ऑनलाइन ले जाना चाहते हैं अपना कारोबार तो सही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैसे चुनें? पढि़ए पूरी डिटेल
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन कारोबार में कई गुना इजाफा हुआ है.
लेनदेन और कारोबार के बदलते माहौल में ई-कॉमर्स उपभोक्ता और दुकानदार दोनों के लिए रीढ़ की तरह काम कर रहा है. इस प्लेटफॉ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : April 13, 2022, 15:20 IST
नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी ने सामाजिक दूरी के साथ ऑनलाइन कारोबार के महत्व को भी बखूबी समझाया है. वर्तमान में परचून से लेकर बड़े ब्रांड तक ऑनलाइन माध्यम से ही अपने कारोबार को नया आयाम दे रहे हैं. ऑनलाइन माध्यम से कारोबारी न सिर्फ ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच बना लेते हैं, बल्कि इससे व्यापार की परंपरागत चुनौतियां भी खत्म हो जाती हैं. ऐसे में अगर आप भी अपने कारोबार को ऑनलाइन ले जाने के बारे में सोच रहे हैं तो क्यूपे के सीईओ और को-फाउंडर मनीष कौशिक बता रहे कैसे सही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना चाहिए.67
सबसे पहले लागत का लगाएं अनुमान
किसी ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म का मूल्यांकन करते समय लागत की गणना सबसे पहले करनी चाहिए. कारोबार चाहे छोटा और प्रारंभिक हो या ई-कॉमर्स में बदल रहा स्थापित व्यवसाय हो, इसमें रखरखाव, डोमेन और होस्टिंग, सोशल मीडिया विशेषज्ञ जो ब्रांड की ऑनलाइन उपस्थिति का प्रबंधन करेंगे, इनसे जुड़ी सभी लागत को ध्यान में रखना चाहिए. इसके अलावा ई-मेल और एसएमएस मार्केटिंग, एसईओ, डिलीवरी जैसे खर्चों को शामिल करना चाहिए.
मजबूत कैटलॉग से उठाएं फायदा
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के लिए एक सुंदर कैटलॉग तैयार करने के लिए बेहतर टूल्स और फीचर का इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें सामान लेने और पहुंचाने की सुविधा व एक्सेल फाइल के जरिये सैकड़ों उत्पादों को अपलोड करने जैसी बारीकियों पर ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा वेबसाइट की स्थिति जानने, ग्राहक के व्यवहार का विश्लेषण करने व स्टोर की पूरी जानकारी रखने जैसे काम करने चाहिए.
बिक्री के उतार-चढ़ाव पर नजर रखना
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को अपसेल/डाउनसेल का पूरा डाटा एकत्र करना चाहिए, ताकि कारोबार की रियल टाइम वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके. इसके लिए कारोबारी को एक बेहतर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की मदद लेनी चाहिए जो उन्हें हर समय समस्या का समाधान कराने के लिए उपलब्ध हो. ऐसे प्लेटफॉर्म आपको अपना कारोबार बढ़ाने में भी खूब मदद करते हैं.
डिजिटल ऑर्डर लेने की सुविधा
कारोबारी को ऐसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का चुनाव करना चाहिए जो टियर-3 और 4 जैसे छोटे शहरों में भी संपर्क बनाने और ऑर्डर लेने में सक्षम हों. ग्राहकों को किफायती कीमत पर उत्कृष्ट उत्पाद उपलब्ध कराया जाए, ताकि आपका कारोबार तेजी से आगे बढ़े. आपके पास किराना की दुकानों, रेस्तरां आदि से क्यूआर कोर्ड के जरिये ऑर्डर लेने की सुविधा भी होनी चाहिए.
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अमेजॉन और फ्लिपकार्ट तक को चुनौती दे रहा है सरकार का ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म
ई-पोर्टल जीईएम जिसका पूरा नाम गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस है एक ऑनलाइन बाजार है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे जुड़ सकता है और सरकार के साथ बिजनेस कर सकता है. जेम पोर्टल पर बीटूजी (बिजनेस टू गवर्नमेंट) कारोबार होता है. उद्यमियों से सिर्फ सरकार इस पोर्टल पर खरीदारी करती है.
पूरी दुनिया बदलाव के दौर से गुजर रही है. इस बदलाव के दौर में जो नई वैश्विक व्यवस्था आकार ले रही है उसमें ई-कॉमर्स का कारोबार बड़ी तेज गति से फैल रहा है. लिहाजा केंद्र सरकार ने भी 2016 में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (Government E-Markaetplace) नाम से एक सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाया. खास बात यह है कि मौजूदा वक्त में इस प्लेटफॉर्म पर 43 लाख से अधिक विक्रेता और सर्विस प्रोवाइडर मौजूद हैं, जो अब तक 2.48 लाख करोड़ रुपये का कारोबार कर चुके हैं. सरकार के आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जेईएम ने एक लाख करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया है. उपलब्धि इतनी बड़ी थी कि पीएम मोदी (PM Modi) भी फिदा हो गए और इस संबंध में ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि जीईएम प्लेटफॉर्म विशेष रूप से एमएसएमई को सशक्त बना रहा है, जिसमें 57 फीसदी ऑर्डर मूल्य एमएसएमई क्षेत्र (MSME Sector) से आता है. प्रदर्शन के स्तर की बात करें तो सरकार का यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आज की तारीख में मोस्ट पापुलर प्लेटफॉर्म अमेजॉन और फ्लिपकार्ट तक को चुनौती दे रहा है.
सरकार के इस आइडिया का अजब-गजब सफर
ई-पोर्टल जीईएम जिसका पूरा नाम गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस है एक ऑनलाइन बाजार है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना जुड़ सकता है और सरकार के साथ बिजनेस कर सकता है. जेम पोर्टल पर बीटूजी (बिजनेस टू गवर्नमेंट) कारोबार होता है. उद्यमियों से सिर्फ सरकार इस पोर्टल पर खरीदारी करती है. भारत में सरकार से बिजनेस करने का इतिहास कोई नया नहीं है. ब्रिटिश काल में भी इस तरह की व्यवस्था को डिजाइन किया गया था. आजादी के बाद यह काम 1951 में आपूर्ति और निपटान महानिदेशालय (डीजीएस एंड डी) करने लगा जिसके तहत 1960 में इंडिया स्टोर्स डिपार्टमेंट का गठन किया गया था.
1974 में एक बार फिर इसे पुनर्गठित किया गया, लेकिन सरकार इसमें कोई बड़ा सुधार नहीं ला पाई. ऐसा कहा जाता है कि दौरान सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त था और कुछ चुने हुए लोग उगाही भी करते थे. 2014 में जब सत्ता बदली तो सरकार ने इस दिशा में ध्यान देना शुरू किया कि आखिर किस तरह से सरकारी खरीद-बिक्री में पारदर्शिता लाई जाए और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए. सचिवों के दो समूहों कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना ने ई-मार्केटप्लेस के लिए महत्त्वपूर्ण सिफारिश दी. हालांकि इस वन स्टॉप गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस को अमेजॉन या फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट्स का क्लोन संस्करण कहा जाता है, लेकिन कुछ ही दिनों में सरकार के इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (GeM) ने ऑनलाइन बाजार में तहलका मचा दिया है.
हैंडलूम वर्करों और हैंडीक्राफ्ट कारीगरों की हुई चांदी
इस पहल के अंतर्गत केंद्र सरकार का लक्ष्य करीब 35 लाख हैंडलूम वर्कर और 27 लाख हैंडीक्राफ्ट कारीगरों को बड़ा बाजार उपलब्ध कराना है ताकि वे आसानी से अपना माल बेच सकें. कहने का मतलब यह कि सरकार इस ई-पोर्टल के जरिये बिजनेस में बिचौलियों के खेल को खत्म करने की तरफ बढ़ रही है. साथ ही इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी गति मिलेगी. खासबात यह है कि केंद्र सरकार का यह अभियान विभिन्न राज्यों में भी काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसके तहत बुनकर और कारीगर अपने उत्पादों को सीधे सरकारी विभागों को बेच रहे हैं. इससे कारीगरों, बुनकरों, सूक्ष्म उद्यमियों, महिलाओं, आदिवासी उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों आदि विक्रेता समूहों की भागीदारी बढ़ रही है, जिन्हें अब तक सरकारी बाजारों तक पहुंचने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. इसके लिए सरकार ने अपने सभी विभागों को जीईएम यानी गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस से जोड़ा हुआ है जहां छोटे बिजनेसमैन भी अपना सामान उचित कीमत पर बेच पा रहे हैं.
सफलता के झंडे गाड़ रहीं स्टार्टअप कंपनियां
यह पोर्टल पारदर्शिता एकीकृत भुगतान प्रणाली का दावा करता है. लिस्टिंग के मामले में यह तमाम लोकप्रिय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को टक्कर दे रहा है और लगातार उद्यमशीलता की सफलता की कहानियां गढ़ रहा है. खासतौर से नवोदित स्टार्टअप संस्थापकों ने जेम के स्टार्टअप रनवे पोर्टल के जरिये काफी कुछ हासिल किया है. जेम पोर्टल पर 13,000 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं और सिर्फ स्टार्टअप कंपनियों ने 6,कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना 500 करोड़ का कारोबार किया है. वूमनिया पोर्टल की बात करें तो यह महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों का एक मंच है जिसपर कई तरह के उत्पाद मौजूद हैं. जेम पोर्टल के जरिये वूमनिया अच्छा कारोबार कर रही है.
जेम पोर्टल ने खरीद में लगभग 160 प्रतिशत की उछाल दर्ज की है. कई कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना सर्वेक्षणों और रिपोर्टों की मानें तो अच्छी रेटिंग की वजह से जेम पोर्टल की विश्वसनीयता में जबरदस्त वृद्धि हुई है. हाल ही में जेम ने डाक सेवा और कॉमन सर्विस सेंटर के साथ भी करार किया है. इससे अब गांव के उद्यमी भी अपने सामान को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर बेच सकेंगे. कॉमन सर्विस सेंटर का चार लाख गांवों में अपना नेटवर्क है जिसका उपयोग ग्रामीण उद्यमियों को जेम पोर्टल पर सामान बेचने के लिए किया जाएगा. वहीं डाक विभाग ग्रामीण उद्यमियों के उत्पादों की ऑनलाइन डिलीवरी से लेकर उनके भुगतान तक का दायित्व निभाएगा.
क्या कहता है इकनोमिक सर्वे 2021-22
हाल में ही सामने आए एक सर्वे में कहा गया है कि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पर करीब 10 ऐसे प्रोडक्ट है जो अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे वेबसाइट की तुलना में कम कीमत पर ऑफर किए जा रहे हैं. देश में इस समय 25 से अधिक ई-कॉमर्स वेबसाइट हैं. इन सभी प्लेटफॉर्म पर ये प्रोडक्ट ज्यादा कीमत में मिल रहे हैं. खास बात यह है कि गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस ना सिर्फ कम कीमत में बढ़िया सामान बेच रहा है, बल्कि इसके प्रोडक्ट की गुणवत्ता भी काफी अच्छी है. साल 2021-22 के इकनोमिक सर्वे में भी इस बात का जिक्र किया गया है. सर्वे के दौरान कुल 22 प्रोडक्ट की अलग-अलग वेबसाइट पर मौजूद कीमत और क्वालिटी की तुलना की गई थी, जिसमें गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस पोर्टल पर मौजूद प्रोडक्ट की कीमत करीब 10 फीसदी तक कम थी.
L&T ने MSMEs ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सूफिन लॉन्च किया
लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro – L&T) ने एलएंडटी-सूफिन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (L&T-SuFin e-commerce platform) की स्थापना की है। यह अन्य व्यवसायों को बेचे जाने वाले औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं के लिए देश का पहला पूर्ण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है। मंच की लेनदेन लागत लगभग 1.5 प्रतिशत है। अपने बी 2 बी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से, कंपनी का उद्देश्य व्यवसायों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को सशक्त बनाना है, जिससे उन्हें पूरे भारत में औद्योगिक वस्तुओं को डिजिटल और लागत प्रभावी ढंग से प्राप्त करने की अनुमति मिल सके।
कंपनी ने एक बयान में कहा, “डिजिटल प्रौद्योगिकी के साथ, एलएंडटी सूफिन भारतीय व्यापार परिदृश्य को बदलने के लिए तैनात है, जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को औपचारिक रूप दिया गया है और आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों के लिए जीत की स्थिति है।”
प्रमुख बिंदु:
- मंच पर सभी प्रकार के निर्माण और औद्योगिक उत्पाद उपलब्ध होंगे। साथ ही, एलएंडटी के बिजनेस हेड भद्रेश पाठक के अनुसार, देश भर में एमएसएमई को औद्योगिक वस्तुओं को बेचने के प्रयास में रसद और वित्त की सहायता की जाएगी।
- “एलएंडटी सूफिन की शुरुआत के साथ, हम अपने डिजिटल परिवर्तन पथ में एक और कदम आगे बढ़ाते हैं, जो हमारे विश्वास और पारिस्थितिकी तंत्र ज्ञान की विरासत पर आधारित है। हमें एलएंडटी सूफिन की औद्योगिक बी2बी क्षेत्र को बदलने की क्षमता पर भरोसा है”, एसएन सुब्रह्मण्यन एलएंडटी के सीईओ और प्रबंध निदेशक हैं।
- एलएंडटी में कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी हेड अनूप सहाय के अनुसार, लार्सन एंड टुब्रो आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और खरीदारों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए बेहतर प्रक्रियाओं का निर्माण करने के लिए सूफिन कॉमर्स प्लेटफॉर्म चुनना प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगी।
- इससे औद्योगिक उत्पाद की उपलब्धता सभी के लिए सरल और स्पष्ट हो जाएगी। एलएंडटी सूफिन 40 से अधिक श्रेणियों में औद्योगिक वस्तुओं का विस्तृत चयन प्रदान करता है, साथ ही वित्तीय और रसद सहायता भी प्रदान करता है।
एलएंडटी सूफिन ने विक्रेताओं को अपने बाजारों का विस्तार करने का अवसर दिया। व्यापार के अनुसार, मंच को पूरे भारत में और श्रेणियों में खरीदारों को जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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