धारा 7- माल एवं लेखा निर्यात के बारे में प्रत्येक निर्यातकों को क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? पूर्ण निर्यात मूल्य के बारे में घोषणा आदि किसी अन्य प्राधिकरण या भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत करना अपेक्षित है ।
घटता विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ती महंगाई और कमजोर रुपया, अर्थव्यवस्था की इन तीन चुनौतियों से कैसे निपटेगा भारत
Indian Economy आरबीआई की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत विदेशी मुद्रा भंडार 532.66 बिलियन डालर पर पहुंच गया है। यह जुलाई 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे न्यूनतम स्तर है। रुपया भी डालर के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर बना हुआ है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना और फिर रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया में उथल- पुथल मची हुई है। एनर्जी से लेकर खाद्य वस्तुओं आदि के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं। इस कारण महंगाई उच्चतम स्तर, डालर के मुकाबले रुपया और विदेशी मुद्रा भंडार निचले स्तर पर है। शुक्रवार को आरबीआई की ओर से जारी किए गए डाटा के मुताबिक 30 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 532.66 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है और यह जुलाई 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार सबसे न्यूनतम स्तर है। इसके साथ ही महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई लगातार ब्याज दर बढ़ाता जा रहा है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की गति भी धीमी होती जा रही है।
रुपये का गिरना
डालर के मुकाबले रुपये के गिरने के कारण आयात महंगा हो जाता है। इससे विदेशों के आने वाले सामान जैसे कच्चे तेल और इलेक्ट्रानिक सामानों का आयात महंगा हो जाता है। वहीं, विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों और इलाज करने जाने वाले लोगों के लिए रहना खाना महंगा हो जाता है। बता दें, बीते शुक्रवार को डालर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 82.30 के स्तर पर बंद हुआ था।
महंगाई
महंगाई का सीधा प्रभाव किसी भी आम व्यक्ति की जेब पर पड़ता है। उसे दैनिक उपभोग में होने वाली चीजों पर पहले के मुकाबले अधिक खर्च करना पड़ता है। कम बचत करने के कारण इससे सेविंग्स पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में खुदरा महंगाई दर 7 प्रतिशत रही थी और यह आरबीआई की ओर से तय किए गए महंगाई के बैंड 2- 6 प्रतिशत से एक प्रतिशत अधिक है।
सभी फेमा या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के बारे में
विदेशी देशों को बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, (FEMA) को 1999 में पारित किया। इस अधिनियम ने क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम को बदल दिया। (फेरा), जो सरकार की प्रो-उदारीकरण नीतियों के बाद अस्थिर हो गया था। नए अधिनियम ने एक नए प्रबंधन शासन क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? को सक्षम किया, जो विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप था। एफईएमA ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त किया, जो जुलाई 2005 में अस्तित्व में आया। FEMA ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को विदेशी मुद्रा से संबंधित नियमों और नियमों को पारित करने में भी सक्षम बनाया। भारत की विदेश व्यापार नीति के साथ।
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विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 2000
संसद ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 को प्रतिस्थापित करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 अधिनियम बनाया है । यह नियम 1 जून , 2000 से लागू हुआ है । उक्त अधिनियम के अन्तर्गत मामलों की जांच करने हेतु केन्द्र सरकार ने निदेशक और अन्य अधिकारियों सहित प्रवर्तन निदेशालय को चिन्हित किया है ।
इस अधिनियम का प्रयोजन भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का अनुरक्षण और विधिवत रूप से विकास का उन्नयन और विदेशी व्यापार और भुगतान को साध्य बनाने के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना है ।
यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू है और भारतीय निवासी द्वारा नियंत्रित या भारत से बाहर उनके स्वामित्व में एजेंसियों और सभी शाखाओं , कार्यालयों में भी लागू होगा । जहां यह नियम लागू है किसी भी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर किए गए उल्लंघन पर भी लागू होगा ।
Year Ender 2022: पूरे साल इन वजहों से सुर्खियों में रहा RBI, महंगाई से करना पड़ा दो-दो हाथ, जानें कितना सफल रहा केंद्रीय बैंक
Year Ender 2022: 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही.
Year Ender 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिये क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? यह साल मिला-जुला रहा. आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार टारगेट के मुताबिक महंगाई (inflation target) को काबू में नहीं रख पाया, वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर और अपनी कोशिशों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा. भाषा के मुताबिक, अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, ऐसे में नए साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है. खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है.
retail inflation लगातार नौवें महीने उच्चतम सीमा से ऊपर
खबर के मुताबिक, नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर विपरीत असर पड़ सकता है. 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही. इसकी वजह से तय व्यवस्था के मुताबिक, आरबीआई (RBI) को लेटर लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई (inflation target) को लक्ष्य के मुताबिक काबू में क्यों रख सका. साथ यह भी बताना पड़ा कि आखिर मुद्रास्फीति कब चार प्रतिशत पर आ सकती है.
आरबीआई (reserve Bank of India) को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. बढ़ती महंगाई का एक प्रमुख कारण इस साल फरवरी में रूस का यूक्रेन पर हमला रहा. इससे जिंसों खासकर कच्चे तेल के दाम पर असर पड़ा. हालांकि, महंगाई के मामले में भारत की स्थिति दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर है और यह राहत की बात रही. कई देशों में महंगाई क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? दर 40-40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई. बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अचानक से बैठक कर इस साल चार मई को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. इससे पहले, लंबे समय तक रेपो दर को यथावत रखा गया था.
तीन बार Repo Rate में 0.50-0.50% की बढ़ोतरी
कई विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाने में देरी की. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है. उसके बाद लगातार तीन बार रेपो दर में 0.50-0.50 और दिसंबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की गई. आरबीआई ने दिसंबर में रेपो दर 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर यह भी संकेत दिया कि नीतिगत दर में वृद्धि की गति अब धीमी होगी. खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) नरम पड़कर नवंबर में 5.8 प्रतिशत पर आ गई है. इसको देखते हुए कई विश्लेषकों ने कहा है कि क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? आने वाले समय में नीतिगत दर में वृद्धि थमेगी. एमपीसी की बैठक के ताजा ब्योरे से भी इस बात की पुष्टि होती है. इसका एक कारण आर्थिक वृद्धि को गति देना भी है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.
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