देश में लॉन्च होगी अपनी Digital Currency, आरबीआई गवर्नर ने कही ये बड़ी बात
Digital Currency in India: डिजिटल करेंसी का चलन जोर पकड़ता आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? जा रहा है और क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की आसमान छूती कीमतों को देखकर भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है. भारत ने अपनी डिजिटल करेंसी (India's digital currency) लाने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है. देश के शीर्ष बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल मुद्रा पर काम करना भी शुरू कर दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा है कि आरबीआई खुद की डिजिटल करंसी पर काम कर रहा है. यह करेंसी पूरी तरह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी.
ब्लॉकचेन तकनीक की जरूरत (blockchain technology)
उन्होंने कहा कि तकनीकी क्रांति के दौर में भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) के फायदों को अपनाने की जरूरत है. गवर्नर ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ अलग तरह की चिंताएं भी हैं.
बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? एंड इंडस्ट्री के 185वें स्थापना दिवस में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि भारत सफलता की राह पर आगे बढ़ने की दहलीज पर खड़ा है.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंताएं
एक दिन पहले ही एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा था कि आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी के अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता पर असर को लेकर चिंतित है और इस चिंता से बैंक ने सरकार को अवगत करा दिया है.
ब्लॉकचेन तकनीक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक पूरी तरह से अलग है और इस तकनीक का अभी दोहन होना है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ बड़ी चिंताएं हैं.
सरकार को भी ऐतराज
बता दें कि सरकार संसद में ऐसा विधेयक लाने की योजना बना रही है जिसके जरिये भारत में क्रिप्टोकरेंसी में कामकाज से रोका जा सकेगा. रिजर्व बैंक ने 2018 में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के लेनदेन को समर्थन देने से रोक दिया था.
बैंक को चिंता थी कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जा सकता है. इसलिए उसने यह कदम उठाया.
कोर्ट ने हटाया प्रतिबंत (Supreme Court on cryptocurrency)
क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई के प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को हटा दिया था. कोर्ट ने RBI के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के निर्णय को बेहद सख्त बताया.
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अब कैश रखने की जरूरत नहीं! RBI आज लॉन्च करेगा Digital Rupee,जानिए इसके बारे में सबकुछ
रिजर्व बैंक ने कुछ समय पहले आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? घोषणा की थी कि वो एक खास उपयोग के लिए डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है. अब इसकी शुरुआत 1 नवंबर से होने जा रही है. अभी इस प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया है.
डिजिटल करेंसी के फायदे
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 01 नवंबर 2022,
- (Updated 01 नवंबर 2022, 10:35 AM IST)
अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया शुरू
डिजिटल मुद्रा को नहीं कर सकते नष्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने 31 अक्टूबर को घोषणा की कि वह आज से विशेष उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपया (ई-रुपया) के पायलट लॉन्च की शुरुआत करेगी. RBI के एक बयान के अनुसार, केंद्रीय बैंक आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? आज थोक उद्योग के लिए डिजिटल रुपये में एक पायलट का संचालन करेगा.
केंद्रीय बैंक की ओर से 7 अक्टूबर को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आरबीआई जल्द ही विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपये (ई-रुपये) का परीक्षण शुरू करेगा. आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, इस पायलट का उपयोग मामला माध्यमिक वित्तीय गतिविधि को निपटाने और सरकारी सिक्योरिटी को इसमें शामिल करने के लिए था.
अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया शुरू
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा.आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है. थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में कई सारे बैंक शामिल हैं. इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं.
इसने आगे कहा गया कि खुदरा क्षेत्र के डिजिटल रुपये (e-rupee-R)के लिए पहला परीक्षण कुछ प्रमुख क्षेत्रों में ग्राहकों और व्यापारियों से बने चुनिंदा सीमित यूजर ग्रुप के साथ एक महीने से भी कम समय में लाइव होने वाला है. नियत समय में, ई-रुपये-आर पायलट के संचालन के बारे में जानकारी जारी की जाएगी.
क्या है CBDC?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी धन का एक डिजिटल रूप है. सीधे शब्दों में कहें तो, यह भारतीय रुपये का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है, जो एक तरह का फिएट मनी है. इसे फिएट मनी के लिए वन फॉर वन का कारोबार किया जा सकता है.
RBI के अनुसार, “CBDC एक डिजिटल रूप में एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी टेंडर है. यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है.केवल उसका रूप भिन्न है."
क्या होती है Fiat Money?
किसी भी देश की अर्थव्यस्था में सरकार द्वारा जारी कि गई मुद्रा Fiat Money कहलाती है. इसका सोने चांदी की तरह खुद को कोई विशेष मूल्य नही होता लेकिन किसी भी देश की सरकार उसे अपने नियमों अनुसार इसे एक विशेष मूल्य का दर्जा देती है. यह मूल्य स्थाई नहीं होता है, क्योंकि मांग तथा आपूर्ति के हिसाब से Fiat Money का मूल्य कम ज्यादा होता रहता है.
डिजिटल रुपये के क्या फायदे हैं?
क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल भुगतान विधियों के लाभ सीबीडीसी में मौजूद होंगे. एक डिजिटल मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है. इस तरह ये नकदी का एक डिजिटल रूप है जिसे नोट की जगह लाइफलाइन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा.
डिजिटल करेंसी पर टैक्स की हुई घोषणा, जानें कितनी बदली बिटकॉइन, डॉजकॉइन और अन्य क्रिप्टो की कीमत
Cryptocurrency Price Today: भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही डिजिटल मुद्रा पेश करेगा। आइए जानते हैं बजट में हुई घोषणाओं के बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में कितना बदलाव हुआ है।
Cryptocurrency Price Today: डिजिटल करेंसी पर टैक्स की हुई घोषणा, जानें कितनी बदली बिटकॉइन, डॉजकॉइन और अन्य क्रिप्टो की कीमत (Pic: iStock) 
- डिजिटल मुद्राओं को लेकर दुनियाभर में काफा क्रेज है।
- वित्त मंत्री ने आम बजट पेश करते समय कई डिजिटल मुद्रा से जुड़ी कुछ घोषणाएं की।
- जल्द ही भारत में भी डिजिटल मुद्रा आएगी , जिसका नाम 'डिजिटल रुपया' होगा।
Cryptocurrency Price Today: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को डिजिटल एसेट्स से आय पर टैक्स लगाने की घोषणा की। उन्होंने ऐसी संपत्तियों में लेनदेन को लेकर 30 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है। साथ ही उन्होंने ऐसी संपत्तियों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक फीसदी टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव किया है।
भारत में आएगा डिजिटल रुपया
बजट 2022 (Budget 2022) पेश करते हुए उन्होंने कहा कि संसद में बजट पारित होने के बाद कर प्रस्ताव एक अप्रैल से अमल में आएगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आधारित डिजिटल रुपया पेश करेगा।
डिजिटल करेंसी पर इन बड़ी घोषणाओं के बाद आइए जानते हैं आज दोपहर 1:54 बजे टॉप 11 क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में पिछले 24 घंटों में उछाल आया है या इनमें गिरावट दर्ज की गई है।
- बिटकॉइन - 0.31 फीसदी गिरकर 38,409.63 डॉलर हुई कीमत।
- इथेरियम - 0.57 फीसदी बढ़कर 2,760.42 डॉलर हुई कीमत।
- टेथर - 0.01 फीसदी गिरकर 1.00 डॉलर हुई कीमत।
- BNB - 0.31 फीसदी गिरकर 381.18 डॉलर हुई कीमत।
- यूएसडी कॉइन - 0.01 फीसदी गिरकर 0.9997 डॉलर हुई कीमत।
- कार्डानो - 0.50 फीसदी बढ़कर 1.06 डॉलर हुई कीमत।
- सोलाना - 3.35 फीसदी बढ़कर 109.47 डॉलर हुई कीमत।
- एक्सआरपी - 0.89 फीसदी बढ़कर 0.6249 डॉलर हुई कीमत।
- टेर्रा - 1.79 फीसदी गिरकर 51.92 डॉलर हुई कीमत।
- पोल्का डॉट - 3.79 फीसदी बढ़कर 20.15 डॉलर हुई कीमत।
- डॉजकॉइन - 0.29 फीसदी गिरकर 0.1425 डॉलर हुई कीमत।
बढ़ा मार्केट कैप
मालूम हो कि इस दौरान वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप 1.16 फीसदी बढ़कर 1.77 ट्रिलियन डॉलर का हो गया है। पिछले 24 घंटों में क्रिप्टो बाजार की कुल वॉल्यूम (कारोबार किए गए सिक्कों की कुल राशि) में 2.37 फीसदी की गिरावट आई। यह 64.05 अरब डॉलर रही।
बजट पर पीएम मोदी का बयान
मालूम हो कि बुधवार को बजट 2022 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बजट कैसे देश की आकांक्षाओं एवं जरूरतों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि यह बजट देश की भावी जरूरतों को पूरा करने वाला है और यह आत्मनिर्भर भारत की नीव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण करने का समय है।
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Digital Currency: डिजिटल रुपए के आने से कैसे बदल जाएगी वित्तीय व्यवस्था?
Digital Currency: पिछले कुछ वर्षों में या कहे तो कोविड संकट के बाद दुनिया के तमाम मुल्कों की अधिकारिक मुद्रा को क्रिप्टोकरेंसी और निजी डिजिटल करेंसी ने चुनौती दी है।
Digital Currency। (Social Media)
Digital Currency: कोई भी अर्थव्यवस्था सुचारु रुप से कार्य करे और इसमें शामिल केंद्रीय बैंक (Central bank) और सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बना रहे, इसके लिए आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? एक महत्वपूर्ण बुनियाद है कि उस अर्थव्यवस्था में लागू करेंसी या मुद्रा का अपना एक स्वंतत्र और एकछत्र अस्तित्व सर्वदा बचा रहे। पिछले कुछ वर्षों में या कहे तो कोविड संकट के बाद दुनिया के तमाम मुल्कों की अधिकारिक मुद्रा को क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) और निजी डिजिटल करेंसी (private digital currency) ने चुनौती दी है।
टेक्नोलॉजी के इस दौर में इस नवाचार के सही और गलत पर बहस एक तरफ हो सकती है लेकिन यह सत्य है कि क्रिप्टोकरेंसी के प्रसार ने केंद्रीय बैंकों के एकमात्र करेंसी-जारीकर्ता होने के अधिकार को चुनौती दी है। हाल के वर्षों में एक बहुत बड़े वर्ग ने अपनी व्यक्तिगत लेन-देन में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भुगतान चालू किया है, जबकि अर्थव्यवस्था में लेनदेन के लिए केंद्रीय बैंक या संबंधित संस्था के जरिए जारी मुद्रा को ही अधिकारिक मुद्रा माना जाता है। इसलिए दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने देश की अधिकारिक मुद्रा में लोगों के भरोसे को बचाने की चुनौती बढ़ती जा रही है। इस समस्या के समाधान के लिए अब केंद्रीय बैंकों ने मुद्रा के नए संस्करण "डिजिटल करेंसी" पर काम चालू कर दिया है।
सरकार ने की डिजिटल रुपया लाने की घोषणा
भारत सरकार (Indian Government) ने भी बजट 2022-23 में "डिजिटल रुपया" लाने की घोषणा की है। हाल ही में आरबीआई ने डिजिटल करेंसी पर एक रिपोर्ट के जरिए इसके जारी और लागू करने की संरचना आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? का रूपरेखा प्रस्तुत किया है और जल्द ही इसके पायलट टेस्टिंग की बात कही है।
डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया क्या है?
आईएमएफ (इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड), बीआईएस(बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट) या फिर आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की डिजिटल करेंसी पर आई रिपोर्टों का अध्ययन करें तो एक मूल बात स्पष्ट होती है कि 'डिजिटल मुद्रा जारी भौतिक मुद्रा का एक डिजिटल रूपांतरण है, जिसे सरकार की कानूनी मान्यता प्राप्त है।' इसलिए इसे "सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसी क्रम में भारत का डिजिटल रुपया भी जारी भौतिक रुपए से अलग ना होकर केवल उसका एक डिजिटल रूप है।
यूपीआई, भीम और अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों की मौजूदगी के बीच इसकी क्या जरूरत है?
डिस्टल रुपए की घोषणा के बाद से एक संदेह निरंतर बना हुआ है कि जब पहले से यूपीआई, भीम या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यम उपलब्ध हैं तो फिर 'डिजिटल रुपए' की क्या जरूरत है? इसका जवाब यह है कि जब कोई ग्राहक यूपीआई, आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? भीम या अन्य डिजिटल माध्यमों से भुगतान करता है तो इस स्थिति में बैंक को उसके हर रुपए की लेन-देन के लिए भौतिक करेंसी का मेंटेनेंस करना अनिवार्य होता है। जबकि डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के जरिए अधिकारिक मुद्रा होगी, जिसके लिए बैंकों को भौतिक मुद्रा के मेंटेनेंस की दुविधा नहीं रह जाएगीय़ इससे आरबीआई करेंसी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? की छपाई और वितरण पर होने वाले हजारों करोड़ रुपए के खर्च को भी बचा सकेगी।
एक महत्वपूर्ण अंतर यह भी है कि यूपीआई, भीम या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से किए गए डिजिटल लेनदेन में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल है, जबकि डिजिटल रुपए में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल नहीं होगा और यह वित्तीय संस्थानों के बजाय केंद्रीय बैंक आरबीआई की प्रत्यक्ष गारंटी होगी।
डिजिटल रुपया कैसे जारी किया जाएगा?
आरबीआई ने हाल ही में अपनी जारी रिपोर्ट में डिजिटल रुपए को जारी करने के लिए प्रमुख डिजाइन विकल्पों का जिक्र किया है। सबसे पहले डिजिटल करेंसी 2 तरीके कीहोगी- "थोक डिजिटल करेंसी एवं खुदरा डिजिटल करेंसी." डिजिटल करेंसी को जारी करने और प्रबंधन के लिए तीन तरह के मॉडल इस्तेमाल किए जाएंगे- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष एवं हाइब्रिड मॉडल. प्रत्यक्ष मॉडल में आरबीआई सीधे तौर पर मुद्रा आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? का संचालन करेगी, अप्रत्यक्ष मॉडल में बैंको का इस्तमाल किया जाएगा और हाईब्रिड मॉडल में दोनों उक्त मॉडलों का मिश्रण किया जायेगा। डिजिटल करेंसी दो तरह के फॉर्म में उपल्ब्ध होगी - टोकन आधारित या खाता आधारित। साथ ही साथ डिजिटल रुपए में लेन देन के दौरान निजता का भी ख्याल रखा जाएगा। एक निश्चित राशि तक के भुगतान में कर्ता की पहचान गुप्त रहेगी। लेकिन बड़े भुगतानों में कर्ता की पहचान को आरबीआई डिजिटल ट्रेल के जरिए जान सकेगी।
डिजिटल रुपए के क्या लाभ है?
"डिजिटल रुपए" का लाभ केंद्रीय बैंक के साथ-साथ इसके उपभोक्ताओं को भी होगा. केंद्रीय बैंक के रूप में देखें तो डिजिटल करेंसी का प्रत्यक्ष लाभ नोटों की छपाई और उसके प्रबंधन में आने वाले खर्च की गिरावट के रूप में दिखाई पड़ेगा। इसके साथ ही पुराने नोटों की गुणवत्ता वाली समस्या से भी आरबीआई को निजात मिल जाएगी। क्रिप्टो मुद्रा और निजी करेंसी के बढ़ते बाजार के बीच आरबीआई की डिजिटल करेंसी अर्थव्यवस्था के अधिकारिक मुद्रा में लोगों के आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? भरोसे को बरकरार रखेगी। साथ ही इनके संभावित खतरों से बचा पाएगी. साथ ही उपभोक्ताओं को भी एक त्वरित भुगतान माध्यम प्राप्त होगा जो अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की स्थिति आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? में डिजिटल करेंसी अन्य सभी उपलब्ध भुगतान माध्यमों में सबसे बेहतर साबित होगी।
डिजिटल रुपए की एक विशेषता इसकी प्रोग्रामयोग्य करेंसी के रूप में तकनीकी संभावना है। उदाहरण के लिए बैंकों द्वारा दिए जा रहे कृषि कर्ज को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है कि इसका उपयोग केवल कृषि जरूरतों की वस्तुओं के लिए किया जा सके। इसका आशय यह हुआ कि कृषि कर्ज के अंतर्गत डिजिटल रुपए के रूप में प्राप्त धनराशि से एक किसान कृषि से जुड़े उपकरण, खाद,बीज एवं अन्य चीजों को ही खरीद सकता है. यह मुद्रा फिर किसी दुसरे कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं हो पाएगी।
"डिजिटल रुपए" के सामने क्या चुनौतियां है?
डिजिटल रुपए का सिद्धांत बिल्कुल नया है और दुनिया के तमाम देशों में अभी शुरुआती दौर में है। इसलिए इसके क्रियान्वयन का कोई बहुत प्रमाणिक आधार उपलब्ध नहीं है। बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन ने जरूर 2 साल पहले अपने डिजिटल करेंसी को लागू कर दिया था, लेकिन चीन की सूचनाओं पर भारत अपनी नीति नहीं बना सकता है। इसलिए आरबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो यह है कि वह डिजिटल रुपए को अपनी आबादी के बीच में कैसे स्थापित करती है. वित्तीय साक्षरता के मामले में अभी बहुत पीछे चल रहे मुल्क में ऐसे नए वित्तीय प्रयोग को लेकर सावधानी बरतनी पड़ेगी।
इसमें एक चुनौती ऑफलाइन डिजिटल रुपए को क्रियान्वित करने की है। आज भी एक बड़ी आबादी इंटरनेट की पहुंच से दूर है, जबकि इस नई मुद्रा के लिए यह एक जरूरी आयाम है. इसलिए आरबीआई को इसके समाधान पर एक ठोस उपाय करना पड़ेगा क्योंकि मुद्रा वही है जो हर नागरिक तक उपल्ब्ध हो।
अर्थशास्त्र में नोबेल विजेता 'जेम्स टोबिन' कहते थे कि फेडरल रिजर्व बैंक को अमेरिका में लोगों के लिए आसान और सुरक्षित करेंसी उपलब्ध करानी चाहिए। इसका निहितार्थ यह है कि "करेंसी वह माध्यम होनी चाहिए जो लोगों के पहुंच में हो और एक सुरक्षित लेन-देन का माध्यम हो।" वर्तमान समय डिजिटल मुद्रा का है। इस मुद्दा की मांग किसी केंद्रीय बैंक से नही बल्की लोगों के बीच से आ रही है। सरकार और आरबीआई की जवाबदेही बनती है कि वह एक सुरक्षित, आसान और तेज डिजिटल रुपया लोगों तक उपलब्ध कराएं।
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