बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना साल्वाडोर, क्या भारत में भी मिलेगी मंजूरी?

अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना है. पूरे देश में 200 बिटकॉइन एटीएम स्थापित किये गए हैं, जिनसे लोग अमेरिकी डॉलर के बदले बिटकॉइन ले पाएंगे.

By: एबीपी न्यूज़ वेब डेस्क | Updated at : 10 Sep 2021 09:32 AM (IST)

Edited By: Abhishekkum

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में ये बहस चल रही है कि क्या बिटकॉइन को मंजूरी देनी चाहिए? क्या बिटक्वॉइन का इस्तेमाल आपकी किसी करेंसी की तरह हो सकता है? यानी अभी किसी भी सामान को खरीदने के लिए आप रुपये में पेमेंट करते हैं तो क्या आने वाले भविष्य में ये पेमेंट बिटकॉइन में हो सकती है? भारत में तो पता नहीं, लेकिन सेंट्रल अमेरिका के देश अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को अपना लिया है.

बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश है अल Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? साल्वाडोर

अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना है. पूरे देश में 200 बिटकॉइन एटीएम स्थापित किये गए हैं, जिनसे लोग अमेरिकी डॉलर के बदले बिटकॉइन ले पाएंगे. जून में अल साल्वाडोर ने एक कानून पारित किया था, जिसमें बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकारने की बात कही थी.

करेंसी को लीगल टेंडर देने का मतलब क्या है?

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किसी भी करेंसी को लीगल टेंडर देने का मतलब ये है कि वो देश उस करेंसी को मान्यता देता है. यानी उस करेंसी के माध्यम से कोई भी सामान खरीद सकते हैं. साल 2016 में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया था तो तब उन्होंने भी लीगल टेंडर शब्द का इस्तेमाल किया था और कहा था कि 500 और हजार के नोट अब लीगल टेंडर नहीं रहेंगे. इसी तरह से अल साल्वाडोर में बिटकॉइन लीगल टेंडर हो गया है.

अल साल्वाडोर के बारे में जानकारियां

अल साल्वाडोर की अपनी कोई करेंसी नहीं है. वहां के लोग अमेरिकी डॉलर में ही लेन देन करते हैं. यहां की 25 प्रतिशत जनसंख्या अमेरिका में गुजर बसर करती है. ये Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? लोग हर साल अपने देश में करीब 6 अरब डॉलर भेजते हैं. जिस पर कई तरह के टैक्स लगते हैं.

अब बिटकॉइन अपनाने के बाद अल साल्वाडोर को उम्मीद है कि वो हर साल इस टैक्स के 400 मिलियन डॉलर की फीस बचा पाएंगे. लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है. पूरे देश में जनमत सर्वेक्षण हो रहे हैं और इसमें 70 प्रतिशत लोग बिटकॉइन को लीगल टेंडर देने को गलत बता रहे हैं. बिटकॉइन के उपयोग के साथ जुड़े जोखिमों को लेकर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ भी लगातार अल साल्वाडोर को चेतावनी दे रहा है.

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Published at : 10 Sep 2021 09:32 AM (IST) Tags: India Cryptocurrency Bitcoin currency el salvador हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग ? जानिए क्रिप्टो माइनिंग का तरीका

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग ? जानिए क्रिप्टो माइनिंग का तरीका

क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) मैथड का उपयोग करने वाली क्रिप्टोकरेंसी के लिए ब्लॉकचेन में नए ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करती है और जोड़ती है. इसमें प्रतियोगिता जीतने वाले माइनर को कुछ करेंसी / ट्रांजेक्शन फीस रिवार्ड के रूप में दी जाती है.

ज्यादातर लोग क्रिप्टो माइनिंग को केवल नए कॉइन बनाने का एक तरीका मानते हैं. हालांकि, क्रिप्टो माइनिंग का मतलब ब्लॉकचेन नेटवर्क पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन को वैलिडेट करना और उन्हें एक डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र में जोड़ना है. सबसे महत्वपूर्ण बात, क्रिप्टो माइनिंग एक डिस्ट्रीब्यूटेड नेटवर्क पर डिजिटल करेंसी के दोहरे खर्च (double-spending) को रोकती है.

इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं — क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) मैथड का उपयोग करने वाली क्रिप्टोकरेंसी के लिए ब्लॉकचेन में नए ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करती है और जोड़ती है. इसमें प्रतियोगिता जीतने वाले माइनर को कुछ करेंसी / ट्रांजेक्शन फीस रिवार्ड के रूप में दी जाती है.

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जैसा कि रोजमर्रा की बैंकिंग में होता है. फिजिकल करेंसी की तरह, जब एक मेंबर क्रिप्टोकरेंसी खर्च करता है, तो डिजिटल लेज़र को एक अकाउंट को डेबिट करके और दूसरे को क्रेडिट करके अपडेट किया जाना चाहिए. हालांकि, डिजिटल करेंसी के साथ समस्या यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को आसानी से हेरफेर किया जाता है. इसलिए, बिटकॉइन का डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र केवल वैरिफाइड माइनर्स को डिजिटल लेज़र पर ट्रांजेक्शन को अपडेट करने की अनुमति देता है. यह माइनर्स को नेटवर्क को दोहरे खर्च से बचाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी देता है.

इस बीच, नेटवर्क को सिक्योर करने में माइनर्स को उनके काम का रिवार्ड देने के लिए नए कॉइन बनाए जाते हैं. चूंकि डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र में सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी की कमी होती है, इसलिए ट्रांजेक्शन को वैलिडेट करने के लिए माइनिंग प्रोसेस महत्वपूर्ण है. इसलिए, माइनर्स को ट्रांजेक्शन वैरिफिकेशन प्रोसेस में भाग लेकर नेटवर्क को सिक्योर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे नए बनाए गए कॉइन जीतने की संभावना बढ़ जाती है.

यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल वैलिफाइड क्रिप्टो माइनर ही ट्रांजेक्शन कर सकते हैं और वैलिडेट कर सकते हैं, एक प्रूफ-ऑफ-वर्क (proof-of-work - PoW) सर्वसम्मति प्रोटोकॉल लागू किया गया है. PoW किसी भी बाहरी हमले से नेटवर्क को सिक्योर रखता है.

अब ये प्रूफ-ऑफ-वर्क क्या है?

प्रूफ-ऑफ-वर्क एक ब्लॉकचेन सर्वसम्मति प्रोटोकॉल है, जिसके लिए एक गणितीय पहेली को हल करने के लिए एक माइनर की जरुरत होती है. बिटकॉइन और एथेरियम (वर्ज़न 2 से पहले) प्रूफ-ऑफ-वर्क मैथड का उपयोग करते हैं.

क्रिप्टो के अलावा, स्पैमर्स को रोकने के लिए, ईमेल के लिए PoW मैथड का एक बदलाव प्रस्तावित किया गया है. उदाहरण के लिए, यदि हर एक मैसेज को भेजे जाने से पहले केवल 15 सेकंड इंतजार करना पड़ता है, तो कंप्यूटर का उपयोग कभी भी हजारों मैसेज भेजने के लिए नहीं किया जा सकता है.

हालांकि, क्रिप्टो की दुनिया में प्रूफ-ऑफ-वर्क एक बहुत ही विवादास्पद विषय है. क्योंकि यह भारी मात्रा में बिजली का उपयोग करता है.

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क्यों करनी पड़ती है क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग?

जैसा कि अब आप जान ही गए होंगे कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग का उपयोग नए कॉइन बनाने के साथ-साथ मौजूदा ट्रांजेक्शन को वैलिडेट करने के लिए किया जाता है. ब्लॉकचेन की डिसेंट्रलाइज्ड प्रकृति धोखेबाजों को एक ही समय में एक से अधिक बार क्रिप्टोकरेंसी खर्च करने की अनुमति दे सकती है, यदि कोई भी प्रमाणित ट्रांजेक्शन नहीं करता है. माइनिंग इस तरह की धोखाधड़ी को कम करती है और Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? कॉइन में यूजर का विश्वास बढ़ाती है.

क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के दो उद्देश्य हैं. यह नई क्रिप्टोकरेंसी तैयार करता है और यह ब्लॉकचेन पर मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन की प्रामाणिकता की पुष्टि करता है.

ट्रांजेक्शन के एक ब्लॉक की पुष्टि करने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक माइनर की प्रतिपूर्ति (reimburse) की जाती है. और बदले में उन्हें नई तैयार की गई क्रिप्टोकरेंसी मिलती है.

कैसे होती है क्रिप्टो माइनिंग?

क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए विशेष सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटरों की जरुरत होती है जो विशेष रूप से जटिल, क्रिप्टोग्राफिक गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. टेक्नोलॉजी के शुरुआती दिनों में, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को घरेलू कंप्यूटर पर एक साधारण सीपीयू चिप के साथ माइन किया जा सकता था. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, सीपीयू चिप्स बढ़ती कठिनाई के स्तर के कारण अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में फैल होते नज़र आए.

आज के इस दौर में, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए एक विशेष GPU या एक Application-Specific Integrated Circuit (ASIC) माइनर की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, माइनिंग रिग में GPU को हर समय एक विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा जाना चाहिए. प्रत्येक क्रिप्टो माइनर को एक ऑनलाइन क्रिप्टो माइनिंग पूल का भी सदस्य होना आवश्यक है.

कैसे काम करते हैं Cryptocurrency Wallets, समझिए क्या है और कितने तरह के होते हैं?

Cryptocurrency wallets- अगर आपके मन में भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का ख्याल आया है तो पहले समझिए क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट क्या होता है.

  • शुभम् शुक्ला
  • Publish Date - April 21, 2021 / 08:09 PM IST

कैसे काम करते हैं Cryptocurrency Wallets, समझिए क्या है और कितने तरह के होते हैं?

Cryptocurrency: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट पर बैन हटाने के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी का काफी क्रेज बड़ गया है. लेकिन, क्रिप्टोकरेंसी को रखने वाले वॉलेट के बारे में कम ही लोग जानते हैं. अगर आपके मन में भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का ख्याल आया है तो पहले समझिए क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट (Cryptocurrency Wallets) क्या होता है.

Cryptocurrency एक डिजिटल करेंसी होती है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है. इस करेंसी में कोडिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है. इस तकनीक से करेंसी ट्रांजैक्शन का पूरा लेखा-जोखा होता है, इसे हैक करना बहुत मुश्किल है. लेकिन, क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल को देश का केंद्रीय बैंक रेगुलेट नहीं करता है, जो कि इसकी सबसे बड़ी खामी है.

अब जानते हैं क्या है क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट?
जैसा नाम से पता चलता है. इस वॉलेट (Cryptocurrency wallets) में क्रिप्टो एसेट्स और टोकन स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वॉलेट आपके फोन पर एक अलग डिवाइस या एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की तरह हो सकता है. वहीं, ब्लॉकचैन तकनीक इसे सुरक्षित रखने में मदद करती है. Cryptocurrency को भेजने और रिसीव करने की सुविधा भी देता है.

कितने तरह के होते हैं वॉलेट?
Cryptocurrency Wallets को खास तौर पर हॉट एंड कोल्ड वॉलेट (Hot and Cold Wallets) में कैटेगरीज किया जा सकता है. हॉट वॉलेट इंटरनेट से जुड़े होते हैं और इन्हें कभी भी एक्सेस किया जा सकता है. इनमें ऑनलाइन क्लाउड वॉलेट, मोबाइल वॉलेट, सॉफ्टवेयर वॉलेट और क्रिप्टो एक्सचेंज शामिल हैं. कोल्ड वॉलेट इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होते हैं और आपको अपने क्रिप्टो ऑफलाइन स्टोर करने होते हैं. कोल्ड वॉलेट में हार्डवेयर और पेपर वॉलेट शामिल हैं.

Hardware Wallets: एक हार्डवेयर वॉलेट क्रिप्टो स्टोर करते समय सुरक्षा और सुविधा के बीच Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? बैलेंस बनाने में मदद करता है. हार्डवेयर वॉलेट को आपकी प्राइवेट की (Private Key) को स्टोर करने के ऑनलाइन तरीकों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि कंप्यूटर और फोन पर, जिसे हैकर से एक्सेस किया जा सकता है. आपकी प्राइवेट-की डिवाइस को कभी नहीं छोड़ती है, इसलिए इसे हैक नहीं किया जा सकता है. अगर आपका हार्डवेयर वॉलेट खो जाता है या टूट जाता है, तो आप अपने बिटकॉइन को एक नए डिवाइस से एक्सेस कर सकते हैं जब तक कि आप अपने रिकवरी सीड वर्ड्स को नहीं जानते हैं.

Paper Wallets: पेपर वॉलेट्स को पेपर की प्रिंटेड शीट पर स्टोर किया जाता है और यह सबसे सुरक्षित ऑप्शन में से एक है. Cryptocurrency को प्राइवेट की दर्ज करके या कागज पर QR कोड को स्कैन करके मूव किया जा सकता है. कंप्यूटर या मोबाइल पर सेव नहीं होने के वजह से उन्हें डिजिटल रूप से हैक या चोरी नहीं किया जा सकता है. आपको किसी थर्ड पार्टी सर्वर पर निर्भर होने की भी जरूरत नहीं है. यूजर अपने फोन का इस्तेमाल करके अपने पेपर वॉलेट या सीड वर्ड्स की तस्वीर कभी नहीं लेनी चाहिए.

वॉलेट में क्रिप्टो को कब होल्ड करना चाहिए?
कोल्ड वॉलेट आपकी Cryptocurrency को स्टोर करने का सबसे सुरक्षित तरीका है. वे ऑनलाइन वायरस और हैकर्स से बचाने में मदद करता हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आप अपने डेटा को स्टोर करने के लिए किसी थर्ड पार्टी पर निर्भर नहीं हैं.

रिस्क क्या है?
ऑनलाइन अटैक या स्कैम के लिए ऑनलाइन या वेब वॉलेट सबसे ज्यादा रिस्की होते हैं. अगर आप क्रिप्टो एक्सचेंज का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आप अपनी एसेट्स के साथ उन पर भरोसा कर सकते हैं.

बिटकॉइन (Bitcoin) क्या होता है? इसका प्रयोग कैसे करते है?

what is bitcoin

सीधे-सीधे बोलू तो, बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी है। इसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है, क्योंकि भुगतान के लिए यह क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करता है। बिटकॉइन साल 2009 में चलन में आई थी। आज इसका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा रहा है। वर्तमान समय में बिटकॉइन की प्रसिद्धि इतनी बढ़ती जा रही है की टेस्ला जो एक बहुत जानी मानी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी है उसने कहा है की वह बहुत जल्द बिटकॉइन को अपने वाहनों के भुगतान के रूप में प्रयोग कर सकती है। देखा जाए तो “बिटकॉइन” अंग्रेजी शब्द “crypto” से बना है, जिसका अर्थ होता है “गुप्त”। बिटकॉइन Cryptography के नियमों के आधार पर चलती है run करती है, और ”Cryptography” शब्द का अर्थ होता है “कोडिंग भाषा को सुलझाने की कला।” Bitcoin को Bitcoin wallet में save करते है।

बिटकॉइन वॉलेट

यह एक सॉफ्टवेयर या बिटकॉइन app होता है, जिसे आप अपने मोबाइल डिवाइस पर डाउनलोड कर सकते हैं। आप क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन के लिए इस वॉलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।बिटकॉइन वॉलेट एक यूनिक एड्रेस उपलब्ध कराता है और बिटकॉइन खरीदते समय आपको इस एड्रेस की जरूरत पड़ती है ऐसे में आप बिटकॉइन को अपने वॉलेट में मंगाकर रख सकते है।जब आप अपने बिटकॉइन को बेचते है और उससे पैसा कमाते है तो आपको उन पैसे को अपने बैंक में ट्रांसफर करने के लिए भी इसी बिटकॉइन वॉलेट की जरूरत पड़ती है ।

बिटकॉइन का प्रयोग कैसे करते है?

बिटकॉइन का प्रयोग का अलग-अलग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में किया जा रहा है। ये P2P नेटवर्क पर काम करता है। बिटकॉइन का रिकार्ड सार्वजनिक खाते में नहीं होता है और ना Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? इसे ट्रैक किया जा सकता। रिकार्ड सिर्फ दो बार ही देखने को मिलता है एक बार जब किसी ने बिटकॉइन की खरीद किया हो और दूसरी बार जब कोई बेच रहा हो।

इंडिया में बिटकॉइन प्राइस

बिटकॉइन की कोई कीमत निश्चित नही होती इसमें अस्थिरता रहती है क्युकी ये वित्तीय बाजारों पर निर्भर है जो स्वयं अस्थिर है । वर्तमान समय में देखा जाए तो कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट के कारण इसमें गिरावट देखने को मिली है। इसकी अस्थिरता के बारे में अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है की केवल एक ही दिन में बिटकॉइन की कीमत 11,434 डॉलर छूने के बाद 9,009 डॉलर तक गिर गई ।

बिटकॉइन खरीदने के नुकसान

बिटकॉइन को खरीदने से पहले लोगो को यह जानना चाहिए की इससे उन्हें कितना फायदा या नुकसान हो सकता है । तो बिटकॉइन में निवेश करने से पहले निवेशकों निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है ——

  • इसकी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आता है।
  • कीमतों को लेकर सटीक आकलन नहीं
  • बिटकॉइन से कोई चीज नहीं खरीद सकते
  • गैर कानूनी कामों में इस्तेमाल होने की आशंका

निष्कर्ष

दोस्तो उम्मीद है की उक्त लेख पढ़कर आपको समझ आया होगा कि, बिटकॉइन क्या होता है? इसका क्या प्रयोग है? वर्तमान समय में इसकी महत्त्वा क्यों बढ़ती जा रही है अन्य मुद्राओं की तुलना में? उम्मीद करता हू की आपके लिए यह जानकारी लाभकारी होगा।

YourStory की The Metaverse Summit 2023 में क्या है खास, आपके लिए क्यों जरूरी है यह समिट?

YourStory की The Metaverse Summit 2023 में क्या है खास, आपके लिए क्यों जरूरी है यह समिट?

The Metaverse Summit 2023 का दूसरा संस्करण 20 जनवरी, 2023 को बेंगलुरु में होगा. समिट Web2 एंटरप्राइजेज, स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को Web3 प्रोटोकॉल और स्टार्टअप्स से जोड़ेगा ताकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को अपनाने में तेजी लाई जा सके.

YourStory और The Decrypting Story को मेटावर्स समिट 2023 (The Metaverse Summit 2023) की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है. यह ब्लॉकचेन (blockchain) और वेब3 (web3) जैसी टेक्नोलॉजी को अपनाने में तेजी लाने के लिए भारत की सबसे बड़ी एनुअल टेक समिट का दूसरा संस्करण है.

यह समिट आगामी 20 जनवरी, 2023 (शुक्रवार) को बेंगलुरु में होगी.

YourStory अगले अरब यूजर्स के वेब3 टेक्नोलॉजी अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती है.

इस विजन को साकार करने के लिए, मेटावर्स समिट 2023 वेब2 एंटरप्राइजेज, स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और पॉलिसी मेकर्स को वेब3 प्रोटोकॉल और स्टार्टअप्स से जोड़ेगा ताकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को अपनाने में तेजी लाई जा सके.

आपके लिए क्यों जरूरी है मेटावर्स समिट?

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, AI (Artificial intelligence), Augmented reality (AR)/Virtual Reality, गेमिफिकेशन, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में तेजी से हो रही प्रगति, और बहुत कुछ यूजर्स के वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीके को बदल रही है.

इसके साथ ही भारत के लिए इस बदलते दौर में धाक जमाने और वेब3 के जरिए मेटावर्स की इंटरनेट अर्थव्यवस्था को परिभाषित करने का यह मल्टीट्रिलियन-डॉलर का अवसर है.

वेब3 टेक्नोलॉजी ओपन-सोर्स मैकेनिज्म मुहैया करती है जिसके जरिए अरबों डॉलर के संसाधनों को आसानी से एकत्रित किया जा सकता है और बड़े पैमाने पर पारंपरिक उद्यमों के साथ मुकाबला किया जा सकता है.

हालांकि, वेब2 और वेब2.5 खिलाड़ियों का प्रवेश वेब3 के इस्तेमाल जैसे क्रिप्टो, NFT (non-fungible token), Decentralized finance (DeFi), Play-to-Earn, DAOs आदि को अपनाने में तेजी लाने के लिए सर्वोपरि Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? है.

वेब2 और वेब3 दुनिया के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, मेटावर्स समिट 2023 भारत में ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ दोनों पक्षों के उद्यमों, स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को जोड़ेगी.

इस वर्ष, इस समिट में जिन सेक्टर पर फोकस रहेगा, वे इस प्रकार हैं:

  • कैसे Web2 एंटरप्राइजेज और दिग्गज कंपनियां Bitcoin का इस्तेमाल कहां और क्यों किया जाता है? Web3 को अपना सकती हैं
  • अगले अरब यूजर्स को Web3 पर लाना
  • क्रिप्टो, NFT, DeFi, वेब3 गेमिंग, इंफ्रा, टूलिंग आदि में इनोवेशन
  • एक निष्पक्ष, साझा और उपयोगकर्ता-स्वामित्व वाले मेटावर्स (User-Owned Metaverse) का निर्माण करना

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जरिए फेक न्यूज से निपटना

मोहित अगाड़ी — एक डिजिटल मार्केटर, SEO (search engine optimization) एक्सपर्ट और ब्लॉगर हैं, ने लगभग हर चीज की तथ्य-जांच (fact-check) का एक सख्त नियम बनाया. इसकी शुरूआत यह सुनिश्चित करने के साथ हुई कि उनके लेखों में कोई गलत जानकारी नहीं है.

समस्या अंततः उनके इतने करीब आ गई कि उन्होंने बड़े पैमाने पर जानकारी की तथ्य-जांच करने के लिए एक कंपनी खड़ी कर दी.

Fact Protocol, जिसे उन्होंने को-फाउंडर दामोदर कल्याण के साथ इस साल की शुरुआत में शुरू किया था, एक डिसेंट्रलाइज्ड फैक्ट-चेकिंग सिस्टम और वैरिफिकेशन लेयर बनाने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है.

Fact Protocol किसी भी यूजर को एक सत्यापनकर्ता (validator) बनने का अवसर देता है, बशर्ते वे सही ढंग से तथ्यों की जांच कर सकें. इसके लिए टी (tee) के दिशानिर्देशों का पालन करना या डोमेन में अनुभव होना आवश्यक है.

Fact Protocol Co-Founders

जब कोई न्यूज़ आर्टिकल या कंटेंट शेयर करता है, तो फैक्ट-चेकर इसे वैलिडेट करने के लिए तैयार हो जाते हैं. इस प्रक्रिया में कंटेंट से संबंधित जानकारी के विश्वसनीय स्रोतों के लिए वेब (इंटरनेट) पर सर्च करना होता है.

इसके बाद फैक्ट-चेकर्स इसे वेरिफाई करने के लिए आगे बढ़ते हैं. एक बार जब यह पूरा हो जाता है, तो जानकारी को ब्लॉकचेन पर स्टोर किया जाता है, जिससे किसी को भी वेरिफाई करने के लिए पता लगाया जा सकता है.

फाउंडर्स का तर्क है कि डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क के फायदे भी पावर की एकाग्रता को रोकने, सत्यापन प्रक्रिया को लोकतांत्रिक रखने, पूर्वाग्रह को खत्म करने और पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विस्तारित होते हैं.

इस खास एक दिवसीय समिट में दो ट्रैक होंगे - Web3 Track (मुख्य ट्रैक) और BUIDL Together Track (मास्टरक्लास और वर्कशॉप).

मेटावर्स समिट 2023 में भाग लेने के लिए अभी रजिस्टर करें और भारतीय और ग्लोबल वेब3 कम्यूनिटी के सैकड़ों फाउंडर, इन्वेस्टर, डेवलपर, इंजीनियर और कम्यूनिटी के सदस्यों से मिलें!

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