रोहित कुमार (Rohit Kumar)
कंटेंट मार्केटर, हिंदी ब्लॉगिंग
लखनऊ -226016, उत्तर प्रदेश, भारत
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अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात: Narendra Tomar

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान व प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ; पीपी/डीओपीटी; परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कृषि भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में आरआईएसएटी (रिसैट)-1ए उपग्रह के डेटा उत्पाद और सेवाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान आरआईसैट व वेदास का उपयोग कर कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने पर कृषि व अंतरिक्ष विभाग के बीच एमओयू साइन हुआ। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा तकनीकी डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें यूजर समुदाय के लाभ के लिए आरआईसैट-1ए डेटा का उपयोग करके केस स्टडी और संभावित एप्लीकेशन्स का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात हो रहा है। कृषि और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुआ समझौता कृषि क्षेत्र की ताकत को और बढ़ाएगा। किसानों तक यह ज्ञान पहुंचेगा तो उनका उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और एक्सपोर्ट के अवसर बढ़ेगे। श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में और पूरी दुनिया में कृषि का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र आजीविका के डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को गति देने व बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर रहा है। पहले ज्ञान और निजी निवेश के अभाव की वजह से इस डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार क्षेत्र का नुकसान हुआ। इस क्षेत्र में जितने बदलाव, ज्ञान और निवेश की जरूरत थी, वह नहीं हुआ।

यही कारण है कि कृषि का क्षेत्र उतना आगे नहीं बढ़ा, जितना बढऩा चाहिए। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कामकाज संभाला तो उनके मन में देश को दुनिया में आगे बढ़ाने की ललक थी और नए-नए आयामों से जोडऩे का काम किया गया। इसके कारण अंतरिक्ष विभाग सहित सभी विभागों ने काम करने की पद्धतियां बदलीं, लक्ष्य तय किया और परिणामकारी लक्ष्य की योजना बनी। देश में आज इसका असर दिखर रहा है। कृषि विभाग भी एग्री स्टेक पर काम कर रहा हैं। किसान की आमदनी बढ़ाई जा सके, पूर्वानुमान लगाकर उसे नुकसान से बचाया जा सके, इन पर काम किया जा रहा है। तोमर ने कहा कि टेक्नोलॉजी से जुडऩे के बाद फसल का अनुमान, राज्यों को आवंटन देने, किसी क्षेत्र को सूखा घोषित करने के लिए सर्वेक्षण, आपदा का आंकलन, ये सब काम आसान हो जाएंगे। यह तकनीक कृषि क्षेत्र के साथ-साथ देश के लिए काफी फायदेमंद है। एग्री स्टेक पूरा होने के बाद कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।

कार्यक्रम में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में प्रमुख उपलब्धि रही कि विज्ञान को दो स्तर पर उपयोग में लाया जाए। पहला इसका उपयोग ईज ऑफ लीविंग में किया जाए और दूसरा इसे प्रयोगशाला से निकाल कर विभागों व मंत्रालयों में बांटा जाए। इस पर प्रयास किया गया और आज रोड निर्माण, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में भी इसका उपयोग हो रहा है। इस समन्वय और सहयोग को संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने कई निर्णय लिए जो 60-70 वर्षों में भी नहीं हो सके थे। वर्ष 2020 में अंतरिक्ष विभाग के नियमों में संशोधन किया गया। डॉ. सिंह ने कहा कि आज एमओयू साइन हो रहा है, अगली बार एमओयू की आवश्यकता नहीं होगी। आप अपना सैटेलाइट बनाएंगे और हम उसे छोड़ेंगे। यह काम शुरू हो गया है। जहां तक कृषि क्षेत्र का संबंध है तो चार-पांच स्तर पर प्रमख रूप से वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इसमें ड्रोन प्रमुख है। बहुत-सी ऐसी फसलें हैं, जहां सिंचाई नहीं हो सकती, वहां भी ड्रोन से सिंचाई संभव है। दूसरा उपज को बढ़ाना, तीसरा है सेल्फ लाइफ को बढ़ाना यानि उपज को देश के अलग-अलग हिस्सों में बिना डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार नुकसान के पहुंचाना और चौथा आपदा नियंत्रण।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी होल ऑफ गवर्नमेंट की बात कहते हैं, आज उसका अच्छा उदाहरण पेश हो रहा है। इस तकनीक के माध्यम से जलशक्ति मंत्रालय, गृह मंत्रालय जुड़ चुके है और अब कृषि मंत्रालय भी जुड़ रहा है। आरआईसैट का अगला जनरेशन आ जाएगा तो उसमें फ्रीक्वेंसी भी ज्यादा होगी और एक्यूरेसी भी। यह सहयोग और बढऩा चाहिए। इस मौके पर श्री मनोज अहूजा कृषि सचिव, श्री एस. सोमनाथ सचिव अंतरिक्ष विभाग, डीजी- आईसीएआर डॉ. हिमांशु पाठक, अतिरिक्त सचिव श्री प्रमोद मेहरदा, इसरो के वैज्ञानिक सचिव श्री शांतनु, निदेशक श्री नीलेश देसाई, श्री प्रकाश चौहान आदि मौजूद थे।आरआईएसएटी-1ए, देश का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे 14 फरवरी 2022 को लॉन्च किया गया था। आरआईएसएटी-1ए एक बारहमासी उपग्रह है और यह वनस्पति में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। यह प्रकाश की स्थिति की परवाह किए बिना उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली भू-स्थानिक छवियां ले सकता है। आरआईएसएटी-1ए डेटा कृषि, जैव संसाधन, पर्यावरण, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने में अत्यंत उपयोगी होगा।

ये डिजिटल सूचना उत्पाद किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे, क्योंकि वे उन्हें अपनी फसलों को प्रभावित करने वाली समस्याओं की तुरंत पहचान करने और समय पर ऐसी समस्याओं को दूर करने में मदद करेंगे,जिससे अंतत: फसल की पैदावार और आय में वृद्धि होगी। इससे किसानों से लेकर एग्रीटेक एजेंसियों से लेकर नीति निर्माताओं तक – कृषि मूल्य श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए डिजिटल सूचना उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने में भी मदद मिलेगी। यह पहल आगे उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से कृषि को बढ़ाने में मदद करेगी और एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में डेटा की शक्ति और डिजिटल अवसरों को खोलेगी। यह भारतीय कृषि के समावेशी,आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए डिजिटल आधार प्रदान करेगी।

बीते 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के 210 नए मामले और कोई मौत नहीं

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 4,46,74,649 हो गए हैं और मृतकों का आंकड़ा 5,30,654 है. विश्व में संक्रमण के 64.85 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और 66.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. The post बीते 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के 210 नए मामले और कोई मौत नहीं appeared first on The Wire - Hindi.

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 4,46,74,649 हो गए हैं और मृतकों का आंकड़ा 5,30,654 है. विश्व में संक्रमण के 64.85 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और 66.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

नई दिल्ली: भारत में एक दिन में कोविड-19 के 210 नए मामले सामने आए तथा उपचाराधीन मरीजों यानी सक्रिय मामलों की संख्या और कम होकर 4,047 रह गई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार सुबह आठ बजे तक अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, संक्रमण के कुल मामलों की संख्या अब 4.46 करोड़ (4,46,74,649) हो गई है.

पिछले 24 घंटे में संक्रमण से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया, जबकि संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए केरल द्वारा एक और मामला जोड़े जाने के बाद मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 5,30,654 हो गई है.

अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 64,85,24,541 हो गए हैं और इस संक्रमण के चलते दुनियाभर में अब तक 66,51,768 लोगों की मौत हो चुकी है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, उपचाराधीन मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल मामलों का 0.01 प्रतिशत है जबकि कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर बढ़कर 98.80 प्रतिशत हो गई है. बीते 24 घंटे में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 181 मामलों की कमी दर्ज की गई है.

इस बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,41,39,948 हो गई है जबकि मृतकों की संख्या 1.19 फीसदी है. देशव्यापी कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 219.96 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं.

आंकड़ों के मुताबिक, देश में 110 दिन में कोविड-19 के मामले एक लाख हुए थे और 59 दिनों में वह 10 लाख के पार चले गए थे.

भारत में कोविड-19 संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 10 लाख से 20 लाख (7 अगस्त 2020 को) तक पहुंचने में 21 दिनों का समय लगा था, जबकि 20 डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार से 30 लाख (23 अगस्त 2020) की संख्या होने में 16 और दिन लगे. हालांकि 30 लाख से 40 लाख (5 सितंबर 2020) तक पहुंचने में मात्र 13 दिनों का डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार समय लगा.

वहीं, 40 लाख के बाद 50 लाख (16 सितंबर 2020) की संख्या को पार करने में केवल 11 दिन लगे. मामलों की संख्या 50 लाख से 60 लाख (28 सितंबर 2020 को) होने में 12 दिन लगे थे. इसे 60 से 70 लाख (11 अक्टूबर 2020) होने में 13 दिन लगे. 70 से 80 लाख (29 अक्टूबर को 2020) होने में 19 दिन लगे और 80 से 90 लाख (20 नवंबर 2020 को) होने में 13 दिन लगे. 90 लाख से एक करोड़ (19 दिसंबर 2020 को) होने में 29 दिन लगे थे.

इसके 107 दिन बाद यानी पांच अप्रैल 2021 को मामले सवा करोड़ से अधिक हो गए, लेकिन संक्रमण के मामले डेढ़ करोड़ से अधिक होने में महज 15 दिन (19 अप्रैल 2021) का वक्त लगा और फिर सिर्फ 15 दिनों बाद चार मई 2021 को गंभीर स्थिति में पहुंचते हुए आंकड़ा 1.5 करोड़ से दो करोड़ के पार चला गया.

चार मई 2021 के बाद करीब 50 दिनों में 23 जून 2021 को संक्रमण के मामले तीन करोड़ से पार चले गए थे. इसके बाद तकरीबन नौ महीने बाद 26 जनवरी 2022 को कुल मामलों की संख्या चार करोड़ के पार हो गए थे.

वायरस के मामले और मौतें

कोविड-19 संक्रमण के एक दिन या 24 घंटे के दौरान बीते नौ दिसंबर को 249, आठ दिसंबर को 241, सात दिसंबर को 166, छह दिसंबर को 165, पांच दिसंबर को 226, चार दिसंबर को 226, तीन दिसंबर को 253, दो दिसंबर को 275 और एक दिसंबर को 291 नए मामले सामने आए थे.

इस अवधि में बीते नौ दिसंबर को 0, आठ दिसंबर को 3, सात दिसंबर को 2, छह दिसंबर को 1, पांच दिसंबर को 2, चार दिसंबर को 1, तीन दिसंबर को 0, दो दिसंबर को 1 और एक दिसंबर को कोई मौत नहीं हुई थी.

नवंबर महीने में बीते एक दिन या 24 घंटे में संक्रमण के सबसे ज्यादा 1,321 मामले तीन नवंबर को रिकॉर्ड किए गए और सबसे अधिक मौत के 9 मामले छह नवंबर को सामने आए थे. इसके अलावा इस महीने में कम से कम तीन दिन ऐसे थे, जब किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई थी.

अक्टूबर महीने में 24 घंटे के दौरान संक्रमण के सर्वाधिक 3,805 मामले एक अक्टूबर को सामने आए थे और केरल में आंकड़ों के पुनर्मिलान के साथ सबसे अधिक 28 लोगों की मौत तीन अक्टूबर को हुई थी.

सितंबर महीने की बात करें तो बीते एक दिन या 24 घंटे में संक्रमण के सर्वाधिक 7,946 मामले एक सितंबर को सामने आए थे और (केरल के आंकड़ों के पुनर्मिलान के बाद) सर्वाधिक 35 लोगों की जान 18 सितंबर को गई थी.

अगस्त में बीते एक दिन या 24 घंटे में संक्रमण के सर्वाधिक 20,551 मामले पांच अगस्त को सामने आए थे और (केरल के आंकड़ों के पुनर्मिलान के बाद) सर्वाधिक 72 लोगों की जान 18 अगस्त को गई थी.

जुलाई महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के सबसे ज्यादा 21,880 मामले बीते 22 जुलाई को सामने आए थे और सबसे अधिक 67 मौतें बीते 23 जुलाई को दर्ज की गई थीं.

जून में कोविड-19 संक्रमण की बात करें तो एक दिन या 24 घंटे में बीते 24 जून को सर्वाधिक 17,336 नए मामले दर्ज किए गए थे. और इस दौरान सर्वाधिक 38 लोगों की मौत 23 जून को हुई थी.

मई महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक 3,805 नए मामले सात मई को दर्ज किए गए थे और इस दौरान सबसे अधिक 65 मौतें 22 मई को दर्ज की गई थीं.

अप्रैल महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक 3,688 नए मामले 30 अप्रैल को दर्ज किए गए थे और इस दौरान सबसे डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार अधिक 1,399 (असम और केरल में आंकड़ों में संशोधन के बाद) मौतें 26 अप्रैल को दर्ज की गई थीं.

मार्च के महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के सर्वाधिक 7,554 नए मामले दो मार्च को आए थे और इस दौरान सबसे अधिक 4,100 (महाराष्ट्र और केरल के आंकड़ों में संशोधन के साथ) मौतें डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार 26 मार्च को दर्ज की गई थीं.

फरवरी महीने में कोविड-19 संक्रमण के एक दिन या 24 घंटे में सर्वाधिक 1,72,433 मामले तीन फरवरी को रिकॉर्ड किए गए और इस अवधि में सबसे अधिक 1,733 लोगों की मौत दो फरवरी को हुई थीं.

इस साल जनवरी महीने की बात करें तो बीते एक दिन या 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के सर्वाधिक 3,89,03,731 मामले 22 जनवरी को दर्ज किए गए थे और इस अवधि सबसे अधिक 959 मौतें 30 जनवरी को हुई थीं.

मई 2021 रहा है सबसे घातक महीना

भारत में अकेले मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कोरोना वायरस के 92,87,158 से अधिक मामले सामने आए थे, जो एक महीने में दर्ज किए गए संक्रमण के सर्वाधिक मामले हैं.

इसके अलावा मई 2021 इस बीमारी के चलते 1,20,833 लोगों की जान भी गई थी. इतने मामले और इतनी संख्या में मौतें किसी अन्य महीने में नहीं दर्ज की गई हैं. इस तरह यह महीना इस महामारी के दौरान सबसे खराब और घातक महीना रहा था.

सात मई 2021 को 24 घंटे में अब तक कोविड-19 के सर्वाधिक 4,14,188 मामले सामने आए थे और 19 मई 2021 को सबसे अधिक 4,529 मरीजों ने अपनी जान गंवाई थी.

रोजाना नए मामले 17 मई से 24 मई 2021 तक तीन लाख से नीचे रहे और फिर 25 मई से 31 मई 2021 तक दो लाख से नीचे रहे थे. देश में 10 मई 2021 को सर्वाधिक 3,745,237 मरीज उपचाररत थे.

कोविड-19: साल 2021 में किस महीने-कितने केस दर्ज हुए जानने के लिए यहां क्लिक करें.

Safala Ekadashi 2022: जानिए कब है सफला एकादशी? पूजा में न करें ऐसी गलती, वरना बनेंगे पाप के भागी

सफला एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु के समक्ष घी का दीपक लगाकर नारायण कवच का पाठ शुरू करें. ये स्तोत्र पापनाशक और हर संकट में साधक की रक्षा करने वाला माना गया है। इसके प्रभाव से आर्थिक समस्या नहीं आती। ये उपाय लगातार 11 दिन तक करें।

सफला एकादशी पर पीपल की पूजा से न सिर्फ भगवान श्री विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं या फिर तरक्की पाना चाहते हैं तो सुबह जल अर्पित करने के बाद पीपल में शाम के समय चौमुखा दीया बनाकर उसमें सरसों का तेल डाल कर जलाएं।

इस दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से बड़े से बड़ा कर्ज शीघ्र उतर जाता है। कहते हैं इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती हैं। संतान संबंधी समस्याओं का समाधान निकलता है।

सफला एकादशी के दिन बुजुर्गों, महिलाओं और किसी भी बेसहारा व्यक्ति को अपशब्द न बोलें। ऐसा करने पर तीनों लोकों में शरण नहीं मिलती। मृत्यु के बाद वह नरक भोगता है।

एकादशी पर दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है लेकिन भूलकर भी इस दिन बासी भोजन किसी मनुष्य या पशु-पक्षी को न खिलाएं। ऐसा करने से घर की बरकत चली जाती है।

एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु को पूजा में डीमैट खाते पर आर्थिक प्रभार अक्षत न चढ़ाएं। विष्णु जी की पूजा में चावल वर्जित है. जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें इस दिन क्रोध से बचना चाहिए। नहीं तो व्रत व्यर्थ चला जाता है और पुण्य की जगह पाप के भागी बनते हैं।

Happy new year

नया साल क्या है? और क्यों मनाया जाता है?

नव वर्ष यह वर्ष 2022 को अलविदा कहने और 2023 में स्वागत करने का समय है। दुनियाभर में लोग अपने-अपने खास अंदाज में नए साल का जश्न मनाने के लिए तैयार हो रहे हैं। कुछ लोग 31 दिसंबर की रात को ही अपना उत्सव शुरू कर देते हैं। दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियां अर्थात परंपराएं … Read more

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