नल्लाथांबी कलाईसेल्वी बनीं CSIR की पहली महिला महानिदेशक। (एक्सप्रेस फोटो)
सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
सीएसआईआर-एनबीआरआई कौशल विकास कार्यक्रम
सीएसआईआर-एनबीआरआई एक प्रमुख संयंत्र अनुसंधान केंद्र है, जिसमें अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शास्त्रीय और उन्नत संयंत्र विज्ञान में विशेषज्ञता का एक अनूठा मिश्रण है। 1953 में अपनी स्थापना के बाद से, CSIR-NBRI बुनियादी और अनुप्रयुक्त वनस्पति, बागवानी और जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान में लगे हुए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में S & T सेवाएं प्रदान करते हैं, संयंत्र संसाधन पहचान, प्रलेखन, और नए हर्बल के विकास के माध्यम से जैव-पूर्वेक्षण के लिए संरक्षण प्रदान करते हैं। औद्योगिक उपयोग और सामाजिक लाभ के लिए बायोटेक, माइक्रोबियल और एग्री-बागवानी तकनीक, उत्पाद और सेवाएं। सीएसआईआर-एनबीआरआई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हर्बेरियम और बोटैनिकल गार्डन को मान्यता दी है, जो वनस्पति और संबद्ध विषयों में अनुसंधान, संरक्षण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए संसाधन भंडार के रूप में काम करते हैं। CSIR-NBRI हर्बल दवा अनुसंधान के क्षेत्र में NABL मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में से एक है। संस्थान ने हाल के वर्षों में हर्बल स्वास्थ्य उत्पादों, कॉस्मोटिक्स, माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों और पुष्प शिल्प के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं।
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने “अंतर्राष्ट्रीय ओपन एक्सेस वीक-2022” मनाया
विद्वतापूर्ण प्रकाशनों के क्षेत्र में शोधकर्ताओं और प्रकाशकों के बीच निर्बाध पहुँच (ओपन एक्सेस) जागरूकता पैदा करने के लिए दुनिया भर में इंटरनेशनल ओपन एक्सेस वीक मनाया जाता है। इसे अक्टूबर के अंतिम पूर्ण सप्ताह के दौरान विश्व स्तर पर मनाया जाता है। ओपन एक्सेस पब्लिशिंग के विभिन्न पहलुओं एवं अवसरों को उजागर करने के लिए ऐसी विभिन्न आउटरीच गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें वार्ता, सेमिनार, संगोष्ठी, या ओपन एक्सेस अधिदेश (मैंडेट) या ओपन एक्सेस में अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों की घोषणा शामिल है। वर्ष 2022 में द इंटरनेशनल ओपन एक्सेस वीक का आयोजन उत्सव अपने अपने पंद्रहवें वर्ष में प्रवेश कर गया है ।
प्रत्येक क्रिया में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका : अतुल
देहरादून ब्यूरो
Updated Fri, 14 Jun 2019 11:44 PM IST
ब्यूरो/अमर उजाला, रुड़की
सीएसआईआर (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों ने जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय नंबर-2 रुड़की की ओर से आयोजित इन-सर्विस कोर्स में शिक्षकों के लिए व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में विज्ञान क्षेत्र में सीबीआरआई और सीएसआईआर की नवीनतम तकनीक से अवगत कराया। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के सात मंडलों के शिक्षकों ने भाग लिया।
सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक क्रिया में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे जानने और समझने के लिए विज्ञान को सीखना नहीं, बल्कि व्यवहार बनाना आवश्यक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण किसी भी विषय में क्या, क्यों, कैसे जानने की उत्सुकता प्रदान करता है। यह विज्ञान का अध्ययन करने में पहला कदम है। उन्होंने किताबी इंजीनियरों को मेट्रो मैन ई. श्रीधरन जैसे इंजीनियर में परिवर्तित करने के लिए शिक्षकों की भूमिका से अवगत कराया। आधुनिक भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने में सीबीआरई की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षकों को सीएसआईआर और सीबीआरआई की गौरवशाली वैज्ञानिक उपलब्धियों की ओर से विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि खाद्य से खनन सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां तक, भवन निर्माण से भू-विज्ञान तक, स्वास्थ्य, रसायन, ऊर्जा आदि सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां जीवन के हर पहलू, हर क्षेत्र के उत्थान में सीएसआईआर ने अपना योगदान दिया है। इसी दिशा में जीवन के तीन मूलभूत आवश्यकताओं में से एक आवास के क्षेत्र में सीबीआरआई नित नवीन तकनीकों का विकास करने में अग्रसर है। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के सात मंडलों आगरा, चंडीगढ़, देहरादून, दिल्ली, गुरुग्राम, जबलपुर और वाराणसी के लगभग 40 रसायन विज्ञान के परास्नातक शिक्षकों और केंद्रीय विद्यालय नंबर-2 के प्रधानाचार्य अरविंद कुमार, उपप्रधानाचार्या संगीता खुराना, धीरज गुप्ता आदि मौजूद रहे।
प्रत्येक क्रिया में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका : अतुल
देहरादून ब्यूरो
Updated Fri, 14 Jun 2019 11:44 PM IST
ब्यूरो/अमर उजाला, रुड़की
सीएसआईआर (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों ने जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय नंबर-2 रुड़की की ओर से आयोजित इन-सर्विस कोर्स में शिक्षकों के लिए व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में विज्ञान क्षेत्र में सीबीआरआई और सीएसआईआर की नवीनतम तकनीक से अवगत कराया। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के सात मंडलों के शिक्षकों ने भाग लिया।
सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक क्रिया में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे जानने और समझने के लिए विज्ञान को सीखना नहीं, बल्कि व्यवहार बनाना आवश्यक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण किसी भी विषय में क्या, क्यों, कैसे जानने की उत्सुकता प्रदान करता है। यह विज्ञान का अध्ययन करने में पहला कदम है। उन्होंने किताबी इंजीनियरों को मेट्रो मैन ई. श्रीधरन जैसे इंजीनियर में परिवर्तित करने के लिए शिक्षकों की भूमिका से अवगत कराया। आधुनिक भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने में सीबीआरई की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षकों को सीएसआईआर और सीबीआरआई की गौरवशाली वैज्ञानिक उपलब्धियों की ओर से विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि खाद्य से खनन तक, भवन निर्माण से भू-विज्ञान तक, स्वास्थ्य, रसायन, ऊर्जा आदि जीवन के हर पहलू, हर क्षेत्र के उत्थान में सीएसआईआर ने अपना योगदान दिया है। इसी दिशा में जीवन सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां के तीन मूलभूत आवश्यकताओं में से एक आवास के क्षेत्र में सीबीआरआई नित नवीन तकनीकों का विकास करने में अग्रसर है। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के सात मंडलों आगरा, चंडीगढ़, देहरादून, दिल्ली, गुरुग्राम, जबलपुर और वाराणसी के लगभग 40 रसायन विज्ञान के परास्नातक शिक्षकों और केंद्रीय विद्यालय नंबर-2 के प्रधानाचार्य अरविंद कुमार, उपप्रधानाचार्या संगीता खुराना, धीरज गुप्ता आदि मौजूद रहे।
CSIR की बागडोर पहली बार किसी महिला वैज्ञानिक के हाथ, जानिए कौन हैं नल्लाथांबी कलाईसेल्वी
नल्लाथांबी कलाईसेल्वी बनीं CSIR की पहली महिला महानिदेशक। (एक्सप्रेस फोटो)
नल्लाथांबी कलाईसेल्वी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की पहली महिला महानिदेशक बनी हैं। वह शेखर मांडे की जगह लेंगी, जो अप्रैल में सेवानिवृत्त हुए थे। लिथियम-आयन बैटरी के क्षेत्र की दुग्गज वैज्ञानिक कलाइसेल्वी तमिलनाडु के कराईकुडी में स्थित रासायनिक अनुसंधान संस्थान की निदेशक हैं। वो CSIR सचिव का भी काम देखेंगी।
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले की निवासी कलाईसेल्वी ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिल माध्यम से की। उन्होंने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए राष्ट्रीय मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके पास 125 से अधिक शोध पत्र और छह पेटेंट हैं। शनिवार को जारी एक आदेश के अनुसार वह शेखर मांडे का स्थान लेंगी। मांडे के सेवानिवृत्त होने के बाद जैवप्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले को सीएसआईआर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
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