टेंट में फाल्ट आने पर एलईडी फ्यूज हो जाता है। क्वायल शार्ट होने पर वह अधिक करंट खाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसे में मीटर तेज चलने लगते है। इतना ही नहीं घर की वायरिंग व अर्थिंग की जांच भी कराते रहें। घर की अर्थिंग दुरुस्त होने पर वायरिंग या इंडिकेटर में फाल्ट आने पर फाल्टी करंट जमीन में चला जाता है। ऐसे में मीटर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

इंडिकेटर लगावाने से परहेज करे उपभोक्ता

बिजली निगम के जूनियर मीटर टेस्टर राजकुमार उपाध्याय व रमेश साहनी ने कहा कि पहले लोग अपने घरों में इंडिकेटर इसलिए लगवाते थे कि बिजली कटने व आने की जानकारी उन्हें मिल जाए। वर्तमान समय में 24 घण्टे आपूर्ति शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है। ऐसे में इंडिकेटर लगवाने का कोई औचित्य नहीं बनता है। एक इंडिकेटर एक दिन में कम से कम सात वाट बिजली खपत करता है। ऐसे में घर में यदि पांच इंडिकेटर लगे हो तो 35 वाट बिजली खपत करेंगे। इंडिकेटर न लगावाकर उपभोक्ता बिजली बचत के साथ ही तमाम मुश्किल परिस्थितयों से बच सकते है। हां यादि इंडिकेटर लगवाना जरुरी समझते हो तो आईएसआई मार्का इंडिकेटर किसी नामी कंपनी का लगवाएं। उसमें फाल्ट होने की सम्भावना कम होती है। लोकल कंपनी के इंडिकेटर में बहुत जल्दी फाल्ट आ जाता है। हम दोनों ने कुछ उपभोक्ताओं की शिकायत पर जांच की। करीब दर्जनभर घरों में इंडिकेटर में फाल्ट मिला।

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