“आयुर्वेद की तरफ लौट रही है दुनिया” बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली पीएम मोदी ने अब जो किया है वो कइयों को नहीं जमेगा
इंटीग्रेटेड दवाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बड़े कदम उठा लिए हैं। इस लेख में समझते हैं कैसे यह कदम भविष्य के भारत के लिए लाभकारी साबित होने जा रहे हैं।
NIUM Ghaziabad Inauguration: समय पुराना हो या फिर नया, भारत ने विश्व को कुछ न कुछ सिखाया ही है और आज के समय में भी यह देश अपने ज्ञान की गंगा से पूरे विश्व को सराबोर कर रहा है। चाहे योगासन की बात हो, सरल जीवन जीते हुए आनंद की अनुभूति करने की बात हो या फिर स्वास्थ्य संबंधी उन गूढ़ बातों बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली को लोगों तक पहुंचाना हो, भारत ने हर क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व किया है। इन बातों का सबसे उत्कृष्ट साक्ष्य है आयुर्वेद, जी हां आयुर्वेद भारत के मूल में है। अब इसी आयुर्वेद को बढ़ावा देने संबंधी कदम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एक बार फिर से उठाया गया है। उनका उठाया गया यह कदम कैसे भारत के संदर्भ में लाभकारी है आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
संस्थानों का अनावरण और लोकार्पण
बीते दिन रविवार को गाजियाबाद के राष्ट्रीय यूनानी औषधि संस्थान यानी NIUM का प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल रूप में लोकार्पण (NIUM Ghaziabad Inauguration) किया। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान यानी AIA पणजी और साथ ही राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान यानी NIH का भी उन्होंने अनावरण किया। उन्होंने इस दौरान अपने संबोधन में आयुर्वेद का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “आयुर्वेद ऐसा विज्ञान है, जिसका दर्शन सबका सुख, सबका स्वास्थ्य है। जिसके शरीर में संतुलन हो, सभी क्रियाएं संतुलित हों, मन प्रसन्न हो, वही संतुलित है। मतलब यह कि आयुर्वेद इलाज से आगे, वेलनेस की बात बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली करता है।
NIUM Ghaziabad Inauguration पर प्रधानमंत्री ने विश्व और आयुर्वेद का उल्लेख साथ-साथ किया। उन्होंने कहा कि विश्व भी अब तमाम परिवर्तनों से निकालकर इस प्राचीन पद्धति की ओर लौट रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में इसके लिए काम पहले से शुरू हो चुका है। आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए यहां कई प्रयास किए गए। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि सरकार ने देश में अलग से एक मंत्रालय ‘आयुष मंत्रालय’ की स्थापना की है।”
भारत की पारंपरिक चिकित्सा
यहां इस बात को समझना होगा कि भारत में आयुर्वेद का पूरा एक इतिहास है। आयुर्वेद से चिकित्सा करना भारत बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली की पारंपरिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण भाग रहा है और यह लगभग 3,000 वर्षों से प्रचलन में है, आज भी इसकी महत्ता को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। लेकिन समय बदला और हमारे सामने एलोपैथी का परिचय हुआ। वैसे तो एलोपैथी के उपचार को सिरे से नहीं नकारा जा सकता है लेकिन इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि त्वरित उपचार के लिए भले ही एलोपैथी को लोगों ने हाथों हाथ लिया हो लेकिन लंबे समय तक शरीर को स्वस्थ रखने का गुण तो आयुर्वेद में ही छुपा है, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
जब कोरोना ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया तो भारत का आयुर्वेद ने एक बार फिर अपनी महत्ता को दर्शाया और पूरा विश्व आयुर्वेदिक उपचार की ओर बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली देखने लगा। आयुर्वेद, लंबे समय से कई चुनौतियों से दो चार हो रहा है लेकिन कोरोना महामारी के दौरान दुनिया जान पायी कि कैसे आयुर्वेद स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखाता है।
आयुर्वेद भारत की धरोहर है
वहीं ध्यान इस बात पर भी बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली देना होगा कि एलोपैथी के त्वरित उपचार के चक्कर में आयुर्वेद से ही नहीं बल्कि होम्योपैथी और यूनानी औषधि से भी लोगों का समय के साथ मोह भंग होता रहा है। लेकिन अब जिस तरह से मोदी सरकार की तरफ से एक-एक कर इस ओर कदम उठाए जा रहे हैं उससे यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि फिर से देश आयुर्वेद की अपनी धरोहर को न केवल समझेगा बल्कि उसे सहेजेगा भी, और तो और विश्व के सामने आयुर्वेद के रूप में एक बहुत अच्छे उपहार को भी प्रस्तुत करेगा। ऐसा होना पूरी तरह से भारत के पक्ष में होगा और विश्व आयुर्वेद और अन्य पुरानी उपचार पद्धतियों के लिए भारत की ओर देखेगा, यह भी कह सकते हैं कि पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है और इससे भारत को लाभ ही लाभ होगा।
और अधिक समझने के लिए हमें इस ओर ध्यान केंद्रित करना होगा कि जब से देश का नेतृत्व मोदी सरकार के हाथों में आया है तब से आयुर्वेद को बढ़ावा देने के क्षेत्र में और उपचार के अन्य तरीको जैसे कि बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली होम्योपैथी, यूनानी औषधि को बढ़ावा देने के लिए कई काम किए गए हैं ताकि आयुर्वेद की महिमा को जाना जा सके।
जैसे कि-
- लगभग छह साल पहले, आयुर्वेद निर्माण उद्योग 22,000 करोड़ रुपये का था और आज यह मांग में छह गुना से अधिक वृद्धि दर्ज करते हुए 1,40,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
- एक अलग आयुष मंत्रालय के निर्माण से लेकर खुद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा योग और आयुर्वेद को लगातार बढ़ावा देने तक, सरकार ने इस क्षेत्र के तेजी से विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- आज, पश्चिम आयुर्वेद और योग के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है, और पश्चिमी देशों के लोग तेजी से मानव कल्याण की इस प्रणाली को अपना रहे हैं।
मोदी सरकार में इस ओर और भी कई कार्य लगातार किए बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली जा रहा हैं जिससे आयुर्वेद, योग, यूनानी औषधि और होम्योपैथी को बढ़ावा मिल सके। इसके लिए आयुष मंत्रालय द्वारा प्रशासनिक और नीतिगत उपाय भी किए जा रहे हैं जिससे चिकित्सा बो के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक व्यापार प्रणाली के इन वैकल्पिक प्रणालियों को पहले से कहीं अधिक मुख्यधारा में लाया जा सके।
सारगर्भित बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए राष्ट्रीय यूनानी औषधि संस्थान और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान के लोकार्पण (NIUM Ghaziabad Inauguration) और अनावरण ने आयुर्वेद के साथ ही यूनानी, औषधि और होम्योपैथी के क्षेत्र में और अधिक काम करने की ओर प्रेरित किया है। ये कार्य पूरी तरह से देश और देश के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और हितकारी है।
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