घर की इस दिशा में बोरिंग होना धन और सफलता के लिए घातक

संचालन एक समूह प्रवृत्ति है ।

Please log in or register to add a comment.

1 Answer

Please log in or register to add a comment.

Find MCQs & Mock Test

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

प्रतिचुंबकीय पदार्थ वे होते हैं जिनमें ______________ से स्थानांतरित होने की प्रवृत्ति होती है और चुंबक द्वारा _____________।

SSC Scientific Assistant IMD Application Status Out for all regions except MPR & WR Regions and admit card out for NWR, NER, CR & SR Regions! The CBE will be held from 14th to 16th December 2022. Earlier, the notification for SSC Scientific Assistant IMD Recruitment 2022 was released. The applications were accepted online till 18th October 2022. The selection process includes a Computer Based Examination (CBE). According to the SSC Scientific Assistant IMD Eligibility, candidates with a B.Sc. degree or Diploma in Engineering can apply for this post. The salary of the finally appointed candidates will be in the pay scale of Rs. 9,300 to Rs. 34,800.

Stay updated with the Physics questions & answers with Testbook. Know more about Magnetism and Maxwell's Equations and ace the concept of Diamagnetism.

gouy method in hindi गॉय विधि क्या है ? gouy’s method for magnetic susceptibility formula

gouy’s method for magnetic susceptibility formula , gouy method in hindi गॉय विधि क्या है ?

चुम्बकीय प्रवृत्ति के निर्धारण की प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण विधियाँ : पदार्थो की चुम्बकीय प्रवृति ज्ञात करने की कई विधियाँ उपलब्ध है जिनमें से दो प्रमुख है , क्रमशः गॉय विधि और फैराडे विधि , जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित प्रकार है –

  1. गॉय विधि (Gouy method): किसी पदार्थ के चुम्बकीय प्रवृति और आघूर्ण को ज्ञात करने की यह एक सरल और उत्तम विधि है। इस विधि में एक विशेष प्रकार की गॉय तुला (gouy balance) में पहले पदार्थ की कुछ मात्रा को तोल लिया जाता है। बाद में पदार्थ पर एक चुम्बकीय क्षेत्र लगाते है तथा पदार्थ के भार में अंतर को ज्ञात कर लेते है। गॉय चुम्बकीय तुला उपकरण को चित्र में निचे प्रदर्शित कर सकते है –

प्रतिचुम्बकीय पदार्थो में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होता अत: उनका चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है। ऐसे पदार्थ पर यदि बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र लगा दिया जायेगा तो उनमें प्रेरित चुम्बकीय आघूर्ण बन जायेगा जो बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होगा फलत: ऐसा पदार्थ चुम्बकीय बल रेखाओं को प्रतिकर्षित करेगा जिससे उसके भार में थोड़ी कमी आ जाएगी।

इसके विपरीत एक अनुचुम्बकीय पदार्थ में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण वे चुम्बकीय बल रेखाओं को आकर्षित करते है जिससे वह पदार्थ दोनों चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य में खिंच जाता है जिससे उसके भार में वृद्धि हो जाती है।

किसी पदार्थ की विशिष्ट प्रवृत्ति (specific susceptibility) अथवा ग्राम या भार प्रवृत्ति χg को निम्नलिखित समीकरण द्वारा ज्ञात करते है –

जहाँ l = दो ध्रुवों के मध्य की दूरी

△m = पदार्थ के भार में अंतर

H = चुम्बकीय प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण क्षेत्र की तीव्रता

m = पदार्थ का द्रव्यमान

ग्राम प्रवृत्ति को अणुभार से गुणा करने पर पदार्थ की मोलर प्रवृत्ति ज्ञात की जाती है। अत:

2. फैराडे विधि (Faraday method)

फैराडे विधि में पदार्थ को चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य में लटकाया जाता है .चुम्बकीय ध्रुवों की सावधानीपूर्वक इस प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण प्रकार की आकृति बनाई जाती है कि पदार्थ द्वारा घेरे गए प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण समस्त क्षेत्र में H0(δH/δx) का मान स्थिर रहे। जब m द्रव्यमान और χ चुम्बकीय प्रवृत्ति वाले किसी पदार्थ को एक असममित क्षेत्र H के मध्य x दिशा (δH/δx) में लटकाया जाएगा तो x प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण अक्ष पर वह पदार्थ एक बल (f) का अनुभव करेगा :

इस बल को ज्ञात करने के लिए पदार्थ को पहले चुम्बकीय क्षेत्र में तथा फिर चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में तोल लिया जाता है , दोनों भारों का अंतर f के बराबर होता है। सामान्यतया प्रयोग को सरल करने के लिए लिए एक ज्ञात प्रवृत्ति वाले पदार्थ , उदाहरण , Hg[Co(SCN)4] χ = 16.44 x 10 -6 cm 3 mol -1 पर लगाए जाने वाले बल को ज्ञात करते है। यदि इस मानक तथा अज्ञात दोनों यौगिकों पर समान चुम्बकीय क्षेत्र तथा प्रवणता को लगाया जाए तो दोनों की तुलना से अज्ञात यौगिक की चुम्बकीय प्रवृति को ज्ञात किया जा सकता है।

χu को अणुभार से गुणा करने पर मोलर प्रवृत्ति को ज्ञात किया जा सकता है।

फैराडे और गॉय विधियों की तुलना

फैराडे तथा गॉय दोनों विधियाँ इस तकनीक पर आधारित है कि चुम्बकीय पदार्थ को यदि चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र तथा पदार्थ के चुम्बकीय क्षेत्र की अंतर्क्रिया के कारण पदार्थ पर कुछ बल कार्य करेगा।

दोनों विधियों में पदार्थ को पहले चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में तोलते है तथा फिर चुम्बकीय क्षेत्र लगाकर उसकी उपस्थित में पदार्थ को तोला जाता है। पदार्थ के तोल के अंतर से पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृति का निर्धारण किया जाता है। इसके उपरान्त भी दोनों विधियों में फैराडे विधि को गॉय तुला विधि की तुलना में बेहतर मानते है , प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण इसके निम्नलिखित कारण है –

घर की इस दिशा में बोरिंग होना धन और सफलता के लिए घातक

घर की इस दिशा में बोरिंग होना धन और सफलता के लिए घातक

घर की इस दिशा में बोरिंग होना धन और सफलता के लिए घातक

भविष्य का आईना है आपकी राशि (तुला)

तुला वायु तत्व की राशि है। इसमें चित्रा के तृतीय व चतुर्थ चरण, स्वाति के चारों चरण और विशाखा के प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण शामिल हैं। इस राशि के लोग अच्छे विश्लेषक होते हैं। ये विचारों से सम और हर बात को पूरी तरह तोल-मोल कर निर्णय करने वाले होते हैं। लिहाजा इनमें प्राकृतिक रूप से व्यापारिक प्रवृत्ति छुपी होती है। ये लोग शांति, प्रेम व न्याय के समर्थक होते हैं। इन्हें कला, संगीत और साहित्य के प्रति विशेष लगाव होता है। ये महत्वाकांक्षी, विनम्र, दयालु, परोपकारी, समृद्ध और भावुक होते हैं। ये आधुनिकता के समर्थक होते हैं। अन्याय इन्हें हजम नहीं होता। स्वभाव में कुछ हद तक उग्रता का समावेश भी होता है, पर अमूमन ये न्याय और शांति के समर्थक तथा प्रकृति के प्रेमी होते हैं। पर्यटन में इन्हें रुचि होती है।

प्रश्न:प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण दीवारों पर लाल रंग शुभ है या अशुभ? -सुधा शर्मा
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि सार्वभौमिक रूप से कोई भी रंग शुभ या अशुभ नहीं होता। जगह, काल और परिस्थितियों के अनुसार तो स्वयं शुभ-अशुभ की व्याख्या भी बदल जाती है। लाल रंग अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तु के नियमानुसार दक्षिण-पूर्व में लाल रंग शुभ फल प्रदान करते हैं। क्योंकि ये अग्नि का स्थान है। पर उत्तर और उत्तर-पूर्व स्थान का तत्व जल होने से वहां लाल रंग धन नाश, संबंधों में तनाव व बिखराव के साथ शारीरिक कष्ट व गृह कलह का सूत्रपात कर सकते हैं।

नोट: अगर, आपकी कोई समस्या है, तो आप अपनी जन्म तारीख, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं।

रेटिंग: 4.26
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 642