Updated on: December 15, 2022 22:47 IST
निवेश नीतियों का महत्व
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Budh Pradosh Vrat 2022: कब है साल का आखिरी प्रदोष व्रत? जानिए पूजा- विधि, निवेश नीतियों का महत्व शुभ मुहूर्त और महत्व
Budh Pradosh Vrat Date: वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को रखा जाएगा। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
Budh Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव से है- (जनसत्ता)
Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurt: शास्त्रों में सभी व्रतों में प्रदोष व्रत को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। वहीं प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव से होता है। मान्यता है इस दिन जो लोग भगवान शिव की उपासना सच्चे मन से करते हैं। उनको सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरी करते हैं। आपको बता दें कि साल का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को पड़ रहा है। क्योंकि यह बुधवार के दिन पड़ रहा है। इसलिए ये बुध प्रदोष व्रत है। वहीं इस दिन दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते निवेश नीतियों का महत्व हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…
बुध प्रदोष व्रत 2022 तिथि (Pradosh Vrat Tithi)
वैदिक पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 दिसंबर की रात 12 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसकी समाप्ति 21 दिसंबर की रात को 10 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगी। इसलिए प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को ही रखा जाएगा।
बुध प्रदोष व्रत 2022 पूजा का शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurt)
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ही करनी चाहिए। इसलिए प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा का समय शाम 05 बजकर 28 मिनट से आरंभ होकर रात 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस समय में भगवान शिव की पूजा की जा सकती है।
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प्रदोष व्रत पूजा- विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर साफ सुथरे कपड़े पहन लें। वस्त्र सफेद हो तो और भी शुभ हैं। साथ ही इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करलें। फिर धूप अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद भगवान शिव को चंदन लगाएं। साथ ही बेलपत्र, धतूरा और फल अर्पित करें। इसके बाद ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ ॐ नमः शिवाय। ॐ आशुतोषाय नमः। इन मंत्रों का जाप करें। साथ ही शाम को शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
प्रदोष व्रत का महत्व (Importance Of Pradosh Vrat)
शास्त्रों के अनुसार जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं। भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। बुध प्रदोष व्रत करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। वहीं रुद्राभिषेक करने से धन- धान्य में वृद्धि होती है।
तवांग तो सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है. चीन की 5 फिंगर पॉलिसी में भारत के 3 राज्य शामिल, क्या है पूरी साजिश?
Five Finger Policy: चीन अपनी विस्तारवाद की नीति पर तेजी से आक्रामक हो रहा है। उसने 2020 में लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी और कुछ दिन पहले 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की कोशिश की।
Written By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: December 15, 2022 22:47 IST
Image Source : FILE PHOTO चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी में भारतीय राज्य शामिल
दुनिया भर में विवाद पैदा करने वाला चीन अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अपनी विस्तारवाद की नीति को लेकर पूरी तरह अंधा हो चुका ये देश भारत के साथ लगातार आक्रामक हो रहा है। उसके सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में घुसपैठ की, जिसके बाद उनकी भारतीय सेना के साथ झड़प हो गई। लेकिन चीन केवल भारत के साथ ही ऐसा नहीं कर रहा, बल्कि उसके दुनिया के अन्य देशों के साथ भी जमीन और पानी को लेकर विवाद हैं। उसके सभी पड़ोसी इस विस्तारवाद की नीति से दुखी हो चुके हैं। दुनिया के नक्शे पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि चीन सबसे अधिक 14 देशों के साथ सीमा साझा करता है और लगभग सभी के साथ उसका सीमा विवाद भी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाहे भारत हो या फिर नेपाल, भूटान या तिब्बत, सभी पर कब्जे की चीन की साजिश को फाइव फिंगर पॉलिसी के नाम से जाना जाता है? ये कितनी विवादित है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चीन खुद भी आधिकारिक तौर पर इसका नाम नहीं लेता लेकिन हर वक्त इसे आकार देने की कोशिशों में जुटा रहता है। यहां जब 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता संभाली तभी से विस्तारवाद की नीति पर काम शुरू हो गया। इस सरकार के बनते ही चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा किया। गृहयुद्ध के बाद इसी समय ताइवान नाम का अलग देश अस्तित्व में आया, जिसके पीछे चीन आज तक पड़ा है और उसे अपना हिस्सा बताता है। चीन यहीं नहीं रुका, बल्कि उसने 1997 में हांगकांग और 1999 में मकाउ पर भी कब्जा कर लिया।
भारत की कितनी जमीन पर है कब्जा?
इसी साल फरवरी महीने में विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था, चीन ने लद्दाख में 38 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। ये कब्जा करीब छह दशक से है। पाकिस्तान ने 1963 में पीओके का 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन को दे दिया था। अब चूंकी ये भी भारत का ही हिस्सा है, ऐसे में चीन का भारत की कुल 43,180 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा है।
बीते साल की ही बात है, तब अप्रैल महीने में तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये ने चीन को लेकर एक कार्यक्रम में कहा था कि तिब्बत महज एक जरिया है। चीन का असली मकसद उन हिमालयी क्षेत्रों पर कब्जा करना है, जिन्हें वह फाइव फिंगर कहता है। चीन तिब्बत के बाद भारत की तरफ आगे बढ़ रहा है। वह इस फाइव फिंगर पॉलिसी का अपना मकसद पूरा करने के लिए ही भारत के साथ सीमा पर तनाव बनाए हुए है। उसकी इस पॉलिसी में तिब्बत एक हथेली है और इसकी अहम भूमिका है। उसने इस पर 1959 से कब्जा किया हुआ है।
चीन तिब्बत के बाद लद्दाख, नेपाल, सिक्किन, भूटान और अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने की फिराक में है। ताकि वह हिमालयी क्षेत्र में अपना एकाधिकार स्थापित कर सके। चीन ने अपने इस मकसद को हासिल करने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। तो चलिए अब उसकी इस फाइव फिंगर पॉलिसी को विस्तार से जान लेते हैं।
Image Source : INDIA TV
पहली फिंगर- अरुणाचल प्रदेश
चीन और भारत के बीच ताजा तनाव अरुणाचल प्रदेश में हुआ है। 1962 के युद्ध में चीन की सेना इस भारतीय राज्य में काफी अंदर तक घुस गई थी और उसने एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। आज इसी अवैध कब्जे पर उसने गांव बसा लिए हैं। ये इलाका नेफा के नाम से भी जाना जाता है। इस इलाके में किसी भी भारतीय नेता की यात्रा का चीन विरोध करता है। वह यहां के लोगों के भारतीय पासपोर्ट को मान्यता नहीं देता। जबकि चीन के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो ये साबित कर सके कि ये उसी की जमीन है। चीन का पेट निवेश नीतियों का महत्व अब भी नहीं भर रहा है, वो अब भी अरुणाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों को कब्जाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
दूसरी फिंगर- भूटान
भारत का शांतिप्रिय पड़ोसी देश और पूर्वी किनारे पर बसा भूटान इस पॉलिसी में दूसरी फिंगर है। इस पर चीन लंबे वक्त से दावा करता आ रहा है। भारत ने भूटान के साथ सैन्य संधि की हुई है, जिसके तहत वह इस देश को सैन्य सहायता देता है। भारत की सेनाएं यहां की सुरक्षा देखती हैं। हालांकि चीन भूटान को बेवकूफ बनाने के लिए कभी आकर्षक विदेशी निवेश तो कभी मदद देने का नाटक करता है।
तीसरी फिंगर- सिक्किम
सिक्किम भारत का एक अहम हिस्सा है, जो दिखने में भी बेहद खूबसूरत है। लेकिन ये स्वतंत्रता के समय इसका हिस्सा नहीं था। बल्कि इसका साल 1975 में भारत में विलय किया गया था। तब चीन ने इसका काफी विरोध किया था। लेकिन वो अपनी किसी भी चाल में कामयाब नहीं हो पाया। आज के वक्त में चीन सिक्किम पर अपना दावा करता है और चीनी सेनाओं ने कई बार यहां भी घुसपैठ करने की कोशिशें की हैं।
चौथी फिंगर- नेपाल
चीन बेशक नेपाल के साथ कितने भी बेहतर रिश्ते होने का दावा करता हो, लेकिन इस देश पर भी उसकी बुरी निगाहें निवेश नीतियों का महत्व हैं। नेपाल के एक बड़े हिस्से पर भी चीन का कब्जा है। इसे लेकर हाल में ही नेपाल के लोगों ने सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन किया था। एक वक्त पर तो उसने भारत से सैन्य मदद की गुहार तक लगाई थी। भारत इस देश को हमेशा से ही मदद देता रहा है। लेकिन नेपाल की ही कम्युनिस्ट सरकार काफी समय तक चीन के इशारों पर नाचती रही।
पांचवीं फिंगर- लद्दाख
लद्दाख में चीन की हरकतें किसी से छिपी नहीं हैं। उसकी सेनाएं लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिशें कर रही हैं। काफी बड़े इलाके पर चीन का कब्जा पहले से है। जिसे अक्साई चीन के नाम से जाना जाता है। ये कभी भारत का क्षेत्र हुआ करता था। चीन की नजर आगे गलवान घाटी पर है। जहां जून, निवेश नीतियों का महत्व 2020 के बाद से तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के बीच हुई करीब 16 राउंड की बैठकें भी बेकार साबित हुई हैं।
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G-20 की तैयारियों का जायजा लेने के लिए दिल्ली के LG वीके सक्सेना और CM केजरीवाल आज बैठक करेंगे
G-20 Presidency: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य मंत्रियों के साथ भारत की जी-20 अध्यक्षता के हिस्से के रूप में तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
बैठक आज सुबह 11 बजे एलजी ऑफिस में होगी। भारत ने 1 दिसंबर को आधिकारिक रूप से जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। उपराज्यपाल विभिन्न संबंधित परियोजनाओं की अगुवाई करेंगे जिनमें सड़कों की मरम्मत, विशेष रूप से आईजीआई हवाईअड्डे से आने-जाने वाली सड़कें, रिंग और रेडियल सड़कें, यमुना तट पर बांसेरा की स्थापना और नजफगढ़ नाले, असोला भाटी खान और रोशनआरा उद्यान सहित जल निकायों का कायाकल्प शामिल है।
यह बैठक पिछले सप्ताह सभी राज्यपालों, उपराज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के मद्देनजर होगी, जहां पीएम मोदी ने सभी से अंतर्राष्ट्रीय आयोजन को सफल बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का आग्रह किया था।
9 दिसंबर को पीएम मोदी ने की निवेश नीतियों का महत्व थी बैठक
इससे पहले 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के G20 प्रेसीडेंसी से संबंधित पहलुओं पर चर्चा करने के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग पर राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों की बैठक की अध्यक्षता की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की G20 अध्यक्षता पूरे देश की है और यह देश की ताकत दिखाने का एक अनूठा अवसर है। प्रधानमंत्री ने आगे टीमवर्क के महत्व पर जोर दिया और विभिन्न जी20 आयोजनों के आयोजन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग की मांग की।
देश के प्रत्येक हिस्से की विशिष्टता सामने लाना उद्देश्य
आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पीएम मोदी ने बताया कि जी20 प्रेसीडेंसी पारंपरिक बड़े महानगरों से निवेश नीतियों का महत्व परे भारत के कुछ हिस्सों को प्रदर्शित करने में मदद करेगी, इस प्रकार हमारे देश के प्रत्येक हिस्से की विशिष्टता को सामने लाएगी।
भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान बड़ी संख्या में भारत आने वाले आगंतुकों और विभिन्न आयोजनों पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के फोकस पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के इस अवसर का उपयोग करके खुद को एक आकर्षक व्यवसाय, निवेश और पर्यटन स्थलों के रूप में पुन: स्थापित करने के महत्व को रेखांकित किया।
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