इसके अलावा आरबीआई ने लिक्विडिटी प्रबंधन (Liquidity management) के लिए भी कई कदम उठाया है. इसमें इंटेसिव सेक्‍टर्स के 15,000 करोड़ रुपये की लिक्विड‍िटी विंडो (RBI Liquidity window) का भी ऐलान किया है. भारतीय रिज़र्व बैंक अब सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (Certificate of Deposits) जारी करने वालों के लिए लिक्विडिटी मैनेजमेंट में ढील दी है.

Sachin Chaturvedi

Intraday के लिए Stock कैसे चुने | intraday stock kaise select kare

Intraday के लिए Stock कैसे चुने– अच्छा कमाई लिक्विडिटी क्या है करने के लिए सही शेयर का चुनना बहुत जरुरी हैं। आज हम जानेंगे अच्छा intraday stock kaise select kare कौन से ऐसे Criteria होना चाहिए जिसको फॉलो करने से आप ट्रेडिंग से अच्छा पैसा कमाई करने में आसानी लिक्विडिटी क्या है हो।

Table of Contents

Intraday के लिए Stock कैसे चुने

Intraday Trading में आप बहुत ही कम समय के लिए काम करते हो। इसलिए आपका Stock Selection Perfect होना बहुत जरूरी हैं। आपको पहले दिन ही देखना चाहिए कौन से स्टॉक में आपको अगले दिन काम करना हैं। पहले से ही तैयारी करके रखना चाहिए। अगर मार्केट आपके हिसाब से काम करे तो आप अच्छा ट्रेड ले सको।

ज्यादा Liquidity स्टॉक चुने:- Intraday Trading में आपको सबसे पहले ज्यादा Liquidity वाले शेयर को ही चुनना चाहिए। Liquidity का मतलब जिस शेयर में Buyer और Seller ज्यादा होता हैं उसी को High Liquidity स्टॉक कहते हैं। अगर खरीदार और बेचनेवाले कम होंगे तब हो चकता है जिस वक्त आप शेयर को Sell करना चाहते हो उस वक्त आपको खरीदार ही ना मिले। इसलिए आपको Intraday के लिक्विडिटी क्या है लिए ज्यादा Liquidity स्टॉक में ही ट्रेडिंग करना चाहिए।

ज्यादातर जो कंपनी बड़ी होती है उसमे उतना ही ज्यादा Buyer और Seller मजूद होता है। इसलिए आपको Large cap Stocks को सेलेक्ट करना चाहिए। इसमें आपको हर सेकंड पर खरीदार और बेचनेवाले मिल जायेंगे।

Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए

Small cap Stock नहीं होना चाहिए:- Intraday में आपको बिल्कुल Small cap Stock पर ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। Mid cap भी अच्छा है लेकिन Large cap Stock सबसे अच्छा हैं Intraday Trading के लिए।

Upper circuit / Lower Circuit स्टॉक:- एसी स्टॉक में आपको बिल्कुल ट्रेडिंग नहीं करनी है जिसमे Upper circuit या Lower Circuit को जल्दी हित करे। अगर कोई भी Intraday Stocks में ये जल्दी लगेगा तो आपको शेयर Buy और Sell करने में प्रॉब्लम होगा। इसलिए आपको एसी स्टॉक से दूर रहना हैं।

मार्केट गिरेगा या बढ़ेगा कैसे पता करे

Intraday Trading में मार्केट गिरेगा या बढ़ेगा इसमें नजर रखना बहुत जरुरी हैं। आपको जानना बहुत जरुरी है मार्केट किस तरफ जाने की संभावना ज्यादा हैं। ऐसे में आपको Global मार्केट को देखना बहुत जरुरी हैं। ये देखना इसलिए जरुरी है क्युकी आम तौर पर ऐसा देखा गया है जब भी Global Market गिरता है Indian मार्केट भी गिरता हैं।

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कोरोना संकट के बीच आम लोगों से लेकर छोटे कारोबारियों तक को राहत देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कई तरह के उपायों का ऐलान किया है. तीन दिन तक चले मौद्रिक नीति बैठक (Monetary policy meeting) के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि मौजूदा हालात, मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति और फाइनेंशियल मार्केट को देखते हुए कई तरह के उपायों का ऐलान किया जा रहा है. बता दें कि आरबीआई ने इस बार नीतिगत ब्‍याज दरों (Policy Rates) में कोई बदलाव नहीं किया है. साथ ही अर्थव्‍यवस्‍था के दृष्टिकोण को भी उदार बनाये रखने का फैसला किया है.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जारी कर सकेंगे सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट

अब आरबीआई ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट भी जारी करने की अनुमति दे दी है. इसके अलावा आरबीआई ने यह भी कहा है कि अब सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट के सभी जारीकर्ता को मैच्‍योरिटी से पहले बायबैक की सुविधा भी मिलेगी. हालांकि, इसके लिए लिक्विडिटी क्या है कुछ शर्तें भी होंगी. आरबीआई का कहना है कि इससे लिक्विडिटी मैनेजमेंट में सहूलियत मिल सकेगी.

सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट एक तरह का मनी मार्केट (Money Market) इंस्‍ट्रूमेंट है. जब कोई निवेशक किसी बैंक में एक तय अवधि के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक फॉर्म में फंड जमा करता है तो उन्‍हें सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट जारी किया जाता है. यह आरबीआई के नियमों के तहत रेगुलेट होता है.

आसान भाषा में समझें तो सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट बैंक और डिपॉजिटर के बीच एक तरह की सहमति होती है, जिसमें एक तय अवधि के लिए पहले से तय फंड को फिक्‍स किया जाता है. अब तक फेडरल डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) द्वारा जारी किया जाता रहा है. लेकिन रीजनल रूरल बैंक भी इसे जारी कर सकेंगे.

कितनी होती है सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट की अवधि

आरबीआई के नियमों के तहत कोई भी बैंक या वित्‍तीय संस्‍थान सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट नहीं जारी कर सकता है. इसके लिए आरबीआई की कुछ शर्तें होती हैं. कॉमर्शियल बैंकों द्वारा जारी होने वाला सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट 7 दिन से लेकर 1 साल तक के लिए होता है, जबकि वित्‍तीय संस्‍थान इसे 1 साल से लेकर 3 साल तक की अवधि के जारी कर सकते हैं. इसे कम से कम 1 लाख रुपये तक के लिए जारी किया जा सकता है.

चूंकि यह सरकारी गारंटी वाली सिक्‍योरिटीज होती है, इसीलिए निवेशक की मूल रकम सुरक्षित रहती है. सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट को स्‍टॉक्‍स या बॉन्ड्स की तुलना में कम जोखिम वाला निवेश विकल्‍प माना जाता है. सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट को लेकर माना जाता है कि इसपर पारंपरिक सेविंग्‍स अकाउंट की तुलना में ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. मैच्‍योरिटी के समय पर निवेशकों को 7 दिन के लिए ग्रेस पीरियड भी मिलता है.

बैंकों को रोजाना सुनिश्चित करना होता है एसएलआर

रिजर्व बैंक के प्रावधानों के मुताबिक, हर कॉमर्शियल बैंक को अपने रोजाना का कारोबार बंद होने के बाद अपनी शुद्ध मांग जमाओं (Net Demand). और सामयिक उत्तरदायिता (Time Liabilities) का एक निश्चित हिस्सा तरल परिसंपत्तियों (liquid assets) के रूप में सुरक्षित कर लेना अनिवार्य होता है। यह तरल परिसंपत्तियां cash, gold और unencumbered approved securities के रूप में हो सकती हैं।

तो, बैंक की कुल demand and time liabilities के प्रति इन सुरक्षित रखे जाने वाले liquid assets का जो भी अनुपात होता है, उसे Statutory Liquidity Ratio (SLR) या वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।

  • Net Demand Liabilities क्या होती हैं?: ऐसे बैंक खाते, जिनसे लोग कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। जैसे कि बचत खाते (savings accounts) और चालू खाते (current account)।
  • Time Liabilities क्या होती हैं? – ऐसे बैंक खाते, ​जिनसे आप तुरंत पैसा नहीं निकाल सकते। बल्कि आपको कुछ समय तक इंतजार करना होता है जैसे कि सावधि जमा खाते Fixed deposit accounts। इस प्रकार की देयताएं .liabilities. भी, जिनको कि maturity period पूरा होने के कारण अगले 1 महीने की अवधि के भीतर भुगतान करना होता है उनको भी time liabilities के अंतर्गत गिना जाता है।

किस प्रकार लिक्विडिटी क्या है तय होता है एसएलआर

बैंकों को अपनी जमाओं (deposits) का कुछ हिस्सा विशेष वित्तीय प्रतिभूतियों (securities) जैसे कि केंद्र सरकार के बांडों (Central Government securities) या राज्य सरकार के बांडों (State Government securities) में निवेश कर देना होता है। एसएलआर में नकदी के अलावा सोना और government securities (या gilts) भी शामिल किए जाते हैं, क्योंकि ये भी उच्च स्तरीय तरल और सुरखित संपत्ति माने जाते हैं।

उदाहरण के लिए, आपने 1000 रुपए बैंक में जमा किया। अब बैंक को इसमें से कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक के पास एसएलआर के रूप में रख देना होगा। मान लिया उस समय एसएलआर 20 प्रतिशत है तो उस बैंक को इस 1000 में से 200 रुपए रिजर्व बैंक के पास निवेश कर देना होगा। (प्रतिभूतियोें, स्वर्ण आदि मेें)

एसएलआर की एक और खासियत यह भी है कि एसएलआर के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखी गई रकम पर ब्याज भी मिलता है। जोकि सीआरआर के साथ नहीं होता।

एसएलआर अनिवार्य करने के प्रमुख कारण
Major uses of mandating SLR are

भारतीय रिजर्व बैंक, कई प्रयोजनों से एसएलआर तय करता है। सबसे प्रमुख कारण तो अर्थव्यवस्था में तरलता की मात्रा घटाना-बढाना होता है। इसके माध्यम से ही वह बाजार को इच्छानुसार नियंत्रित कर पाता है। एसएलआर को अनिवार्य करने के कुछ अन्य प्रयोजन इस प्रकार हैं—

ऋण जारी करने की क्षमता पर नियंत्रण

एसएलआर के माध्यम से रिजर्व बैंक, बैंकों की ओर से जारी होने वाले लोन की मात्रा को नियंत्रित कर पाता है। एसएलआर की मात्रा जितनी अधिक होती है, कॉमर्शियल बैंक उतनी ही कम मात्रा में लोन जारी कर पाते हैं। इसके उलट एसएलआर की मात्रा जितनी कम होती है, कॉ​मर्शियल बैंकों के पास उतनी ज्यादा लोन जारी करने की क्षमता रहती है।

आकस्मिक मांगों के लिए पर्याप्त तरलता रखना

एसएलआर के माध्यम से आकस्मिक मांगों के लिए बैंकों के पास पर्याप्त तरलता बनाए रखना भी संभव होता है। चूंकि, एसएलआर, बैंकों को अपनी सारी जमाएं, रिण के रूप में जारी करने से रोकता है और एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखने को सुनिश्चित करता है इसलिए बैंको को अपने ग्राहकों की आकस्मिक मांगों को पूरा करना संभव हो पाता है।

मुद्रा की तरलता से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंतरलता का अर्थ | Meaning of Liquidity किसी Assets या वस्तू के अंदर खरीद और बिक्री की जो क्षमता होती है, वह उसकी तरलता (Liquidity) कहलाती है। तरलता (Liquidity) का अर्थ होता है वह वस्तू जो आसानी से बहती है अथवा बहने की क्षमता रखती है, अर्थशास्त्र में हम इसे मुद्रा (Currency) कहते है।

इसे सुनेंरोकेंतरलता की सबसे कड़ी जांच पूर्ण तरलता अनुपात में होती है। पूर्ण तरलता अनुपात लिक्विडिटी क्या है त्वरित देनदारियों के लिए किया जाने वाला संपत्ति का अनुपात होता है। पूर्ण तरलता संपत्ति में हाथ में नकदी, बैंक में नकदी, अल्पकालिक या अस्थाई निवेश शामिल होते हैं।

लिक्विडिटी का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय, अर्थशास्त्र अथवा निवेश में बाज़ार चल निधि (market liquidity या मार्केट लिक्विडिटी) कीमत में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव के बिना तथा मूल्य में न्यूनतम हानि के साथ परिसंपत्ति की विक्रय-क्षमता है। मुद्रा, या हाथ में नकदी, सबसे अधिक चल निधि परिसंपत्ति है।

तरलता प्रबंधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह सुनिश्चित करने के लिए एक चालू प्रक्रिया है कि आरबीआई (सीआरआर) के साथ भंडार के आवश्यक स्तर को बनाए रखने के लिए और अपेक्षित और आकस्मिक नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक के लिए नकद लागत को उचित लागत पर पूरा किया जा सकता है।

इसे सुनेंरोकेंवित्त की भाषा में, मुद्रा बाज़ार का अभिप्राय अल्पकालिक ऋण लेने और देने के लिए वैश्विक वित्तीय बाज़ार से है। यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए अल्पकालिक अवधि की नकदी/तरलता का वित्त पोषण प्रदान करता है।

अर्थशास्त्र में तरलता जाल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंतरलता (Liquidity) का अर्थ होता है वह वस्तु जो आसानी से बहती है अथवा बहने की क्षमता रखती है अर्थशास्त्र में हम इसे मुद्रा (Currency) कहते है। तरलता कहने का मुख्य कारण है इसका एक हाथ से दूसरे हाथों में जानें की क्षमता रखना। जाल का अर्थ है जिससे आप बाहर जाने में असमर्थ ही रहेंगे।

क्या होते हैं श्योरिटी बॉन्ड

श्योरिटी बॉन्ड कॉरपोरेट और वित्तीय गारंटी से अलग होते हैं। इसमें किसी बीमित परियोजना को पूरा करने या प्रदर्शन का दायित्व निहित होता है जबकि कॉरपोरेट बॉन्ड ऋण चुकाने से संबंधित वित्तीय दायित्व से संबंधित होते हैं। इस मौके पर गडकरी ने कहा कि इस बीमा उत्पाद से ठेकेदारों के एक खास समूह की जरूरतें पूरी हो पाएंगी जो आज के उतार-चढ़ाव से भरे माहौल में काम कर रहे हैं। उन्होंने बीमा उद्योग को आश्वस्त करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक सुरक्षित कारोबार होने वाला है।

देश के पहले गारंटी बॉन्ड बीमा उत्पाद लिक्विडिटी क्या है को बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की तरफ से जारी किया गया है। इसे ढांचागत उद्योग और सरकार की तरफ से आ रही मांग को देखते हुए विकसित किया गया है। श्योरिटी बॉन्ड बीमा ढांचागत परियोजनाओं के लिए एक गारंटी व्यवस्था के तौर पर काम करेगा। इससे ढांचागत परियोजना के ठेकेदार और ठेका देने वाले संस्थान दोनों को संरक्षण मिलेगा।

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