संसदीय कमेटी द्वारा ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत करे कार्रवाई: अमर पारवानी
रायपुर , 24 दिसम्बर । कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति द्वारा अपनी एक हाल ही की रिपोर्ट में यह कहना की भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को अपना रही हैं और इससे पहले की वो बाजार पर कब्ज़ा कर लें, उनकी जांच की जरूरत है, वास्तव में भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के वर्तमान परिदृश्य को दर्शाता है और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स द्वारा इस मुद्दे पर एक लम्बे समय से उठाये जा रहे विभिन्न सवालों की पुष्टि भी करता है। कैट ने कहा की अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए, तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी जो देश के करोडो छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होगा।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि एक संवाददाता सम्मेलन को कैट के साथ आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) एवं साउथ इंडिया ऑर्गनाइज्ड रिटेलर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यापार एक अनाथ या अवांछित बच्चे की तरह है क्योंकि यह देश में रिटेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण अंग,जो तेजी से बढ़ रहा है होने के बावजूद भी अभी तक इसके लिए कोई कायदे एवं नियम नहीं बनाये गए हैं जिससे विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत में अपना मनमाना खेल खेलने का पूरा मौका मिल रहा है और ये कंपनियां देश के छोटे व्यापारियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। व्यापारी नेताओं ने यह घोषणा की की इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने तथा नियम एवं कायदे तुरंत घोषित किये जाने को लेकर विभिन्न वर्गों के राष्ट्रीय संगठनों का एक बड़ा फोरम बनाया जा रहा है जो संयुक्त रूप से एवं बेहद मजबूत तरीके से देश भर में इस मुद्दे पर एक बड़ा व्यापक आंदोलन छेड़ेगा।
पारवानी एवं दोशी ने कहा की संसद की वित्तीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से पहले केंद्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग, विभिन्न उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को दोषी पाया गया है। विभिन्न सरकारी एजेंसियां इनके खिलाफ जांच कर रही हैं। इन कंपनियों के पोर्टल के जरिये तेजाब, बम बनाने का सामान, गांजा आदि प्रतिबंधित वस्तुएं बिक रही हैं, ऐसे में अभी तक इन कंपनियों को देश में खुले रूप से व्यापार करने का मौका क्यों दिया जा रहा है ? क्यों इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो रही ? जांच के नाम पर क्यों समय व्यतीत करने का अवसर दिया जा रहा है ? क्या यह कंपनियां देश के क़ानून से भी ऊपर हैं ?
पारवानी एवं दोशी ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अनियंत्रित ई-कॉमर्स गतिविधियों ने खुदरा व्यापार के 40 से अधिक उत्पाद श्रंखलाओं के व्यापार को बुरी तरह नष्ट कर दिया है और उनमें से सबसे ज्यादा विपरीत प्रभाव मोबाइल व्यापार पर पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में देश भर में 50 हजार से अधिक मोबाइल स्टोर बंद हो गए हैं। मोबाइल निर्माण करने वाली भारतीय कंपनियों की हालत भी इन विदेशी कंपनियों की वजह से खस्ता हो गई है।
कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष परमानन्द जैन एवं प्रदेश महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह ने कहा कि इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल का खुलासा करते हुए व्यापारी नेताओं ने कहा कि ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्तमान में अपने व्यापार करने के तरीके से टैक्स चोरी करने का जरिया बन गए हैं। इनके पोर्टल पर प्रत्यक्ष में सामानों की प्राथमिक बिक्री ऑनलाइन इनके चहेते लोगों को होती हैं जहाँ से अनधिकृत वैकल्पिक चैनलों के माध्यम से वो सामान ऑफलाइन में कम दामों पर इनके अपने विक्रेताओं द्वारा बेचा जाता है। यह कंपनियां सप्लाई चेन जिसमें डिस्ट्रीब्यूटर, स्टॉकिस्ट और रिटेलर को बाजार से बाहर कर रही हैं जो अर्थव्यवस्था के सेहत के लिए ठीक नहीं है और देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ाएगा। इन कंपनियों की ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है कुटिल हाथों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी, किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घड़ियां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
पारवानी एवं दोशी ने आरोप लगाया कि ई-पोर्टल, ब्रांड और बैंकों का एक अपवित्र गठजोड़ ई-कॉमर्स में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार बनाने के लिए काम कर रहा है और इन विदेशी कंपनियों की अपने प्रतिस्पर्धी-विरोधी व्यवसाय प्रथाओं को जारी रखने में मदद कर रहा है। इन प्लेटफॉर्म ने अपनी प्रौद्योगिकी कौशल और पैसे खर्च करने की शक्ति के माध्यम से आज ब्रांडों के साथ मिलकर अनैतिक रूप से काम करते हुए ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी ओर खींचने में किसी नियम का पालन नहीं किया।
पारवानी एवं दोशी ने बताया की कैट ने इस मुद्दे पर एक 6 सूत्रीय ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है ई-कॉमर्स चार्टर जारी किया है जिसमें सरकार से आग्रह किया गया है की भारत में तुरंत ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित हो वहीं दूसरी ओर ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता संरक्षण नियमों को तुरंत लागू किया जाए। ई-कॉमर्स के लिए एक सक्षम रेगुलेटरी अथॉरिटी का तुरंत गठन हो, एफडीआई रिटेल नीति के प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए, जीएसटी कर प्रणाली का सरलीकरण किया जाए तथा रिटेल ट्रेड के लिए एक नेशनल पालिसी भी तुरंत घोषित की जाए।
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दूसरी ईस्ट इंडिया कंपनी बन सकती है, विदेशी ई कॉमर्स साइट्स — CAIT
नई दिल्ली। वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति द्वारा अपनी एक हाल ही की रिपोर्ट में यह कहना की भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को अपना रही हैं और इससे पहले की वो बाजार पर कब्ज़ा कर लें, उनकी जांच की जरूरत है। वास्तव में भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के वर्तमान परिदृश्य को दर्शाता है और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स द्वारा इस मुद्दे पर एक लम्बे समय से उठाये जा रहे विभिन्न सवालों की पुष्टि भी करता है। यह बातों कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि की अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए, तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी जो देश के करोडो छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होगा।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान खंडेलवाल के साथ आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) के अध्यक्ष
कैलाश लख्यानी एवं साउथ इंडिया ऑर्गनाइज्ड रिटेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीधर ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यापार एक अनाथ या अवांछित बच्चे की तरह है क्योंकि यह देश में रिटेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण अंग,जो तेजी से बढ़ रहा है होने के बावजूद भी अभी तक इसके लिए कोई कायदे एवं नियम नहीं बनाये गए हैं जिससे विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत में अपना मनमाना खेल खेलने का पूरा मौका मिल रहा है और ये कंपनियां देश के छोटे व्यापारियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
व्यापारी नेताओं ने यह घोषणा की की इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने तथा नियम एवं कायदे तुरंत घोषित किये जाने को लेकर विभिन्न वर्गों के राष्ट्रीय संगठनों का एक बड़ा फोरम बनाया जा रहा है जो संयुक्त रूप से एवं बेहद मजबूत तरीके से देश भर में इस मुद्दे पर एक बड़ा व्यापक आंदोलन छेड़ेगा।
प्रवीन खंडेलवाल सहित अन्य व्यापारी नेताओं ने कहा की संसद की वित्तीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से पहले केंद्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग, विभिन्न उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इन विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को दोषी पाया गया है। विभिन्न सरकारी एजेंसियां इनके खिलाफ जांच कर रही हैं। इन कंपनियों के पोर्टल के जरिये तेजाब, बम बनाने का सामान, गांजा आदि प्रतिबंधित वस्तुएं बिक रही हैं, ऐसे में अभी तक इन कंपनियों को देश में खुले रूप से व्यापार करने का मौका क्यों दिया जा रहा है ? क्यों इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो रही ? जांच के नाम पर क्यों समय व्यतीत करने का अवसर दिया जा रहा है ? क्या यह कंपनियां देश के क़ानून से भी ऊपर हैं ?
व्यापारी नेताओं ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अनियंत्रित ई-कॉमर्स गतिविधियों ने खुदरा व्यापार के 40 से अधिक उत्पाद श्रंखलाओं के व्यापार को बुरी तरह नष्ट कर दिया है और उनमें से सबसे ज्यादा विपरीत प्रभाव मोबाइल व्यापार पर पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में देश भर में 50 हजार से अधिक मोबाइल स्टोर बंद हो गए हैं। मोबाइल निर्माण करने वाली भारतीय कंपनियों की हालत भी इन विदेशी कंपनियों की ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है वजह से खस्ता हो गई है।
इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल का खुलासा करते हुए व्यापारी नेताओं ने कहा कि ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्तमान में अपने व्यापार करने के तरीके से टैक्स चोरी करने का जरिया बन गए हैं। इनके पोर्टल पर प्रत्यक्ष में सामानों की प्राथमिक बिक्री ऑनलाइन इनके चहेते लोगों को होती हैं जहाँ से अनधिकृत वैकल्पिक चैनलों के माध्यम से वो सामान ऑफलाइन में कम दामों पर इनके अपने विक्रेताओं द्वारा बेचा जाता है। यह कंपनियां सप्लाई चेन जिसमें डिस्ट्रीब्यूटर, स्टॉकिस्ट और रिटेलर को बाजार से बाहर कर रही हैं, जो अर्थव्यवस्था के सेहत के लिए ठीक नहीं है और देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ाएगा। इन कंपनियों की कुटिल हाथों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी,किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घड़ियां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
श्री खंडेलवाल, श्री लख्यानी एवं श्री श्रीधर ने आरोप लगाया कि ई-पोर्टल, ब्रांड और बैंकों का एक अपवित्र गठजोड़ ई-कॉमर्स में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार बनाने के लिए काम कर रहा है और इन विदेशी कंपनियों की अपने प्रतिस्पर्धी-विरोधी व्यवसाय प्रथाओं को जारी रखने में मदद कर रहा है। इन प्लेटफॉर्म ने अपनी प्रौद्योगिकी कौशल और पैसे खर्च करने की शक्ति के माध्यम से आज ब्रांडों के साथ मिलकर अनैतिक रूप से काम करते हुए ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी ओर खींचने में किसी नियम का पालन नहीं किया।
श्री खंडेलवाल ने बताया की हमने इस मुद्दे पर एक 6 सूत्रीय ई कॉमर्स चार्टर जारी किया है जिसमें सरकार से आग्रह किया गया है की भारत में तुरंत ई कॉमर्स पॉलिसी घोषित हो वहीं दूसरी ओर ई कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता संरक्षण नियमों को तुरंत लागू किया जाए। ई कॉमर्स के लिए एक ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है सक्षम रेगुलेटरी अथॉरिटी का तुरंत गठन हो, एफडीआई रिटेल नीति के प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए, जीएसटी कर प्रणाली का सरलीकरण किया जाए तथा रिटेल ट्रेड के लिए एक नेशनल पालिसी भी तुरंत घोषित की जाए।
भारत में जल्द लॉन्च होगा, सैमसंग का ये स्मार्टफोन
samsung f 13:सैमसंग जल्द ही भारत में F सीरीज का एक और फोन लॉन्च कर सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साउथ कोरियाई स्मार्टफोन कंपनी सैमसंग आने वाले साल 2023 की शुरूआत में Samsung Galaxy F14 को लॉन्च कर सकती है. अपकमिंग स्मार्टफोन को Galaxy F13 के अपग्रेड वर्जन के तौर पर पेश किया जाएगा. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट पर सैमसंग गैलेक्सी F14 की एक्सक्लूसिव बिक्री होगी. इसके अलावा सैमसंग ई-स्टोर और देश भर के ऑफलाइन रिटेल स्टोर पर भी इस फोन को बेचा जाएगा.
आपको बता दें कि सैमसंग गैलेक्सी F13 को इस साल की शुरुआत में ही भारत में लॉन्च किया गया था. यह एक बजट सेगमेंट फोन है जिसकी शुरुआती कीमत 11,999 रुपये है.
सैमसंग गैलेक्सी F13 के फीचर्स
सैमसंग के नए फोन के फीचर्स की जानकारी अभी ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है सामने नहीं आई है. अब क्योंकि सैमसंग गैलेक्सी F14 हैंडसेट सैमसंग गैलेक्सी F13 का अपग्रेड वर्जन हो सकता है, इसलिए नए फोन को गैलेक्सी F13 से बेहतर फीचर्स के साथ लॉन्च किया जा सकता है. आगे आप गैलेक्सी एफ13 के फीचर्स देख सकते हैं.
डिस्प्ले: सैमसंग गैलेक्सी एफ13 में 6.6 इंच की फुल एचडी प्लस एलसीडी स्क्रीन है. इस फोन की डिस्प्ले में फ्रंट कैमरा के लिए वॉटरड्रॉप नॉच दिया गया है.
प्रोसेसर: इस फोन में कंपनी का अपना One UI 4.0 कस्टम स्किन ऑपरेटिंग सिस्टम मिलेगा, जो Android 12 पर बेस्ड है. स्मार्टफोन Exynos 850 चिपसेट से लैस है जिसे Mali G52 ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है के साथ पेयर किया गया है.
स्टोरेज: सैमसंग गैलेक्सी F13 4GB रैम और 128GB तक स्टोरेज ऑफर करता है. ये एक डुअल सिम फोन है. इसमें आपको माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट भी मिलता है. यूजर्स माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल करके इस फोन की स्टोरेज को बढ़ा सकते हैं.
कैमरा: इस फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप है. इसमें 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा, 5 मेगापिक्सल का अल्ट्रा वाइड-एंगल लेंस और 2 मेगापिक्सल का मैक्रो शूटर है. इस फोन में सेल्फी और वीडियो कॉल के लिए फ्रंट में 8 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है.
samsung f 13:बैटरी: इस फोन में 6,000 एमएएच की बैटरी मिलेगी, जो 15 वॉट फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ चार्ज होती है.
ई-कॉमर्स बिजनेस से कमा सकते हैं लाखों रुपये, अपनाएं ये टिप्स
आज के समय मे पूरी दुनिया में स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में लोग ऑनलाइन खरीदारी करना पसंद करते हैं। इसलिए अगर आप किसी तरह का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो ई-कॉमर्स बिजनेस आपके लिए अच्छा साबित हो सकता है। ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करना काफी आसान होता है। आप आसानी के कम पैसों में भी ई-कॉमर्स बिजनेस खोल सकते हैं।
ई-कॉमर्स बिजनेस क्या है
ई-कॉमर्स जब कोई कंपनी या फिर व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से अपने सामान को बेचता हैं तो उसे ही हम ई-कॉमर्स बिजनेस कहते हैं।
ई-कॉमर्स से पैसे कमा सकते हैं
ई-कॉमर्स बिजनेस करके आप घर बैठे आसानी से पैसे कमा सकते हैं। आपको सिर्फ अपने प्रोडक्ट को बेचना होगा।
ई-कॉमर्स बिजनेस सब क्यों करना चाहते हैं
बता दें कि आज के जमाने में सभी लोग ई-कॉमर्स बिजनेस करना चाहते हैं। क्योंकि आज के जमाने के लोग ऑनलाइन बिजनेस करना ज्यादा पसंद करते हैं।
ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू कैसे करें
ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू करने के लिए आप ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर लें, क्योंकि आज के समय में ई-कॉमर्स बिजनेस के कई प्रकार होते हैं। आप अपने इंटरेस्ट के हिसाब से अपना बिजनेस शुरू करें।
बिजनेस प्लान तैयार कर लें
अगर आप भी ई-कॉमर्स बिजनेस करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले बिजनेस प्लान तैयार करना होगा। बिजनेस चुनने से पहले इस बात का खास ख्याल रखें कि उस प्रोडक्ट का डिमांड मार्केट में होना चाहिए।
मार्केटिंग जरुर करें
ऑनलाइन मार्केटिंग करना काफी ज्यादा जरूरी हैं। आपको शुरुआत में काफी ज्यादा मार्केटिंग करना पड़ेगा।
बिजनेस चलने पर कितनी होगी कमाई
ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू होने पर शुरुआत में कम पैसे मिलेंगे लेकिन बाद में आप अपने बिजनेस से अच्छी कमाई कर पाएगें।
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