' विदेशी मुद्रा'

Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.

घरेलू शेयर बाजारों में तेजी और अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी की वजह से रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे बढ़कर 82.19 के स्तर पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की लगातार निकासी से रुपया प्रभावित हुआ, और उसकी बढ़त सीमित हुई.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने काले धन एवं बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित एक समान बैंकिंग संहिता लागू करने का आग्रह करने वाली याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अपना पक्ष रखने को कहा है.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार में 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान लगातार तीसरे हफ्ते बढ़त में रहा. सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई और उसमें बढ़त सीमित रही है.

Dollar vs Rupee Rate: विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी और ताजा विदेशी फंड प्रवाह ने रुपये की गिरावट को रोक दिया है.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी कोषों की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजारों में सुस्ती के चलते रुपये की बढ़त सीमित हुई है.

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेशी बाजार में कमजोर डॉलर और ताजा विदेशी पूंजी प्रवाह ने नुकसान को सीमित सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति कर दिया.

30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर था संकट, भारत को ऐसे मिला 500 अरब डॉलर का मुकाम

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार की यह धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है.

विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार

दीपक कुमार

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 जून 2020,
  • (अपडेटेड 13 जून 2020, 1:28 PM IST)
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा
  • भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा

हर हफ्ते की तरह इस बार भी केंद्रीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी किए हैं. इस बार के आंकड़े बेहद खास हैं. दरअसल, पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. इसी के साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा हो गया है. भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा है.

आनंद महिंद्रा ने याद क‍िया वो दौर

देश के जानेमाने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी उस दौर का जिक्र करते हुए इस नई सफलता पर खुशी जाहिर की है. आनंद महिंद्रा ने कहा, '30 साल पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था. अब हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक भंडार है. आज के माहौल में ये खबर मनोबल बढ़ाने वाली है. अपने देश की क्षमता को मत भूलें और आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर वापस आने के लिए इसका सही से इस्‍तेमाल करें.' लेकिन सवाल है कि 30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट क्‍यों आ गया था. आइए जानते हैं पूरी कहानी..

क्‍या हुआ था 30 साल पहले?

दरअसल, 1990 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर था. भंडार इतना गिर गया था कि भारत के पास केवल 14 दिन के आयात सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति के लिए ही विदेशी मुद्रा बची थी. हालात ये हो गए थे कि भारत सरकार ने बैंक ऑफ इंग्लैंड को 21 टन सोना भेजा, ताकि इसके बदले में विदेशी डॉलर मिल सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति सके. इस डॉलर के जरिए सरकार को आयात किए गए सामानों का भुगतान करना था. आपको यहां बता दें कि भारत समेत दुनियाभर में अधिकतर कारोबार डॉलर में ही होता है. ऐसे में ये जरूरी बन जाता है कि विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की उपलब्‍धता ज्‍यादा हो.

खाड़ी युद्ध के बाद बिगड़ी थी हालत

1990 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने की कई वजह है. सबसे बड़ी वजह 1990 का खाड़ी युद्ध है. इस सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति युद्ध के बाद कच्‍चे तेल की कीमतों में भारी इजाफा हो गया था. इसने मुख्य रूप से कच्‍चे तेल के आयात के भरोसे चलने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी. वहीं, युद्ध के माहौल में डर की वजह से विदेशों में रहने वाले भारतीय स्‍वदेश लौटने लगे थे.

ये एक और झटका था, क्‍योंकि विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की कमाई से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होता है. दरअसल, दुनिया भर के अलग-अलग देशों में काम करने वाले भारतवंशी अपनी कमाई का एक हिस्सा भारत में अपने सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति परिजनों को भेजते हैं. अधिकतर रकम डॉलर में होने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है.

इस हालात से कैसे निकला देश?

जब से देश ने उदारीकरण की आर्थिक सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति नीति अपनाई है तब से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना शुरू हुआ है. इसकी पहल देश के पूर्व पीएम नरसिम्हा राव ने की थी. उन्होंने तब के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में कई बड़े फैसले लिए. इन फैसलों के तहत विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाया गया. वहीं विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए कई तरह के टैरिफ में कटौती की गई. शेयर बाजार और बैंकिंग में सुधारों के लिए जरूरी कदम उठाए गए.

अब क्‍यों सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति हो रहा है इजाफा?

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पांच जून को समाप्त सप्ताह में 8.22 अरब डॉलर का इजाफा हुआ और इस वजह से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार की यह धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है. विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह कच्‍चे तेल की डिमांड में कमी है.

बता दें कि भारत में बीते मार्च महीने से लागू लॉकडाउन की वजह से ईंधन की डिमांड कम हो गई थी. ऐसे में भारत ने कच्‍चे तेल के आयात को कम कर दिया. इसके अलावा, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की वजह विदेशी निवेश भी है. पिछले तीन-चार महीनों में विदेशी कंपनियों का भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा है. वहीं, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर पूंजी का प्रवाह शुरू कर दिया है.

Forex Reserves: 7 हफ्तों से घटता जा रहा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए क्यों आ रही इसमें गिरावट

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया, जो इसका पिछले 2 सालों का सबसे निचला स्तर है

देश के विदेशी सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई। RBI के आंकड़ों सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा रणनीति के मुताबिक, 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले 2 सालों (2 अक्टूबर 2020 के बाद) का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI ने शुक्रवार 23 सितंबर को यह जानकारी दी।

इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रहा था।

16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के पीछे सबसे मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया। फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA), दरअसल कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है।

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इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रहा था।

16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के पीछे सबसे मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया। फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA), दरअसल कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है।

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