मंदी का डर, विश्वयुद्ध का खतरा. कम नहीं हैं चुनौतियां, देखें कैसी होगी 2023 की दुनिया?

मुद्रा विनिमय दर रूपांतरण कैलक्यूलेटर

Curvert.com मुद्रा परिवर्तक लगभग 165 अंतरराष्ट्रीय फिएट और क्रिप्टोकाउंक्शंस के लिए विनिमय दर प्रदान करता है। मुद्रा कनवर्टर की दो सूचियों में अपना वांछित स्रोत और लक्ष्य मुद्रा चुनें और वर्तमान विनिमय दर प्राप्त करने के लिए वांछित राशि दर्ज करें। मुद्रा कनवर्टर के परिणाम एक स्पष्ट सारणी रूप में उपलब्ध हैं।

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मुद्रा कनवर्टर के बारे में

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सूची से प्रारंभ और लक्ष्य मुद्रा का चयन करें और प्रदान किए गए क्षेत्र में वांछित राशि दर्ज करें। पुष्टि के बाद, मुद्रा कनवर्टर आपको तुरंत परिणाम देगा। मुद्रा कनवर्टर द्वारा दिया जाने वाला परिणाम स्पष्ट तालिका रूप में प्रदर्शित होता है।

मुद्राओं के बारे में सामान्य जानकारी

लोग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद से मुद्राओं का उपयोग कर रहे हैं। तांबा, चांदी, टिन, सोने और अनाज के रूप में धातु के रूप में मुद्रा के रूप में, भुगतान के साधन, मूल्य मीटर और मूल्य स्टोर
सबसे पहले सिक्का सिक्के लगभग 2,500 साल और लगभग 1,000 वर्षों के लिए कागजी पैसे के आसपास रहा है। 160 से अधिक फिएट मुद्राएं हैं जो विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार बदलते विनिमय दरों के तहत कारोबार कर सकती हैं।
विदेशी मुद्रा बाजार क्रेडिट या शेयर बाजार की तुलना में एक बड़ा व्यापारिक वॉल्यूम लागू करता है। दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण मुद्राएं अमेरिकी डॉलर ($), यूरो (€), पाउंड स्टर्लिंग (पाउंड) और जापानी येन (¥) हैं।

लचीली और स्थिर विनिमय दर प्रणाली के मध्य अंतर

किसी मुद्रा का अन्य मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य ‘विनिमय दर’ के रूप में वर्णित किया जाता है। सामान्यतया विनिमय दर को निर्धारित करने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएं- स्थिर विनिमय दर प्रणाली और लचीली विनिमय दर प्रणाली अपनायी जाती हैं।

दोनों के मध्य अंतर

  • स्थिर विनिमय दर मुद्रा की ऐसी विनिमय दर होती है जो किसी निश्चित स्तर पर अमेरिकी डॉलर या स्वर्ण जैसे कुछ मानदंडों के आधार पर निर्धारित की जाती है और यह कभी-कभी ही समायोजित की जाती है। जबकि लचीली (Flexible/floating) विनिमय दर ऐसी विनिमय दर होती है, जिसे विदेशी मुद्रा बाजार में मांग और आपूर्ति मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • स्थिर दर सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है और उसे उसी स्तर पर बनाए रखा जाता है। परन्तु लचीली प्रणाली में केंद्रीय बैंक विनिमय दर के स्तर को प्रत्यक्षत: प्रभावित करने हेतु कोई उपाय नहीं करते हैं।
  • स्थिर विनिमय दर व्यवस्था में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव की संभावना कम होती है तथा सामान्यतः यह सरकारी नीति में परिवर्तन पर निर्भर करती है, जबकि लचीली विनिमय दर व्यवस्था के तहत मुद्रा, अस्थिरता एवं उच्च उतार-चढ़ाव के प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं, क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन की बाजार परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
  • स्थिर व्यवस्था में विनिमय दर में परिवर्तन को अवमूल्यन या पुनर्मूल्यन (revaluation) के रूप में जाना जाता है जबकि लचीली व्यवस्था में इसे मूल्यह्रास या मूल्यवृद्धि के रूप में वर्णित किया जाता है।

एक लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत विनिमय दर का निर्धारण:

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मॉडल के उदाहरण से एक लचीली विनिमय दर प्रणाली में विनिमय दर की निर्धारण प्रक्रिया को समझा जा सकता है:

मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें

प्रश्न 43. विदेशी विनिमय दर क्या है? विनिमय दर को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।

RESS विनिमय दरों में परिवर्तन के कारणों की विवेचना कीजिए।

उत्तर- विदेशी विनिमय दर- विदेशी विनिमय दर दो देशों के बीच एक देश की मुद्रा की वह मात्रा है, जिसके द्वारा दूसरे देश की मुद्रा की एक इकाई को क्रय किया जा सकता है। विनिमय दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-

1. कीमतों में परिवर्तन- दो देशों में किसी एक देश में सापेक्षिक दृष्टि से कीमत के परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनिमय दर परिवर्तित हो जाती है। उदाहरणार्थ, माना भारत में कीमत स्तर बढ़ जाता है, जबकि इंग्लैण्ड में कीमत स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भारतवासियों को इंग्लैण्ड की वस्तुएँ सस्ती पड़ने लगेंगी और वह वहाँ से बड़ी मात्रा में आयात करने लगेंगे। अतः पौण्ड की माँग बढ़ेगी। पौण्ड का मूल्य रुपयों में बढ़ जायेगा।

2. आयात एवं निर्यात में परिवर्तन- आयात एवं निर्यात में परिवर्तन के परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय की माँग एवं पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है। यदि देश के निर्यात उसके आयातों से अधिक हैं तो देश की मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय दर देश के पक्ष में परिवर्तित होगी। मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें इसके विपरीत, यदि देश के आयात, निर्यात से अधिक हैं तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ेगी तथा विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जायेगी।

3. पूँजी का आवागमन- जिस देश में विदेशों से पूँजी आती है उस देश की मुद्रा की माँग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप विनिमय दर उस देश के पक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब पूँजी देश से विदेश को जाती है तो विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर विपक्ष में हो जाती है।

4. बैंकिंग सम्बन्धी प्रभाव- बैंक अपनी क्रियाओं के द्वारा भी विनिमय दर को प्रभावित किया करते हैं। यदि व्यापारिक बैंक विदेशी बैंक पर बड़ी मात्रा में बैंकर्स ड्राफ्ट तथा अन्य प्रकार के साख पत्र जारी करता है तो इससे विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब विदेशी बैंक देश के बैंकों के ऊपर साख पत्र जारी करते हैं तो देशी मुद्रा की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाती है।

विदेशी मुद्रा में विनिमय करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

जब भी हम विदेश यात्रा पर जाते हैं विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है और हम उसका विनिमय भी करते हैं। पासपोर्ट, वीसा तो इसके लिए मूलभूत जरूरत हैं ही। इसके अलावा भी कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहले अहम तो यह होता है कि आप जिस

जब भी हम मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें विदेश यात्रा पर जाते हैं विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है और हम उसका विनिमय भी करते हैं। पासपोर्ट, वीसा तो इसके लिए मूलभूत जरूरत हैं ही। इसके अलावा भी कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहले अहम तो यह होता है कि आप जिस मुद्रा में विनिमय करने जा रहे हैं उसकी दर क्या है, इसका पता होना चाहिए। इस दर को जानने के कई तरीके हैं।

आप अखबार में देख सकते हैं। रिजर्व बैंक की साइट पर देख सकते हैं। इसके अलावा कई ऑनलाइन साइट भी विभिन्न मुद्राओं की जानकारी देते हैं। दो तरह की दरें होती हैं, खरीद दर और बिक्री दर। खरीद दर यानी जब आप विदेशी मुद्रा खरीदते हैं। बिक्री दर यानी जिस दर पर आपसे विदेशी मुद्रा खरीदी जाएगी। खरीद दर अमूमन बिक्री दर से कम होती है।

आपको यह भी पता होना चाहिए कि एक समय में आप कितनी विदेशी मुद्रा खरीद सकते हैं या उसे संचित कर सकते हैं। रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक विदेश यात्रा के समय आप 10,000 डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा अपने पास रख सकते हैं। विदेश में पढ़ाई के लिए आप 1,00,000 डॉलर की विदेशी मुद्रा का विनिमय कर सकते हैं। इलाज के लिए बाहर जा रहे हैं तो भी एक लाख डॉलर ले जा सकते हैं। कारोबारी दौरे पर हैं तो यह सीमा 25 हजार डॉलर की है।

मेरी सलाह है कि आप किसी भी गैर अधिकृत डीलर से विनिमय नहीं करें। किसी अधिकृत डीलर या फिर बैंक से ही विदेशी मुद्रा खरीदें या बेचें। हां, इनके यहां आपको कुछ अतिरिक्त फीस देनी होगी। केवाइसी नियमों का भी पालन करना होगा। इसके बावजूद ये ज्यादा सुरक्षित होते हैं। बेहतर होगा कि आप कुछ डीलरों के यहां पूछताछ कर उनकी फीस की जानकारी ले लें। कई बार आसपास स्थित डीलरों की विनिमय दर व अन्य फीस में अंतर
होती है।

अंत में मेरी सलाह यह है कि जहां तक जरूरी हो विदेशी मुद्रा कार्ड का इस्तेमाल करें। आजकल बाजार में कई तरह के विदेशी करेंसी कार्ड मौजूद हैं। ये बेहद सुरक्षित हैं। बाहर ले जाने पर अगर आपके कार्ड में पैसे खत्म हो जाते हैं तो आप आसानी से इसमें और राशि डाल सकते हैं। हां, करेंसी कार्ड का इस्तेमाल कैसे करें, इन पर शुल्क कितना लगता है आदि की जानकारी भी हासिल कर लें। करेंसी कार्ड का एटीएम में इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इस पर बहुत ज्यादा शुल्क लगा दिया जाता है। इस तरह के कार्ड का हर काम में इस्तेमाल कर सकते हैं।
वी जॉर्ज एंटोनी
एमडी, यूएई एक्सचेंज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड

मंदी का डर, विश्वयुद्ध का खतरा. कम नहीं हैं चुनौतियां, देखें कैसी होगी 2023 की दुनिया?

भविष्य में क्या होने वाला है? इसे लेकर हर कोई उत्सुक रहता है। अब जब साल 2023 शुरू होने वाला है तो यह सवाल हर कहीं है कि 2023 में दुनिया में क्या बदलेगा? भारत की स्थिति क्या होगी? कुछ ऐसी भविष्यवाणियां भी सामने आई हैं, जिनको लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में हैं। इस तरह के तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश है यह रिपोर्ट।

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मंदी का डर, विश्वयुद्ध का मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें खतरा. कम नहीं हैं चुनौतियां, देखें कैसी होगी 2023 की दुनिया?

​मंदी का डर कितना सही?

कहा जा रहा है कि 2023 में दुनिया भारी मंडी की चपेट में आने वाली है। अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता की ओर बढ़ रही है। विश्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.5% कर दिया, जबकि जून 2022 में इसके 7.5% की दर से बढ़ने का अनुमान था। हालांकि नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दावा किया है कि दुनिया की मंदी से भारत अछूता रहेगा। कुल मिलाकर, दुनिया का मंदी से वास्ता पड़ना तय है। हालांकि इसका भारत पर अन्य देशों की अपेक्षा असर कम होने के आसार हैं।

​ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा?

ग्लोबल वार्मिंग औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दर्शाता है। वैिश्वक तापमान का एवरेज 1.1% से बढ़कर 1.3% पर आ गया है। बाढ़, सूखा, जंगलों की आग और गर्म हवाओं जैसे कारण इसे और भयानक बना सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने इस बारे में चेतावनी दी है। हालांकि जलवायु परिवर्तन के खतरे के खिलाफ दुनिया एकजुट हो रही है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) में भारत को विश्व के शीर्ष 5 देशों और जी-20 देशों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। सीसीपीआई जलवायु संरक्षण में देशों के प्रयासों को दर्शाता है।

विश्व युद्ध की आशंका?

रूस और यूक्रेन का युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। यूक्रेन पर कहर बनकर टूटे रूस के कदमों का अमेरिका विरोध कर मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें रहा है। अमेरिका भी रूस के निशाने पर है। हाल ही में रूसी लोगों पर किए गए सर्वे में 66 फीसदी लोगों ने अमेरिका, जबकि 40 फीसदी ने यूक्रेन को देश का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया। ऐसे में रूस और अमेरिका के आमने-सामने आने पर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बनी रहेगी है। हाल-फिलहाल घटनाक्रम तेजी से बदले हैं। बदलती दुनिया में भारत बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसकी बात पूरी दुनिया सुन रही है। रूस और अमेरिका, दोनों के ही साथ भारत के संबंध दोस्ताना है और दोनों इसे बरकरार रखना चाहते हैं। भारत ने रूस और यूक्रेन से युद्ध खत्म करने को कहा है, जिसका समर्थन अमेरिका ने किया है। माना जा रहा है कि युद्ध खत्म हो सकता है। ऐसे में विश्व युद्ध का खतरा अधिक नहीं है। दूसरी तरफ, चीन-भारत सैनिकों के बीच एक बार फिर झड़प की घटना हुई है। लेकिन, इस तरह की घटना किसी बड़े युद्ध का सबब शायद ही बने।

​क्या खत्म हो जाएगी दुनिया?

बुल्गारिया की बाबा वेंगा और फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने 2023 को लेकर भयावह भविष्यवाणियां की हुई हैं। बाबा वेंगा की भविष्यवाणी के अनुसार, 2023 में एक बड़ा सौर तूफान धरती से टकराएगा। इसके साथ एक बड़ा देश बायोलॉजिकल हथियार पर रिसर्च करेगा, जिसमें हजारों मुद्रा परिवर्तक मुद्रा विनिमय दरें की मौत होगी। बाबा वेंगा ने धरती पर एलियंस के आने की भविष्यवाणी भी की हुई है। कहा है कि बच्चे लैब में पैदा होंगे और माता-पिता उनका रंग तय कर सकेंगे। दूसरी तरफ, नास्त्रेदम ने भविष्यवाणी की थी कि एक बड़ी जंग होगी और 2023 में कुछ बेहतर नहीं होगा। इसे तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि नास्त्रेदमस की कई भविष्यवाणियां कोरी साबित हो चुकी हैं। लेकिन यह तय है कि इसे लेकर खबरें अगले साल भी गर्म रहेंगी।

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